बुधवार, 5 मार्च 2025

तरावीह मुकम्मल होने पर इमामे तरावीह की हुई गुलपोशी

मस्जिदों में तीन और चार दिन की तरावीह हुई मुकम्मल




Varanasi (dil India live). रमजान का मुबारक महीने का पहला अशरा रहमतों का अपनी रफ़्तार में है, इसी के साथ मस्जिदों में तरावीह मुकम्मल होने का सिलसिला भी शुरू हो गया है। मस्जिद लाट सरैया, मदरसा ख़ानम जान व मस्जिद मकदूम शाह बाबा समेत कई जगहों पर तरावीह मुकम्मल हो गई। मदरसा ख़ानम जान अर्दली बाजार में तीन रमज़ान को हाफ़िज़ रमज़ान अली ने जब तरवीह मुकम्मल की तो तमाम लोगों ने उन्हें फूल मालाओं से लाद दिया। इस दौरान लोगों का हुजूम उनसे मुसाफे के लिए बेताब नजर आया।
पार्षद पति हाजी ओकास अंसारी ने बताया कि मस्जिदों में कितने दिनों की तरावीह की नमाजे पढ़ाई जाएंगी वो मस्जिद कमेटियां अपने अपने हिसाब से तरावीह की नमाज का शिड्यूल तय करते है। उसी कड़ी में लाठ मस्जिद सरैया में और मखदूम शाह बाबा की मस्जिद में तीन दिन की तरावीह की नमाज मुकम्मल हुई। इन दोनों मस्जिदों के मतवल्ली बुनकर बिरादराना तंजीम चौदहों के सरदार हाजी मकबूल हसन की अगुवाई में तरावीह पढ़ाई गई। लाट मस्जिद सरैया में हाफिज जुबैर ने और मखदूम शाह बाबा मस्जिद में हाफिज जुनैद अंसारी ने तीन दिन की तरावीह मुकम्मल करायी तो लोग उन्हें मुबारकबाद देते नज़र आएं। काफी लोगों ने उन्हें फूल मालाओं से लाद दिया। तीन दिन की तरावीह की नमाज खत्म होने के बाद नमाजियों ने दोनों हाफिजों को गुलपोशी की और मुबारकबाद दिया। इस मौके पर मौजूद चौदहों के सरदार मकबूल हसन, पार्षद हाजी ओकास अंसारी, पूर्व पार्षद कल्लू भाई, हाजी अब्दुल वहीद, हाजी बैतूल हसन, रिजवान अहमद, सरदार अलीमुद्दीन, हाजी रिजवान, हाजी अब्दुल अजीज, निजामुद्दीन, सरदार गुलाम नबी , अब्दुल रब अंसारी, नेसार, अब्दुल रशीद, सरदार समीम अहमद, साहिल खान, बबलू राईन, अब्दुल  मजीद, मल्लू भाई सहित सैकड़ों लोगो ने तरावीह की नमाज अदा की।

VKM Varanasi में नारीवादी शोध पद्धति कार्यशाला

दूसरे दिन लैंगिक समावेशिता और नारीवादी दृष्टिकोण पर हुआ विमर्श

कार्यशाला में डीएवी पीजी कॉलेज, वाराणसी के राजनीति विज्ञान विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर, डॉ. स्वाति नंदा ने "लैंगिक रूढ़ियों को चुनौती देना एवं लैंगिक समावेशिता को बढ़ावा देना" विषय पर व्याख्यान दिया। डॉ. नंदा ने सामाजिक मानकों पर प्रश्न उठाने, पूर्वाग्रहों को समाप्त करने और शोध तथा दैनिक जीवन में समावेशी दृष्टिकोण अपनाने के महत्व पर जोर दिया।

 


Varanasi (dil India live). वाराणसी के वसंत कन्या महाविद्यालय द्वारा आयोजित "फेमिनिस्ट रिसर्च मेथोडोलॉजी" कार्यशाला के दूसरे दिन प्रतिभागियों को विचारोत्तेजक चर्चाओं और प्रभावशाली दृश्य प्रस्तुतियों के माध्यम से लैंगिक समावेशिता और नारीवादी दृष्टिकोण पर गहन विमर्श में संलग्न किया गया। कार्यशाला में डीएवी पीजी कॉलेज, वाराणसी के राजनीति विज्ञान विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर, डॉ. स्वाति नंदा ने "लैंगिक रूढ़ियों को चुनौती देना एवं लैंगिक समावेशिता को बढ़ावा देना" विषय पर व्याख्यान दिया। डॉ. नंदा ने सामाजिक मानकों पर प्रश्न उठाने, पूर्वाग्रहों को समाप्त करने और शोध तथा दैनिक जीवन में समावेशी दृष्टिकोण अपनाने के महत्व पर जोर दिया। चर्चा को और अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए, डॉ. नंदा ने दो सशक्त लघु फिल्मों का प्रदर्शन किया: आलिया भट्ट की "गोइंग होम" और ईरानी लघु फिल्म "बीइंग ए वुमन इन ईरान"। इन फिल्मों ने महिलाओं की सुरक्षा, स्वायत्तता और पितृसत्तात्मक संरचनाओं में उनके संघर्षों को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया। इसके बाद एक गहन चर्चा सत्र हुआ, जिसमें प्रतिभागियों ने फिल्मों में प्रस्तुत विषयों का नारीवादी शोध के संदर्भ में आलोचनात्मक विश्लेषण किया।

कार्यशाला का संचालन एम.ए. अंतिम वर्ष (राजनीति विज्ञान) की छात्रा, आदिया तिवारी ने किया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. अनुराधा बापुली और कार्यशाला में सह समन्वयक डॉ सिमरन सेठ उपस्थित रहीं।

मंगलवार, 4 मार्च 2025

ज़रूरत पड़ने पर पेशेवर मदद लेना अच्छे मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा

सात दिवसीय विशेष एनएसएस शिविर के दूसरे दिन हुए कई आयोजन 



 


Varanasi (dil India live). वसंत कन्या महाविद्यालय राष्ट्रीय सेवा योजना के यूनिट 014 ए द्वारा प्राथमिक विद्यालय, चित्तूपुर खास, बीएचयू, वाराणसी में "तनाव प्रबंधन और मानसिक स्वास्थ्य" पर अत्यधिक जानकारीपूर्ण सत्र आयोजित किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत एनएसएस क्लैप और "लक्ष्य गीत" के साथ हुई।

यह कार्यक्रम, समग्र कल्याण को बढ़ावा देने पर शिविर के फोकस का हिस्सा है, यह बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के मनोविज्ञान विभाग के सम्मानित अतिथि वक्ता प्रोफेसर संदीप कुमार द्वारा एक समृद्ध सत्र था। सत्र में मानसिक स्वास्थ्य के दबाव वाले मुद्दे का पता लगाने के लिए विभिन्न विषयों के छात्रों को एक साथ लाया गया,  मनोविज्ञानी प्रो. संदीप कुमार ने तनाव को समझने, इसके कारणों और शैक्षणिक तथा व्यक्तिगत जीवन की मांगों से निपटने के लिए प्रभावी रणनीतियों पर बहुमूल्य अंतर्दृष्टि साझा की गई। 

छात्रों को संबोधित करते हुए, प्रो. कुमार ने तनाव के शुरुआती लक्षणों को पहचानने और माइंडफुलनेस, नियमित व्यायाम, समय प्रबंधन और सामाजिक समर्थन जैसे स्वस्थ मुकाबला तंत्र अपनाने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य पर तनाव के प्रभाव के बारे में भी बात की, जिससे चिंता, अवसाद और बर्नआउट जैसी समस्याएं पैदा होती हैं। प्रो. कुमार ने छात्रों को आत्म-करुणा का अभ्यास करने और मानसिक लचीलापन बढ़ाने के लिए एक संतुलित जीवन शैली बनाने के लिए प्रोत्साहित किया।

डॉ. शशि प्रभा कश्यप ने अपने उद्घाटन भाषण में छात्रों की मानसिक भलाई में सुधार और एक सहायक वातावरण को बढ़ावा देने के लिए अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि शिविर न केवल सामुदायिक सेवा प्रदान करने के लिए बल्कि छात्रों द्वारा अपने दैनिक जीवन में सामना की जाने वाली व्यक्तिगत और शैक्षणिक चुनौतियों का समाधान करने के लिए भी डिज़ाइन किया गया था। इंटरेक्टिव सत्र कई लोगों के लिए एक आँख खोलने वाला साबित हुआ, क्योंकि प्रो. कुमार ने प्रतिभागियों को वास्तविक समय में तनाव को संभालने के तरीके को समझने में मदद करने के लिए व्यावहारिक अभ्यास भी किए।

