सोमवार, 25 मार्च 2024

नीमा चिकित्सकों ने सामूहिक इफ्तार पार्टी का किया आयोजन

हमें फख्र है के अल्लाह ने हमे Ramadan की नेमत अता की 



Varanasi (dil india live)। नेशनल इंटीग्रेटेड मेडिकल एसोसिएशन (नीमा) वाराणसी के तत्वावधान में शिवपुर स्थित नीमा भवन में सामूहिक रोजा इफ्तार पार्टी का आयोजन किया गया। इसमें बङी संख्या में चिकित्सकों ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर डॉक्टर एम अजहर ने कहा कि रोजा मुसलमानों को रब की तरफ से दिया गया बेशकीमती तोहफा है जो गुनाहगारों की बख्शीश का जरिया है। तमाम मुसलमानो को चाहिए के हम सब इसकी दिल से कद्र करें और अपने रब को राजी करें। अल्लाह का इन्सानों पर बहुत एहसानात हैं। हमें फख्र है के अल्लाह ने हमे ये नेमत अता की ताकि हम सब उसकी नेमतो की कद्र करें। डॉक्टर फैसल रहमान ने कहा कि रोजा सिर्फ भूखे प्यासे रहने का नाम नहीं बल्कि जुबान, निगाह, बदकलामी से बचने का भी नाम है। रोज़ा ये एहसास दिलाता है कि हमे सिर्फ अपना पेट नही देखना है बल्कि गैरों की खुशियों को भी अपनी खुशी में शामिल करना है। तमाम मुसलमानो को चाहिए के अपने आस-पास पङोस मे रहने वाले गरीबों और रिश्तेदारों को भी इफ्तार का सामान मुहैया करायें। हमे चाहिए के हम सब बहैसियत एक मुसलमान होने के सबसे पहले एक अच्छा नेक इन्सान बने तथा रब की नेमतों का उठते बैठते शुक्र अदा करते रहें। इस दौरान अजान की सदाएं गूंजते ही सभी रोजेदारों ने एक साथ रोजा इफ्तार किया। इस मौके पर दस्तरख्वान पर तरह तरह के व्यंजन सजे हुए थे और सभी धर्मों के लोग इकट्ठा थे, इससे वहां गंगा जमुनी तहजीब दिखाई दे रही थी। नीमा भवन में ही मगरिब की नमाज़ अदा कर मुल्क में अमन भाईचारा कायम रहने के लिए अल्लाह से दुआ की गई।

          इस अवसर पर डॉक्टर एम अजहर, डॉक्टर मुहम्मद अरशद, डॉक्टर एस आर सिंह, डॉक्टर फैसल रहमान, डॉक्टर अशफाकुल्लाह, डॉक्टर रियाज अहमद, डॉक्टर एहतेशामुल हक, डॉक्टर विनय पाण्डेय, डॉक्टर सगीर अशरफ, डॉक्टर मुबीन अख्तर, डॉक्टर नसीम अख्तर, डॉक्टर अरुण कुमार गुप्ता, डॉक्टर अरुण सिंह, डॉक्टर मुख्तार अहमद, डॉक्टर आर के यादव, डॉक्टर ए के सिंह, डॉक्टर अनिल गुप्ता, डॉक्टर कैलाश त्रिपाठी, डॉक्टर शलीलेश मालवीय, डॉक्टर रौशन अली, डॉक्टर फिरोज अहमद इत्यादि बडी संख्या में चिकित्सकों की उपस्तिथि थी।

moullana मोहम्मद जमील Varanasi के नये शहर काज़ी बनाए गए





Varanasi (dil india live). शहर काज़ी मौलाना गुलाम यासीन साहब के इंतेकाल से बाद काज़ी‌‌-ए-शहर बनारस का पद खाली हो गया था। उस पद पर मोहददीसे कबीर मौलाना जियाउल मुस्तफा रज़वी क़ादरी साहब ने अशफाकनगर निवासी बनारस के मशहूर उलेमा मौलाना मोहम्मद जमील अहमद को शहर काज़ी बनारस बनाए जाने का ऐलान किया है। यह फैसला बरेली शरीफ के प्रमुख अल्लामा मौलाना मुफ्ती असजद रज़ा खां के हवाले से किया गया हैं। मौलाना जमील साहब के नाम के ऐलान के साथ ही यह उम्मीद भी जताई गई है कि वो पूरे बनारस को साथ लेकर चलेंगे और हक पर रहेंगे। इस दौरान अहले सुनन्त वल जमात खासकर बरेलवी उलेमाओ से अपील की गई है की नए शहर काज़ी के फैसले को माने। 

