Varanasi (dil india live). शहर काज़ी मौलाना गुलाम यासीन साहब के इंतेकाल से बाद काज़ी-ए-शहर बनारस का पद खाली हो गया था। उस पद पर मोहददीसे कबीर मौलाना जियाउल मुस्तफा रज़वी क़ादरी साहब ने अशफाकनगर निवासी बनारस के मशहूर उलेमा मौलाना मोहम्मद जमील अहमद को शहर काज़ी बनारस बनाए जाने का ऐलान किया है। यह फैसला बरेली शरीफ के प्रमुख अल्लामा मौलाना मुफ्ती असजद रज़ा खां के हवाले से किया गया हैं। मौलाना जमील साहब के नाम के ऐलान के साथ ही यह उम्मीद भी जताई गई है कि वो पूरे बनारस को साथ लेकर चलेंगे और हक पर रहेंगे। इस दौरान अहले सुनन्त वल जमात खासकर बरेलवी उलेमाओ से अपील की गई है की नए शहर काज़ी के फैसले को माने।
गौरतलब हो कि देश-दुनिया में मशहूर व मारूफ काजी-ए-शहर बनारस मौलाना मुफ्ती गुलाम यासीन साहब का जुमेरात की शाम मगरिब की नमाज के बाद इंतकाल हो गया था। उनके इंतकाल से समूचे पूर्वांचल खासकर बरेलवी मुस्लिमों में अफसोस की लहर दौड़ गई थी। जुमे की नमाज के बाद उन्हें सुपुर्द-ए-खाक किया गया था। शहर काजी तकरीबन 90 साल के थे। यह भी पता हो कि मौलाना जमील अहमद साहब ने ही पूर्व शहर काजी मौलाना गुलाम यासीन साहब के जनाजे की बजरडीहा में नमाज अदा करायी थी। इसके बाद उन्हे सुपुर्दे खाक किया गया था। मौलाना जमील अहमद एक सुलझे हुए नेक उलेमा में शुमार हैं। बरेलवी विचारधारा में शहर काज़ी बरेली शरीफ के खलीफा बरेली शरीफ दरगाह प्रमुख ही नियुक्त करते हैं। इसके लिए उलेमा की दीनी तालीम और सलाहियत देखी जाती है। पूर्व शहर काज़ी मौलाना मुफ्ती गुलाम यासीन साहब को मुफ्ती ए आज़म हिंद के खलीफा ने शहर काज़ी बनाया था। इस पद के लिए तालीम, सलाहियत और तमाम अच्छाईयां देखी जाती है। जानकार बताते हैं कि आजादी के बाद वो बनारस के पहले शहर काज़ी बने थे। मौलाना जमील दूसरे शहर काज़ी हैं। आज़ादी के पहले हजरत अलवी शहीद, याकूब शहीद, लाट्शाशाही बाबा वगैरह भी अपने अपने दौर के शहर काज़ी थे।
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