रविवार, 16 नवंबर 2025

BHU के IMS में 17 व 18 को लगेगा स्वास्थ्य मेला

19 को मनेगा चिकित्सा विज्ञान संस्थान का 65 वां वार्षिकोत्सव


Mohd Rizwan 
dil india live (Varanasi). काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के चिकित्सा विज्ञान संस्थान (IMS-BHU) में इस वर्ष संस्थान का 65वां वार्षिक दिवस समारोह धूमधाम से आयोजित किया जाएगा। मुख्य समारोह 19 नवंबर को दोपहर 2:30 बजे स्वतंत्रता भवन में होगा, जबकि इसके पहले 17 और 18 नवंबर को स्वास्थ्य मेले का आयोजन किया जाएगा।संस्थान के निदेशक प्रो. एस.एन. शंखवार ने बताया कि वार्षिक दिवस समारोह के मुख्य अतिथि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अजित कुमार चतुर्वेदी होंगे। स्वास्थ्य मेले में विशिष्ट अतिथि हिमांशु नागपाल, IAS, प्रो. यू.पी. शाही, पद्मश्री प्रो. कमलाकर त्रिपाठी और पद्मश्री प्रो. एम. साहू होंगे। 

जानिए स्वास्थ्य मेला 2025 में क्या होगा 

स्वास्थ्य मेला IMS में मुख्य द्वार से प्रवेश के साथ शुरू होगा। समन्वयक प्रो. वी.एन. मिश्रा ने जानकारी दी कि मेले में एकीकृत चिकित्सा (Integrated Therapy) के अनुसार करीब 60 काउंटर लगाए जाएंगे। इसमें संस्थान के 1000 छात्र सक्रिय रूप से भाग लेंगे। जनता को आधुनिक, डेंटल, नर्सिंग और विभिन्न चिकित्सा तकनीकों के बारे में जानकारी दी जाएगी। लगभग 10,000 मरीजों के आने की संभावना है। सभी जांच एवं परीक्षण निःशुल्क होंगे। काशी के इतिहास और चिकित्सा परंपरा को दर्शाती विशेष झांकी भी प्रस्तुत की जाएगी। कार्यक्रम संयोजक प्रो. टी.पी. चतुर्वेदी एवं प्रो. बी. राम ने बताया कि मेले के सफल संचालन के लिए 18 समितियों का गठन किया गया है। स्वास्थ्य मेले में जनमानस को चिकित्सा विज्ञान संस्थान में चल रहे शोध कार्य, प्रशिक्षण कार्यक्रम और नर्सिंग शिक्षा के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाएगी। इस मौके पर 20 से अधिक स्कूलों के छात्र भी मेले में भाग लेने उमड़ेंगे।

शनिवार, 15 नवंबर 2025

BLW Varanasi Main में जनजातीय गौरव दिवस की रही धूम

बिरसा मुंडा की 150 वीं जयंती पर हुए विभिन्न आयोजन



F. Farooqui/Santosh Nagvanshi 

dil india live (Varanasi). बनारस रेल इंजन कारखाना (BLW) में आज (15 11.2025) रेलवे बोर्ड के  निर्देशानुसार एवं बरेका महाप्रबंधक सोमेश कुमार के मार्गदर्शन में "जनजातीय गौरव दिवस- 2025" एवं महान स्वतंत्रता सेनानी "धरती आबा" भगवान बिरसा मुंडा की 150 वीं जयंती के अवसर पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इसके अंतर्गत बरेका इंटर कॉलेज में प्रधानाचार्य अशोक कुमार माहेश्वरी के नेतृत्व में निबंध प्रतियोगिता एवं भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

इस अवसर पर बरेका इंटर कॉलेज के सभागार में प्रातः 10:00 बजे से 11.00 बजे तक "जनजातीय उत्थान में भगवान बिरसा मुंडा का योगदान" विषयक निबंध प्रतियोगिता आयोजित की गई। इसमें लगभग 100 बच्चों ने उत्साहपूर्वक अपनी लेखनी के द्वारा भगवान बिरसा मुंडा के योगदान को याद किया। 

