चांद देखने मस्जिदों, घरों व छतों पर उमड़ा हुजूम
मस्जिदों से लेकर बाजार तक में छायी रमजान की रौनक
Varanasi (dil india live)। चांद के दीदार के साथ माहे रमजान का आज शाम आगाज़ हो गया। मोमीनीन ने एक दूसरे को इस मुकद्दर महीने कि शुरुआत पर रमजान मुबारक कह कर विश किया। यह सिलसिला सोशल मीडिया पर भी चलता रहा। इससे पहले चांद देखने मस्जिदों, घरों व छतों पर लोगों का हुजूम उमड़ा। घर से मस्जिद, मस्जिद से बाजार तक रमजान की रौनक से रोशन हो उठे।
दरअसल रहमतों का महीना रमजान शुरू होते ही नमाजे तरावीह की खास नमाज मस्जिदों में शुरू हो गई। अल्लाह के नेक बंदे रमजान की रहमतों को पाने के लिए मस्जिदों में उमड़ पड़े। तरावीह की नमाज खत्म होते ही लोग सहरी के लिए खरीदारी करते दिखाई दिए। खजूर, इमरती, ब्रेड, मक्खन, दूध आदि लेने लोगों का हुजूम बाजार में देर रात तक जुटता है।
हाफ़िज़ शफी अहमद बताते हैं कि माहे रमजान में रोजेदार अल्लाह के नजदीक आने की कोशिश के लिए भूख-प्यास समेत तमाम ख्वाहिश को रोकता है। बदले में अल्लाह अपने उस इबादतगुजार रोजेदार बंदे के बेहद करीब आकर उसे अपनी रहमतों और बरकतों से नवाजता है। कारी शाहबुद्दीन कि मानें तो इस्लाम की पांच बुनियादों में रोजा भी शामिल है और इस पर अमल के लिए ही अल्लाह ने रमजान का महीना मुकर्रर किया है। खुद अल्लाह ने कुरान शरीफ में इस महीने का जिक्र किया है। रमजान इंसान के अंदर जिस्म और रूह है। आम दिनों में उसका पूरा ध्यान खाना-पीना और दीगर जिस्मानी जरूरतों पर रहता है लेकिन असल चीज उसकी रूह है। इसी की तरबीयत और पाकीजगी के लिए अल्लाह ने रमजान बनाया है।
रमज़ान शुरू होते ही शैतान गिरफ्तार कर लिया जाता है। इस माह में की गई हर नेकी का सवाब कई गुना रब बढ़ा देता है। इस महीने में एक रकात नमाज अदा करने का सवाब 70 गुना हो जाता है। साथ ही इस माह में दोजख के दरवाजे भी बंद कर दिए जाते हैं, जन्नत के दरवाज़े खोल दिये जाते है।
रमज़ान तीन अशरों कि अहमियत
अमूमन 30 दिनों के रमजान माह को 10-10 दिन केे तीन अशरों में बांटा गया है। पहला अशरा ‘रहमत’ का है। इसमें अल्लाह अपने बंदों पर रहमत की दौलत लुटाता है। दूसरा अशरा ‘मगफिरत’ का है। इस अशरे में अल्लाह अपने बंदों को गुनाहों से पाक कर देता है। यानी रोज़ादारो की मगफिरत कर देता है। तीसरा अशरा जहन्नुम से आज़ादी का है। जिसने तीनों अशरा कामयाबी से पूरा किया रब उसे जहन्नुम से आज़ाद कर देता है।
माहे रमजान क्या है
महीने भर के रोज़े रखना, रात में तरावीह की नमाज़ पढना, क़ुरान की तिलावत करना, एतेकाफ़ में बैठना, अल्लाह से दुआ मांगना, ज़कात देना, अल्लाह का शुक्र अदा करना। इसीलिये इस माह को नेकियों और इबादतों का महीना माना जाता है। तरावीह की नमाज़ में महीना भर कुरान पढना। जिससे क़ुरान पढना न आने वालों को क़ुरान सुनने का सबाब ज़रूर मिलता है।रमजान को नेकियों का मौसम-ए-बहार कहा गया है। रमजान को नेकियों का मौसम भी कहा जाता है। इस महीने में मुसलमान अल्लाह की इबादत ज्यादा करता है। अपने अल्लाह को खुश करने के लिए रोजो के साथ, कुरआन, दान धर्म करता है यह महीना समाज के गरीब और जरूरतमंद बंदों के साथ हमदर्दी का है, इस महीने के गुज़रने के बाद शव्वाल की पहली तारीख को ईद उल-फ़ित्र मनाते हैं। यानी जिसने माह भार रोज़ा रखा ईद उसी की है।
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