वरिष्ठ शिष्या संगीता सिन्हा ने देश के 20 से अधिक कलाकारों के जरिए किया अनोखा गुरु प्रणाम
पंडित बिरजू महाराज की याद में पिछले दिनों कथक यज्ञ का आयोजन कर बिरजू महाराज को श्रद्धांजलि अर्पित करने का यह एक खास आयोजन था जिसने सभी कलाप्रेमियों का ध्यान अपनी ओर खींचा। अपने गुरु को समर्पित इस अनोखे गुरु प्रणामी कार्यक्रम में शहर, प्रदेश एवं देश भर के 20 से अधिक कथक कलाकारों ने प्रस्तुति दी, अमन की एक रिपोर्ट...।
Varanasi (dil India live). कथक सम्राट पद्म विभूषण पंडित बिरजू महाराज की तीसरी पुण्यतिथि पर उनकी वरिष्ठ शिष्या, नटराज संगीत अकादमी की निदेशिका संगीता सिन्हा ने कथक यज्ञ का आयोजन कर बिरजू महाराज को श्रद्धांजलि अर्पित की। अपने गुरु को समर्पित इस अनोखे गुरु प्रणामी कार्यक्रम में शहर, प्रदेश एवं देश भर के 20 से अधिक कथक कलाकारों को उन्होंने आमंत्रित किया था। दुर्गाकुंड स्थित हनुमान प्रसाद पोद्दार अंध विद्यालय में सम्पन्न हुए इस कार्यक्रम का आगाज़ सनबीम शिक्षण समूह के अध्यक्ष डॉ दीपक मधोक, उद्यमी एवं कला संस्कृति सेवी भगीरथ जालान, पंडित बिरजू महाराज की वरिष्ठ शिष्या उर्मिला, रेनु एवं कार्यक्रम संयोजिका संगीता सिन्हा ने समवेत रूप से किया।
उक्त सभी लोगों ने महाराज के साथ जुड़ी अपनी यादें साँझा की और उन्हें याद किया। बनारस में संगीता सिन्हा के नटराज संगीत अकादमी द्वारा आयोजित कथक महोत्सव और कथक नृत्य कार्यशाला में पंडित बिरजू महाराज सदैव आते थे। अब इस लोक से उनके परलोक जाने के बाद भी बनारस में उन्हें याद किया जाता है। संगीता सिन्हा ने कहा कि जब तक संगीत रहेगी और कद्रदान रहेंगे पंडित बिरजू महाराज हमेशा याद किये जाते रहेंगे।
वक्तव्य सत्र के बाद नृत्य का कार्यक्रम आरम्भ हुआ जिसमें युवा से लेकर वरिष्ठ कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति के जरिए पंडित बिरजू महाराज को याद किया। बता दें कि बनारस में अब तक का नृत्य का अनवरत 6 घंटे तक चलने वाला यह सबसे अनोखा आयोजन था। कलाकारों को तबले पर पंडित किशोर कुमार मिश्र एवं गायन पर श्री आनंद किशोर मिश्र ने संगत प्रदान किया तो कार्यक्रम का संचालन एवं संपादन सौरभ चक्रवर्ती ने किया।अतिथियों एवं कलाकारों को धन्यवाद, कार्यक्रम संयोजिका संगीता सिन्हा ने दिया।
इस खास आयोजन में अल्मोड़ा से नीरज सिंह बिष्ट, और हर्ष टम्टा, दिल्ली से नम्रता श्री माली, वाराणसी से अभिजीत चक्रवर्ती, विशाल सिंह, शिप्रा घोष, रीता दवे, वृन्दावन से आशीष सिंह, माता प्रसाद की शिष्या आलि प्रकाश आदि दो दर्जन से ज्यादा कलाकारों ने हिस्सा लिया।
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