शनिवार, 8 मार्च 2025

VKM Varanasi news:छात्राओं को व्यवसायिक कौशल प्रदान करती है वोकेशनल शिक्षा -रचना श्रीवास्तव

छात्राओं के सृजनात्मक कौशल विकास के लिए अनुभवात्मक प्रशिक्षण


Varanasi (dil India live)। वसन्त कन्या महाविद्यालय के गृह विज्ञान विभाग द्वारा शहर के विभिन्न महाविद्यालयों की छात्राओं के सृजनात्मक कौशल विकास के लिए द्विदिवसीय अनुभवात्मक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसके अन्तर्गत स्टेन्सिल छपाई और टाई एण्ड डाई का प्रशिक्षण दिया गया। 7 महाविद्यालयों (धीरेन्द्र महिला महाविद्यालय, राजकीय महाविद्यालय, बी.एल.डब्लू, धनष्यामदास पी.जी कालेज, आर्य महिला पी.जी. कालेज, वसंता कॉलेज फॉर वुमेन तथा शीएट) की 163 छात्राओं ने प्रशिक्षण प्राप्त किया।

उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि अतुल शर्मा, आफिस इंचार्ज निट्रा ने छात्राओं की सराहना करते हुए महाविद्यालय को स्किल ओरिएन्टेड वर्कशाप के लिए बधाई दी। प्राचार्या प्रो. रचना श्रीवास्तव ने आज के समय में वोकेशनल शिक्षा पद्यति के महत्व को इंगित करते हुए बताया कि यह छात्राओं को व्यवसायिक कौशल प्रदान करती है और उन्हें अपने चुने हुए क्षेत्र में सफल होने के लिए तैयार करती है। विभागाध्यक्ष प्रो. संगीता देवडिया ने कहा कि व्यवसायिक प्रशिक्षण आज के दौर की माँग है और यदि छात्राओं को इसमें दक्ष बना दिया जाय तो घर बैठे ही कला का उपयोग करके विभिन्न ऑनलाइन माध्यमों से आसानी से आर्थिक उपार्जन किया जा सकता है। डॉ. सुनिता दीक्षित ने बताया की कला के गुर सीखने के बाद छात्राएं यदि आधुनिकता का समागम कर लें तो कौशल को नई ऊंचाइयों तक पहुँचाया जा सकता है।

कौशल प्रशिक्षण छात्राओं को वह अवसर प्रदान करती है। जिससे वे अपने परिवार के साथ रहते हुए आर्थिक उपार्जन के अवसर चुन सकती है। गृह विज्ञान विभाग की कई पुरा छात्राएं आज अपने व्यवसाय स्थापित करके नये मुकाम हासिल कर चुकी हैं। इस बार विभाग ने शहर के अन्य महाविद्यालयों को भी कौशल प्रशिक्षण के इस मुहिम से जोड़ने का प्रयास किया है ताकि समाज में छात्राएं एक कुशल व्यवसायी बन सकें।

कार्यशाला में शेख सईदा सालेहा, अधीरा अमूल्या, श्वेता राठौर और काजल वर्मा ने प्रशिक्षुओं को स्टेंसिल छपाई और टाई एण्ड डाई की विभिन्न तकनीकों का प्रषिक्षण दिया तथा आधुनिकता के साथ कैसे इन कलाओं का सम्मिश्रण किया जा सकता है यह भी बताया। ये चारो प्रशिक्षक इसी महाविद्यालय की पुरा छात्राएं तथा अपने-अपने क्षेत्र में स्थापित व्यवसायी हैं। महाविद्यालय का यह प्रयास रहता है कि अपने पुरा छात्राओं के साथ सम्बन्ध सदैव सजीव रहे जिससे हम परस्पर उन्नति करते रहे। इस कार्यशाला में प्रो. गरिमा उपाध्याय, डॉ. अंशु शुक्ला, योगिता विश्वकर्मा, पद्मा के साथ वर्तमान छात्राओं का सहयोग रहा।

