शुक्रवार, 7 मार्च 2025

7 दिनी NSS camp के 5 वें दिन हुई निःशुल्क नेत्र जांच

ग्रामीणों को निःशुल्क नेत्र जांच कर दिया गया परामर्श


Varanasi (dil India live). वाराणसी के चित्तूपुर खास गांव में पंचायत भवन मे 07 March को निशुल्क नेत्र जांच शिविर का आयोजन किया गया। उमा प्रेम नेत्रालय, चितईपुर के ऑप्टोमेट्रिस्ट की टीम द्वारा इस शिविर में सैकड़ों ग्रामीणों की निशुल्क नेत्र जांच और परामर्श दिया गया। शिविर का आयोजन एनएसएस की चल रही सामुदायिक सेवा पहल के तहत वसंत कन्या महाविद्यालय, कमच्छा, वाराणसी की एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी डॉ. शशि प्रभा कश्यप द्वारा किया गया था।           


इस कार्यक्रम का उद्देश्य नेत्र स्वास्थ्य जागरूकता को बढ़ावा देना और ग्रामीण आबादी को सुलभ नेत्र देखभाल सेवाएं प्रदान करना था।  डॉ. अरुण गुप्ता के नेतृत्व में ऑप्टोमेट्रिस्ट की टीम ने पूरी तरह से आंखों की जांच की, जिसमें दृश्य तीक्ष्णता परीक्षण, अपवर्तन परीक्षण और रेटिना स्कैन शामिल थे। दृष्टि संबंधी समस्याओं वाले मरीजों को मुफ्त चश्मा प्रदान किया गया, जबकि आगे के उपचार की आवश्यकता वाले लोगों को अनुवर्ती देखभाल के लिए उमाप्रेम नेत्रालय में भेजा गया। डॉ. शशि प्रभा कश्यप ने उमाप्रेम नेत्रालय की टीम को उनके समर्थन और विशेषज्ञता के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा, "नेत्र जांच शिविर एक बड़ी सफलता थी, और हम समुदाय को यह आवश्यक सेवा प्रदान करने में सक्षम होने पर गर्व महसूस कर रहे हैं।" इस कार्यक्रम को ग्रामीणों ने खूब सराहा, जिन्होंने मुफ्त नेत्र देखभाल सेवाएं प्राप्त करने के अवसर की सराहना की। शिविर से स्थानीय आबादी के नेत्र स्वास्थ्य और कल्याण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ने की उम्मीद है। इस नेत्र जांच शिविर में 50 एनएसएस स्वयंसेवक, शिक्षक और प्राथमिक विद्यालय के छात्र और स्थानीय ग्रामीण लाभान्वित हुए। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ।

Mukhaddas Ramzan के पहले जुमे को मस्जिदों में माहौल दिखा नूरानी

या रब हम सबको पांचों वक्त का नमाज़ी बना दे...आमीन

जुमे की नमाज में अमन और मिल्लत की गूंजीं सदाएं

मोहम्मद रिजवान 

Varanasi (dil India live). मुक़द्दस रमजान के पहले जुमे (7 मार्च) को मस्जिदों में नमाजियों का जहां हुजूम उमड़ा वहीं मस्जिदों का माहौल नूरानी नज़र आया। इस दौरान लोगों ने रब से दुआएं मांगी। इस साल रमजान में कुल चार जुमा पड़ेगा, जिनमें पहला जुमा आज है। इस्लाम में जुमे के दिन को छोटी ईद के तौर पर माना जाता है और रमजान के महीने में इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। इस दिन मस्जिदों में विशेष जुमे की नमाज अदा की जाती है और लोगों ने एक-दूसरे से मुसाफा कर जुमे की मुबारकबाद दी। मस्जिद लाटशाही में हाफ़िज़ हबीबुर्रहमान ने नमाज़ के पहले तकरीर कर रमज़ान की जहां फजीलत बयां किया वहीं नमाजे जुमा के बाद दुआ में उन्होंने रब मुल्क में अमन मिल्लत और रोज़गार में तरक्की के साथ ही से नमाजियों को पांचों वक्त का नमाज़ी बनाएं जाने की रब से दुआएं मांगी। ऐसे ही मस्जिद याकूब शहीद, मस्जिद अलकुरैश, शाही मुगलिया मस्जिद बादशाह बाग, शिया जामा मस्जिद दारानगर, मस्जिद लंगडे हाफिज, मस्जिद ज्ञानवापी, मस्जिद उल्फत बीबी, मस्जिद कम्मू खां, जामा मस्जिद नदेसर, मस्जिद दायम खां, मस्जिद हबीबीया गौरीगंज, मस्जिद नयी बस्ती, मस्जिद खाकी शाह बाबा, मस्जिद बुलाकी शहीद, मस्जिद बाबा फरीद, मस्जिद ढाई कंगूरा, मस्जिद अस्तबल शिवाला, मस्जिद जलालीपुरा, मस्जिद लाट सरैया, मस्जिद शक्कर तालाब, मस्जिद सुग्गा गडही आदि मस्जिदों में जुमे की नमाज अकीदत के साथ अदा की गई।