अंशिका, पूजा व छवि पुरस्कृत 

इस प्रतियोगिता में कक्षा 11 स की छात्रा अंशिका पटेल प्रथम स्थान पर, कक्षा 10 ब की छात्रा पूजा पाल द्वितीय स्थान पर और कक्षा 11 ए की छात्रा छवि तिवारी तृतीय स्थान पर रही। मध्यान्ह के उपरान्त दोपहर 12:00 बजे से विद्यालय में रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें बच्चों ने आदिवासी गीत और नृत्य की शानदार प्रस्तुति दी। कार्यक्रम को सफल बनाने में संयोजक धर्मवीर सिंह तथा शिक्षक, विकास कुमार पांडे, राकेश चौधरी, शालिनी उपाध्याय, सदफ बानो, सौगता बोस व स्नेह सौरभ आदि शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका रही।


इस  अवसर पर कर्मचारी क्लब, बरेका में भी एक भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें जनजातीय पारंपरिक परिधान झांकी एवं संस्कृति प्रदर्शनी के अलावा भव्य जनजातीय लोकनृत्य व लोकगीत का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में 14 नवंबर 2025 को आयोजित चित्रकला एवं पेंटिंग प्रतियोगिता के विजेता प्रतिभागियों को पुरस्कृत कर सम्मानित भी किया गया। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में सहायक कार्मिक अधिकारी, पीयूष मिंज उपस्थित रहे। कार्यक्रम को सफल बनाने में सचिव, कर्मचारी क्लब, मदन कुमार एवं कार्यकारिणी सदस्य अमित कुमार, दिनेश प्रजापति एवं शशि समीर की महत्वपूर्ण भूमिका रही।

कार्यक्रम का संचालन सदस्य, कर्मचारी क्लब, कौशल किशोर चौरसिया ने  किया। इस अवसर पर  बड़ी संख्या में कर्मचारी एवं उनके परिजन तथा आमजन  भी उपस्थित रहे।

Education: VKM Varanasi Main छः दिवसीय कार्यशाला का समापन समारोह

छात्राओं में शिक्षा और शोध के विकास पर हमेशा ध्यान देना होगा

मालवीय व एनीबेसेण्ट जैसे मनीषियों की शिक्षाएं जीवन निर्माण का कार्य करती हैं-कुलपति

 

dil india live (Varanasi). वाराणसी के वसन्त कन्या महाविद्यालय (VKM Varanasi) में 15 नवंबर (2025) को अपराह्न 2ः00 बजे के प्राचीन भारतीय इतिहास संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग एवं क्षेत्रीय पुरातत्व इकाई के संयुक्त तत्वावधान में 10 नवम्बर, 2025 से शुरू हुई छः दिवसीय कार्यशाला का समापन समारोह धूमधाम से मनाया गया। ‘इतिहास का उदय, मनुष्य जीविका और प्रौद्योगिकी’ पर आयोजित कार्यक्रम के इस समापन समारोह में कुल 75 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। 

मुख्य अतिथि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अजित चतुर्वेदी ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि जो कार्यक्रम ज्ञान में बढ़ोत्तरी करें अत्यन्त प्रशंसनीय है। हमें अपनी छात्राओं में शिक्षा और शोध के विकास पर हमेशा ध्यान देना चाहिये तथा पंडित मदन मोहन मालवीय एवं एनीबेसेण्ट जैसे मनीषियों को सदैव याद रखना चाहिये। उनकी शिक्षायें जीवन निर्माण का कार्य करती है। 


प्रो0 राकेश तिवारी (पूर्व महानिदेशक, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, नई दिल्ली) ने समापन भाषण देते हुए कहा कि पुरातत्व अनजानी वस्तुओं की खोज करता है। प्रयोग के द्वारा सीखना बड़ी बात है। उन्होंने यात्राओं का महत्व बताते हुए राहुल सांकृत्यायन की अथातो घुमक्कड़ जिज्ञासा और घुमक्कड़ शास्त्र का उल्लेख किया।

