राजकीय पुस्तकालय में अटल बिहारी वाजपेयी की जन्मशती पर संगोष्ठी
Varanasi (dil India live)। उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान एवं राजकीय जिला पुस्तकालय के संयुक्त तत्व अवधान में भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी की अध्यक्षता राजकीय पुस्तकालय के अध्यक्ष कंचन सिंह परिहार ने की। मुख्य वक्ता नवगीतकार डॉक्टर अशोक सिंह रहे।
वक्ताओं ने अटल बिहारी वाजपेयी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर विस्तार पूर्वक विचार विमर्श किया। काशी में उनके व्यतीत किए गए दिनों को याद करते हुए वक्ताओं ने उनकी पत्रकारिता एवं साहित्य की सेवा को विशेष रूप से याद किया। वरिष्ठ साहित्यकार डॉक्टर छाया शुक्ला ने कहा कि अटल जी जैसे व्यक्तित्व बार-बार जन्म नहीं लिया करते। उन्होंने अपने पीछे न सिर्फ राजनीतिक बल्कि साहित्य की भी एक समृद्ध परंपरा छोड़ी है जिसका अनुपालन करना हम वर्तमान पीढ़ी के साहित्यकारों का नैतिक दायित्व है।
मुख्य वक्ता डॉक्टर अशोक सिंह ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी का महाकुंभ से गहरा नाता थ। वह कुंभ को भारतीय संस्कृति का ऐसा स्वरूप मानते थे जिसमें सनातन की समस्त अवधारणाएं मूर्त रूप ले लेती हैं। डॉ जयशंकर जय ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय राजनीति के सलाका पुरुष थे महापुरुषों की श्रेणी में उनकी गणना होती हैं जो अपने पीछे सिद्धांतों की विशाल फेहरिश्त छोड़ गए हैं। यदि वर्तमान में हम उन सिद्धांतों का अनुपालन करें तो राजनीति से बेहतर कुछ हो ही नहीं सकता।
अध्यक्षीय संबोधन में राजकीय पुस्तकालय के अध्यक्ष कंचन सिंह परिहार ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेई ने भारतीय राजनीति को नई दिशा दी। उनकी मेधा और विराट व्यक्तित्व का ही परिणाम था कि विपक्ष में रहने के बावजूद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उन्हें भारत से विदेश जाने वाले प्रतिनिधि मंडल का नेतृत्व सौंप था। कार्यक्रम का संचालन करते हुए डॉक्टर अशोक अज्ञान ने कहा कि जब तक लोकतंत्र का विधान रहेगा तब तक अटल बिहारी वाजपेई जी का स्मरण किया जाता रहेगा उनका व्यक्तित्व हम सब के लिए सदा सदा प्रेरक का कार्य करता रहेगा। धन्यवाद ज्ञापन वरिष्ठ पत्रकार अरविंद मिश्र 'हर्ष' ने किया।
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