अरबी रुमाल पहना हाजियों का किया गया खैरमकदम
Varanasi (dil India live). Hajj 2023 में पूरी दुनिया के साथ हिन्दुस्तान के हज जायरीन हज बैतुल्लाह से सरफराज होकर खैरियत व आफियत के साथ अपने-अपने मुल्कों में पहुंच चुके हैं। इस खुशी के मौके पर इसरा (ISSRA) वाराणसी के मुख्यालय, अर्दली बाजार वाराणसी में हाजियों का खैरमकद समारोह का आयोजन 13.08.2022 को प्रातः 10:30 बजे से मौलाना अब्दुल हादी खां हबीबी की सदारत में सकुशल सम्पन्न हुआ। इस मौके पर हाजियों को अरबी रूमाल पहना कर तथा ख़्वातीन द्वारा हज्जिनों को अरबी दुपट्टा पहनाने के बाद माल्यार्पण कर उनका खैरमकदम किया गया।
आंखों में सिर्फ आंसू ही थे...
हज बैतुल्लाह से सरफराज होकर तथा हुजूर सल्लाहो अलैहे वसल्लम के रौज-ए-अकदस की जियारत से सकुशल वापस आने पर हाजियों का यह कहना था- वाराणसी से हाजी बशीर अहमद अंसारी तथा हाजी इसराइल का कहना था कि हम सब लोग खुशकिस्मत थे कि हमारी रवानगी लखनऊ से मदीने मुनव्वरा के लिए हुई। हमने यह दिल में सोचा था कि जब रोज-ए-अकदस स. आंखों के सामने होगा तो अपने दिल का हाल बयान करूंगा व दिल से तमाम दुआएं मागूंगा लेकिन जब रौज-ए-अकदस स. निगाहों के सामने आया तो आंखों में सिर्फ आसू ही थे और हम सब सिर्फ हाथ उठाकर रोते रहे न तो दिल की बातें याद रही और न ही दुआए याद रही।
अरकानों को पूरा करने में हुई आसानी
गाजीपुर से आये हाजी बहाउद्दीन साहब का कहना था कि इसरा ( SSRA) के हज ट्रेनिंग कैम्प में मिली जानकारी और संस्था द्वारा बांटे गये पचों से हम लोगों को हज अरकानों को पूरा करने में काफी आसानी हुई और हज के अरकानों और दुआओं को ढूंढना नहीं पड़ा। मऊ से आये के हाजी सरफराज का कहना था कि वाकई काबा शरीफ तथा मस्जिदे नबवी सं. में अल्लाह तआला की रहमत बरसती है और चौबीसों घेण्टे नूर की बारिश होती रहती है, और अल्लाहतआला गैब से अपने मेहमानों की मदद फरमाता है। रामनगर से आये के हाजी असलम का कहना था कि अल्लाह तआला अपने हाजियों को पूरी दुनियां से हज बैतुल्लाह से सरफराज करने के लिए बुलाता है और अपने मेहमानों के लिए इस पाक सरजमीं पर फरश्तिो को भेजकर उनकी मदद व मेहमाननवाजी फरमाता है। उसी के रहमों करम से हाजी हज के मुश्किल अरकानों को पूरा कर पाता है। वाकई एक ही दिन में उमराह और कई-कई तवाफ करने के बाद जम-जम पीकर अल्लाह तआला की बारगाह में जब सेहत की दुआ की जाती है तो सारी थकान दूर हो जाती और अल्लाह तआला फिर से ऐसी कूबत अता करता कि बार-बार तवाफ और उमराह हाजी करता रहता था। चन्दौली से आये गुफरान खान, मोहम्मद उमर ने बताया कि हज, उमराह व इबादत में 40 दिन कैसे बीत गये पता ही नहीं चला और अभी ख़ुदा की इबादत से दिल भरा ही नहीं था कि वापस आने की बारी आ गई और तवाफे विदा करने की बारी आई तो ऐसा एहसास हुआ कि रूह जिस्म से निकल जायेगी। तवाफे विदा के वक्त रूह जिस्म से नहीं निकली बाकी सब कुछ हो गया। बस यही सोच कर रोना आता था कि फिर इस मुकद्दस जगह पर दुबारा आ पाऊँगा या नहीं। जिन्दगी बाकी रहेगी या नहीं? ख़ुदा के इस पाक घर को कैसे छोड़कर चला जाऊँ। इलाहाबाद से आये हाजी अनीस खां ने कहा कि मदीना में हुजूर स. के रौजा-ए- अकदस के सामने अदब के साथ खड़े होकर जब हमने रो-रो कर अपने और सभी हाजियों के हज के अरकानों को बखैरियत पूरा होने और हज के मुश्किल अरकानों को आसानी से पूरा होने के लिए दुआ की तो अल्लाहतआला ने हम सभी को हज बैतुल्लाह से सरफराज किया और हम लोग अल्लाहतआला के करम से अपने अपने मुल्कों में बखैरियत पहुंच गये। हज बैतुल्लाह पर गये हाजियों ने इसरा (ISSRA) द्वारा मिली जानकारियों को दूसरे राज्यों जैसे राजस्थान, बिहार, मध्यप्रदेश, गुजरात, पश्चिम बंगाल दिल्ली के हजयात्रियों को दी।
काश एक बार फिर मिलता हज का मौका
हज बैतुल्लाह से सकुशल वापस आने पर हाजियों का कहना था कि अल्लाहतआला से मेरी यही दुआ थी कि हम लोगों को एक बार फिर हज पर जाने का मौका मिले। प्रोग्राम के अंत में सभी ओलमा व हाजी साहबानों ने मिलकर यह दुआ की कि जो लोग इस साल 2023 में किन्हीं वजहों से हज पर नहीं जा पाये हैं या जिनकी तमन्ना 2024 में हज पर जाने की है उन्हें अल्लाहतआला अपने रहम व करम से अगले साल हज 2024 में हज बैतुल्लाह से सरफराज फरमाये। औरतों में ख़्वातीन हज ट्रेनर सबीहा खातून, निकहत फातमा, अनम फातमा सहित हज्जिन नरगिस, जरीना बेगम, कौसरजहां, आसमां, जैबुनिशा, नरगिस फातमा, रौशन आरा आदि मौजूद थी।
इस मौके पर ओलमा में मौलाना अब्दुल हादी खाँ हबीबी, मौलाना हसीन हबीबी, मौलाना कमाल, मौलाना डा. निजामुद्दीन चतुर्वेदी, मुफ्ती महमूद आलम, हाफिज शफी अहमद, मौलाना मुबारक, हाफिज हबीबुर्रहमान और शायरों में हाजी सैयद अशफर बनारसी, तथा इसरा ( ISRA ) के पदाधिकारी एवं सदस्यगण मौजूद थे।
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