Varanasi (dil India live). 21.12.2023. बीएलसी इंटरनेशनल स्कूल पूरनपट्टी, डुबकिया का वार्षिकोत्सव समर्पण (SAMARPAN) शुक्रवार 22 दिसंबर को शाम 04:00 बजे स्कूल परिसर में धूमधाम से मनाया जाएगा। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रोफेसर हरि प्रसाद अधिकारी, विभागाध्यक्ष दर्शन शास्त्र विभाग, व पूर्व निदेशक शोध संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी होंगे तो विशिष्ट अतिथि महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ अंग्रेजी विभाग के हेड डॉ. नलिनी श्याम कामिल होंगे। अतिथियों का स्वागत व सम्मान स्कूल के चेयरमैन संतोष जायसवाल करेंगे। उक्त जानकारी देते हुए बीएलसी इंटरनेशनल स्कूल के प्रधानाचार्य डा. आर एन चौबे ने बताया कि यह आयोजन स्कूल की उन प्रतिभाओं को मंच तो प्रदान करता ही है साथ ही वो यह भी दिखाता है कि स्कूल में शिक्षण गतिविधियों के साथ ही हुनर और टेलेंट की कोई कमी नहीं है। समर्पण ऐसा ही रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करने के लिए तैयार है।
गुरुवार, 21 दिसंबर 2023
किंग खान आखिर क्यों अचानक पहुंचे काशी
शाहरुख खान के फैन्स को मलाल, नहीं कर सके किंग खान का दीदार
Varanasi (dil India live).21.12.23. वालीवुड स्टार, मशहूर फिल्म अभिनेता शाहरूख खान गुपचुप तरीके से वाराणसी पहुंचे। लोग अचानक उन्हें देखकर चौक पड़े, लेकिन उन्होंने अपना चेहरा हाथ से ढंक लिया। वो बाउंसर के घेरे में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच बनारस पहुंचे हुए थे। इस दौरान शाहरूख लाल बहादुर शास्त्री अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट से बाहर निकले, लेकिन वे कहां गए, किसी को भनक तक नहीं लग सकी। शाहरूख अपने चार्टर्ड प्लेन से दुबई से अचानक लाल बहादुर शास्त्री अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पहुंचे थे। उन्हें अचानक देखकर एयरपोर्ट कर्मी और सिने प्रेमी चौक पड़े। लोग उनके साथ सेल्फी लेना चाह रहे थे, लेकिन किंग खान ने हंसते हुए हाथ से चेहरा ढंक लिया।
शाहरूख चार घंटे बाद वापस एयरपोर्ट लौटे और उसी विमान से वापस लौट गए। शाहरूख का गुपचुप तरीके से आना और वापस जाना काफी गोपनीय रहा। चर्चा यह भी थी की शाहरुख खान गंजारी में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम के पास होटल बनवाना चाहते हैं। उसके लिए जमीन देखने आए थे। मगर इसकी कहीं से कोई पुष्टि नहीं हो सकी मगर किंग खान के फैन्स निराश ज़रुर हुए की उन्हें शाहरुख खान की एक झलक तक नहीं मिल सकी मगर उम्मीद है कि अगर शाहरुख खान यहां होटल बनवाएंगे तो फिर आएंगे।
बुधवार, 20 दिसंबर 2023
मुस्लिमों के अपमान पर सभी चुप क्यों रहते हैं
