रविवार, 29 सितंबर 2024

लोकतंत्र आईसीयू , संस्थाएं और समाज बीमार: रूपरेखा

तीनों नये कानून लोकतंत्र विरोधी सीमा आजाद 



Varanasi (dil India live)। नागरिक समाज वाराणसी द्वारा भगत सिंह की 117 वीं जयंती पर "लोकतंत्र की चुनौतियां एवं नए भारत का निर्माण" विषय पर पराड़कर भवन, मैदागिन में सेमिनार का आयोजन किया गया। सेमिनार की शुरुआत में जनगीतकार युद्धेश ने "मिल जुल गड़े चला नया हिंदुस्तान", "ये ताना बाना बदलेगा" आदि गानों के माध्यम से जोशीला माहौल बनाया। इसके बाद प्रज्ञा ने पितृसत्ता पर एक बेहतरीन नाटक प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन विनय द्वारा किया गया और कार्यक्रम की शुरुआत में ट्रेड यूनियन एक्टिविस्ट रहें वी के सिंह ने की। उन्होंने बताया कि प्रोग्राम में घरेलू कामगार महिलाओं, बीएचयू के प्रोफेसरों, बुनकर समाज, किसान नेताओं, ट्रेड यूनियन नेताओं समेत तमाम तरह के लोग जो बनारस का प्रतिनिधित्व करते है। यह देश और समय फासीवादियों का नही है, बल्कि यह देश यहां के मेहनतकश तबको का, जनता का है। उन्होंने कहा कि यह दौर कितना भी भयानक क्यों न हो जाय लड़ने वाले हमेशा रहेंगे। फासीवाद कितना भी बढ़ जाय लेकिन आशा हमेशा रहेगी। 


मुख्य वक्ता लखनऊ  विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति प्रो रूप रेखा वर्मा ने कहा कि बुल्डोजर राज में 90 प्रतिशत घर मुसलमानों के गिराए जा रहे हैं। यह सरकार बांटने वाली सरकार है। मुस्लिमों में भी शिया और सुन्नी को बांट रहे, ब्राह्मण और ठाकुर को बांट रहें। उन्होंने कहा कि बीएचयू में आईआईटी बीएचयू के रेप के मामले में धरना हुआ जो सराहनीय है और उसके बाद आंदोलन करने वालों पर केस हुआ और आरोपियों को बेल मिली। उन्होंने बताया कि लोकतंत्र की आत्मा है कि जनता उसके केंद्र में होगी यानी जनता अपनी बात कह सकेगी, अपनी असहमति ज़ाहिर कर सकेगी और लोकतांत्रिक तरीकों का हनन होने पर धरना प्रदर्शन भी कर सकती है। सरकार के साथ जनता को भी अपने इन हकों को समझना होगा और जवाब मांगने की हिम्मत करनी होगी। यदि यह तीन शर्तें पूरी नहीं होती है तो लोकतंत्र मजबूत कभी नहीं हो सकता। 2014 से पहले भी लोकतंत्र कमज़ोर था लेकिन हम बिना खतरे के उनकी आलोचना कर सकते थे। जो अब नहीं है। अब लोगों पर देशद्रोह का इल्ज़ाम लगा दिया जाता है। लोकतंत्र इस समय आईसीयू में है, लोकतंत्र के सभी संस्थाएं और समाज बीमार है। अधिकार मांगने वाले लोगों को न सिर्फ़ जेल में डाला जा रहा है बल्कि अब ऐसे सभी लोगों को देशद्रोह के जाल में भी फंसा रही है। यूपी में नया धर्मांतरण कानून आया है जो बहुत खतरनाक है। शरजील इमाम, गुलफिशा तमाम सालों से जेल में पड़े हुए हैं। दूसरी तरफ़ निज़ाम खुलेआम चोर उचक्कों बलात्कारियों का समर्थन कर रही है। गुजरात सरकार ने हाल में सुप्रीम कोर्ट में अपील की है बिल्किस बानो के बलात्कारियों की रिहाई के लिए, क्या किसी देश में सरकार खुद बलात्कारियों की तरफ़ से अपील दायर करती है ?