Ramzan mubarak (6) सब्र व एखलाक में नरमी सिखाता है रमजान

रमज़ान दूसरे मज़हब के साथ मिल्लत का देता है पैग़ाम 

Varanasi (dil India live) मुकद्दस रमज़ान हमें सब्र करने के साथ ही अपने एखलाक में नरमी की सीख भी देता है। रमज़ान दूसरे मज़हब के साथ मिल्लत का पैगाम देता है। इसकी वजह यह है कि एक रोज़ेदार को रमज़ान में अल्लाह ने हर उस काम से बचने का हुक्म दिया है, जिसकी इजाज़त शरीयत और इंसानियत नहीं देती। इसी के चलते 12 महीनों में इस एक महीने का अपना अलग मुकाम है। रमज़ान इबादत और अदब का महीना तो है ही साथ ही इस पूरे महीने एक रोज़ेदार नफ्स पर कंट्रोल के साथ ही बेशुमार इबादत करते हुए तमाम तरह का सब्र अख्तियार करता है। मेरे प्यारे नबी (स.) ने फरमाया है कि ये महीना सब्र का है और सब्र का बदला जन्नत है। रमज़ान में मासूम बच्चों व नौकरों से ज्यादा मेहनत व कड़े काम न लो, यह महीना इबादत और अदब व एहतराम का भी महीना है। इस महीने में अल्लाह के रसूल का हुक्म है कि रमज़ान आते ही बंदियों को रिहा कर दो। इस महीने में झगड़ा और फसाद को सख्ती से मना फरमाया गया है। इसलिए मोमिनीन को चाहिए कि मारपीट, बहस, लड़ाई-झगड़ा छोड़कर अमन और मिल्लत की नज़ीर पेश करें। जैसा हमारा रब चाहता है हमारे नबी (स.) चाहते हैं। रोज़ेदार रमज़ान का रोज़ा रख कर जहां ज़ाति तौर पर अपनी इस्लाह करता है वहीं वो एक अच्छा समाज भी बनाता है। ऐसे तो हर महीने हर दिन हर घंटे इंसान को पड़ोसियों के साथ, दूसरे मज़हब के साथ नरमी का हुक्म है मगर रमज़ान में खुसूसियत के साथ एक परिवार दूसरे परिवार का हक अदा करे, पड़ोसी मुसलमान हो या हिन्दू या दूसरे मजहब का उसके साथ नरमी बरती जाए। यूं तो हर दिन झगड़ा करना हराम करार दिया गया है। मगर इस बरकत वाले महीने की बरकत हासिल करने के लिए पूरे महीने रोज़दार को अपनी उन हरकतों से बचना चाहिए जिससे दूसरों को तकलीफ पहुंचती हो। यह महीना बक्शीश का महीना है। इसलिए बंदों को चाहिए कि अल्लाह और उसके रसूल से अपने तमाम गुनाहों के लिए रो-रोकर माफी मांगे। देर रात तक खूब इबादत करे। गरीबों, मिसकीनों व पड़ोसियों का हक अदा करें।

ऐ परवरदिगार तू नबी-ए-करीम के सदके में हम सबको रोज़ा रखने, इबादत करने की तौफीक दे, ताकि हम सबकी जिन्दगी कामयाब हो जाये.. आमीन।

           

मो. शाहिद खां
{सदर, हिन्दुस्तानी तहज़ीब वाराणसी}

इस्लामिक मामलों के जानकार मास्टर शमीम नहीं रहे

नगीने वाली मस्जिद के पास होगी जनाजे की नमाज़ 

वाराणसी। मरहूम अब्दुल करीम खान के बेटे नगर के प्रतिष्ठित शख्सियत इस्लामिक मामलों के जानकार हाजी मास्टर शमीम अहमद का रेवड़ी तालाब में इंतकाल हो गया है, उनके जनाजे की नमाज़ जुमा की नमाज के बाद नगीनेवाली मस्जिद के पास मैदान में होगी। रेवड़ी तालाब में ही आबाई कब्रिस्तान में उन्हें सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा। पेशे से शिक्षक मास्टर शमीम साहब सामाजिक और धार्मिक मामलों के बड़े जानकारों में शुमार थे। उनके इंतकाल से समाज की एक बड़ी क्षति हुई है जिसकी भरपाई मुश्किल है।

