11 साल बाद मिला दान को न्याय
बिशप पद पर मोरिस एडगर दान की बहाली से 'हर्ष'
•सीएनआई की बैठक में ऐतिहासिक निर्णय, वोटिंग में मिले 15 वोट
Varanasi (dil India live). 25.08.2023. डायोसिस आफ लखनऊ के बिशप पद पर मोरिस एडगर दान की 11 साल बाद बहाली हो गई है। चर्च आफ नार्थ इंडिया (सीएनआई) की एक्जीक्यूटिव कमेटी की 115 वीं बैठक में यह ऐतिहासिक निर्णय नई दिल्ली स्थित मुख्यालय में लिया गया। माडरेटर बिशप बीके नायक की अध्यक्षता में हुई इस अतिमहत्वपूर्ण बैठक में नार्थ इंडिया के 27 डायोसिस के प्रतिनिधि शामिल हुए। बैठक में कोर्ट द्वारा मौरिस एडगर दान को बाइज्जत बरी होने पर चर्चा की गई। इसके बाद वोटिंग कराई गई। वोटिंग में दान को 15 वोट मिले, जिसके बाद उन्हें पद पर बहाल करने का निर्णय लिया सुनाया गया। इस फैसले के बाद लखनऊ डायसिस से जुड़े सभी जिलों में खुशी की लहर दौड़ गई।
2012 में पद से किए गए थे मुक्त
वित्तीय अनियमितता का आरोप लगने पर डायोसिस आफ लखनऊ के बिशप पद से मोरिस एडगर दान को वर्ष 2012 में पद से हटा दिया गया था। इसके बाद 2014 में पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। तत्कालीन बिशप मोरिस एडगर दान पर लगभग चार करोड़ रुपये के गबन का आरोप लगा था। उस बाबत सिविल लाइंस थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई थी। उसके बाद उन्हें 16 दिसंबर 2014 को जेल जाना पड़ा था।
बिशप दान को मिला कांटों भरा ताज
लखनऊ डायसिस के बिशप को इस बार झोली में कांटों भरा ताज मिला है। बिशप के सामने चुनौतियों की लम्बी फेहरिस्त पद के साथ मिली है उससे वो कैसे मुकाबला करेंगे यह तो वक्त ही बताएगा। पीटर बलदेव के समय से पादरियों के वेतन, मसीही समुदाय की जमीनों व संपतियों पर लगातार कब्जा व सीएनआई चर्च को उससे अलग करने कि कोशिशों आदि से बिशप को सख्ती से निपटना होगा।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें