रिमझिम पड़ेला फुहार, राधा रानी...गली सून कइला बलमू
Varanasi (dil India live). सावन के पावन अवसर पर बनारस घराने की विदुषी संगीतज्ञ मीना मिश्रा जो ठुमरी सम्राट पंडित महादेव प्रसाद मिश्र की पुत्री है अपने आवास पर उनके द्वारा पांच दिवसीय कजरी कार्यशाला का आयोजन किया गया. डॉ माधुरी नूतन के द्वारा कजरी कार्यशाला का उद्घाटन हुआ और प्रतिदिन भारी संख्या में बच्चों महिलाओं व अन्य कलाकारों ने कजरी का आनंद लिया. सावन के महीने में विशेष रूप से गाये जाने वाली बनारसी कजरी कि प्रस्तुति ने सभी का मन मोह लिया. इस मौके पर मीना मिश्रा द्वारा कजरी के विषय में विशेष व्याख्यान दिया गया, जिसमें बनारसी और मिर्जापुरी कजरी के उद्भव व विशेषताओं के विषय में जानकारी दी गई. तबले की थाप हारमोनियम की मधुर संगीत के साथ काशी वासियों ने कजरी, रिमझिम पड़ेला फुहार ,राधा रानी, गली सून कइला बलमू आदि को गाकर सावन ऋतु का आनंद लिया। प्रतिदिन दो से 3 घंटे अभ्यास के उपरांत कार्यशाला का भव्य समापन हुआ. जिसमें काशी के महान तबला वादक गुरु पण्डित पूरण महाराज व पंडित कामेश्वर नाथ मिश्र, डॉ मनोज मिश्र,, पंडित नन्द किशोर मिश्र सहित कई अन्य कलाकार उपस्थित थे। गुरु मीना मिश्रा के द्वारा आयोजित कजरी कार्यशाला को काशी की संस्कृति को संजोने के लिए किया जाने वाला अति सराहनीय प्रयास बताया गया। तबले पर देव नारायण मिश्र व नारायण दीक्षित, हारमोनियम पर हर्षित पाल द्वारा संगत की गई।
कार्यक्रम के समापन सत्र में सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया। वैष्णवी अर्णव, सारिका, दीप्ति, मनसा, अमित, मंजू देवी, अभय, अदिति, प्रेरणा, पूजा, ओम प्रकाश आदि ने, रिमझिम पड़ेला फुहार... एवं सावनवा में ना जयबू ननदी... आदि कजरी गाकर सभी का मन मोह लिया। अंत में मीना मिश्रा ने अपनी कजरी गायन की प्रस्तुति से समापन किया, जिसमे संगत तबला पर पंडित नंदकिशोर मिश्र, एवं हारमोनियम पर पंडित पंकज मिश्र ने किया।
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