गौरतलब हो कि देश-दुनिया में मशहूर व मारूफ काजी-ए-शहर बनारस मौलाना मुफ्ती गुलाम यासीन साहब का जुमेरात की शाम मगरिब की नमाज के बाद इंतकाल हो गया था। उनके इंतकाल से समूचे पूर्वांचल खासकर बरेलवी मुस्लिमों में अफसोस की लहर दौड़ गई थी। जुमे की नमाज के बाद उन्हें सुपुर्द-ए-खाक किया गया था। शहर काजी तकरीबन 90 साल के थे। यह भी पता हो कि मौलाना जमील अहमद साहब ने ही पूर्व शहर काजी मौलाना गुलाम यासीन साहब के जनाजे की बजरडीहा में नमाज अदा करायी थी। इसके बाद उन्हे सुपुर्दे खाक किया गया था। मौलाना जमील अहमद एक सुलझे हुए नेक उलेमा में शुमार हैं। बरेलवी विचारधारा में शहर काज़ी बरेली शरीफ के खलीफा बरेली शरीफ दरगाह प्रमुख ही नियुक्त करते हैं। इसके लिए उलेमा की दीनी तालीम और सलाहियत देखी जाती है। पूर्व शहर काज़ी मौलाना मुफ्ती गुलाम यासीन साहब को मुफ्ती ए आज़म हिंद के खलीफा ने शहर काज़ी बनाया था। इस पद के लिए तालीम, सलाहियत और तमाम अच्छाईयां देखी जाती है। जानकार बताते हैं कि आजादी के बाद वो बनारस के पहले शहर काज़ी बने थे। मौलाना जमील दूसरे शहर काज़ी हैं। आज़ादी के पहले हजरत अलवी शहीद, याकूब शहीद, लाट्शाशाही बाबा वगैरह भी अपने अपने दौर के शहर काज़ी थे। 

