हिंदलवली ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह का उर्स कल
अजमेर में बरस रही है "रब की रहमत"
@Mohd Rizwan
Ajmer (dil India live). देश दुनिया में मशहूर सूफी संत हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह के 813 वें उर्स कल पूरी अकीदत और एहतराम के साथ मनाया जाएगा। उर्स के एक सप्ताह पहले से ही अजमेर का माहौल नूरानी हो जाता है। बनारस से अजमेर गये इम्तियाज खान ने दिल इंडिया को बताया कि अजमेर में रब की रहमत बरस रही है। लोगों का मजमा दुनिया के कोने-कोने से अजमेर में जुटा हुआ है।
उधर उर्स के अवसर पर पड़ोसी देश पाकिस्तान से भी जायरीन का जत्था भारत पहुंच गया है। कल उर्स के दौरान पाकिस्तानी जत्था अजमेर में ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह (सरकार ग़रीब) की दरगाह पर चादर चढ़ाएगा। यह जत्था 4 जनवरी को पाकिस्तान से अटारी बॉर्डर पार करके दिल्ली आया और फिर वहां से 6 जनवरी की रात को स्पेशल ट्रेन से अजमेर। अजमेर के अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट गजेंद्र सिंह राठौड़ ने मीडिया को बताया कि ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के 813वें उर्स में शामिल होने वाले पाकिस्तानी जायरीन के लिए अजमेर में विशेष व्यवस्था की गई है। इन जायरीन को चूड़ी बाजार स्थित केंद्रीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय में ठहराया जाएगा। इसके अलावा, अजमेर विकास प्राधिकरण के उपायुक्त भरतराज गुर्जर को संपर्क अधिकारी नियुक्त किया गया है, जो पाकिस्तानी जायरीन के ठहरने और जियारत आदि की समस्त व्यवस्थाओं को सुनिश्चित करेंगे। जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी एजाज अहमद को अतिरिक्त संपर्क अधिकारी और तहसीलदार ओम सिंह लखावत को सहायक संपर्क अधिकारी नियुक्त किया गया है। पाकिस्तान से आने वाले जायरीन का जत्था विशेष ट्रेन से 6 जनवरी की रात को अजमेर पहुंचेगा और 10 जनवरी को वापस अजमेर से लौट जाएगा।
पाकिस्तानी जायरीन के अजमेर आगमन के लिए प्रशासन ने तैयारियां पूरी कर ली है। एनआईसी के संयुक्त निदेशक तेज सिंह रावत को प्रभारी और भू अभिलेख निरीक्षक राजवीर सिंह को सहायक प्रभारी नियुक्त किया गया था, जो पाकिस्तानी जायरीन के सी फॉर्म भरने में मदद करेंगे। इस बार 125 पाकिस्तानी जायरीन अजमेर आ रहे है, जबकि गत वर्ष 230 पाक जायरीन अजमेर आए थे। प्रशासन ने जायरीन के रहने, खाने और ठहरने की व्यवस्था करने के लिए आवश्यक तैयारियां की है।
सूत्रों की मानें तो पाकिस्तान से आने वाले जायरीन को केवल अजमेर का वीजा मिलता है, जिसके तहत वे अपने रहने के स्थान से अजमेर दरगाह तक ही आ-जा सकते हैं। पाकिस्तानी जायरीन की सुरक्षा के लिए कड़े इंतजाम किए जाते हैं। पाकिस्तान से आने वाले जायरीन दरगाह में पाकिस्तानी हुकूमत और अवाम की ओर से दरगाह में चादर पेश करते हैं। यह एक खूबसूरत और सुखद रवायत है जो दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और धार्मिक संबंधों को मजबूत बनाती है।
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