ईद मिलादुन्नबी का महत्व और इतिहास भी जानिए
Mohd Rizwan
Varanasi (dil India live). 27.09.2023. दुनिया भर में आज ईद-मिलादुन्नबी का जश्न मनाया जा रहा है. मजहबे इस्लाम में पैगंबर हजरत मोहम्मद स. के जन्मदिन को ईद मिलादुनन्बी या ईद-ए-मिलाद के रूप में मनाया जाता है. दरअसल रबीउल अव्वल की 12 वीं तारीख को ही हजरत मोहम्मद (स.) की यौमे पैदाइश (जन्म) हुआ था. इसीलिए मुस्लिम इस दिन को जश्न के रूप में मनाते हैं. इस खास मौके पर रात भर मस्जिदों मुहल्लों में इबादत होती हैं और जलसा (इस्लामिक सभा) का आयोजन किया जाता है जिसमें हजरत मोहम्मद (स.) की शान में नातिया कलाम व नज़्म अकीदतमंद पेश करते हैं. कई जगहों पर जुलुसे मोहम्मदी निकाले जाते है. इस दिन मस्जिद व घरों में कुरान को खास तौर पर पढ़ा जाता है और गरीबों में जरूरत की चीजें खैरात व सदका की जाती हैं.
पैगंबर मोहम्मद (स.) की पैदाइश
पैगंबर मोहम्मद (स.) का जन्म अरब के शहर मक्का में 571 ईस्वी में 12 रबीउल अव्वल को सुबह सादिक के वक्त हुआ था. नबी की पैदाइश की सुबह अरब में हर तरफ नूर की बारिश हो रही थी. इस्लामी किताबों में आया है जैसी सुबह उस दिन थी वैसी ना तो कभी सुबह हुई न ही फिज़ा में कभी ऐसी ताजगी देखी गई.
पैगंबर हजरत मोहम्मद (स.) के जन्म से पहले ही उनके वालिद का इंतकाल (निधन) हो चुका था. जब वह 6 वर्ष के थे तो उनकी वालिदा जनाबे आमीना का भी इंतकाल हो गया. मां के इंतकाल के बाद पैगंबर मोहम्मद स. अपने चाचा अबू तालिब और दादा अबू मुतालिब के साथ रहने लगे. इनके पिता का नाम अब्दुल्लाह और माता का नाम बीबी आमिना था. अल्लाह ने सबसे पहले पैगंबर हजरत मोहम्मद को ही पवित्र कुरान अता की थी. इसके बाद ही पैगंबर हजरत मोहम्मद (स.) ने पवित्र कुरान का पैगाम दुनिया के कोने-कोने तक पहुंचाया.
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