गंगा घाटों पर पूजन तर्पण करने जुटी भीड़
Varanasi (dil India live). 30.09.2023. पितृ पक्ष पर श्राद्ध शुरू हो चुका है। काशी के गंगा घाटों पर पूजन तर्पण करने लोगों की भारी भीड़ जुटी हुई है। काशी में देश के विभिन्न प्रांतों से आए श्रद्धालुओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। शनिवार की सुबह गंगा घाटों पर तर्पण करने वालों की काफी भीड़ उमड़ी। उधर पिशाचमोचन में भी पितरों को नमन करने का अनुष्ठान भी शुरु हुआ। इस 16 दिवसीय पितृपक्ष में सभी अपने पूर्वजों को याद कर रहे हैं। काशी के दशाश्वमेध, शीतला, अस्सी सहित विभिन्न घाटों पर सुबह से लोगों का तांता लगा हुआ है। पिशाचमोचन पर भी श्राद्ध पूजन के लिए लोगों की भीड़ देखने को मिली। सुबह से ही काशी के अस्सी घाट पर लोगों का हुजूम दिखा।
धर्मशालाओं व गेस्ट हाउसों में भीड़
भारत के विभिन्न प्रांतों से काशी आकर तर्पण करने वालों की काफी उपस्थिति घाट के आसपास धर्मशालाओं व गेस्ट हाउसों में हैं। सोमवार की शाम से लोगों की भीड़ होने लगी हैं। सुबह तर्पण करने के लिए पंडे-पुरोहितों ने भी तैयारी कर रखी थी। पूजा-पाठ की दुकानों में अनुष्ठान से संबंधित वस्तुओं की काफी मांग रही।
आखिर क्यों होता है श्राद्ध
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, श्रद्धा के साथ जो संकल्प और तर्पण किया जाता है उसे श्राद्ध कहते हैं। श्राद्ध के महत्व के बारे में कई प्राचीन ग्रंथों तथा पुराणों में वर्णन मिलता है। श्राद्ध का पितरों के साथ बहुत ही घनिष्ठ संबंध है। पितरों को आहार और अपनी श्रद्धा पहुंचाने का एकमात्र साधन श्राद्ध है। मृतक के लिए श्रद्धा से किया गया तर्पण, पिंड और दान ही श्राद्ध कहा जाता है।
भाद्रपद की पूर्णिमा को शुरू होने वाला पितृपक्ष 15 दिनों तक चलता है। अश्विन की अमावस्या यानी सर्वपितृ अमावस्या को खत्म हो जाता है। शास्त्रों के अनुसार तीन प्रकार के होते हैं जिनमें देव ऋण, ऋषि ऋण और पितृ ऋण होता है। पितरों को तलने के लिए पितृपक्ष में श्राद्ध कर्म किया जाता है।
घाट पुरोहितों के अनुसार मान्यता है कि पितरों को श्रद्धा से अर्पित किया जाता है वह उन्हें खुशी खुशी मिल जाता है। पितृपक्ष पक्ष को महालय या कनागत भी कहा जाता है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें