मंगलवार, 27 जून 2023

Kaba mai hajj के अय्याम शुरु, काशी कि बढ़ी धड़कने

काबा में हो रहा हज, काशी में कि जा रही दुआएं



Varanasi (dil India live)। काबा में हज के अय्याम शुरु हो गये है वही काशी से हज पर गये लोगो के अज़ीज़ों कि धड़कने तेज हो गई है। हर कोई अपने अज़ीज़ों के लिए दुआएं मांग रहा है कि उनके अज़ीज़ हज का सफर कामयाबी से पूरा करके काशी हंसी–खुशी लौटें। लोगों की इस बात की खुशी भी है कि उनके अजीज हज करके जब लौटेंगे तो उनके नाम के आगे हाजी लग जाएगा मगर बेचैनी इस बात कि है कि कहीं कोई अनहोनी न हो’ बस यही वजह है कि दुआओं का दौर तेज हो गया है। काबा में हज हो रहा है और काशी में दुआएं। हज खिदमतगार हाजी अदनान खां ने बताया कि जायरीन मिना से रवाना होकर आज अराफात पहुंचे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि हज के दौरान पांच दिन केवल और केवल रब की इबादत ही होती है। इस दौरान जायरीन का अपने अजीजों से सम्पर्क टूट जाता है यही वजह है कि लोग दुआओं में लग जाते हैं।

दरअसल कई बार हज के अय्याम के दौरान हादसे हुए हैं कभी कंकड़ी मारते समय तो कभी तवाफ करते या फिर मिना के मैदान में खाना बनाते समय आग लगने के कारण। इसी के चलते लोग तब तक सुकुन नहीं ले पाते जब तक कि हज का पांच दिन का अय्याम मुकम्म्ल नहीं हो जाता है। 

इस साल हज 26 जून से शुरू हुआ है जो 1 जुलाई को मुकम्म्ल होगा। इस बार दुनिया भर से तकरीबन चालीस लाख ज़ायरीन हज के लिए रवाना हुए हैं। इस्लाम में हज फर्ज माना गया है। ये इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक है। इस्लाम के मुताबिक अल्लाह की रज़ा के लिए ज़िंदगी में एक बार हज पर जाना बेहद जरूरी है। इस्लाम में माना जाता है कि हज करके लौटने वाला जब हाजी बनकर लौटता है तो वो गुनाहों से ऐसे पाक हो जाता है जैसे मां के पेट से पैदा हुआ बच्चा मासूम और बेगुनाह होता है। इसलिए हज का इस्लाम में खासा महत्व है। हर कोई जिन्दगी में एक बार हज करने की ख्वाहिश जरुर दिल में पाले रहता है।

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