DAV के इतिहास विभाग में छात्र फोरम विरासत के तहत संगोष्ठी
महात्मा ज्योतिबा राव फुले: मानवाधिकार के अग्रदूत विषयक संगोष्ठी में जुटे लोग
Mohd Rizwan
Varanasi (dil India live)। डीएवी पीजी कॉलेज के इतिहास विभाग के छात्र फोरम विरासत के तहत शनिवार को महात्मा ज्योतिबाराव फुले: भारत मे मानवाधिकार के अग्रदूत विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, हरियाणा से आये डॉ. एस.के. चहल ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि पेशे से माली परिवार में जन्मे महात्मा फुले ने अपना सम्पूर्ण जीवन समाज के सबसे निचले तबके के गरीबों को समर्पित कर दिया था। वें पहले सामाजिक क्रांतिकारी थे जिन्हें महात्मा कहा गया। उन्होंने कहा कि अंग्रेजी हुकूमत के दौरान जब भरतीय समाज तमाम कुप्रथाओ से जूझ रहा था उस दौर में सामान्य नागरिकों के अधिकार की बात करने वाले पहले अग्रदूत महात्मा ज्योतिबा राव फुले ही थे। उस दौर मे मानवाधिकार की सोच ही असंभव थी। उन्होंने यह भी कहा कि फुले को लेकर जो भ्रांतियां फैलाई गई जिसमें उनका हिन्दूधर्म के खिलाफ होना कहा गया यह सर्वथा अनुचित है। वें सच्चे धर्म के संवाहक थे, उनका मानना था कि मानव धर्म।ही श्रेष्ठ धर्म है। धर्म के नाम पर होने वाले पाखण्ड का उन्होंने आजीवन विरोध किया।
अध्यक्षता विभागध्यक्ष प्रो.विनोद कुमार चौधरी ने किया। संचालन फोरम के समन्वयक डॉ. शोभनाथ पाठक, स्वागत डॉ. शिवनारायण एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. प्रतिभा मिश्रा ने दिया। इस मौके पर मुख्य रुप से डॉ. शशिकांत यादवा, डॉ. लक्ष्मीकांत सिंह, डॉ. कुलदीप शर्मा, आशुतोष सिंह, अमरीष त्रिपाठी सहित बड़ी संख्या में छात्र - छात्राएं शामिल रहे।
एकाग्रता शक्ति को कम कर रहा तकनीक का प्रयोग
डीएवी पीजी कॉलेज के समाजशास्त्र विभाग के छात्र मंच सामाजिकी के अंतर्गत शनिवार को वाद विवाद प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। "क्या अभी भी प्रौद्योगिकी पर हमारा नियंत्रण है या पहले से ही यह हमें नियंत्रित कर रही है?" विषय पर आयोजित प्रतियोगिता में छात्र-छात्राओं ने पक्ष विपक्ष में राय रखी। पक्ष में विचार रखने वाले छात्रों ने बताया कि टेक्नोलॉजी हमारे जीवन का एक महत्तवपूर्ण हिसा बन चुकी है जिसकी सहायता से हम काई सारे महत्तवपूर्ण कार्य सरलता से कर सकते हैं एवं जल्दी कर सकते हैं। विपक्ष में प्रतिभागियों ने तर्क देते हुए कहा कि फोन के लगातर उपयोग से हमारी एकाग्रता शक्ति कम हो गई है और चिंता, अवसाद, अनिद्रा, तनाव आदि जैसे मनोवैज्ञनिक रोगो के मामले निरंतर बढ़ रहे हैं।
सक्षम राय, अंकित राज, अभिषेक सिंह, शिवांग पाल, सत्यम गुप्ता, आंचल मौर्य, रमेंद्र प्रताप सिंह, आराधना रॉय, सान्या राय, साई ज्योति जेना आदि छात्रों ने विचार रखे। विभागाध्यक्ष प्रो. मधु सिसौदिया ने टेक्नोलॉजी के उपयोग पर प्रकाश डाला। इस मौके पर डॉ. जियाउद्दीन, डॉ. हसन बानो, डॉ. नेहा चौधरी, डॉ. सूर्य प्रकाश पाठक, डॉ. सत्यप्रकाश अंशु, डॉ. मृत्युंजय सिंह आदि उपस्थित रहे।
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