शनिवार, 7 जून 2025

Rab Ki Raza K लिए पेश की कुर्बानी

कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच नमाज़ संग बकरीद के तीन दिनी पर्व का आगाज़



 

सरफराज/रिजवान 

Varanasi (dil India live)। कुर्बानी का पर्व मुक़द्दस बकरीद (ईद-उल-अजहा) रब की बारगाह में सिजदा करने के साथ देश भर में शुरू हो गया। इस दौरान पहले मोमीनीन ने रब की रज़ा के लिए सिजदे में सिर झुकाया, फिर ख़ुदा की राह में कुर्बानी पेश करने की शुरुआत की। इस दौरान बक़रीद की नमाज़ के पहले इमाम साहेबान ने अमन, मिल्लत और सौहार्द के साथ बक़रीद मनाने पर अपनी तकरीरों में जोर दिया। उलेमा ने कहा कि जानवर का गोश्त, हड्डी रब के पास नहीं जाती बल्कि कुर्बानी कराने वाले की नियत रब देखता है। मुगलिया मस्जिद बादशाह के इमाम मौलाना हसीन अहमद हबीबी ने मीडिया से कहा बक़रीद का पैग़ाम यह है कि वक्त आए तो क़ौम और देश के लिए कुर्बान होने के लिए तैयार रहो, अच्छे कामों के लिए अपनी दौलत कुर्बान करने के लिए तैयार रहो, गरीब बच्चियों की शादी को हम सब आगे आएं और अपने पैसे की परवाह किए बिना उनकी शादी करवाएं। ये सब अच्छी नियत हमारी होनी चाहिए, केवल दिखावे के लिए महंगे जानवर की कुर्बानी न कराएं। कुर्बानी अपनी हैसियत से कराएं और नेक नियत के साथ कराएं।

इसी के साथ कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच बकरीद का तीन दिनी त्योहार शनिवार को पूरी अकीदत और एहतराम के साथ शुरू हो गया। इस दौरान कड़ी सुरक्षा व्यवस्था ईदगाहों और मस्जिदों के आसपास दिखाई दी। वाराणसी में पुलिस अधिकारियों ने ईदगाहों का मुआयना किया। बकरीद की नमाज सुबह 6 बजे से 10.30 बजे के बीच अदा की गई। जब नमाज सकुशल संपन्न हुई तो जिला प्रशासन ने राहत की सांस ली। नमाज अदा करने के बाद छोटे-बड़े जानवरों की कुर्बानी का जो दौर शुरू हुआ वो तीन दिनों तक ऐसे ही जारी रहेगा। इससे पहले ईद-उल-अजहा की नमाज पूरी अकीदत के साथ अदा की गई। मस्जिद खानकाह हमीदिया शक्कर तालाब में मुफ्ती-ए-बनारस अहले सुन्नत मौलाना मोइनुद्दीन अहमद फारूकी प्यारे मियां, मस्जिद लंगड़े हाफिज नई सड़क में मौलाना जकीउल्लाह असदुल कादरी, मुगलिया मस्जिद बादशाह बाग में मौलाना हाफिज हसीन अहमद हबीबी, शाही मस्जिद ज्ञानवापी में मौलाना अब्दुल आखिर नोमानी, शाही मस्जिद ढ़ाई कंगूरा में हाफिज नसीम अहमद बशीरी, मस्जिद शाह तैय्यब बनारसी में मौलाना अब्दुस्सलाम ने नमाज अदा करायी।