गुरुवार, 6 मार्च 2025

Masjid al-quresh समेत कई जगहों पर तरावीह पूरी

ककरमत्ता में खुशनुमा माहौल में तरावीह मुकम्मल



 

Mohd Rizwan 

Varanasi (dil India live)। मस्जिद अल कुरैश समेत कई जगहों पर नमाजे तरावीह जुमेरात को मुकम्मल हुई। मस्जिद अल कुरैश में मुफ्ती अब्दुल हन्नान साहब की मौजूदगी में हाफिज मोहम्मद इरफान ने नमाजे तरावीह मुकम्मल करायी। जैसे ही तरावीह खत्म हुई तमाम लोगों ने हाफ़िज़ साहब को फूल मालाओं से लाद कर जोरदार खैरमकदम किया। 

ककरमत्ता में नमाजे तरावीह

हाफ़िजे कुरान मोहसिन साहब ने अपने ककरमत्ता उत्तरी में मुराद साहब के दौलतखाने पर पांच रमज़ान को तरा़वीह खत्म करायी। इस दौरान हाफिजे़ कुरान हमीद, मोहम्मद मुराद, यासीन सिद्दीकी, मुहम्मद नसरुल्ला, शिब्बू, शाद के समेत काफी लोंगों ने हाफिजे कुरान का ज़ोरदार खैरमकदम किया। 

सड़क सुरक्षा जागरूकता कार्यक्रम से रुबरु हुई वीकेएम की छात्राएं

सड़क दुघर्टना में उत्तर प्रदेश देश में पहले नंबर पर

सात दिनी विशेष एनएसएस शिविर का चौथा दिन 





Varanasi (dil India live). बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू), वाराणसी के प्राथमिक विद्यालय छित्तूपुर खास में सड़क सुरक्षा जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। वसंत कन्या महाविद्यालय, कमच्छा, वाराणसी की एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी डॉ. शशि प्रभा कश्यप की अगुवाई में आयोजित इस कार्यक्रम का उद्देश्य छात्राओं और स्थानीय लोगों को सड़क सुरक्षा और जिम्मेदार ड्राइविंग के महत्व के बारे में शिक्षित करना था। 

कार्यक्रम की शुरुआत एनएसएस ताली, थीम गीत और हम होंगे कामयाब गीत के साथ अतिथि वक्ता का स्वागत करने के बाद की गई। इस दौरान सड़क सुरक्षा जागरूकता पर पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता भी हुई। ट्रैफिक सब-इंस्पेक्टर, पुलिस ट्रैफिक कमिश्नरेट, वाराणसी देवानंद बरनवाल कार्यक्रम के अतिथि वक्ता थे। उन्होंने सुरक्षित ड्राइविंग प्रथाओं, यातायात नियमों और लापरवाह ड्राइविंग के परिणामों पर बहुमूल्य जानकारी साझा की। उन्होंने वर्तमान सड़क दुर्घटना के आंकड़ों के बारे में बात की, दुनिया भर में: प्रति दिन 3,700 सड़क दुर्घटना मौतें, भारत में प्रति दिन 422 सड़क मौतें, सबसे अधिक प्रभावित आयु समूह: 16-45 वर्ष बताया। राज्यवार आंकड़ों में उत्तर प्रदेश (यूपी) पहले स्थान पर है जबकि एमपी दूसरे स्थान पर है और सड़क सुरक्षा के लिए कानूनी ढांचा। कुछ महत्वपूर्ण कानूनों के बारे में उन्होंने चर्चा की, जैसे भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), मोटर वाहन अधिनियम (एमवी अधिनियम) - सड़क सुरक्षा नियमों और दंड को नियंत्रित करता है, एमवी अधिनियम में संशोधन, बढ़ी हुई जुर्माना राशि और दंड। उन्होंने कहा कि स्कूल वाहन चालकों के पास कम से कम 5 साल का ड्राइविंग अनुभव होना चाहिए।  

उन्होंने हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट (एचएसआरपी), एचएसआरपी न होने पर जुर्माना, सड़क संकेत और जागरूकता, गति और हेलमेट विनियम, गुड सेमेरिटन कानून - धारा 134 (ए) प्रक्रिया और गोल्डन ऑवर (दुर्घटना के 1 घंटे के भीतर) में मदद करने पर किसी व्यक्ति को दिए जाने वाले पुरस्कार और यातायात नियम और दंड के बारे में भी बात की।