Varanasi (dil India live). 20.12.2023. माननीय उपराष्ट्रपति जगदीप धनकर जी को अपनी जाति याद आ गई उन्होंने एक बयान देकर के कहा कि किस जाति और जाट जाति को अपमानित किया गया है और हमारे प्रधानमंत्री जी भी कर रहे हैं की 20 साल से मैं भी अपमान झेल रहा हूं एक तरफ तो हमारे प्रधानमंत्री जी कहते हैं कि देश में कोई जाति नहीं होती पहले गरीबों का नाम लिया उन्होंने अब कर जाती बता रहे हैं लेकिन मैं पूछना चाहता हूं कि जिस तरीके से इस देश में पूर्व राष्ट्रपति राम गोविंद जी और इस समय के राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जी को मंदिर में जाने से रोका गया और जाति के नाम पर उनको अपमानित किया गया जिस तरीके से माननीय अखिलेश यादव जी को अपमानित किया गया उनके घर को गोमूत्र और गंगाजल से धुल गया उनको टोटी चोर कहा गया जिस प्रकार माननीय खड़गे जी की जात को बराबर अपमानित किया गया किया जा रहा है जिस तरीके से दलित और पिछड़ों को मुसलमान को अपमानित किया जा रहा है वह हमारे प्रधानमंत्री जी को माननीय धनकर जी को और भाजपा के नेताओं को दिखाई नहीं देता किस तरीके से संसद के अंदर एक मुस्लिम सांसद को गाली दी गई पूरे समाज को अपमानित किया गया पूरे सेकुलर समाज को अपमानित किया गया वह याद नहीं आ रहा है आज 2024 लोकसभा का चुनाव जीतने के लिए उपराष्ट्रपति जी भी अपनी जाति की दुहाई दे रहे हैं आज जिस तरीके से समाज के अन्य वर्गों को अपमानित किया जा रहा है वह हमारे भाजपा के नेताओं को दिखाई नहीं दे रहा है सोनिया गांधी जी के बारे में राहुल गांधी जी के बारे में ममता बनर्जी जी के बारे में नीतीश कुमार जी के बारे में माननीय मुलायम सिंह जी के बारे में और कितने नेताओं को इस देश में भाजपा द्वारा अपमानित किया गया वह दिखाई नहीं दे रहा है आज जगदीप धनकर जी को उनका अपमान दिखाई दे रहा है जो सरासर गलत है कहीं से सांसदों ने उनको अपमानित नहीं किया है इस तानाशाह हुकूमत के खिलाफ लोकतंत्र की हत्या करने वालों के खिलाफ संविधान बदलने की चाहत रखने वालों के खिलाफ सुरक्षा को लेकर के अगर संसद अपनी बात रखना चाहते हैं तो उनको निलंबित किया जा रहा है इससे बड़ी तानाशाही क्या हो सकती है इससे बड़ा अपमान क्या हो सकता है। भगवान करे भाजपा के नेताओं को शुद्ध बुद्धि आए। धन्यवाद।
(वरिष्ठ सपा नेता, अतहर जमाल लारी के सोशल मीडिया पोस्ट से)
मंगलवार, 19 दिसंबर 2023
Mother Haleema की ‘ नुमाइश’ में छात्र- छात्राओ संग टीचर्स भी हुए पुरस्कृत
Varanasi (dil India live).19.12.2023. प्रतिभा और कल्पना का सपना जब साकार होता है तो कुछ अनोखी चीज़ें जन्म लेती है। ऐसा ही नजारा दिखाई दिया मदर हलीमा सेंट्रल स्कूल की नुमाइश में। नुमाइश का एसबीआई की शाखा प्रबंधक सुम्बुल आबदी, स्कूल निदेशक नोमान हसन और मक़सूद ख़ान ने फ़ीता काट कर उद्घाटन किया। मदर हलीमा सेण्ट्रल स्कूल के दो दिवसीय प्रदर्शनी के पहले दिन सैकड़ों कला कृतियाँ एवं मॉडल्स प्रदर्शित किये गये, जिसमें प्रधानमंत्री के प्रयासों का नया संसद भवन, सेंट्रल विस्टा, मोहसिन, आमीश, ज़ाहिद वाराणसी का नया धार्मिक व पर्यटन स्थल नमो घाट, नैतिक केशरी अली हमज़ा, सूर्य का अध्ययन करने वाले आदित्य एल वन, मिसबाह, अलिमा, रोप वे, अमीना अवन्तिका, इसराइल- फ़िलिस्तीन