नौ मूल्यांकन इकाइयों के चिन्हित 30-30 गाँवों में हो रहा सर्वेक्षण
एक गाँव से 105 लोगों की होगी जांच, ग्रामीण व शहर के लिए 18 टीम तैयार
सर्वेक्षण में पता करेंगे माइक्रो फाइलेरिया दर एक प्रतिशत से कम है या नहीं
Varanasi (dil india live).राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत जनपद को फाइलेरिया मुक्त बनाने के लिए ट्रांसमिशन असेस्मेंट सर्वे (टास) यानि संचरण मूल्यांकन सर्वेक्षण शुक्रवार से शुरू हुआ । सर्वेक्षण जनपद के सभी ग्रामीण व नगर स्तरीय स्वास्थ्य केन्द्रों के अंतर्गत चिन्हित 30-30 कलस्टर (गाँव) में चलाया जा रहा है। 15 कार्य दिवसीय सर्वेक्षण अभियान में जनपद से 28 हजार से अधिक लोगों की जांच किट के माध्यम से की जाएगी।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ संदीप चौधरी ने बताया कि राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत संचालित संचरण मूल्यांकन सर्वेक्षण अभियान के लिए समस्त तैयारियाँ कर ली गई हैं। जांच के लिए सभी ब्लॉक पीएचसी व सीएचसी पर पर्याप्त मात्रा में किट भेजी जा चुकी हैं। इस सर्वेक्षण का उद्देश्य पिछले तीन वर्षों में आईडीए-एमडीए राउंड में लोगों को फाइलेरिया से बचाव की दवा खिलाई जा चुकी है। इस क्रम में अब पता लगाना है कि लक्षित आबादी के सापेक्ष एक प्रतिशत कम लोग फाइलेरिया से ग्रसित हैं या नहीं ।
एसीएमओ व नोडल अधिकारी डॉ एसएस कनौजिया ने बताया कि जनपद के सभी आठ ग्रामीण व शहर स्तरीय स्वास्थ्य केन्द्रों पर इस सर्वेक्षण के सफलतापूर्वक संचालन के लिए कुल नौ एवेलुएशन यूनिट (मूल्यांकन इकाई) बनाई गई हैं। एक मूल्यांकन इकाई में 30 क्लस्टर (गाँव) चिन्हित किए गए हैं। एक गाँव से 20 वर्ष से ऊपर के 105 लोगों की जांच एफटीएस किट से की जायेगी। इस तरह देखा जाए तो एक मूल्यांकन इकाई से करीब 3150 जांच और नौ मूल्यांकन इकाई से करीब 28,350 लोगों की जांच की जायेगी। किट से होने वाली जांच में धनात्मक पाये जाने पर उस व्यक्ति का नाइट ब्लड सैंपल एकत्रित किया जाएगा । *जिला मलेरिया अधिकारी (डीएमओ) शरद चंद पांडेय* ने बताया कि इस सर्वेक्षण के लिए प्रत्येक मूल्यांकन इकाई (ईयू) में पांच - पांच लाख की आबादी को कवर करते हुए गांवों को चयन किया गया है। एक मूल्यांकन इकाई के लिए दो-दो टीम बनाई गई हैं। पूरे सर्वेक्षण के लिए 18 टीम बनाई गई हैं। एक टीम में लैब टेक्नीशियन, हेल्थ सुपरवाइज़र, हेल्थ इंस्पेक्टर, आशा व स्वास्थ्य कार्यकर्ता शामिल हैं। सर्वेक्षण की निगरानी के लिए ब्लॉक सीएचसी व पीएचसी के अधीक्षक, प्रभारी चिकित्साधिकारी, चिकित्साधिकारी, स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी और अपर शोध अधिकारी को नामित किया गया है। इस कार्य के लिए चिकित्सा अधिकारियों सहित समस्त स्वास्थ्यकर्मियों व आशा कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित किया जा चुका है।
फाइलेरिया नियंत्रक इकाई के प्रभारी व बायोलोजिस्ट डॉ अमित कुमार सिंह ने बताया कि इस सर्वेक्षण से पूर्व संचालित किए गए नाइट ब्लड सर्वे में 16 और प्री ट्रांसमिशन असेस्मेंट सर्वे (टास) में 20 नए फाइलेरिया के मरीज पाये गए थे । पिछले दोनों सर्वे की दर एक प्रतिशत से कम रही जो कि फाइलेरिया उन्मूलन की दिशा में सकारात्मक परिणाम है। अब टास के अंतिम परिणाम में यह देखना है कि यदि माइक्रो फाइलेरिया दर (एमएफ़ रेट) एक प्रतिशत से भी कम पायी जाती है तो हम यह मान सकते हैं कि जनपद वाराणसी फाइलेरिया उन्मूलन की ओर निरंतर बढ़ रहा है। डॉ अमित ने बताया कि इस सर्वेक्षण के दो साल बाद पुनः ट्रांसमिशन असेस्मेंट सर्वे (टास) किया जाएगा।
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