सुरक्षित ड्राइविंग के लिए संकेतों का ज्ञान आवश्यक

 सुरक्षित ड्राइविंग के लिए सड़क संकेतों का उचित ज्ञान आवश्यक है। उन्होंने सड़क सुरक्षा के लिए डिजिटल समाधान, डिजी लॉकर और एमपरिवहन ऐप पर भी जानकारी दी। एनएसएस स्वयंसेवकों में से एक, शिखा पटेल को दुर्लभ "गिव वे" संकेत की पहचान करने के लिए पदक मिला - जहां मुख्य सड़क यातायात लिंक सड़क यातायात को रास्ता देता है - एक अवधारणा जिसे  छात्र पहचानने में विफल रहे। अंत में इस नोट के साथ सत्र समाप्त हुआ कि सड़क सुरक्षा स्वयं और दूसरों के प्रति हमारी सचेत और सामूहिक जिम्मेदारी होनी चाहिए।

दर्शकों ने इंटरैक्टिव सत्र में सक्रिय रूप से भाग लिया, सवाल पूछे और सड़क सुरक्षा के विभिन्न पहलुओं पर स्पष्टीकरण मांगा।  एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी डॉ. शशि प्रभा कश्यप ने दर्शकों के साथ अपनी विशेषज्ञता साझा करने के लिए देवानंद बरनवाल के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा, "कार्यक्रम बहुत सफल रहा और हमें उम्मीद है कि यह हमारे स्वयंसेवकों, स्कूली छात्रों, शिक्षकों और स्थानीय लोगों को सुरक्षित ड्राइविंग प्रथाओं को अपनाने और अपने समुदायों में सड़क सुरक्षा जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित करेगा।" 

सड़क सुरक्षा पर निकली रैली

दोपहर के भोजन के बाद कार्यक्रम का दूसरा सत्र शुरू हुआ। इस सत्र में सड़क सुरक्षा पर आधारित एक रैली सुरक्षा नियमों के बारे में जागरूकता के लिए चित्तूपुर के गांव और सड़क से होते हुए विश्वनाथ मंदिर, बीएचयू तक गई। सड़क सुरक्षा जागरूकता कार्यक्रम वसंत कन्या महाविद्यालय, कमच्छा, वाराणसी की एनएसएस इकाई द्वारा छात्रों और स्थानीय लोगों के बीच सामाजिक जागरूकता और सामुदायिक सेवा को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई पहलों की श्रृंखला का हिस्सा था। इस जागरूकता कार्यक्रम में 50 एनएसएस स्वयंसेवक, प्रधानाचार्य, शिक्षक, प्राथमिक विद्यालय के छात्र, स्थानीय लोग शामिल हुए। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ।

Quran, mukammal, तरावीह पूरे रमज़ान भर पढ़ना जरूरी

मस्जिद बारादरी में पांच दिन की तरावीह हुई मुकम्मल


Varanasi (dil India live)। रमजान के पवित्र महीने में बनारस के सभी मस्जिदों में तरावीह की नमाज मुकम्मल होनी शुरू हो गई है। इस मौके पर पार्षद हाजी ओकास अंसारी ने बताया की बुनकर बिरादरना तंजीम बाइसी के सरदार हाजी हाफिज मोइनुद्दीन की सदारत में मोहल्ला नक्खीघाट स्थित मस्जिद बारादरी में पांच दिन की तरावीह की नमाज खत्म हुई। इस मस्जिद में तरावीह की नमाज हाफिज मोहम्मद आसिफ जैसे ही मुकम्मल की तमाम लोगों ने उनका जोरदार खैरमकदम किया। इस दौरान सैकड़ों की तादाद में लोगों ने नमाज अदा की। सरदार हाफिज मोइनुद्दीन ने इमामे तरावीह को सिर पर साफ़ा बांध कर माला पहना कर उनका जोरदार इस्तेक़बाल किया।

सरदार साहब ने कहा कि कुरान मुकम्मल हो गई है इसका ये मतलब नहीं है कि तरावीह अब नहीं पढ़ना है बल्कि सूरे तरावीह पूरे महीने भर पढ़ना है जब तक ईद का चांद न हो जाए। इस मौके पर मौजूद सरदार दरोगा, पार्षद पति हाजी ओकास अंसारी, बाबूलाल किंग, हाजी सुहैल, पार्षद डा. इम्तियाजुद्दीन, बाबू महतो, शमीम अंसारी, हाजी गुलाब, हाजी हाफिज नसीर, मोहम्मद परवेज,  हाजी यासीन मायिको, हाफिज अनवर, हाफिज अल्ताफ, हाजी अलीम, मास्टर मुमताज, हाजी अजमल, जैनुलआब्दीन, मोहम्मद महबूब सहित सैकड़ों की तादाद में लोग मौजूद थे।

झांसी की रानी कविता स्त्री के शौर्य और बल को करती है रेखांकित

उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान ने मनाया महिला दिवस  Lucknow (dil India live). उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान द्वारा आयोजित एक दिवसीय संगोष्ठी आज 9 मार...