आशीर्वचन देते हुए प्रबंधिका श्रीमती उमा भट्टाचार्या ने कहा कि थियोसाॅफी ब्रह्म ज्ञान है जो उपनिषद और वेदांत पर आधारित है। थियोसाॅफिकल सोसायटी छात्राओं को आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करती है। हमारा महाविद्यालय एक समृद्ध विरासत लिये हुए है जिसे छात्राओं को आगे बढ़ाते रहना है। महाविद्यालय को वैल्यू एडेड कोर्स के रूप में थियोसाॅफी के सिद्धान्तों का अध्ययन को मान्यता देने के लिये प्रबंधक ने कुलपति महोदय को धन्यवाद दिया। 



अध्यक्षीय भाषण प्रो. विदुला जायसवाल (पूर्व प्रमुख, प्राचीन भारतीय इतिहास संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय) ने दिया और कहा कि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में शिक्षा की संस्कृति बहुत समृद्ध रही है। मै अपने गुरूजनो को सदैव स्मरण करती हूँ। इस कार्यशाला में हमलोगों ने इतिहास, पुरातत्व, संस्कृति के विद्वतजनों को आमंत्रित किया। वसन्त कन्या महाविद्यालय स्त्री, शिक्षा और विकास के लिये अच्छे प्रयास कर रहा है। इसे एक हेरिटेज शिक्षण संस्था के रूप में मान्यता देनी चाहिये।

समापन समारोह में स्वागत वक्तव्य देते हुए प्रो0 रचना श्रीवास्तव ने माननीय कुलपति महोदय एवं सभी विशिष्ट जनों का स्वागत और अभिनन्दन किया। प्राचार्या ने कहा कि माननीय कुलपति महोदय के निर्देश में विश्वविद्यालय उन्नति की तरफ अग्रसर हो रहा है। महाविद्यालय का इतिहास बताते हुए आपने कहा कि काॅलेज महिलाओं के सर्वांगीण विकास को प्रश्रय देता है। आपने कार्यशाला के महत्व और प्रासंगिकता के विषय में बताया।

कार्यक्रम में प्राचीन भारतीय इतिहास संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के अध्यक्ष एम.पी. अहिरवार सहित अन्य विद्वतजन भी मौजूद रहे। संस्कृत विभाग की छात्राओं ने मंगलाचरण प्रस्तुत किया। इस मौके पर कार्यशाला के प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किया गया। इस महत्त्वपूर्ण कार्यशाला का संयोजन प्रो. विदुला जायसवाल और डाॅ. आरती कुमारी ने किया। इस कार्यशाला के जरिये प्रतिभागियों ने विश्व और भारतीय परिप्रेक्ष्य में पुरा इतिहास के जलवायु के साथ मानव के साहचर्य और संघर्षों के इतिहास को जाना। व्याख्यान और प्रयोग के माध्यम से प्रतिभागियों को पाषाण उपकरणों के निर्माण और प्रकार की विस्तृत जानकारी मिली। संगीत विभाग की छात्राओं ने महाविद्यालय की कुलगीत प्रस्तुति की। जिसका निर्देशन प्रो. सीमा वर्मा ने किया तथा तबले पर संगत सौम्यकान्ति मुखर्जी ने किया। 

कार्यक्रम के अंत में वसंत कन्या महाविद्यालय की सहायक आचार्य, प्राचीन भारतीय इतिहास संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग डाॅ. नैरंजना श्रीवास्तव ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. आरती चैधरी ने किया। कार्यक्रम में महाविद्यालय की समस्त शिक्षक/शिक्षिकायें सहित डाॅ. राम नरेश पाल, डाॅ. राजीव रंजन, प्रो. रीता रे, डाॅ. मीरा शर्मा, डा. अंशु शुक्ला, छात्रायें व कर्मचारीगण उपस्थित थे।

शुक्रवार, 14 नवंबर 2025

Education: DAV PG College Main बाल दिवस पर छात्रों ने देखी डॉक्यूमेंट्री

डॉक्यूमेंट्री शो के बाद हुई परिचर्चा, स्टूडेंट्स ने दिखाया में उत्साह 



dil india live (Varanasi). वाराणसी में डीएवी पीजी कालेज के राजनीति विज्ञान विभाग के छात्रमंच रिपब्लिका के तत्वावधान में शुक्रवार को देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू जयंती ( बाल दिवस ) के अवसर पर डॉक्यूमेंट्री का प्रदर्शन किया गया। उसके बाद जवाहर लाल नेहरू द्वारा लिखी गई किताब भारत एक खोज पर आधारित फिल्म निर्माता श्याम बेनेगल के निर्देशन में बने टीवी सीरियल भारत एक खोज के प्रथम एपिसोड को राजनीति विज्ञान विभाग के छात्रों ने डॉक्यूमेंट्री शो के माध्यम से देखा और डॉक्यूमेंट्री शो के बाद चर्चा परिचर्चा में भी भाग लिया। उक्त चर्चा में एमएम प्रथम वर्ष के छात्र प्रियरंजन ने कहा कि इस फ़िल्म को देखने के बाद मेरी इतिहास की समझ बेहतर हुई है। 


एमए प्रथम वर्ष के छात्र अमीनुल हक़ ने कहा कि नेहरू की नीति हमेशा समावेशी भारत बनाने की रही है, वह बच्चों और छात्रों में भविष्य का भारत देखते थे, इसीलिए उन्हें छात्रों और छोटे बच्चों से विशेष लगाव रखते थे। अलग अलग कक्षाओं के छात्रों ने डॉक्यूमेंट्री पर हुई चर्चा में भाग लिया और अपना पक्ष रखा। कार्यक्रम में विभागाध्यक्ष डॉ. स्वाति सुचरिता नंदा, डॉ. प्रतिमा गुप्ता, डॉ. विकास सिंह, डॉ. रविशंकर राज और डॉ. गौरव मिश्रा ने जवाहर लाल नेहरू के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किया। संचालन छात्र निशान्त ने किया।

Education: VKM Varanasi में 'जनजातीय गौरव दिवस का हुआ आयोजन’

राष्ट्र निर्माण में एन एस एस की भूमिका महत्वपूर्ण 



dil india live (Varanasi). वसंत कन्या महाविद्यालय, (VKM) वाराणसी में राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS) की एक दिवसीय विशेष शिविर का आयोजन 'जनजातीय गौरव दिवस’ के अवसर पर बड़े उत्साह और गरिमा के साथ किया गया। इस विशेष आयोजन में मुख्य अतिथि के रूप में प्रसिद्ध शोधकर्ता और वक्ता डॉ गंगेश शाह गोंडवाना (अस्सिटेंट रजिस्ट्रार, आई .आई .टी,काशी हिंदू विश्वविद्यालय) उपस्थित रहे। उनकी उपस्थिति ने पूरे कार्यक्रम को एक विद्वतापूर्ण और प्रेरणादायक वातावरण प्रदान किया।

कार्यक्रम की शुरुआत NSS स्वयंसेवकों द्वारा प्रस्तुत लक्ष्य गीत से हुई, जिसने पूरे माहौल में ऊर्जा और सामूहिकता का भाव जागृत किया। इस गीत ने शिविर के उद्देश्य और NSS की सामाजिक चेतना को प्रभावी रूप से व्यक्त किया। प्राचार्या प्रोफेसर रचना श्रीवास्तव ने स्वागत वक्तव्य देते हुए बाल दिवस एवं राष्ट्रीय जनजातीय दिवस के अवसर पर सभी को बधाई और शुभकामनाएं दी।

शालिनी गुप्ता स्नातक द्वितीय वर्ष की छात्रा ने राष्ट्रीय जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर भाषण की प्रस्तुति दी। इसके पूर्व जनजाति गौरव दिवस विषय पर निबंध प्रतियोगिता भी आयोजित की गई।

मुख्य अतिथि श्री गंगेश शाह ने अपने उद्बोधन में NSS अधिकारी डॉक्टर शुभांगी श्रीवास्तव तथा इतिहास विभाग के प्रोफेसर शशिकेश कुमार गोंड के प्रति हृदय से आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि NSS युवाओं में सेवा भावना, नेतृत्व कौशल और सामाजिक ज़िम्मेदारी का विकास करती है, जो राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।