इस समय लोकतंत्र चूर चूर हो चुका है, उसको बचाना नहीं, उसको पुनर्स्थापित करना है। उन्होंने कहा कि सिर्फ़ सेमिनार करने से काम नहीं चलेगा, हमें लगातार वंचित वर्गों के बीच जा कर उनके जीवन की समस्याओं के बारे में बात करते हुए उनको जागरूक करने की ज़रूरत है, तभी हम नया भारत बना पाएंगे। आज़ाद और हिंसा मुक्त समाज बनाने के लिए काम करना होगा। जो गलत इतिहास और नफरत हमारे मन में भरा गया है उसके लिए हमें साधारण भाषा में लिखना होगा और लोगों के बीच जाना होगा। 


विशिष्ट वक्ता के तौर पर पीयूसीएल की उत्तर प्रदेश अध्यक्ष सीमा आज़ाद ने अपनी बात शुरू करते हुए कहा कि आज लोकतंत्र के सारे स्तंभों को ताक पर रख दिया गया है। न्यायपालिका, जो एक स्तंभ अभी तक बचा हुआ था, अब उसको भी ताक पर रख दिया गया है। लखनऊ एनआईए कोर्ट के बारे में उन्होंने बताया कि उनके ऑर्डर पढ़ कर ही उनका मुस्लिम विरोधी और जनता विरोधी चरित्र समझा जा सकता है।

उन्होंने कहा कि फासीवाद इसी लोकतंत्र में लिपटा हुआ ही आया है। यह देश रेप की घटनाओं से भरा पड़ा है, जिसमें पुलिस और सरकार के रोल को देखें तो वे हमेशा बलात्कारियों के समर्थन में रहा है, जैसे हाथरस, गोहरी का मामला। यह स्थिति अब सामान्य बात हो चुकी है। अल्पसंख्यकों के बारे में उन्होंने बताया कि लिंचिंग की घटनाएं लगभग रोज़ हो रही है, उनको डराने के लिए तमाम गैरकानूनी काम किए जा रहे है जैसे बुल्डोजर चलाना। फासीवाद केवल सत्ता का एकरीधारी रूप नहीं बल्कि जनता के एक तबके को दूसरे के खिलाफ खड़ा करने का काम करता है। कानून व्यवस्था के बारे में उन्होंने बताया कि तीन नए कानून पूरी तरह से लोकतंत्र विरोधी है। जिसमें एफआईआर का मौलिक अधिकार छीन लिया गया है। लिंचिंग पर नए कानून में धर्म के आधार पर मार देने की बात ही नहीं की गई है। इन कानूनों ने फासीवाद का क्रूर चेहरा सामने ला दिया है। देश के प्राकृतिक संपदा को लूटा जा रहा है, आदिवासियों को जबरन हटाया जा रहा है। वहां सेनाओं के कैंप लगाए जा रहे है। इस समय महिलाओं, आदिवासियों, किसानों आदि सभी समूहों को एक दूसरे के साथ एकजुटता ज़ाहिर करने की जरूरत है। जब तक यह नहीं होता है, हम लोकतंत्र को सही मायने में स्थापित नहीं कर पाएंगे। उन्होंने कहा कि जाति, धर्म, ये सब बंटवारे दिखावटी हैं, असल बंटवारा लोकतंत्र छीनने वाले और बचाने वालों के बीच है। आखिर में, कितना भी दमन हो, लड़ने वाले हमेशा आगे आते रहेंगे। समाज को आगे ले जाने वाली शक्तियां ही जीतती है, इसलिए निश्चय ही हमारी ही जीत होगी। 



अध्यक्षता करते हुए डॉ मोहम्मद आरिफ ने कहा कि नया भारत भाजपा आरएसएस सरकार कैसा बनाना चाहती है और हम लोग कैसा बनाना चाहते हैं, उसके बीच का फ़र्क हमें साफ़ होना चाहिए। लोकतंत्र में लोक की भूमिका को खत्म करने की कोशिश की जा रही है। वैज्ञानिक चेतना अब खत्म की जा रही है। नई शिक्षा नीति 2020 के ज़रिए भी ये किया जा रहा है। कानून सत्ता पर कब्ज़ा करने वालो के लिए है, और जनता को दबाने के लिए है। उन्होंने समझाया कि लोकतंत्र को बचाने के लिए सड़क पर जाना होगा, लड़ाई अब सड़क और सरकार के बीच में है, इसमें तय हमें करना है। एक कॉमन प्लेटफार्म पर हमें आना होगा। सबको एकजुट हो एक साथ आना होगा। हम लड़ेंगे, जीतेंगे और लोकतंत्र को बचाएंगे।


कार्यक्रम में वाराणसी सहित पूर्वांचल के अन्य जिलों के शिक्षाविद, सामाजिक-राजनैतिक कार्यकर्ता एवं चिंतक मौजूद रहे।

कोई टिप्पणी नहीं:

Khwaja Garib Nawaz के दर से Ajay Rai का बुलावा

  Mohd Rizwan  Varanasi (dil India live)। हज़रत ख़्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिशती ग़रीब नवाज़ रहमतुल्लाह अलैह की दरगाह से उत्तर प्रदेश कांग्रेस क...