गुरुवार, 12 सितंबर 2024

साठे के जुलूस में उमड़ा जनसैलाब, पेश हुआ दर्द भरा नौहा

गमे हुसैन के आखिरी दिन निकला अमारी, अलम, तुर्बत व दुलदुल, हुआ जंजीर का मातम

Varanasi (dil India live)। गमे हुसैन के आखिरी दिन, शिया वर्ग के 11 वें इमाम हजरत इमाम हसन असकरी की शहादत पर गुरुवार को साठे का जुलूस दालमंडी से निकाला गया। इसी के साथ ग़म का दो माह आठ दिन का अय्याम मुकम्मल हो गया।

इससे पहले...या हुसैन, की दर्द भरी सदाओं के बीच पुरानी अदालत दालमंडी स्थित शब्बीर और सफदर के अजाखाने से निकले जुलूस में शहीदाने कर्बला को आंसुओं का नजराना पेश किया गया। जुलूस में शामिल अलम, दुलदुल, तुरबत और अमारी की जियारत की गई और लोगों ने मन्नतें उतारीं। रास्ते भर अंजुमन हैदरी के दर्द भरे नौहें अकीदतमंदों की आंखें नम करते रहे। जुलूस नई सड़क काली महल पहुंचा तो यहां सैकड़ों की तादाद में मौजूद मर्द, ख्वातीन, बुजुर्ग, नौजवान, बच्चे और बच्चियों ने अमारी का इस्तकबाल किया। यहां मौलाना नदीम असगर ने अपनी तकरीर से लोगों को फैजयाब किया। जुलूस अपने कदीमी रास्तों से होता हुआ बरसात के बावजूद उत्साह के साथ भीगते हुए नौहा और मातम का नज़राना पेश करते हुए दरगाहे फातमान पहुंचा। जहां अलविदाई मजलिस हुई। इससे पूर्व हुईं मजलिसों में कर्बला की शहादत के मंजर को बताया गया।

साठे का जुलूस उठने से पहले मजलिस को खेताब करते हुए लखनऊ से आए मौलाना इरशाद अब्बास नक़वी ने कहा कि इमाम हुसैन और उनके 71 साथियों जिसमें एक छह माह का बच्चा भी था। सबको तीन दिन का भूखा और प्यासा शहीद कर दिया गया। मौलाना की ये तकरीर सुन वहां मौजूद शिया समुदाय की महिलाएं और पुरूष बिलख पड़े। मौलाना ने बताया कि इमाम हुसैन और उनके साथियों को सिर्फ इसलिये शहीद कर दिया गया क्योंकि इमाम हुसैन ने अपने नाना पैगंबर साहब के दीन को बचाने के लिए यजीद की शर्तों पर अपनी हामी नहीं दी थी। शिया जामा मस्जिद के प्रवक्ता हाजी फरमान हैदर ने बताया कि आज इमाम हसन असकरी की शहादत पर ताबूत भी उठाया गया। आखिर में असकरी रज़ा सईद ने शुक्रिया अदा किया। नेयाब रज़ा ने लोगों का इस्तकबाल किया। जुलूस में लियाकत अली, शराफत अली, अंसारी रज़ा सईद, सैय्यद फिरोज हुसैन, अतहर हुसैन, अफरोज अख्तर, हसीन, शब्बीर हुसैन, शकील अहमद जादूगर आदि हजारो लोग मौजूद थे। 

यौमुन्नबी वीक में मनेगी खुशी

दो महीने आठ दिन, गम के दिन पूरे होने पर शुक्रवार को शिया हजरात खुशी मनाएंगे। गमों का लिबास उतारकर खुशियों के नए लिबास ओढ़ेंगे। घरों में पकवान बनेंगे। शिया जामा मसजिद के प्रवक्ता सै. फरमान हैदर ने बताया कि शिया वर्ग अब यौमुन्नबी वीक मनायेगा, घरों व इमामबाड़ों में महफिलें होंगी।

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