सत्र का समापन प्रश्नोत्तर सत्र के साथ हुआ, जिसमें छात्रों ने सक्रिय रूप से भाग लिया और परीक्षा के दौरान तनाव को प्रबंधित करने और शैक्षणिक दबाव को संतुलित करने के बारे में प्रश्न पूछे। प्रो. कुमार ने इन चिंताओं को संबोधित किया और छात्रों की ज़रूरतों के हिसाब से व्यावहारिक सुझाव दिए। उन्होंने सभी को यह भी याद दिलाया कि ज़रूरत पड़ने पर पेशेवर मदद लेना अच्छे मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। डॉ. शशि प्रभा कश्यप के मार्गदर्शन में आयोजित यह शिविर छात्रों को न केवल समाज सेवा के माध्यम से समाज में योगदान देने के लिए प्रेरित करता है, बल्कि अपने मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण को भी प्राथमिकता देता है।आज के शिविर में विद्यालय की प्राचार्य, के साथ-साथ अन्य शिक्षिकाएं तथा 50 स्वयं सेविकाएं मौजूद थी। कार्यक्रम का संचालन राष्ट्रीय सेवा योजना की स्वयं सेवी का अनुकृति के द्वारा किया गया। तथा धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम अधिकारी डॉक्टर शशी प्रभा कश्यप के द्वारा किया गया। शिविर का समापन राष्ट्रगान के साथ किया गया।

world women's day पर प्रबुद्ध महिला मंच ने किया महिलाओं को सम्मानित

नर्सरी को नई पहचान देने वाली महिला का भी सम्मान

Varanasi (dil India live)। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अंतर्गत आज मंगलवार को काशी प्रबुद्ध महिला मंच ने भेलूपुर स्थित एक होटल में विभिन्न क्षेत्रों में भागीदारी करती मंच की सदस्यों सहित अपनी मेहनत और लगन से एक स्वावलंबी महिला को सम्मानित किया।

कार्यक्रम का शुभारंभ प्रिया अग्रवाल ने गणेश वंदना के साथ किया, तत्पश्चात मंच की अध्यक्षा अंजलि अग्रवाल ने कार्यक्रम की अतिथि रेनू मौर्य जो रामनगर में लक्ष्मी बाग नर्सरी की ओनर है जिन्होने अपनी मेहनत व लगन से नर्सरी को एक नई पहचान दी, उनकी इस उपलब्धियां के लिए उन्हें सम्मानित किया व महिला दिवस की महत्ता के बारे में प्रकाश डाला। संचालिका रेनू कैला ने सभी सदस्यों की उपलब्धियों का परिचय देते हुए कार्यक्रम को आगे बढ़ाया ।

शोभा कपूर व छवि के गायन, ममता जायसवाल, नीतू सिंह व पूनम के काव्य पाठ के साथ नूतन रंजन की मिमिक्री, डॉ शालिनी व रजनी जयसवाल द्वारा दिए गए ब्यूटी टिप्स, रीता अग्रवाल, गीता अग्रवाल, रीता कश्यप द्वारा महिला दिवस पर अपने विचार प्रस्तुत किए गए। ममता तिवारी व चंद्रा शर्मा के महिला दिवस संबंधित गेम व हाउजी का आनंद सभी सदस्यों ने भरपूर उठाया। मंच की सभी सदस्यों को अध्यक्ष ने सम्मानित किया।अन्त मैं सभी सदस्यों ने संकल्प लिया की वह अपने आसपास और घर की सभी महिलाओं व बेटी बहू को आर्थिक व मानसिक रूप में पूरी तरह से सशक्त करें।