रोजेदारों के लिए समुद्र की मछलियां करती हैं दुआएं

रोजेदार के मुंह की महक अल्लाह को मुश्क से ज्यादा पसंद है


Varanasi (dil india live )। फरमाने रसूल (स.) है कि रमजान अल्लाह का महीना है और उसका बदला भी रब ही देंगा। यही वजह है कि रमजान का रोज़ा बंदा केवल रब की रज़ा के लिए ही रखता है। रोज़ा वो इबादत है जो दिखाई नहीं देती बल्कि उसका पता या तो रब जानता है या फिर रोज़ा रखने वाला। रमजान में जब एक मोमिन रोज़ा रखने की नियत करता है तो वो खुद ब खुद गुनाहों से बचता दिखायी देता हैं। उसे दूसरों की तकलीफ़ का पता भूखे प्यासे रहकर रोज़ा रखने पर कहीं ज्यादा होता है। रमजान का अन्य महीनों पर फजीलत हासिल है। हजरत अबू हुरैरा (रजि.) के अनुसार रसूल अकरम (स.) ने इरशाद फरमाया, कि माहे रमजान में पांच चीजें विशेष तौर पर दी गयी है, जो पहली उम्मतों को नहीं मिली थी। पहला रोजेदार के मुंह की महक अल्लाह को मुश्क से ज्यादा पसंद है। दूसरे रोजेदार के लिए समुद्र की मछलियां भी दुआ करती हैं और इफ्तार के समय तक दुआ में व्यस्त रहती हैं। तीसरे जन्नत हर दिन उनके लिए आरास्ता की जाती है। अल्लाह फरमाता है कि करीब है कि मेरे नेक बंदे दुनिया की तकलीफेंअपने ऊपर से फेंक कर तेरी तरफ आवें। चौथे इस माह में शैतान कैद कर दिये जाते हैं और पांचवें रमजान की आखिरी रात में रोजेदारों के लिए मगफिरत की जाती है। सहाबा ने अर्ज किया कि शबे मगफिरत शबे कद्र है। फरमाया- नहीं, ये दस्तूर है कि मजदूर का काम खत्म होने के वक्त मजदूरी दी जाती है। हजरत इबादा (रजि) कहते हैं कि एक बार अल्लाह के रसूल (स.) ने रमजान उल मुबारक के करीब इरशाद फरमाया कि रमजान का महीना आ गया है, जो बड़ी बरकतवाला है। हक तआला इसमें तुम्हारी तरफ मुतव्ज्जो होते हैं और अपनी रहमते खास नाजिल फरमाते हैं। गलतियों को माफ फरमाते हैं। दुआ को कबूल करते हैं। बदनसीब है वो लोग जो इस माह में भी अल्लाह की रहमत से महरूम रहे, रोज़ा नहीं रखा, तरावीह नहीं पढ़ी, इबादत में रातों को जागे नहीं। ऐ परवरदिगारे आलम तू अपने हबीब के सदके में हम सबको रमज़ान का रोज़ा रखने की तौफीक अता फरमा...आमीन

               मौलाना साकीबुल कादरी
(इंचार्ज मदरसातुन्नुर, मकबूल आलम रोड, वाराणसी)

मुज़म्मा बनी नन्ही रोज़ेदार


Varanasi (dil india live). मुक़द्दस रमजान शुरू होते ही नन्हे मुन्ने बच्चों द्वारा रोज़ा रखने का सिलसिला जारी है। एक दूसरे की देखा देखी बच्चे रमज़ान का रोज़ा भी रख रहे हैं। ज़ीनतुल इस्लाम गर्ल्स कालेज रेवडीतालाब में दर्जा दो में तालीम ले रही मुज़म्मा आयशा ने भी अब तक पांच रोज़ा मुकम्मल कर लिया है। मोहम्मद शाहिद जमाल की बेटी मुज़म्मा आयशा कहती हैं कि रब की रज़ा के लिए रोज़ा रखा है। उनके वालिदैन को खुशी है की उनके बच्ची नन्ही सी उम्र में ही रोज़ा रखने लगी हैं। वो कहते हैं कि हमने सोचा नहीं था कि मेरी बेटी रोज़ा रख लेगी मगर उसकी जिद के आगे हम लोग कुछ नहीं बोले और उसने रोज़ा रख कर हम सबको खुश कर दिया। पहले रोज़े को उसकी रोज़ा कुशाई हुई थी।

 

 


 