ऐसे ही बड़ी ईदगाह विद्यापीठ में मौलाना शमीम, मस्जिद रंग ढलवां फाटक शेख़ सलीम में मौलाना जाहिद, मस्जिद उल्फत बीबी अर्दली बाजार में कारी साकिब, जामा मस्जिद कम्मू खां डिंठोरी महाल में मौलाना शमसुद्दीन साहब, छोटी मस्जिद डिठोरी महाल में हाफिज शाहरूख तो शिया जामा मस्जिद मीर गुलाम अब्बास अर्दली बाजार में मौलाना तौसीफ़, दरगाहे फातमान में मौलाना अकील हुसैनी ने नमाज अदा कराई। ऐसे ही मस्जिद जियापुरा लल्लापुरा में मो. मोइनुद्दीन अंसारी, ईदगाह हकीम सलामत अली में मौलाना अब्दुल बातिन नोमानी, मस्जिद टकटकपुर दरगाह में मौलाना अजहरुल कादरी, मस्जिद याकूब शहीद लंका नगवां में हाफिज मोहम्मद ताहिर, चमेली की मस्जिद कच्ची बाग़ में मौलाना रेयाज़ अहमद क़ादिरी, छंगा बाबा की मस्जिद में मौलाना लतीफ अहमद सेराजी, रहीम दमड़ी की मस्जिद मौलाना नसीर अहमद सेराजी, दाल की मस्जिद में मौलाना निहालुद्दीन सेराजी, गुलरोग़न की मस्जिद में मौलाना रिज़वान अहमद ज़ियाई व मीनार वाली मस्जिद, पीली कोठी में मौलाना मक़सूद अहमद क़ादिरी ने नमाज अदा कराकर लोगों को बकरीद की मुबारकबाद दी। मस्जिद नई बस्ती गौरीगंज में हाफिज परवेज़, जामा मस्जिद राजातालाब में मौलाना जुल्फेकार, मस्जिद ईदगाह लाटशाही में हाफिज हबीबुर्रहमान, ईदगाह पुराना पुल में मौलाना शकील ने नमाज अदा कराई। जामा मस्जिद बुद्धू छैला, कमनगढ़हा में मौलाना कौसर जमाल ज़ेयाई, मौलाना मोहम्मद अहमद रज़ा मस्जिद अल कुरैश हंकार टोला, हाफिज कारी मौलाना सैफी सिब्तैनी मस्जिद रंगीले शाह दालमंडी, मौलाना मोहम्मद आसिफ सिद्दीकी मस्जिद सहाबा पितृकुण्डा, ईदगाह लाट मस्जिद सरैया में मौलाना जियाउर्रहमान, ईदगाह पुरानापुल में मौलाना शकील, ईदगाह शक्कर तालब अहले हदीस मौलाना हसन जमील ईदगाह लंगर मस्जिद दोषीपुरा मौलाना इरशाद रब्बानी, जामा मस्जिद खोजापुरा में मौलाना सगीर, मस्जिद शहीद बाबा हाफिज गुलाम, मस्जिद सुन्नी इमामबाड़ा सरैया मौलाना इकबाल अहमद सेराजी, इमामबाड़ा (शिया) सरैया मौलाना अमीन हैदर, मस्जिद उस्मानिया मौलाना इनाम, जामा मस्जिद आगागंज मौलाना रमजान अली, बड़ी मस्जिद धनधरौवा काजीसादुल्लापुरा मौलाना शफीक अकमल, जामा मस्जिद कमनगढ़हा मौलाना आजाद, मस्जिद मीनार कमालपुरा मौलाना निजाम, बड़ी मस्जिद रसूलपुरा में मौलाना हाजी नसीरुद्दीन, व मस्जिद शाह मूसा शाह ककरमत्ता में हाफ़िज़ तौकीर ने नमाज अदा कराई।

बकरीद के गोश्त का किया तीन हिस्सा 

बकरीद के दिन मुस्लिम समुदाय के लोग अल्लाह के नाम पर छोटे बड़े जानवरों की कुरबानी देकर कुर्बानी के गोश्त को तीन हिस्सों में बांटते नज़र आए। इसमें उन्होंने एक हिस्सा खुद के खाने  के लिए, दूसरा हिस्सा गरीबों के लिए और तीसरा अजीजो के लिए लिए किया। कुर्बानी के बाद गोश्त का तबर्रुक लोगों को तकसीम किया गया।

मस्जिदों व ईदगाहों पर दिखा मेले सा नज़ारा 

बकरीद की नमाज के दौरान मुहल्लों की जामा मस्जिदों और ईदगाहों के आसपास मेले सा नज़ारा देखने को मिला। इस दौरान नमाज के बाद बच्चे अपने अजीजों के साथ गुब्बारे, खिलौने व आइसक्रीम खरीदते दिखाई दिए। इस दौरान पूरा माहौल नूरानी नज़र आ रहा था। 


बक़रीद का जानिए इतिहास 

बकरीद पैगम्बर हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम की सुन्नत है। एक बार खुदा ने हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम का इम्तिहान लेने के लिए ख्वाब में हुक्म दिया कि हजरत इब्राहीम अपनी सबसे अजीज चीज़ की कुर्बानी दें। हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम के लिए सबसे अजीज उनके बेटे हजरत इस्माईल थे, जिसकी कुर्बानी के लिए वे तैयार हो गए। उन्हे कुर्बानी के लिए ले गये। हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने हज़रत इस्माईल को जैसे ही जेबा करने के लिए समंदर के पास लिटाया, छूरी ने हज़रत इस्माईल कि गर्दन पर चलने से इंकार कर दिया। कुर्बानी से पहले रब ने हजरत इस्माईल की जगह ये कहते हुए कुर्बानी के लिए दुम्बा भेज दिया कि वो हज़रत इब्राहिम का इम्तेहान ले रहे थे और इम्तेहान में वो पास हो गये। तभी से कुर्बानी का फ़र्ज़ मुसलमान अदा करते चले आ रहे है। 

 








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