Varanasi (dil india live). काशी में हिंदू मुस्लिमों ने शबे बरात और होली एक साथ शांतिपूर्ण ढंग से मनाकर गंगा जमुनी तहजीब की परंपरा को न सिर्फ कायम रखा बल्कि दुनिया को यह भी दिखा दिया कि काशी के हिंदू मुस्लिम सदैव एक हैं और एक ही रहेंगे। रात से सुबह तक मुस्लिमों ने जहां शबे बरात कि इबादत की वहीं हिंदू वर्ग के लोगों ने होलिका दहन कर सुबह से दोपहर तक होली खेली। गंगा जमुनी तहजीब के इस शहर में एक ओर जहां मुस्लिमों ने शाबान का रोज़ा रखा तो होली का रंग भी खूब जमा। मंगलवार को शाम में शबे बरात पर खास इबादत शुरू हुई। रात से ही एक तरफ होली का डीजे बज रहा था तो वहीं मुस्लिम शबे बरात की खास इबादत में मशगूल दिखें। काशी कुछ ऐसी ही गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल पेश करती दिखाई दी। हर तरफ सौहार्द के फूल बिखरे नज़र आएं। जैसे जैसे रात होती गई शबे बरात पर रात की खास इबादत शुरू हो गई। मुस्लिम इबादत में मशगूल हो गए। कोई फातेहा पढ़ रहा था तो कोई नफल नमाजें अदा कर रहा था। यही नहीं विरान रहने वाली कब्रिस्तानों में भी जैसे मेला लगा हो। फूल, मालों की दुकान सजी हुईं थी। जियारत करने वाले अकीदतमंदों का हुजूम जनसैलाब की तरह उमड़ा हुआ था। मंगलवार ही नहीं बुध को भी पूरा मंज़र नूरानी दिखाई दिया। शबे बरात पर दावते इस्लामी हिंद कि ओर से इज्तेमा का आयोजन किया गया। रेवड़ी तालाब, बजरडीहा, लोहता, बुनकर कालोनी,वो पठानी टोला आदि में शबे बरात कि फजीलत बयां कि गयी। दावते इस्लामी हिंद के डा. साजिद अत्तारी ने बताया कि अफरोज अत्तारी मौलाना इमरान अत्तारी, मौलाना शकील मुजददीदी, जुलकरनैन, साउद अत्तारी आदि ने अपनी नूरानी तकरीर से लोगों को फैजयाब किया।
बनारस शहर के प्रमुख कब्रिस्तान टकटकपुर, हुकुलगंज, भवनिया कब्रिस्तान गौरीगंज, बहादर शहीद कब्रिस्तान रविन्द्रपुरी, बजरडीहा का सोनबरसा कब्रिस्तान, जक्खा कब्रिस्तान, सोनपटिया कब्रिस्तान, बेनियाबाग स्थित रहीमशाह, दरगाहे फातमान, चौकाघाट, रेवड़ीतालाब, सरैया, जलालीपुरा, राजघाट समेत बड़ी बाजार, पीलीकोठी, पठानीटोला, पिपलानी कटरा, बादशाहबाग, फुलवरिया, लोहता, बड़ागांव, रामनगर आदि इलाक़ों की कब्रिस्तानों और दरगाहों में लोग पहुंच कर शमां रौशन करते दिखाई दिए। इस दौरान सभी फातेहा पढ़कर अज़ीज़ों की बक्शीश के लिए दुआएं मगफिरत मांगते दिखे।
दरअसल शबे बरात वो अज़ीम रात जिस इस रात रब के सभी नेक बंदे अपने पाक परवर दीगार की इबादत में मशगुल रहते हैं। सारी रात मोमिनीन ने खास नमाज़ अदा की। शबे बरात पर अपनों व बुजुर्गो की क्रबगाह पर अज़ीज चिरागा करते दिखाई दिए। घरों में साफ़ सफाई के साथ ही रोशनी की गई थी।
घरों में शिरनी की फातेहा
शब बरात पर घरों में शिरनी की फातिहा मोमिनीन ने किया। इस दौरान ग़रीबो और मिसकीनों को खाना खिलाया गया। पास पड़ोस में रहने वालों को तबर्रुक तक्सीम किया गया।
पुरखों की रूह लौटती है घरों में
शबे बरात से ही रुहानी साल शुरू होता है। इस रात रब फरिश्तों की डय़ूटी लगाता है। लोगों के नामे आमाल लिखे जाते हैं। किसे क्या मिलेगा, किसकी जिंदगी खत्म होगी, किसके लिये साल कैसा होगा, पूरे साल किसकी जिन्दगी में क्या उतार-चढ़ाव आयेगा। ये शबे बरात कि रात लिखा जाता है, साथ ही पुरखों की रूह अपने घरों में लौटती है जिसके चलते लोग घरों को पाक साफ व रौशन रखते हैं। मर्द ही नही घरों में ख्वातीन ने भी शबे बरात की रात इबादत की। इबादत में छोटे-छोटे बच्चे भी शामिल थे। सुबह से शाम तक घरों में ख्वातीन हलवा व शिरनी बनाने में जुटी। शाम में वो भी इबादत में मशगूल हो गई।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें