मंगलवार, 4 मार्च 2025

world women's day पर प्रबुद्ध महिला मंच ने किया महिलाओं को सम्मानित

नर्सरी को नई पहचान देने वाली महिला का भी सम्मान

Varanasi (dil India live)। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अंतर्गत आज मंगलवार को काशी प्रबुद्ध महिला मंच ने भेलूपुर स्थित एक होटल में विभिन्न क्षेत्रों में भागीदारी करती मंच की सदस्यों सहित अपनी मेहनत और लगन से एक स्वावलंबी महिला को सम्मानित किया।

कार्यक्रम का शुभारंभ प्रिया अग्रवाल ने गणेश वंदना के साथ किया, तत्पश्चात मंच की अध्यक्षा अंजलि अग्रवाल ने कार्यक्रम की अतिथि रेनू मौर्य जो रामनगर में लक्ष्मी बाग नर्सरी की ओनर है जिन्होने अपनी मेहनत व लगन से नर्सरी को एक नई पहचान दी, उनकी इस उपलब्धियां के लिए उन्हें सम्मानित किया व महिला दिवस की महत्ता के बारे में प्रकाश डाला। संचालिका रेनू कैला ने सभी सदस्यों की उपलब्धियों का परिचय देते हुए कार्यक्रम को आगे बढ़ाया ।

शोभा कपूर व छवि के गायन, ममता जायसवाल, नीतू सिंह व पूनम के काव्य पाठ के साथ नूतन रंजन की मिमिक्री, डॉ शालिनी व रजनी जयसवाल द्वारा दिए गए ब्यूटी टिप्स, रीता अग्रवाल, गीता अग्रवाल, रीता कश्यप द्वारा महिला दिवस पर अपने विचार प्रस्तुत किए गए। ममता तिवारी व चंद्रा शर्मा के महिला दिवस संबंधित गेम व हाउजी का आनंद सभी सदस्यों ने भरपूर उठाया। मंच की सभी सदस्यों को अध्यक्ष ने सम्मानित किया।अन्त मैं सभी सदस्यों ने संकल्प लिया की वह अपने आसपास और घर की सभी महिलाओं व बेटी बहू को आर्थिक व मानसिक रूप में पूरी तरह से सशक्त करें।

Ramzan mubarak (3) नेकी की दावत हो आम

माहे रमज़ान यानी सवाब ही सवाब और बरकतें ही बरकत 

Varanasi (dil India live)। जिस महीने में सवाब ही सवाब और बरकतें ही बरकत अल्लाह बंदे पर निछावर करता है। उस मुकद्दस बेशुमार खूबियों वाले महीने को रमज़ान कहा जाता है। रमज़ान महीने का एक और सुन्नतों भरा तोहफा खुदा ने हमें सहरी के रूप में अता किया है। रोज़े में सहरी का बड़ा सवाब है। सहरी उस गिज़ा को कहते हैं जो सुब्ह सादिक से पहले रोज़ेदार खाता है। सैय्यदना अनस बिन मालिक फरमाते हैं कि ‘‘नबी-ए-करीम (स.) सहरी के वक्त मुझसे फरमाते कि मेरा रोज़ा रखने का इरादा है मुझे कुछ खिलाओ। मैं कुछ खजूरें और एक बर्तन में पानी पेश करता।’ इससे पता यह चला कि सहरी करना बज़ाते खुद सुन्नत है और खजूर व पानी से सहरी करना दूसरी सुन्नत है। नबी ने यहां तक फरमाया कि खजूर बेहतरीन सहरी है। नबी-ए-करीम (स.) इस महीने में सहाबियों को सहरी खाने के लिए खुद आवाज़ देते थे। अल्लाह और उसके रसूल से हमें यही दर्स मिलता है कि सहरी हमारे लिए एक अज़ीम नेमत है। इससे बेशुमार जिस्मानी और रुहानी फायदा हासिल होता है। इसलिए ही इसे मुबारक नाश्ता कहा जाता है। किसी को यह गलतफहमी न हो कि सहरी रोज़े के लिए शर्त है। ऐसा नहीं है सहरी के बिना भी रोज़ा हो सकता है मगर जानबूझ कर सहरी न करना मुनासिब नहीं है क्यों कि इससे रोज़ेदार एक अज़ीम सुन्नत से महरूम हो जायेगा। यह भी याद रहे कि सहरी में खूब डटकर खाना भी जरूरी नहीं है। कुछ खजूर और पानी ही अगर बानियते सहरी इस्तेमाल कर लें तो भी काफी है। रमज़ान वो मुकदद्स महीना है जो लोगों को यह सीख देता है कि जैसे तुमने एक महीना अल्लाह के लिए वक्फ कर दिया सुन्नतों और नफ़्ल पर ग़्ाौर किया, उस पर अमल करते रहे वैसे ही बचे पूरे साल नेकी और पाकीज़गी जारी रखो। नबी-ए-करीम (स.) ने फरमाया ‘‘तीन चीज़ों को अल्लाह रब्बुल इज्ज़त महबूब रखता है। एक इफ्तार में जल्दी, सहरी में ताखीर और नमाज़ के कि़याम में हाथ पर हाथ रखना।’ नबी फरमाते हैं कि इस पाक महीने को जिसने अपना लिया, जो अल्लाह के बताये हुए तरीकों व नबी की सुन्नतों पर चल कर इस महीने में इबादत करेगा उसे जन्नत में खुदावंद करीम आला मुक़ाम अता करेगा। यह महीना नेकी का महीना है। इबादत के साथ ही इस महीने में रोज़ेदार की सेहत दुरुस्त हो जाती है। रोज़ेदार अपनी नफ्स पर कंट्रोल करके बुरे कामों से बचा रहता है। ये महीना नेकी और मोहब्बत का महीना है। इस पाक महीने में जितनी भी इबादत की जाये वो कम है क्यों कि इसका सवाब 70 गुना तक अल्लाहतआला बढ़ा देता है, इसलिए कि रब ने इस महीने को अपना महीना कहा है। ऐ पाक परवरदिगार तू अपने हबीब के सदके में हम सबको रमज़ान की इबादत, नबी की सुन्नतों पर चलने की व रोज़ा रखने की तौफीक अता फरमा..आमीन।

     हाफिज मौलाना शफी अहमद

{सदर, अंजुमन जमात रजाए मुस्तफा, बनारस}

DAV PG College : NSS स्वयंसेवकों ने गंगा निर्मलीकरण को निकाली रैली

फिट इण्डिया के लिए लगाई गई दौड़




Mohd Rizwan 

Varanasi (dil India live)। डीएवी पीजी कॉलेज के राष्ट्रीय सेवा योजना की विभिन्न इकाईयों द्वारा चल रहे सप्ताहव्यापी शिविर के अंतर्गत मंगलवार को चौथे दिन विविध आयोजन हुए। ईकाई बी में कार्यक्रम अधिकारी डॉ. ओमप्रकाश कुमार के नेतृत्व में फिट इण्डिया मैराथन का आयोजन हुआ। कंचनपुर स्थित पार्क एवं व्यायामशाला में मैराथन दौड़ का आयोजन हुआ जिसमें 50 से अधिक स्वयंसेवकों ने भाग लिया। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि डीएवी के शारीरिक शिक्षा विभागाध्यक्ष प्रो. मीनू लाकड़ा रही, जिन्होंने सबको फिट इंडिया मुहिम के बारे में बताया। वहीं इकाई ई एवं एच के स्वयंसेवकों ने कार्यक्रम अधिकारी डॉ. ऋचा गुप्ता एवं डॉ. प्रियंका बहल के निर्देशन में दुर्गाकुण्ड स्थित मणि मंदिर एवं बाग की साफ सफाई की। इस मौके पर काशी हिंदू विश्वविद्यालय के केंद्रीय पुस्तकालय के अधिकारी एवं हास्य कवि डॉ. अजय श्रीवास्तव 'चकाचक ज्ञानपुरी' ने स्वयंसेवकों से संवाद किया। 

इसके अलावा कार्यक्रम अधिकारी डॉ. राजेश कुमार झा, डॉ. दीपक कुमार शर्मा एवं डॉ. मनीषा सिंह के नेतृत्व में यूनिट जी, एफ एवं सी के स्वयंसेवकों ने गंगा निर्मलीकरण के लिए विशाल गंगा स्वच्छता रैली तुलसी घाट से शिवाला घाट तक निकाली। इसके बाद स्वयंसेवक शिवाला घाट स्थित मदर टेरेसा आश्रम पहुँचकर उन्हें दैनिक उपयोग की वस्तुएं भेंट की। इस मौके पर मुख्य अतिथि शिक्षाविद डॉ. गंगाधर मिश्र ने भारतीय संस्कृति परम्परा एवं गंगा नदी के महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला।

अल्लहमदुलिल्लाह, यहां तो अभी से ही सारे नमाज़ी बैठ गये एतेकाफ पर

पूरे महीने का एतेकाफ यहां रख रहे हैं रोजेदार 

Varanasi (dil india live). रमजान की खास इबादतों में शामिल "एतेकाफ" अमूमन रमजान के आखिरी अशरे में रहा जाता है मगर नबी ने कई बार पूरा रमजान यानी 30 दिन एतेकाफ किया था। नबी कि इसी सुन्नतों पर अमल करते हुए दावते इस्लामी इंडिया के मेंबर्स मस्जिद कंकडियाबीर में पूरे रमजान एतेकाफ पर बैठ रहे हैं। इस बार भी दावते इस्लामी इंडिया के मेम्बर्स एतेकाफ पर बैठ गए हैं। पूरी मस्जिद इबादतगुजारो से भरी हुई है। एक साथ इबादत, एक साथ पंचवक्ता नमाज जमात से अदा करना व एक साथ रोज़ा इफ्तार के साथ ही देश दुनिया में अमन और मिल्लत के लिए दुआएं करने का नजारा यहां देखते ही बनता है। दावते इस्लामी इंडिया के डा. साजिद अत्तारी बताते हैं कि हर साल दावते इस्लामी इंडिया के लोग एक साथ पहले रमजान से एतेकाफ पर बैठ जाते हैं और जब ईद का चांद होता है तो एतेकाफ पूरा करके अपने घरों को लौटते हैं।

क्या है एतेकाफ

एतेकाफ सुन्नते कैफाया है। एतेकाफ का लफ्ज़ी मायने, अल्लाह की इबादत में बैठना या खुद को अल्लाह की इबादत के लिए वक्फ कर देना है। 20 रमज़ान से ईद का चांद होने तक मोमिनीन मस्जिद में खुद को अल्लाह के लिए वक्फ कर देते है। इसी इबादत का नाम एतेकाफ है। मगर दावते इस्लामी इंडिया के मेम्बर्स एक रमज़ान से एतेकाफ पर हैं।

एतेकाफ सुन्नते कैफाया

एतेकाफ सुन्नते कैफाया है, यानी मुहल्ले का कोई एक भी बैठ गया तो पूरा मुहल्ला बरी हो गया अगर किसी ने नहीं रखा तो पूरा मुहल्ला गुनाहगार होगा और पूरे मोहल्ले पर अज़ाब नाज़िल होगा। 

सोमवार, 3 मार्च 2025

VKM Varanasi का सात दिवसीय एनएसएस शिविर शुरू

राष्ट्र केवल एक क्षेत्र या लोगों का समूह नहीं है; यह साझी संस्कृति विरासत और मूल्यों से बंधी इकाई-डॉ. कृष्णानंद



Varanasi (dil India live). वसंत कन्या महाविद्यालय वाराणसी द्वारा सात दिवसीय विशेष एनएसएस शिविर का आयोजन राजकीय प्राथमिक विद्यालय, छित्तूपुर खास, बीएचयू में किया गया। पहले दिन आत्म-अनुशासन, स्वस्थ जीवन शैली प्रशिक्षण, स्वास्थ्य और राष्ट्र निर्माण के लिए मूल्यवान पाठों से भरा था। डॉ. शशि प्रभा कश्यप (कार्यक्रम अधिकारी, एनएसएस, यूएनआई: 014 ए) ने अनुशासन और आत्म-देखभाल के महत्व पर प्रकाश डाला। स्वास्थ्य और करियर पर योग के प्रभाव के बारे में अपना व्यक्तिगत अनुभव उन्होंने साझा किया। उन्होंने स्वयंसेवकों को समग्र विकास के लिए मानसिक स्वास्थ्य को जिम्मेदारियों के साथ संतुलित करने के लिए प्रोत्साहित किया। इसके बाद सत्र की शुरुआत "दैनिक जीवन में बुनियादी योग अभ्यास" विषय से हुई। अतिथि वक्ता योग साधना केंद्र, मालवीय भवन, बीएचयू के वरिष्ठ योग प्रशिक्षक डॉ. योगेश कुमार भट्ट ने योग मंत्र से व्याख्यान शुरू किया और अनुशासित जीवन शैली, उचित नींद और पोषण पर जोर दिया। उन्होंने चक्रासन, भुजंगासन, वज्रासन, मंडूकासन और उष्ट्रासन जैसे कुछ प्रमुख आसनों का प्रदर्शन किया और शरीर के लचीलेपन, पाचन, स्वास्थ्य और तनाव से राहत में उनके लाभ और भूमिका के बारे में भी बताया। उन्होंने साइनस के प्राकृतिक उपचार (नाक के मार्ग में तिल का तेल लगाना) के बारे में भी बताया और पीसीओडी और हार्मोनल असंतुलन को संबोधित किया, हार्मोनल विनियमन और तनाव में कमी में योग की भूमिका पर प्रकाश डाला। स्वयंसेवकों को उनका मुख्य संदेश था "दूध पिएं, व्यायाम करें, अपना कर्म करें और अपनी भावनाओं को नियंत्रित करें।" ध्यान बढ़ाने और चिंता को कम करने के लिए ध्यान तकनीकों के साथ सत्र का समापन हुआ।

लंच ब्रेक के बाद दूसरा सत्र दोपहर 2:00 बजे शुरू हुआ। सत्र की शुरुआत "मेरा भारत आउटरीच कार्यक्रम" विषय से हुई। अतिथि वक्ता एसवीडीवी, बीएचयू  डॉ. कृष्णानंद ने भारत के सांस्कृतिक मूल्यों और राष्ट्र निर्माण में युवाओं की भूमिका और राष्ट्रीय सेवा योजना के बारे में बताया। उन्होंने मेरा युवा भारत पोर्टल के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि मेरा भारत पोर्टल युवाओं को नेतृत्व कौशल विकास और स्वयंसेवा के अवसरों में सशक्त बनाता है। उन्होंने मदन मोहन मालवीय को उद्धृत करते हुए कहा, "एक राष्ट्र केवल एक क्षेत्र या लोगों का समूह नहीं है; यह साझा संस्कृति, विरासत और मूल्यों से बंधा एक इकाई है।" इसके अतिरिक्त, उन्होंने स्वयंसेवकों को पंजीकरण के लिए मार्गदर्शन किया और अपने करियर की संभावनाओं को बढ़ाने के लिए माई भारत पोर्टल पर एक पेशेवर सीवी बनाने के बारे में बात की। निष्कर्ष में यह कहा जा सकता है कि पहले दिन एनएसएस शिविर के लिए एक मजबूत नींव रखी गई, जिसमें योग के माध्यम से आत्म-अनुशासन और सक्रिय भागीदारी के माध्यम से राष्ट्रीय सेवा का संयोजन किया गया। स्वयंसेवक अपने व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन में इन पाठों को लागू करने के लिए प्रेरित प्रेरित हुए। आज के सत्य दिवसीय शिविर में चितरपुर ग्राम की पार्षद,  विद्यालय की प्राचार्या के साथ-साथ अन्य शिक्षिकाएं तथा 50 स्वयं सेविकाएं मौजूद थी। कार्यक्रम का संचालन राष्ट्रीय सेवा योजना की स्वयंसेवी का अनुकृति के द्वारा किया गया। तथा धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम अधिकारी डॉक्टर शशी प्रभा कश्यप के द्वारा किया गया। शिविर का समापन राष्ट्रगान के साथ किया गया।

bharat में महिलाएं वैदिक काल से ही सशक्त- प्रो. कल्पलता पांडेय

फेमिनिस्ट रिसर्च में प्रामाणिकता पर दिया गया कार्यशाला में जोर


Varanasi (dil India live). वसंत कन्या महाविद्यालय, कमच्छा वाराणसी में 3 से 9 मार्च  तक फेमिनिस्ट रिसर्च मेथोडोलॉजी पर एक कार्यशाला का आगाज़ किया गया। इस कार्यशाला का उद्देश्य छात्राओं को नारीवाद के बारे में जागरूक करना, इसकी विभिन्न शोध पद्धतियों को समझाना और फेमिनिस्ट रिसर्च के दौरान अनुसंधान की नैतिकता से अवगत कराना है।

कार्यशाला के उद्घाटन सत्र की शुरुआत महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो. रचना श्रीवास्तव की अगुवाई में हुआ। उन्होंने अतिथियों का उत्साहपूर्वक स्वागत किया और कहा कि ऐसी कार्यशालाएँ छात्राओं के लिए अत्यंत लाभकारी और महत्वपूर्ण होती हैं, जिससे वे इस विषय की जटिलताओं को समझ सकें।

उद्घाटन सत्र की मुख्य वक्ता प्रो. कल्पलता पांडेय, (पूर्व कुलपति, जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय, बलिया) थीं। उन्होंने नारीवाद के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि फेमिनिस्ट रिसर्च में प्रामाणिकता होनी चाहिए। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि फेमिनिस्ट रिसर्च मेथोडोलॉजी वास्तव में एक पश्चिमी अवधारणा है। उनके अनुसार, भारत में महिलाएँ वैदिक काल से ही सशक्त रही हैं, इसलिए किसी नारीवादी आंदोलन की आवश्यकता नहीं है। बस, उन्हें उनके अधिकार और सशक्तिकरण को याद दिलाने की जरूरत है। उन्होंने यह भी कहा कि सशक्तिकरण शक्ति और भावनात्मक बुद्धिमत्ता के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है।


द्वितीय सत्र की मुख्य वक्ता प्रो. चंद्रकला पडिया मैडम थीं। उन्होंने कहा कि इतिहास में हमेशा पुरुषत्व (मास्कुलिन) को महत्व दिया गया है, न कि फेमिनिन को, जो उचित नहीं है। उन्होंने समानता की परिभाषा को चुनौती देते हुए कहा कि फेमिनिस्ट रिसर्च में गुणात्मक (क्वालिटेटिव) और सहभागी (पार्टिसिपेटरी) अनुसंधान अत्यंत आवश्यक है। साथ ही, उन्होंने फेमिनिस्ट रिसर्च में रिफ्लेक्सिविटी (आत्मविश्लेषण) और पारदर्शिता के महत्व पर भी जोर दिया।

कार्यक्रम का संचालन डॉ. प्रतिमा सिंह ने किया। विषय प्रवर्तन कार्यशाला की संयोजिका डॉ अनुराधा बापुली ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन सह-संयोजिका डॉ सिमरन सेठ ने किया। इस अवसर पर प्रो. सीमा वर्मा, डॉ. आरती चौधरी, डॉ. सरोज उपाध्याय, डॉ. पूनम वर्मा सहित अन्य समिति सदस्य एवं संकाय सदस्य उपस्थित रहे।

Ramzan mubarak (2) नबी और उनके घराने वालों का रोज़ा

रमज़ान का रोज़ा, सब्र और उम्मत की देखिए मोहब्बत 

Varanasi (dil India live). हजरत अली के घर में सभी ने रोजा रखा। हजरत फातिमा ने भी रोजा रखा, दो बच्चे है उनके अभी छोटे है पर रोजा रखा हुआ है। मगरिब का वक़्त होने वाला है, इफ्तारी का वक़्त है, सभी मुसल्ला बिछा कर रो-रोकर दुआ मांगते हैं। हजरत फातिमा दुआ खत्म करके घर में गयी और चार (4) रोटी लायी, इससे ज्यादा उनके घर में अनाज नही है। हजरत फातिमा चार रोटी लाती है। पहली रोटी अपने शौहर हज़रत अली के सामने रख दी। दूसरी रोटी अपने बड़े बेटे हसन के सामने। तीसरी रोटी छोटे बेटे हुसैन के सामने रख दी और एक रोटी खुद रख ली। 

मस्जिद-ए-नबवी में अज़ान हो गयी, सभी ने रोजा खोला, सभी ने रोटी खाई। मगर दोस्तो...अल्लाह की कसम वो फातिमा थी जिसने आधी रोटी खाई ओर आधी रोटी को दुपट्टे से बांधना शुरू कर दिया। हजरत अली ने यह देखा और कहा के फातिमा तुझे भूख नहीं लगी, एक ही तो रोटी है उसमे से आधी रोटी दुपट्टे में बांध रही हो? फातिमा ने कहा। जी, हो सकता है मेरे बाबा जान (नबी पाक) को इफ्तारी में कुछ ना मिला हो, वो बेटी कैसे खायगी जिसके बाप ने कुछ खाया नही होगा?

फातिमा दुपट्टे में रोटी बांध कर चल पड़ी है उधर हमारे नबी मगरिब की नमाज़ पढ़ा कर आ रहे हैं हजरत फातिमा दरवाजे पर है देखकर हुजूर कहते हैं ऐ फातिमा तुम दरवाजे पर कैसे, फातिमा ने कहा ए अल्लाह के रसूल अंदर तो चले। हज़रत फातिमा की आंखों में आंसू थे, कहा जब इफ्तार की रोटी खाई तो आपकी याद आ गयी कि शायद आपने खाया नहीं होगा इसलिए आधी रोटी दुपट्टे से बांध कर लाई हूँ।

रोटी देखकर हमारे नबी की आंखों में आंसू आ गए और कहा, ए फातिमा अच्छा किया जो रोटी ले आई वरना चौथी रात भी तेरे बाबा की इसी हालात में निकल जाती। दोनों एक दूसरे को देखकर रोने लगते हैं। अल्लाह के रसूल ने रोटी मांगी, फातिमा ने कहा बाबा जान आज अपने हाथों से रोटी खिलाऊंगी और चौड़े चोड़े टुकड़े किये और हुजूर को खिलाने लगी। रोटी खत्म हो गयी और हजरत फातिमा रोने लगती है। हुजूर पाक ने देखा और कहा के फातिमा अब क्यों रोती हो? कहा अब्बा जान कल क्या होगा? कल कौन खिलाने आयेगा? कल क्या मेरे घर में चुहला जलेगा ? कल क्या आपके घर में चुहला जलेगा? नबी ने अपना प्यारा हाथ फातिमा के सर पर रखा और कहा कि फातिमा तू भी सब्र करले और मैं भी सब्र करता हूँ। हमारे सब्र से अल्लाह उम्मत के गुनाहगारों के गुनाह माफ करेगा।

अल्लाह हो अकबर ये होती है मोहब्बत जो नबी को हमसे थी, उम्मत से थी। ये गुनाहगार उम्मती हम ही है जिनके लिए हमारे नबी भूखे रहे, नबी की बेटी भूखी रही! और आज हम लोग क्या कर रहे हैं, उनके लिए। कल कयामत के दिन मैं ओर आप क्या जवाब देंगे? अब भी वक्त है पूरे रमज़ान रब से दुआएं करें, वो जो दे दे उसमें गुजारा करें और रब का शुक्र अदा करें। 

Ramzan ka 8 roza मुकम्मल, मंगल को पूरा होगा अशरा

मस्जिद बुद्धू छैला समेत कई मस्जिदों में तरावीह मुकम्मल  मोहम्मद रिजवान  Varanasi (dil India live). मुक़द्दस रमजान का पहला अशरा रहमतों का अपन...