गुरुवार, 21 सितंबर 2023

DAV PG College में मना विश्व अल्जाइमर दिवस, हुई राष्ट्रीय संगोष्ठी

थेरेपी से संभव है डिमेंशिया का इलाज: डॉ. पंकज



Varanasi (dil India live).21.09.2023. विश्व अल्जाइमर दिवस पर गुरुवार को डीएवी पीजी कॉलेज में मनोविज्ञान विभाग के तत्वावधान में 'नेवर टू अर्ली, नेवर टू लेट' विषयक एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया. मुख्य वक्ता प्रख्यात मनोचिकित्सक डॉ. पंकज कुमार सिंह ने कहा कि भूलने की बीमारी जिसे डिमेंशिया कहा जाता है यह मरीज के अंदर डर का भाव उत्पन्न करता है, इस डर को दवा से बेहतर उनके साथ अच्छा व्यवहार कर दूर किया जा सकता है. इसके अलावा विभिन्न प्रकार की थेरेपी इसके लिए काफी कारगर है जैसे म्यूजिक थेरेपी, एरोमा थेरेपी, मसाज, लाइट थेरेपी आदि है. इन मरीजों के साथ परिजनों का व्यक्तिगत व्यवहार काफी हद तक मायने रखता है उनके स्वास्थ्य में सुधार के लिए. उन्होंने कहा कि ऐसी बीमारी का पता लगने के बाद जितना ज्यादा अच्छा व्यवहार उनके साथ करेंगे, उतना जल्दी उनके स्वस्थ होने की संभावना रहती है.

अध्यक्षता करते हुए महाविद्यालय के कार्यकारी प्राचार्य प्रो. सत्यगोपाल ने कहा कि डिमेंशिया की बीमारी दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, एक आंकड़ो के मुताबिक विश्वभर में 90 लाख से अधिक बुजुर्ग अपनी यादाश्त खो चुके है. काफी लोग इस बीमारी को बताने में संकोच महसूस करते है जबकि इसका इलाज संभव है. प्रो. सत्यगोपाल जी ने कहा कि डिमेंशिया का पता लगाने के लिए डॉक्टर के पास जाने की भी जरूरत नही है बल्कि एक मनोवैज्ञानिक मिनी मेन्टल स्टेटस एग्जामिनेशन से भी डिमेंशिया की स्थिति पता लगा सकता है.

इसके पूर्व अतिथियों का स्वागत पुष्पगुच्छ एवं स्मृति चिन्ह प्रदान कर किया गया. संचालन डॉ. राजेश कुमार झा, स्वागत डॉ. कमालुद्दीन शेख एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. अखिलेन्द्र कुमार सिंह ने दिया। इस अवसर पर मुख्य रूप से प्रो. समीर पाठक, प्रो. अनूप कुमार मिश्रा, प्रो. विनोद कुमार चौधरी, डॉ. राकेश द्विवेदी, डॉ. सीमा, डॉ. मयंक कुमार सिंह, डॉ. ओम प्रकाश कुमार, डॉ. महिमा सिंह, डॉ. सिद्धार्थ सिंह, डॉ. मनीषा सिंह, डॉ. ज्योति सहित बड़ी संख्या में मनोविज्ञान विभाग के छात्र - छात्राएं उपस्थित रहे.

कोई टिप्पणी नहीं:

फूलों की खेती और उससे बने उत्पाद आर्थिक दृष्टि से अत्यंत लाभकारी-भक्ति विजय शुक्ला

Sarfaraz Ahmad  Varanasi (dil India live). फूलों की बढ़ती मांग और ग्रामीण किसानों तथा महिलाओं में फूलों की खेती के प्रति रुचि को देखते हुए, ...