प्रभु मसीह के येरुसलम में प्रवेश की याद में मसीही समुदायों ने मनाया खजूर इतवार

ईसा मसीह के अंहिसा के संदेश को अपनाने और सही राह पर चलने पर दिया गया ज़ोर


Varanasi  (dil India live)। प्रभु ईसा मसीह के सलीब पर चढ़ने के पूर्व येरुसलम नगर में उनके प्रवेश और उसके पश्चात् उनकी दुख-पीड़ा और क्रूस मरण को याद करते हुए शहर के विभिन्न मसीही समुदायों ने खजूर इतवार यानी पॉम संड़े को भक्ति और संजीदगी के साथ मनाया गया। सुबह सेंट मेरीज़ महागिरजा से बिशप यूज़ीन की अगुवाई में खजूर की डालियो संग जुलूस निकला। जुलुस विभिन्न जगहों से होकर वापस चर्च आकर सम्पन्न हुआ। इस दौरान हुई प्रार्थना सभा में बिशप ने कहा कि ईसा मसीह को शांति का राज कुमार कहते हैं। उन्होंने दुनिया को भ्रष्टाचार से दूर रहने और अहिंसा के मार्ग पर चलने का जो संदेश दिया उसे अगर हम नहीं अपनाएगें तो अपना वजूद खो बैठेंगे। कलीसिया का आहवान करते हुए कहा कि ईसा मसीह के अंहिसा के संदेश को अपनाओ और सही राह पर चलो। इस दौरान बाइबिल पाठ संग प्रार्थना की गई। ऐसे ही सुबह सेंट पाल चर्च में पादरी आदित्य कुमार व पादरी सैम जोशुआ की अगुवाई में पाम संड़े मनाया गय, इस दौरान खचाखच भरा रहा गिरजाघर और खजूर का तबर्रुक लोगों में बांटा गया।  पादरी ने सभा को सम्बोधित किया। उन्होंने कहा कि ईसा का जैसा स्वभाव था वैसे ही हम भी अपने स्वभाव को बनाए। उधर पादरी संजय दान की अगुवाई में खजूर की डालियो संग जुलूस निकला। जुलूस में भक्त अपने हाथों में खजूर की डालिया लेकर... मेरे प्यारे यीशु जी, मुक्तिदाता यीशु जी, शांतिदाता यीशु जी, होसन्ना आल्लेलूया। जैसे गीत और ईसा मसीह की जयकार लगाते चल रहे थे। जुलूस लाल गिरजाघर विभिन्न जगहों से होकर लाल गिरजा पहुंचा। यहाँ प्रार्थना सभा में विजय दयाल, एडूज, रोशनी फिलिप्स, शीबा, रोमा फिलिप्स, सुशील बैंजमीन, शैलेष सिंह, पुष्पांजलि सिंह, डेविड आदि मौजूद थे।

 चर्च आफ बनारस की ओर से पादरी बीएन जान की अगुवाई में खजूर की डालियो संग जुलूस निकला। जुलुस विभिन्न जगहों से होकर वापस चर्च आकर सम्पन्न हुआ। इस दौरान हुई प्रार्थना सभा में हुई। प्रार्थना सभा के बाद लोगों में खजूर बांटा गया। ऐसे ही बेटलफूल गॉस्पल चर्च में एंडू थामस की अगुवाई में प्रार्थना सभा का अयोजन किया गया। जिसमें चर्च से जुड़े तमाम लोग मौजूद थे। ऐसे ही गिरजाघर स्थित सेंट थामस चर्च समेत तमाम चर्च में प्रभु ईसा मसीह की स्तुति की गई। इसी के साथ अब 29 को ईसा मसीह का मरण दिवस यानी पुण्य शुक्रवार के रूप में मनाया जाएगा।  

रविवार, 24 मार्च 2024

कोई तुमसे झगड़ा करे तो उससे कह दो मैं रोज़े से हूं


 


Varanasi (dil India live)। इसलाम में कहा गया है कि अपने पड़ोसियों के साथ अच्छा सुलूक करो, भले ही वो किसी भी मज़हब का हो। पड़ोसी अगर भूखा सो गया तो उसके जिम्मेदार तुम खुद होगे। यह बात मुक़द्दस रमजान में और भी ज्यादा लागू होती है। क्यों रमजान रब का महीना है। रब कहता हैं कि 11 महीना तो बंदा अपने तरीक़े से गुज़ारता है एक महीना अगर वो मेरे बताए हुए नेकी के रास्ते पर चले तो उसकी तमाम दुश्वारियां दूर हो जाएगी। इस 1 महीने के एवज़ में रोज़ेदार पूरे साल नेकी की राह पर चलेगा।

मुकद्दस रमजान में अगर कोई तुमसे झगड़ा करने पर अमादा हो तो उसे लड़ो मत, बल्कि उससे कह दो मैं रोज़े से हूं। यानी मैं तुमसे लड़ाई झगड़ा नहीं चाहता। रमज़ान मिल्लत की दावत देता है, रमज़ान नेकी की राह दिखाता है। यही वजह है कि रमज़ान में खून-खराबा, लड़ाई झगड़ा सब मना फरमाया गया है। रमज़ान के लिए साफ कहा गया है कि यह महीना अल्लाह का महीना है। इस महीने में रोज़ेदार केवल नेकी, इबादत और मोहब्बत के रास्ते पर चलें। यही वजह है कि रमज़ान आते ही शैतान गिरफ्तार कर लिया जाता है। जन्नत के दरवाज़े खोल दिए जाते हैं और जहन्नुम के दरवाज़े बंद कर दिए जाते हैं। 