शुक्रवार, 7 मार्च 2025

VKM Varanasi में "फेमिनिस्ट रिसर्च मेथोडोलॉजी वर्कशॉप" के 5 वें दिन भी नारीवादी शोध दृष्टिकोणों पर हुई चर्चा

नारीवादी अध्ययन में गुणात्मक दृष्टिकोण पर डाला प्रकाश

Varanasi (dil India live). वासंत कन्या महाविद्यालय द्वारा आयोजित "फेमिनिस्ट रिसर्च मेथोडोलॉजी वर्कशॉप" के पाँचवें दिन भी नारीवादी शोध दृष्टिकोणों पर गहन चर्चा जारी रही, जिसमें बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के प्रतिष्ठित विद्वानों ने भाग लिया।

प्रथम सत्र का संचालन डॉ. राजीव दुबे, सह-प्राध्यापक, समाजशास्त्र विभाग, सामाजिक विज्ञान संकाय, बीएचयू द्वारा किया गया। उन्होंने "नारीवादी शोध में गुणात्मक विधियाँ" विषय पर व्याख्यान दिया। डॉ. दुबे ने नारीवादी अध्ययन में गुणात्मक दृष्टिकोण के महत्व पर प्रकाश डाला और बताया कि किस प्रकार आख्यान (नैरेटिव), केस स्टडीज़ और नृवंशविज्ञान (ethnography) विधियाँ महिलाओं के जीवन अनुभवों को समझने में सहायक होती हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि ये विधियाँ पारंपरिक पुरुष-प्रधान शोध ढाँचों को चुनौती देती हैं और लैंगिक यथार्थ को गहराई से समझने में मदद करती हैं।

द्वितीय सत्र में प्रो. मधु कुशवाहा, शिक्षा संकाय, बीएचयू ने "नारीवादी शोध में अंतःविषयता (intersectionality) की समझ" विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सामाजिक पहचान जैसे लिंग, जाति, वर्ग और जातीयता किस प्रकार परस्पर जुड़ी होती हैं और वे उत्पीड़न एवं विशेषाधिकार के अनुभवों को किस तरह प्रभावित करती हैं। प्रो. कुशवाहा ने नारीवादी शोध में समावेशी दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया ताकि सामाजिक असमानताओं की अधिक व्यापक समझ विकसित की जा सके।

दोनों सत्र अत्यंत विचारोत्तेजक और ज्ञानवर्धक रहे, जिसमें प्रतिभागियों को नारीवादी शोध पद्धतियों के सैद्धांतिक और व्यावहारिक पहलुओं से अवगत कराया गया। संवादात्मक चर्चाओं ने शोधार्थियों को गुणात्मक एवं अंतःविषय (इंटरसेक्शनल) दृष्टिकोण अपनाने के लिए प्रेरित किया।

कार्यशाला का संचालन वैदेही सिंह (बी.ए., राजनीति विज्ञान विभाग) द्वारा किया गया, तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ. शशिकेश कुमार गोंड ने प्रस्तुत किया। कार्यशाला में , डॉ. अनुराधा बापुली, डॉ. प्रियंका एवं डॉ. सिमरन सेठ सह-समन्वयक के रूप में उपस्थित रहीं।

