शुक्रवार, 4 अप्रैल 2025

Janta Dal United में भूकंप

बिहार में चुनाव से पहले आधा दर्जन ने जदयू से तोड़ा रिश्ता

जदयू की धर्मनिरपेक्ष छवि पर खड़ा हुआ सवाल 


Patna (dil India live). वक्फ संशोधन विधेयक 2025 को समर्थन देना नीतीश कुमार के लिए बड़ी मुसीबत लेकर आ गया है, इसके चलते बिहार में ऐन चुनाव से पहले जनता दल (यूनाइटेड) में भूकंप जैसे हालात दिख रहे हैं। पार्टी के लिए एक के बाद एक झटके लग रहे हैं, क्योंकि इसके कई प्रमुख नेताओं ने हाल ही में इस्तीफा दे दिया है। दरअसल वक्फ संशोधन विधेयक 2025 के समर्थन को लेकर पार्टी के भीतर असंतोष बढ़ना बिहार में होने जा रहे विधान सभा चुनाव के चश्मे से जदयू के लिए किसी भी एंगल से ठीक नहीं कहा जा सकता है। 

आधा दर्जन ने जदयू तोड़ा रिश्ता 

जनता दल यूनाइटेड के अब तक छह नेता अपनी सदस्यता छोड़ चुके हैं। इनमें मोहम्मद कासिम अंसारी, मोहम्मद शाहनवाज मलिक, नदीम अख्तर, तबरेज सिद्दीकी और राजू नैयर के बाद अब नवादा जिले के JDU जिला सचिव मोहम्मद फिरोज खान ने भी पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। इसके चलते जिले में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। सियासी विशेषज्ञों की मानें तो यह सिलसिला बिहार विधानसभा चुनाव से पहले JDU के लिए एक बड़े संकट का संकेत है, क्योंकि ये इस्तीफे पार्टी की धर्मनिरपेक्ष छवि और अल्पसंख्यक समुदाय के बीच विश्वास को लेकर सवाल उठा रहे हैं।

 नीतीश आरएसएस गठजोड़ का आरोप

फिरोज खान ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर आरएसएस से नजदीकी बढ़ाने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अब मुस्लिम समुदाय के हित में कोई काम नहीं कर रहे हैं और उनकी नीतियां "झूठ और मक्कारी" पर आधारित हैं। फिरोज खान ने बैकवर्ड क्लास बिल को लेकर भी नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि यह बिल मुसलमानों के हितों के खिलाफ है और इससे उनका हक मारा जा रहा है। फिरोज खान के इस्तीफे के बाद उनके समर्थकों में भी नाराजगी देखी जा रही है। उनके करीबी कई कार्यकर्ताओं ने भी जेडीयू छोड़ने के संकेत दिए हैं। इससे पार्टी में आंतरिक संकट गहराने की आशंका है। इस्तीफा देने के बाद फिरोज खान ने प्रदेश के मुस्लिम समुदाय से अपील की कि वे नीतीश कुमार से दूरी बना लें। उन्होंने कहा कि नीतीश सरकार मुस्लिम समाज को गुमराह कर रही है और उनकी भलाई के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है। फिरोज खान के इस्तीफे के बाद जेडीयू में हड़कंप मच गया है। माना जा रहा है कि विपक्षी पार्टियां इस मुद्दे को भुनाने की कोशिश कर सकती हैं। 

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