Ramzan mubarak (3) नेकी की दावत हो आम

माहे रमज़ान यानी सवाब ही सवाब और बरकतें ही बरकत 

Varanasi (dil India live)। जिस महीने में सवाब ही सवाब और बरकतें ही बरकत अल्लाह बंदे पर निछावर करता है। उस मुकद्दस बेशुमार खूबियों वाले महीने को रमज़ान कहा जाता है। रमज़ान महीने का एक और सुन्नतों भरा तोहफा खुदा ने हमें सहरी के रूप में अता किया है। रोज़े में सहरी का बड़ा सवाब है। सहरी उस गिज़ा को कहते हैं जो सुब्ह सादिक से पहले रोज़ेदार खाता है। सैय्यदना अनस बिन मालिक फरमाते हैं कि ‘‘नबी-ए-करीम (स.) सहरी के वक्त मुझसे फरमाते कि मेरा रोज़ा रखने का इरादा है मुझे कुछ खिलाओ। मैं कुछ खजूरें और एक बर्तन में पानी पेश करता।’ इससे पता यह चला कि सहरी करना बज़ाते खुद सुन्नत है और खजूर व पानी से सहरी करना दूसरी सुन्नत है। नबी ने यहां तक फरमाया कि खजूर बेहतरीन सहरी है। नबी-ए-करीम (स.) इस महीने में सहाबियों को सहरी खाने के लिए खुद आवाज़ देते थे। अल्लाह और उसके रसूल से हमें यही दर्स मिलता है कि सहरी हमारे लिए एक अज़ीम नेमत है। इससे बेशुमार जिस्मानी और रुहानी फायदा हासिल होता है। इसलिए ही इसे मुबारक नाश्ता कहा जाता है। किसी को यह गलतफहमी न हो कि सहरी रोज़े के लिए शर्त है। ऐसा नहीं है सहरी के बिना भी रोज़ा हो सकता है मगर जानबूझ कर सहरी न करना मुनासिब नहीं है क्यों कि इससे रोज़ेदार एक अज़ीम सुन्नत से महरूम हो जायेगा। यह भी याद रहे कि सहरी में खूब डटकर खाना भी जरूरी नहीं है। कुछ खजूर और पानी ही अगर बानियते सहरी इस्तेमाल कर लें तो भी काफी है। रमज़ान वो मुकदद्स महीना है जो लोगों को यह सीख देता है कि जैसे तुमने एक महीना अल्लाह के लिए वक्फ कर दिया सुन्नतों और नफ़्ल पर ग़्ाौर किया, उस पर अमल करते रहे वैसे ही बचे पूरे साल नेकी और पाकीज़गी जारी रखो। नबी-ए-करीम (स.) ने फरमाया ‘‘तीन चीज़ों को अल्लाह रब्बुल इज्ज़त महबूब रखता है। एक इफ्तार में जल्दी, सहरी में ताखीर और नमाज़ के कि़याम में हाथ पर हाथ रखना।’ नबी फरमाते हैं कि इस पाक महीने को जिसने अपना लिया, जो अल्लाह के बताये हुए तरीकों व नबी की सुन्नतों पर चल कर इस महीने में इबादत करेगा उसे जन्नत में खुदावंद करीम आला मुक़ाम अता करेगा। यह महीना नेकी का महीना है। इबादत के साथ ही इस महीने में रोज़ेदार की सेहत दुरुस्त हो जाती है। रोज़ेदार अपनी नफ्स पर कंट्रोल करके बुरे कामों से बचा रहता है। ये महीना नेकी और मोहब्बत का महीना है। इस पाक महीने में जितनी भी इबादत की जाये वो कम है क्यों कि इसका सवाब 70 गुना तक अल्लाहतआला बढ़ा देता है, इसलिए कि रब ने इस महीने को अपना महीना कहा है। ऐ पाक परवरदिगार तू अपने हबीब के सदके में हम सबको रमज़ान की इबादत, नबी की सुन्नतों पर चलने की व रोज़ा रखने की तौफीक अता फरमा..आमीन।