लोक कलाओं पर वृहद अध्ययन की जरूरत - प्रो.बद्री नारायण

दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का समापन





Varanasi (dil India live)। डीएवी पीजी कॉलेज में आईसीएसएसआर के सहयोग से अंग्रेजी विभाग एवं आईइडीएस के संयुक्त तत्वावधान में वाराणसी के कल्चरल कॉरिडोर पर कला, क्राफ्ट, लोक कला पर केंद्रित अध्ययन के दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का शुक्रवार को समापन हुआ। मुख्य अतिथि जीबी पंत संस्थान, प्रयागराज से आये प्रो. बद्री नारायण ने लोक कलाओं पर अध्ययन के क्षेत्र में विस्तार की बात कही। उन्होंने कहा कि लोक कला और संस्कृति में अभी भी बहुत से पक्ष अछूते है जिन पर वृहद शोध की आवश्यकता है। कार्यशाला में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय की एमेरिटस प्रोफेसर डॉ. नीता कुमार ने संस्कृति के विविध पक्षो पर विचार रखते हुए भारतीय परंपरा में पारिवारिक मूल्यों के महत्व को साझा किया। अध्यक्षता प्रो. अर्चना कुमार ने किया। प्रो.पंचानन दलाई, डॉ.वारदा सम्बुल आदि ने भी विचार रखे। संयोजिका डॉ. महिमा सिंह ने रिपोर्ट प्रस्तुत किया। स्वागत प्रो. इंद्रजीत मिश्रा एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. प्रियंका सिंह ने दिया। संचालन संस्कृति पाण्डेय एवं श्रीयुक्ता बासनेट ने किया। शुभम ने सहयोग किया।

विश्व दर्शन दिवस पर संगोष्ठी का आयोजन

वाराणसी। विश्व दर्शन दिवस के अवसर पर शुक्रवार को डीएवी पीजी कॉलेज में दर्शनशास्त्र विभाग के तत्वावधान में राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में मुख्य वक्ता इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रो. गोपाल साहू ने कहा कि दर्शनशास्त्र जीवंत मानवता का मूल मंत्र है, यह स्वयं से साक्षात्कार कराने वाली विद्या है। अध्यक्षता करते हुए काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रो. दुर्गेश चौधरी ने कहा कि दर्शन जीवन से संदेह दूर कर सत्य से अवगत कराता है। डॉ. राहुल मौर्य ने कहा कि मानवीय मूल्यों और आदर्शों को ढूंढने में दर्शन की महत्वपूर्ण भूमिका है। 

कार्यकारी प्राचार्य प्रो. मिश्रीलाल ने स्मृति चिन्ह प्रदान कर अतिथियों का स्वागत किया। स्वागत भाषण प्रो. सतीश सिंह, विषय प्रवर्तन डॉ. संजय सिंह, संचालन डॉ. संजीव वीर सिंह प्रियदर्शी एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. रमेन्द्र सिंह ने दिया। इस मौके पर डॉ. अनामिका यादव, डॉ. शिवनारायण, डॉ. नजमुल हसन आदि शामिल थे।

7 दिनी NSS camp के 5 वें दिन हुई निःशुल्क नेत्र जांच

ग्रामीणों को निःशुल्क नेत्र जांच कर दिया गया परामर्श


Varanasi (dil India live). वाराणसी के चित्तूपुर खास गांव में पंचायत भवन मे 07 March को निशुल्क नेत्र जांच शिविर का आयोजन किया गया। उमा प्रेम नेत्रालय, चितईपुर के ऑप्टोमेट्रिस्ट की टीम द्वारा इस शिविर में सैकड़ों ग्रामीणों की निशुल्क नेत्र जांच और परामर्श दिया गया। शिविर का आयोजन एनएसएस की चल रही सामुदायिक सेवा पहल के तहत वसंत कन्या महाविद्यालय, कमच्छा, वाराणसी की एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी डॉ. शशि प्रभा कश्यप द्वारा किया गया था।           