अपने विस्तृत भाषण में उन्होंने आदिवासी संस्कृतियों, विशेषकर गोंड और भील समुदायों, पर गहन चर्चा की। उन्होंने बताया कि गोंड दक्षिण एशिया की सबसे बड़ी और ऐतिहासिक जनजातियों में से एक है, जिसकी सांस्कृतिक विरासत, कला, भाषा और जीवन पद्धति अत्यंत समृद्ध है। उन्होंने ‘गोंड’ शब्द के अर्थ, उनकी लोकपरंपराओं, मिथकों और प्रकृति-केंद्रित जीवन दर्शन को विस्तार से समझाया। उन्होंने गोंड कला—विशेषकर गोंड चित्रकला—का महत्व भी बताया, जो आज विश्व स्तर पर सराही जाती है।

मुख्य अतिथि ने अपनी प्रस्तुति में सिंधु लिपि के इतिहास, उसकी जटिलता और उसके संभावित अर्थों पर रोचक जानकारी दी। उन्होंने सिंधु सभ्यता के प्रतीकों, लेखन शैली और इनके माध्यम से प्रकट होने वाले सामाजिक संकेतों को सरल शब्दों में समझाया। यह विषय विद्यार्थियों के लिए अत्यंत ज्ञानवर्धक सिद्ध हुआ और प्राचीन भारतीय इतिहास के प्रति उनकी समझ को विस्तृत किया।

इसके बाद उन्होंने आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों बिरसा मुंडा, रघुनाथ शाह और शंकर शाह के योगदान को विशेष रूप से याद किया। उन्होंने बताया कि इन नायकों ने ब्रिटिश दमनकारी नीतियों के विरुद्ध सशक्त संघर्ष किया और अपने अद्वितीय साहस, आत्मसम्मान एवं सांस्कृतिक गौरव के कारण इतिहास में अमर हो गए। आदिवासी आंदोलनों में इन नेताओं की भूमिका सामाजिक न्याय और स्वाधीनता की संघर्षगाथा का महत्वपूर्ण अध्याय है।

अपने संबोधन में श्री गंगेश शाह ने मानव मूल्यों और नैतिकता की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज प्रकृति के साथ सामंजस्य, सामूहिकता, सरलता और मानवीय संवेदनाओं को प्राथमिकता देता है। आज के समय में इन मूल्यों का पुनर्स्मरण और संरक्षण अत्यंत आवश्यक है क्योंकि यही मूल्य समाज को संतुलन और स्थायी विकास की दिशा में ले जाते हैं।

कार्यक्रम की समाप्ति एक गरिमामयी वातावरण में हुई, जहाँ विद्यार्थियों और स्वयंसेवकों ने आदिवासी संस्कृति, इतिहास और सभ्यता के प्रति गहरा सम्मान अनुभव किया। यह एक दिवसीय शिविर सभी उपस्थित लोगों के लिए ज्ञानवर्धक, प्रेरक और सांस्कृतिक दृष्टि से समृद्ध अनुभव साबित हुआ। कार्यक्रम में कुल 100 स्वयं सेविकाएं मौजूद रही।

Education: VKM Varanasi में आदिमानव के परिवेश और तकनीकी विकास पर हुई चर्चा

प्रागैतिहासिक मानव जीवन के विविध पक्षों पर डाली रौशनी 


dil india live (Varanasi). वसंत कन्या महाविद्यालय में आयोजित, उत्तर प्रदेश राज्य पुरातत्व इकाई द्वारा वित्तपोषित, छह दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला के पांचवें दिन प्रागैतिहासिक मानव जीवन के विविध पक्षों को विस्तार से समझाया गया।  दिन के पहले सत्र में प्रोफेसर विदुला जायसवाल ने यूरोप औऱ एशिया के मध्यपाषाण काल के चरणों का तुलनात्मक अध्ययन प्रस्तुत किया। उन्होंने आदिमानव के परिवेश और तकनीकी विकास यात्रा पर भी विस्तार से बात की। डॉ आरती कुमारी ने नवपाषाणिक संस्कृति में मानव जीवन में आए बदलावों को वैश्विक और भारतीय परिप्रेक्ष्य में समझाया। 

अपरान्ह सत्र में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के भूतपूर्व डायरेक्टर जनरल डॉक्टर राकेश तिवारी ने उत्तर प्रदेश में मनुष्य के बसाव की पुरातनता को पुरातात्विक आधार पर लगभग ग्यारह हजार साल पहले ले जाने की बात कही। उन्होंने कहा कि पुरातत्व के अध्ययन में हमें नए साक्ष्यों को सावधानी से ग्रहण करने की आवश्यकता है। साथ ही पूर्वाग्रहों से दूर रहना भी ज़रूरी है। 

