बरसात में भीग कर की पूजा, की संतान दीर्घायु की कामना
Varanasi (dil India live). माताओं ने बुधवार को अपनी संतान की लंबी उम्र के लिए जीवित्पुत्रिका व्रत रखा। घरों से लेकर मंदिरों तक जीमूतवाहन की पूजा सुबह से होती रही। व्रती महिलाओं ने कथा का श्रवण किया। संतान की संख्यानुसार सोने या चांदी की जीतिया धारण कर व्रत के अनुष्ठान पूरे किए और दान-पुण्य भी किया। इस दौरान श्रद्धालुओं ने मां लक्ष्मी के लिए व्रत रखकर पूजा की। लक्ष्मीकुंड, लकसा, चौकाघाट, लालपुर, ईश्वर गंगी, पुराना पुल आदि जगहों पर पूजन के लिए भीड़ लगी रही। लक्ष्मी कुंड पर लगे 16 दिवसीय सोरहिया मेला का समापन भी आज हुआ।
आश्विन कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को जीवित्पुत्रिका का पर्व मनाया जाता है। ज्योतिषविद के अनुसार अष्टमी तिथि मंगलवार को दिन में 12:40 बजे लग गई और 25 सितंबर को दिन में 12:11 बजे तक रही। इसलिए उदया तिथि में 25 सितंबर को जीवित्पुत्रिका का व्रत रखा गया।
महिलाओं ने दिनभर निराजल व्रत रखा और स्नान ध्यान कर शुभ मुहूर्त में जीमूतवाहन की पूजा की और कथा सुना। सोने व चांदी के बने जितिया की पूजा कर गले में धारण किया। 24 घंटे निराजल व्रत रखने के बाद अगले दिन 26 सितंबर को पूजन कर पारण करेंगी।
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