इस कार्यक्रम का उद्देश्य नेत्र स्वास्थ्य जागरूकता को बढ़ावा देना और ग्रामीण आबादी को सुलभ नेत्र देखभाल सेवाएं प्रदान करना था।  डॉ. अरुण गुप्ता के नेतृत्व में ऑप्टोमेट्रिस्ट की टीम ने पूरी तरह से आंखों की जांच की, जिसमें दृश्य तीक्ष्णता परीक्षण, अपवर्तन परीक्षण और रेटिना स्कैन शामिल थे। दृष्टि संबंधी समस्याओं वाले मरीजों को मुफ्त चश्मा प्रदान किया गया, जबकि आगे के उपचार की आवश्यकता वाले लोगों को अनुवर्ती देखभाल के लिए उमाप्रेम नेत्रालय में भेजा गया। डॉ. शशि प्रभा कश्यप ने उमाप्रेम नेत्रालय की टीम को उनके समर्थन और विशेषज्ञता के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा, "नेत्र जांच शिविर एक बड़ी सफलता थी, और हम समुदाय को यह आवश्यक सेवा प्रदान करने में सक्षम होने पर गर्व महसूस कर रहे हैं।" इस कार्यक्रम को ग्रामीणों ने खूब सराहा, जिन्होंने मुफ्त नेत्र देखभाल सेवाएं प्राप्त करने के अवसर की सराहना की। शिविर से स्थानीय आबादी के नेत्र स्वास्थ्य और कल्याण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ने की उम्मीद है। इस नेत्र जांच शिविर में 50 एनएसएस स्वयंसेवक, शिक्षक और प्राथमिक विद्यालय के छात्र और स्थानीय ग्रामीण लाभान्वित हुए। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ।

Mukhaddas Ramzan के पहले जुमे को मस्जिदों में माहौल दिखा नूरानी

या रब हम सबको पांचों वक्त का नमाज़ी बना दे...आमीन

जुमे की नमाज में अमन और मिल्लत की गूंजीं सदाएं

मोहम्मद रिजवान 

Varanasi (dil India live). मुक़द्दस रमजान के पहले जुमे (7 मार्च) को मस्जिदों में नमाजियों का जहां हुजूम उमड़ा वहीं मस्जिदों का माहौल नूरानी नज़र आया। इस दौरान लोगों ने रब से दुआएं मांगी। इस साल रमजान में कुल चार जुमा पड़ेगा, जिनमें पहला जुमा आज है। इस्लाम में जुमे के दिन को छोटी ईद के तौर पर माना जाता है और रमजान के महीने में इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। इस दिन मस्जिदों में विशेष जुमे की नमाज अदा की जाती है और लोगों ने एक-दूसरे से मुसाफा कर जुमे की मुबारकबाद दी। मस्जिद लाटशाही में हाफ़िज़ हबीबुर्रहमान ने नमाज़ के पहले तकरीर कर रमज़ान की जहां फजीलत बयां किया वहीं नमाजे जुमा के बाद दुआ में उन्होंने रब मुल्क में अमन मिल्लत और रोज़गार में तरक्की के साथ ही से नमाजियों को पांचों वक्त का नमाज़ी बनाएं जाने की रब से दुआएं मांगी। ऐसे ही मस्जिद याकूब शहीद, मस्जिद अलकुरैश, शाही मुगलिया मस्जिद बादशाह बाग, शिया जामा मस्जिद दारानगर, मस्जिद लंगडे हाफिज, मस्जिद ज्ञानवापी, मस्जिद उल्फत बीबी, मस्जिद कम्मू खां, जामा मस्जिद नदेसर, मस्जिद दायम खां, मस्जिद हबीबीया गौरीगंज, मस्जिद नयी बस्ती, मस्जिद खाकी शाह बाबा, मस्जिद बुलाकी शहीद, मस्जिद बाबा फरीद, मस्जिद ढाई कंगूरा, मस्जिद अस्तबल शिवाला, मस्जिद जलालीपुरा, मस्जिद लाट सरैया, मस्जिद शक्कर तालाब, मस्जिद सुग्गा गडही आदि मस्जिदों में जुमे की नमाज अकीदत के साथ अदा की गई।