के युद्ध में सकड़ों निर्दोषों के मरने का दृश्य कायनात और शिज़रा, बुर्ज ख़लीफ़ा, हमज़ा हसनैन, मैथ्स सिटी अनमता, हबीबा हाइड्रोलिक पॉवर ट्रैक सोलर एनर्जी ओवैस, लाल क़िला, रेन हार्वेस्टिंग और बच्चों की अनेक कलाओं ने दर्शकों का मन मोह लिया। इस नुमाइश में स्कूल की भव्य सजावट के बीच लोग गेम और खाने का लुत्फ़ उठाते रहे। समापन समारोह के मुख्य अतिथि वाराणसी के मशहूर सर्जन डॉ रोहित गुप्ता एवं विशिष्ट अतिथि डॉ आरिफ़ ने टॉप टेन स्टूडेंट्स को पुरस्कृत किया। नुमाइश में प्रतिभाग करने वाले कोई ढाई सौ बच्चों को मेडल देकर पुरस्कृत किया गया।
आयोजन में विशेष भूमिका के लिए टीचर्स इस्मत जहाँ, अंजलि प्रजापति और फ़रह जमाल को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर डॉ आर के पाण्डेय, सुबहान, अंजना, मास्टर , इरफ़ान हसन, मास्टर अश्फ़ाक, शोएब, सभासद मुमताज़ खां, अफ़सर, मंज़र, दीपा, शिखा आदि मौजूद रहे।संचालन इमरान हसन, धन्यवाद मनीषा मिश्रा ने किया।
सोमवार, 18 दिसंबर 2023
DAV PG College: सिर्फ शिक्षित ही नही चरित्रवान भी बनाती है शिक्षा- प्रो. वी.के शुक्ला
DAV के 103 वें दीक्षांत समारोह में पहुंचे कुलगुरु
Varanasi (dil India live).18.12.2023. शिक्षा का उद्देश्य सिर्फ धनार्जन मात्र नही है अपितु शिक्षा की सार्थकता तभी सिद्ध होती है जब वह आपको चरित्रवान भी बनाती है। उक्त उदगार काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. वी.के. शुक्ला ने विश्वविद्यालय से सम्बद्ध डीएवी पीजी कॉलेज के 103 वें दीक्षांत समारोह के अंतर्गत सोमवार को आयोजित उपाधि वितरण समारोह में बतौर मुख्य अतिथि व्यक्त की। विश्वविद्यालय के मालवीय मूल्य अनुशीलन केंद्र सभागार में आयोजित समारोह में प्रो. शुक्ल ने कहा कि मालवीय जी ने आजीवन चुनौतियों से लड़कर लक्ष्य प्राप्त करने की प्रेरणा दी है। यह जीवन सतत जिज्ञासा और सीखने के प्रति प्रतिबद्धता का ही दूसरा नाम है। जीवन के इस पथ पर कभी सफलता तो कभी असफलता भी मिलेगी। असफलता को सफलता की सीढ़ी बनाकर आगे बढ़ना ही दीक्षांत का उपलक्ष्य सार्थक करता है।
विशिष्ट अतिथि वाणिज्य संकायाध्यक्ष प्रो. जीसीआर जायसवाल ने कहा कि हम अत्यंत भाग्यशाली है जो महामना की संस्था से शिक्षा प्राप्त किये है। दीक्षांत के बाद वास्तविक जीवन अब शुरू होगा जिसमें महामना के आदर्श सबसे ज्यादा सहयोगी होंगे। अध्यक्षता करते हुए महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य प्रो. सत्यदेव सिंह ने कहा कि डिजिटल युग में शिक्षा को भी डिजिटल करना हमारी सबसे बड़ी उपलब्धि रही। कॉमर्स, अर्थशास्त्र जैसे विषयों की लैब बनाकर विद्यार्थियों को व्यवहारिक ज्ञान के साथ साथ व्यवहारिक शिक्षा भी प्रदान की जा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षा की यह लौ जो मालवीय जी ने जलाई है वह युगों युगों तक अनवरत प्रज्ज्वलित रहे, यही हमारा प्रयास रहेगा।