इस माहे मुबारक में पांच ऐसी रात आती है जिसे ताक रात या शबे कद्र कहा जाता है। इस रात में इबादत का सवाब रब ने कई साल की इबादत से भी ज्यादा अता करता है। ऐ मेरे पाक परवरदिगार तू अपने हबीब के सदके में हम सबको रमज़ान की नेअमत अता कर और सभी को रोजा रखने की तौफीक दे ताकि सभी की ईद हो जाये..आमीन।

हाजी इमरान अहमद (राइन गार्डेन, वाराणसी)

रोज़ा इफ्तार दावत में दिखा गंगा जमुनी नजारा

 




Varanasi (dil India live). वाराणसी समाजवादी पार्टी अल्पसंख्यक सभा के तत्वावधान में शनिवार को हाजी कटरा सरैयां स्थित सपा अल्पसंख्यक सभा के जिला अध्यक्ष डाक्टर दिलशाद अहमद सिद्दीकी के आवास पे रोजा इफ्तार का आयोजन किया गया जिसमें बङी संख्या में रोजेदारों ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर डाक्टर दिलशाद अहमद ने कहा कि रोजा मुसलमानों को रब की तरफ से दिया गया बेशकीमती तोहफा है जो गुनाहगारों की बख्शीश का जरिया है। तमाम मुसलमानो को चाहिए के हम सब इसकी दिल से कद्र करें और अपने रबको राजी करें। अल्लाह का इन्सानों पर बहुत हसानात हैं। हमें फख्र है के अल्लाह ने हमे ये नेमत अता की ताकि हम सब उसकी नेमतो की कद्र करें। रोजा सिर्फ भूखे प्यासे रहने का नाम नहीं बल्कि जुबान, निगाह, बदकलामी से बचने का भी नाम है रोजा। ये एहसास दिलाता है कि हमे सिर्फ अपना पेट नही देखना है बल्कि गैरों की खुशियों को भी अपनी खुशी में शामिल करना है। तमाम मुसलमानो को चाहिए के अपने आस-पास पङोस मे रहने वाले गरीबों और रिश्तेदारों को भी इफ्तार का सामान मुहैया करायें। गरीबों मिसकीनों तथा रोजेदारों को रोजा खुलवाना रब के नजदीक अजरो सवाब का बाइस होता है। हमे चाहिए के हम सब बहैसियत एक मुसलमान होने के सबसे पहले एक अच्छा नेक इन्सान बने तथा रब की नेमतों उठते बैठते शुक्र अदा करते रहें।

इस अवसर पे प्रमुख रुप से पुर्व मेयर प्रत्याशी हाजी बदरुददीन अहमद,  शहजादे, परवेज अख्तर, नईम अहमद, शारिक अख्तर, साजिद, अरशद, जमील अहमद, हाफिज हसीन अहमद, हाफिज, रेहान, शहजादे, मतीन अंसारी, अतीकुररहमान, शाहनवाज सानू, मोहम्मद सुफियान, बादशाह अली, मतीन, परवेज अख्तर, नईम अहमद, लइक अहमद, शहजादे, रेहान, अजहरुद्दीन, शाहिद जमाल, शाहरुख सिद्दीकी, आरिफ वसीम समेत तमाम गणमान्य लोग भी शामिल थे।

शेख़ अली हजी को दिखता था बनारस का हर बच्चा राम और लक्ष्मण

बरसी पर याद किए गए ईरानी विद्वान शेख़ अली हजी  Varanasi (dil India live)। ईरानी विद्वान व दरगाहे फातमान के संस्थापक शेख मोहम्मद अली हजी ईरान...