Ramzan mubarak (6) सब्र व एखलाक में नरमी सिखाता है रमजान

रमज़ान दूसरे मज़हब के साथ मिल्लत का देता है पैग़ाम 

Varanasi (dil India live) मुकद्दस रमज़ान हमें सब्र करने के साथ ही अपने एखलाक में नरमी की सीख भी देता है। रमज़ान दूसरे मज़हब के साथ मिल्लत का पैगाम देता है। इसकी वजह यह है कि एक रोज़ेदार को रमज़ान में अल्लाह ने हर उस काम से बचने का हुक्म दिया है, जिसकी इजाज़त शरीयत और इंसानियत नहीं देती। इसी के चलते 12 महीनों में इस एक महीने का अपना अलग मुकाम है। रमज़ान इबादत और अदब का महीना तो है ही साथ ही इस पूरे महीने एक रोज़ेदार नफ्स पर कंट्रोल के साथ ही बेशुमार इबादत करते हुए तमाम तरह का सब्र अख्तियार करता है। मेरे प्यारे नबी (स.) ने फरमाया है कि ये महीना सब्र का है और सब्र का बदला जन्नत है। रमज़ान में मासूम बच्चों व नौकरों से ज्यादा मेहनत व कड़े काम न लो, यह महीना इबादत और अदब व एहतराम का भी महीना है। इस महीने में अल्लाह के रसूल का हुक्म है कि रमज़ान आते ही बंदियों को रिहा कर दो। इस महीने में झगड़ा और फसाद को सख्ती से मना फरमाया गया है। इसलिए मोमिनीन को चाहिए कि मारपीट, बहस, लड़ाई-झगड़ा छोड़कर अमन और मिल्लत की नज़ीर पेश करें। जैसा हमारा रब चाहता है हमारे नबी (स.) चाहते हैं। रोज़ेदार रमज़ान का रोज़ा रख कर जहां ज़ाति तौर पर अपनी इस्लाह करता है वहीं वो एक अच्छा समाज भी बनाता है। ऐसे तो हर महीने हर दिन हर घंटे इंसान को पड़ोसियों के साथ, दूसरे मज़हब के साथ नरमी का हुक्म है मगर रमज़ान में खुसूसियत के साथ एक परिवार दूसरे परिवार का हक अदा करे, पड़ोसी मुसलमान हो या हिन्दू या दूसरे मजहब का उसके साथ नरमी बरती जाए। यूं तो हर दिन झगड़ा करना हराम करार दिया गया है। मगर इस बरकत वाले महीने की बरकत हासिल करने के लिए पूरे महीने रोज़दार को अपनी उन हरकतों से बचना चाहिए जिससे दूसरों को तकलीफ पहुंचती हो। यह महीना बक्शीश का महीना है। इसलिए बंदों को चाहिए कि अल्लाह और उसके रसूल से अपने तमाम गुनाहों के लिए रो-रोकर माफी मांगे। देर रात तक खूब इबादत करे। गरीबों, मिसकीनों व पड़ोसियों का हक अदा करें।

ऐ परवरदिगार तू नबी-ए-करीम के सदके में हम सबको रोज़ा रखने, इबादत करने की तौफीक दे, ताकि हम सबकी जिन्दगी कामयाब हो जाये.. आमीन।

           

मो. शाहिद खां
{सदर, हिन्दुस्तानी तहज़ीब वाराणसी}

इस्लामिक मामलों के जानकार मास्टर शमीम नहीं रहे

नगीने वाली मस्जिद के पास होगी जनाजे की नमाज़ 

वाराणसी। मरहूम अब्दुल करीम खान के बेटे नगर के प्रतिष्ठित शख्सियत इस्लामिक मामलों के जानकार हाजी मास्टर शमीम अहमद का रेवड़ी तालाब में इंतकाल हो गया है, उनके जनाजे की नमाज़ जुमा की नमाज के बाद नगीनेवाली मस्जिद के पास मैदान में होगी। रेवड़ी तालाब में ही आबाई कब्रिस्तान में उन्हें सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा। पेशे से शिक्षक मास्टर शमीम साहब सामाजिक और धार्मिक मामलों के बड़े जानकारों में शुमार थे। उनके इंतकाल से समाज की एक बड़ी क्षति हुई है जिसकी भरपाई मुश्किल है।

Ramzan mubarak (9) खुद पर कंट्रोल रखने का नाम रमज़ान

खाने पीने से दूर रहें, अपने अंदर लाएं बदलाव  Varanasi (dil India live). रब ने हम सबको रमज़ान के महीने में जो-जो रहमतें नाज़िल की हैं, हम सब उस...