स्वागत उद्धबोधन कार्यकारी प्राचार्य प्रो. सत्यगोपाल ने दिया। धन्यवाद ज्ञापन प्रो. समीर कुमार पाठक व संचालन डॉ. राकेश कुमार द्विवेदी, डॉ. तरु सिंह, डॉ. पारुल जैन एवं डॉ. महिमा सिंह ने किया।
उपाधि पा खिले विद्यार्थियों के चेहरे
उपाधि वितरण समारोह मे स्नातक एवं स्नातकोत्तर के कुल 1132 छात्र -छात्राओं को उपाधि प्रदान किया गया। विद्यार्थियों ने पारंपरिक साफा और उत्तरीय धारण कर मंच से उपाधि प्राप्त किया। डिग्री पाकर मेधावियों के चेहरे खिल उठे ।
इनकी रही उपस्थिति
विभिन्न सत्रों में आयोजित उपाधि वितरण समारोह में समाज संकायाध्यक्ष प्रो. बिंदा परांजपे, कला संकायाध्यक्ष प्रो. मायाशंकर पाण्डेय, प्रो. एन.के. मिश्रा, प्रो. उपेंद्र पाण्डेय, प्रो. मृत्युंजय मिश्रा, प्रो. घनश्याम, प्रो. ओमप्रकाश भारती, प्रो. योगेश आर्य, प्रो. सुमन जैन, प्रो. वशिष्ठ द्विवेदी, प्रो. आनन्द मिश्रा सहित समस्त विभागों के अध्यक्ष, समस्त अध्यापकगण उपस्थित रहे। डीएवी के उपाचार्य डॉ. राहुल, प्रो. मिश्रीलाल, प्रो. ऋचारानी यादव, प्रो. मधु सिसोदिया, प्रो. अनूप कुमार मिश्रा, प्रो. राकेश राम, प्रो. विनोद कुमार चौधरी, डॉ. विजयनाथ दुबे, प्रो. प्रशांत कश्यप, डॉ. हबीबुल्ला, डॉ. इंद्रजीत मिश्रा, डॉ. संजय सिंह, डॉ. प्रियंका सिंह, डॉ. मीनू लाकड़ा आदि उपस्थित रहे।
स्मारिका का हुआ विमोचन
समारोह में अतिथियों द्वारा डीएवी पीजी कालेज की अकादमिक उपलब्धियों पर आधारित स्मारिका का विमोचन किया गया। स्मारिका में नैक की उपलब्धियों के साथ विभागीय कार्यों का उल्लेख किया गया है।
सोमवार, 11 दिसंबर 2023
Christmas पर यीशु का करेंगे मसीही अभिषेक
सारी दुनिया को "अमन" के राजकुमार का इंतेज़ार
Varanasi (dil India live) 11.12.2023. दुनिया भर को अमन के राज कुमार का इंतेज़ार है। 24 दिसंबर की मध्यरात्रि बालक यीशु के जन्म का उल्लास शुरु होगा। इस रात मसीही प्रमु यीशु की स्तुति और अभिषेक करेंगे। क्रिसमस मसीही समुदाय का सबसे बड़ा पर्व क्रिसमस माना जाता है। ईसाई धर्म के लोग इस त्योहार को ग्लोबल लेवल पर धूमधाम और उल्लास के साथ मनाते हैं। दुनिया भर में हर साल 25 दिसंबर क्रिसमस डे के रूप में मनाया जाता है। ये एक ऐसा त्योहार है, जो तकरीबन 155 से 160 देशों में एक साथ मनाया जाता है। ड्स पर्व को हर उम्र के लोग क्रिसमस सेलिब्रेट करते हैं। यूं तो आमतौर पर लोग क्रिसमस का मतलब 25 दिसंबर ही जानते हैं मगर यह कम लोग जानते हैं कि क्रिसमस का जश्न क्रिसमस के पूर्व पड़ने वाले 4 इतवार पहले से ही शुरु हो जाता है। इस पर्व की तैयारियां महीने भर पहले ही शुरू हो जाती हैं। हाँ 24 दिसंबर की मध्यरात्रि यह पर्व अपने शबाब पर होता है। यह पर्व मध्यरात्रि से शुरु होकर तकरीबन सप्ताह भर तक चलता है।
किसमस पर क्रिश्चियन अपने घरों को रंग-बिरंगी लाइटों से जहां रौशन कर रहे हैं वही डेकोरेटिव आइटम्स से चर्च से लेकर घर कालोनी तक सजाये जा रहे हैं।
क्रिसमस केक
क्रिसमस पर केक का वैसे ही महत्व है जैसे ईद पर सेवई और दीपावली पर मिठाई। भारत में तो केक बनवाने के लिए 15 दिन पूर्व से ही लोग बेकरी वाले के यहां बुकिंग के लिए पहुंचने लगते हैं।
