गुरुवार, 7 सितंबर 2023

शहीदाने करबला का १३४० वां चेहल्लुम आज

पूर्व संध्या पर शहर में उठे कई जुलूस, घरों में मजलिसें 

इमाम का उठाया गया ताबूत, अजादारों की उमड़ी भीड़


Varanasi (dil India live). 7 सितंबर यानी 20 सफ़र १४४५ हिजरी को देश और दुनिया के साथ ही शहरे बनारस में भी शहीदाने करबला का चेहल्लुम पूरी अकीदत से आज मनाया जा रहा है। चेहल्लुम की पूर्व संध्या पर वाराणसी में कई जुलुस उठाए गए कई जगहों पर ईमाम बाड़ों में ताबूत भी उठाया गया। वैसे तो चेहलुम गुरूवार यानी ७ सितंबर को मनाया जायेगा लेकिन पूर्व संध्या पर बुधवार को काशी में कई कार्यक्रम हुआ। शिया जमा मस्जिद के परवक्ता हज़रत अली समिति के सचिव व मीडिया प्रभारी हाजी फ़रमान हैदर ने बताया कि जुलूस का ये सिलसिला शिवाले से शुरू हुआ हाजी सैयद आलिम हुसैन व ऋषि बनारसी के अजाखने से जुलुस उठाया गया जिसमें दुलदुल, ताज़िया और अलम शामिल था। अंजुमन गुलजारे अब्बासिया ने नौहा और मातम किया। मेराज हैदर आबदी ने मजलिस को खिताब किया। लोग जियारत के लिए सभी इलाकों से शिवाले की ओर पहुंचे। जूलुस अपने कदीमी रास्तो से होता हुआ शिवाले घाट पर समाप्त हुआ। शाम के सत्र में पहला जूलुस चौहट्टा लालखां से स्व०मो. अली नाटे के अजाखाने से उठाया गया। जिसमें शहर की अंजुमनों ने नौहा और मातम किया। मुख्य रूप से अंजुमन आब्दिया चौहट्टा लालखां, अंजुमन हुसैनिया बनारस, अंजुमन नसीरूल अजा दुल्हाईपुर, अंजुमन नसीरूल मोमेनिन तेलियानाला और अंजुमन हाशीमिया जेरेगुलर ने नौहा और मातम के साथ खिराजे अकीदत पेश किया। वैसे ही नवाब एहतेशाम के घर मुकीमगंज के अजाखाने से रात में दुलदुल,अलम और ताज़िए ताबूत का जुलुस उठाया गया। इस जूलुस में भी अंजुमन नसीरुल मोमनीन तेलियानाला ने अकीदत के साथ सीनाजनी की। मजलिसों को प्रोफेसर अज़ीज़ हैदर ने खिताब किया। शहर में बहुत सारे ईमामबाड़ों छत्तातले, कालीमहल, रामनगर, दोषीपुरा, अरदली बाज़ार, शिवपुर आदि हर एक इलाकों में मजलिसे हुई जिन मजलिसों को खिताब करने के लिए मौलाना अकील हुसैनी, मौलाना बाकर रज़ा बलियावी, मौलाना अमीर हुसैनी, मौलाना जायर हुसैन, मौलाना इश्तियाक हुसैन आदि लोगों ने मजलिस को खिताब किया। मजाहिर अली के पान दरीबा स्थित जियापुरा आवास पर कदीमी ताबूत उठाया गया जहां अंजुमन हैदरी चौक ने नौहा मातम किया। फरमान हैदर ने बताया के ७ सितम्बर यानी गुरूवार को ईमाम का चेहलुम पूरी अकीदत के साथ मनाया जायेगा और शहर में कम से कम १२ या १३ स्थानों पर अलम, दुल्दुल, ताबूत, ताजिया और अमारी का जुलुस निकाले जायेंगे। इसमें रामनगर,अर्दली बाज़ार, नक्खीघाट, दोषीपुरा, कच्चीबाग, राजापुरा,चौहट्टा लालखां,तेल्यानाला,गौरीगंज, शिवाला, रामनगर, बजरडीहा, दालमंडी, कालीमहल, लल्लापुरा आदि क्षेत्र शामिल रहेगें। शहर की २९ अंजुमने अपने अपने तरीके से इमाम को खिराजे अकीदत पेश करेंगी। बनारस शहर में ईमाम हुसैन का सबसे पुराना रौजा सदर इमाम बाड़ा लाटसरैया में हैं जो तक़रीबन ७ सौ साल पुराना है। वहीं दरगाहे फातमान का रौज़ा जो आलीशान रौज़ों में से एक है उसकी तामीर ३सौ साल पहले यहां हो चुकी है और हसन बाग टेंगरा मोड़ पर भी ईमाम हुसैन का रौजा है। जहां लोग जियारत करने के लिए पहुंचेंगे और पहुंते रहते हैं। हैदर ने बताया कि इमाम हुसैन के चेहल्लुम को अरबइन के नाम से भी जाना जाता है इस समय करोड़ों की तादात में उनके चाहने वाले करबला में मौजूद हैं कई मुल्कों से लोग गए हुए हैं भारत के साथ साथ हमारे शहर बनारस से भी सैकड़ों की तादात में लोग करबला, ईरान, ईराक ईमाम हुसैन का चालीसवां मानने के लिए अरबइन में शिरकत कर रहे हैं। हमारे शहर काशी में भी इमाम हुसैन को इसी शिद्दत से चाहा जाता है क्योंकि इमाम हुसैन ने कहा था की मैं भारत जाना चाहता हुं तो इमाम हुसैन की चाहत का नाम है भारत, इंडिया और हिंदुस्तान हमे भी देश से वैसे ही प्यार है जो इमाम हुसैन ने कहा था की हिंदुस्तान से उल्फत थी शाहे करबला को सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा। इस सिलसिले में खवातीन भी पीछे नहीं हैं घर में खवातीने भी मजलिसे कर रही हैं और बच्चे भी पूरी अकीदत के साथ शिरकत कर रहे हैं।

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