उत्तर प्रदेश और बिहार के प्रागैतिहासिक संस्कृतियों की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण पैसरा, चिरांद, लहुरादेवा, हेता पट्टी आदि पुरास्थलों का उदाहरण देकर उन्होंने इस क्षेत्र के पूर्व-स्थापित इतिहास के पुनरावलोकन की आवश्यकता पर बल दिया। 


उत्तर प्रदेश राज्य पुरातत्व विभाग की निदेशक डॉ रेणु द्विवेदी ने आयोजकों को शुभकामनाएं दीं। अतिथियों का स्वागत प्राचार्या प्रोफेसर रचना श्रीवास्तव के संबोधन से हुआ तो धन्यवाद ज्ञापन डॉ आरती चौधरी ने किया। संचालन डॉ. नैरंजना श्रीवास्तव और संयोजन डॉ आरती कुमारी ने किया। कार्यक्रम में मार्गदर्शन प्रोफेसर विदुला जायसवाल का रहा। 

इस अवसर पर डी ए वी पी जी कॉलेज से डॉ. ओम प्रकाश और महिला महाविद्यालय से डॉ स्वतंत्र सिंह उपस्थित रहे। क्षेत्रीय पुरातत्व इकाई से डॉ. राजीव रंजन भी उपस्थित रहे।

गुरुवार, 13 नवंबर 2025

Education: Munshi Premchand ने शुरू की Urdu अफसाने की रवायत

प्रेमचंद ने जिस तरह से समाज को देखा उसे हु-ब-हू अपने अफसाने में उतारा



dil india live (Varanasi). वाराणसी के डीएवी पीजी कॉलेज में उर्दू विभाग के तत्वावधान में गुरुवार को 'उर्दू में अफसाना निगारी की रवायत' विषय पर विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन हुआ। मुख्य वक्ता काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. मुशर्रफ अली ने कहा कि उर्दू में अफसाना (कहानी) लेखन का श्रेय सर्वप्रथम मुंशी प्रेमचंद को जाता है, जिनका शोबे वतन मील का पहला पत्थर है। प्रेमचंद ने जिस तरह से समाज को देखा उसे ही अपने अफसाने में उतारा, उर्दू अफसाने में शुरू की गई उनकी रिवायत पर ही आज समूचा उर्दू अफसाना चल रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रेमचंद का साहित्य हमे संयुक्त परिवार के चलन की ओर प्रेरित करता है। डॉ. मुशर्रफ अली ने उर्दू निगारी की रवायत के आगाज से लेकर वर्तमान तक के तीनों दौर प्रगतिशील, आधुनिक और उत्तर आधुनिक दौर और समकालीन उर्दू रवायत पर भी प्रकाश डाला।

अध्यक्षता करते हुए महाविद्यालय के कार्यवाहक प्राचार्य प्रो. मिश्रीलाल ने कहा कि इंसानी जिंदगी और इंसानियत पर उर्दू निगारी की रवायत बहुत प्रभावशाली रही है। इसके पूर्व प्रबंधक अजीत कुमार सिंह यादव ने मुख्य अतिथि डॉ. मुशर्रफ अली का शॉल और स्मृति चिन्ह देकर उनका इस्तकबाल किया। संचालन डॉ. शमशीर अली एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. नजमुल हसन ने दिया।


इनकी रही खास मौजूदगी 

इस मौके पर प्रो. प्रशांत कश्यप, प्रो. राकेश राम, डॉ. ज़ियाउद्दीन, डॉ. मयंक कुमार सिंह, डॉ. ओमप्रकाश कुमार, डॉ. अस्मिता तिवारी, डॉ. नीलम सिंह, डॉ.  विजय यादव, डॉ. संजीव प्रियदर्शी, डॉ.श्वेता मिश्रा,डॉ. अनुराग चौरसिया, प्रताप बहादुर सिंह सहित बड़ी संख्या में विद्यार्थी शामिल रहे।