     हाफिज मौलाना शफी अहमद

{सदर, अंजुमन जमात रजाए मुस्तफा, बनारस}

DAV PG College : NSS स्वयंसेवकों ने गंगा निर्मलीकरण को निकाली रैली

फिट इण्डिया के लिए लगाई गई दौड़




Mohd Rizwan 

Varanasi (dil India live)। डीएवी पीजी कॉलेज के राष्ट्रीय सेवा योजना की विभिन्न इकाईयों द्वारा चल रहे सप्ताहव्यापी शिविर के अंतर्गत मंगलवार को चौथे दिन विविध आयोजन हुए। ईकाई बी में कार्यक्रम अधिकारी डॉ. ओमप्रकाश कुमार के नेतृत्व में फिट इण्डिया मैराथन का आयोजन हुआ। कंचनपुर स्थित पार्क एवं व्यायामशाला में मैराथन दौड़ का आयोजन हुआ जिसमें 50 से अधिक स्वयंसेवकों ने भाग लिया। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि डीएवी के शारीरिक शिक्षा विभागाध्यक्ष प्रो. मीनू लाकड़ा रही, जिन्होंने सबको फिट इंडिया मुहिम के बारे में बताया। वहीं इकाई ई एवं एच के स्वयंसेवकों ने कार्यक्रम अधिकारी डॉ. ऋचा गुप्ता एवं डॉ. प्रियंका बहल के निर्देशन में दुर्गाकुण्ड स्थित मणि मंदिर एवं बाग की साफ सफाई की। इस मौके पर काशी हिंदू विश्वविद्यालय के केंद्रीय पुस्तकालय के अधिकारी एवं हास्य कवि डॉ. अजय श्रीवास्तव 'चकाचक ज्ञानपुरी' ने स्वयंसेवकों से संवाद किया। 

इसके अलावा कार्यक्रम अधिकारी डॉ. राजेश कुमार झा, डॉ. दीपक कुमार शर्मा एवं डॉ. मनीषा सिंह के नेतृत्व में यूनिट जी, एफ एवं सी के स्वयंसेवकों ने गंगा निर्मलीकरण के लिए विशाल गंगा स्वच्छता रैली तुलसी घाट से शिवाला घाट तक निकाली। इसके बाद स्वयंसेवक शिवाला घाट स्थित मदर टेरेसा आश्रम पहुँचकर उन्हें दैनिक उपयोग की वस्तुएं भेंट की। इस मौके पर मुख्य अतिथि शिक्षाविद डॉ. गंगाधर मिश्र ने भारतीय संस्कृति परम्परा एवं गंगा नदी के महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला।

अल्लहमदुलिल्लाह, यहां तो अभी से ही सारे नमाज़ी बैठ गये एतेकाफ पर

पूरे महीने का एतेकाफ यहां रख रहे हैं रोजेदार 

Varanasi (dil india live). रमजान की खास इबादतों में शामिल "एतेकाफ" अमूमन रमजान के आखिरी अशरे में रहा जाता है मगर नबी ने कई बार पूरा रमजान यानी 30 दिन एतेकाफ किया था। नबी कि इसी सुन्नतों पर अमल करते हुए दावते इस्लामी इंडिया के मेंबर्स मस्जिद कंकडियाबीर में पूरे रमजान एतेकाफ पर बैठ रहे हैं। इस बार भी दावते इस्लामी इंडिया के मेम्बर्स एतेकाफ पर बैठ गए हैं। पूरी मस्जिद इबादतगुजारो से भरी हुई है। एक साथ इबादत, एक साथ पंचवक्ता नमाज जमात से अदा करना व एक साथ रोज़ा इफ्तार के साथ ही देश दुनिया में अमन और मिल्लत के लिए दुआएं करने का नजारा यहां देखते ही बनता है। दावते इस्लामी इंडिया के डा. साजिद अत्तारी बताते हैं कि हर साल दावते इस्लामी इंडिया के लोग एक साथ पहले रमजान से एतेकाफ पर बैठ जाते हैं और जब ईद का चांद होता है तो एतेकाफ पूरा करके अपने घरों को लौटते हैं।

क्या है एतेकाफ

एतेकाफ सुन्नते कैफाया है। एतेकाफ का लफ्ज़ी मायने, अल्लाह की इबादत में बैठना या खुद को अल्लाह की इबादत के लिए वक्फ कर देना है। 20 रमज़ान से ईद का चांद होने तक मोमिनीन मस्जिद में खुद को अल्लाह के लिए वक्फ कर देते है। इसी इबादत का नाम एतेकाफ है। मगर दावते इस्लामी इंडिया के मेम्बर्स एक रमज़ान से एतेकाफ पर हैं।

एतेकाफ सुन्नते कैफाया

एतेकाफ सुन्नते कैफाया है, यानी मुहल्ले का कोई एक भी बैठ गया तो पूरा मुहल्ला बरी हो गया अगर किसी ने नहीं रखा तो पूरा मुहल्ला गुनाहगार होगा और पूरे मोहल्ले पर अज़ाब नाज़िल होगा। 

Ramzan ka 8 roza मुकम्मल, मंगल को पूरा होगा अशरा

मस्जिद बुद्धू छैला समेत कई मस्जिदों में तरावीह मुकम्मल  मोहम्मद रिजवान  Varanasi (dil India live). मुक़द्दस रमजान का पहला अशरा रहमतों का अपन...