रजब के चांद के दीदार संग ख़्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह के उर्स का आगाज़
@मोहम्मद रिजवान
Ajmer (dil India live). Hazrat Khwaja Moinuddin हसन चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह (sarkar Gharib Nawaz) के 813 वें उर्स का आगाज़ चांद के दीदार संग हो गया। बुधवार सुबह जायरीन के लिए जन्नती दरवाजा खोल दिया गया। इसके साथ ही ख़्वाजा के दर पर जायरीन का हुजूम उमड़ने लगा। हालांकि मंगलवार की शब को गरीब नवाज की मजार से सालाना संदल उतारा गया। दिल्ली से पैदल छड़िया लेकर आ रहे कलंदर व मलंग भी अजमेर पहुंच गए। यह दल 20 दिसंबर को रवाना हुआ था। 12 दिन बाद यहां पहुंचा है। कलंदर और मलंग बुधवार को जुलूस के रूप में दरगाह पहुंचें और साथ लाई छड़िया पेश किया। गाजे-बाजे और सूफियाना कलाम के बीच निकले जुलूस में कलंदर व मलंग हैरतअंगेज करतब पेश करते हुए चल रहे थे। रोशनी के वक्त से पहले यह जुलूस दरगाह पहुंचकर खत्म हो गया।
इधर, मंगलवार रात को मजार शरीफ की खिदमत के वक्त संदल उतारा गया। इस संदल को अंजुमन के उर्स कंवीनर सैयद हसन हाशमी, सैयद कुतुबुद्दीन सखी आदि खादिमों ने मौके पर मौजूद जायरीन को तकसीम किया। तनवीर सैयद हसन हाशमी ने बताया कि चांद की 29 तारीख को तड़के 4:30 बजे दरगाह में जन्नती दरवाजा खोल दिया गया। यह दरवाजा अब छठी तक खुला रहेगा। इसी के साथ ख्वाजा के उर्स की शुरुआत हो गई और जायरीन कबीर तादाद में देश दुनिया से अजमेर शरीफ दरगाह पहुंचने शुरू हो गये। गौरतलब हो कि अजमेर में ख्वाजा के उर्स से बड़ा कोई दूसरा पर्व त्योहार नहीं है और देश दुनिया में ख्वाजा गरीब नवाज के उर्स से बड़ा कोई दूसरा उर्स नहीं है जिसमें इतनी भीड़ और विभिन्न देशों के लोग शामिल होते हैं।
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