क्रिसमस ट्री
क्रिसमस के पूर्व ही मसीही घरों में क्रिसमस ट्री सजाया जाता हैं। मान्यता यह भी है कि क्रिसमस ट्री कई तरह के वास्तु निवारण का काम भी करता है। मसीही विद्वानों का कहना है कि क्रिसमस के पेड़ को घर में लगाने से घर से नकारात्मक उर्जा नष्ट होती है, यही वजह है कि क्रिसमस ट्री खुशी के इस मौके पर बेहद शुभ माना जाता है।
चरनी बनाने का दौर
क्रिसमस पर लोग अपने घर के आंगन में चरनी बनाते हैं। दरअसल गौशाले में ही बालक यीशु का जन्म हुआ था, इसालिए प्रभु यीशु के जन्म की झांकी चरनी के रूप में सजायी जाती हैं।
ग्लोबल पर्व क्रिसमस
क्रिसमस ऐसे तो क्रिश्चियन पर्व है। लेकिन इसके उत्साह और उल्लास में सभी धर्म के लोग शामिल होते हैं। यही वजह है कि दुनिया के लगभग सभी देश में क्रिसमस का त्योहार अलग-अलग तरह से धूमधाम से मनाया जाता है। कहीं चर्चेज में फंक्शन होता है तो कहीं प्रभु यीशु की याद में कैरोल गाते लोग घरों और सड़कों पर निकल पड़ते हैं।
राष्ट्रपति के हाथों गोल्ड मेडल पाकर झूम उठे मेधावी
आत्म-निर्भरता तथा स्वराज के लक्ष्यों के साथ विद्यापीठ की यात्रा शुरू हुई-राष्ट्रपति
-विद्यापीठ के दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति ने बताया विश्वविद्यालय का इतिहास
Varanasi (dil India live).11.12.2023. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू सोमवार को वाराणसी में थी। इस दौरान उन्होंने महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के दीक्षांत समारोह में शिरकत किया। यहां महामहिम ने 16 मेधावियों को अपने हाथों से मेडल प्रदान किया। राष्ट्रपति के हाथों मेडल पाकर छात्र छात्राएं झूम उठे। समारोह में राज्यपाल ने भी संबोधन दिया। उन्होंने सभी छात्र-छात्राओं को बधाई दी और राष्ट्रपति का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा काशी विद्यापीठ का सामाजिक और शैक्षिक योगदान अमूल्य है।
इससे पहले राष्ट्रपति ने कलश में पानी डालकर दीक्षांत समारोह की शुरुआत की। राज्यपाल के संबोधन के बाद महामहिम ने सभी विद्यार्थियों, उनके शिक्षकों और परिजनों को बधाई दी। राष्ट्रपति ने कहा, बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में आना अपने आप में सौभाग्य की बात है। काशी का अभिप्राय है सदैव प्रकाशमान रहने और सदैव प्रकाशित रखने वाला ज्योतिपुंज। पिछले महीने काशी में देव दीपावली का पर्व भव्यता से मनाया गया। मुझे बताया गया है कि उस पर्व को 72 देशों के प्रतिनिधियों ने हमारे देशवासियों के साथ यहां मनाया। हिन्दी माध्यम में उच्च-स्तरीय शिक्षा प्रदान करने के लिए बाबू शिव प्रसाद गुप्त जी ने काशी विद्यापीठ की अपनी परिकल्पना की चर्चा महात्मा गांधी से की थी और गांधीजी ने उसे सहर्ष अनुमोदन प्रदान किया था। हमारे देश की स्वाधीनता के 26 वर्ष पूर्व, गांधीजी की परिकल्पना के अनुसार आत्म-निर्भरता तथा स्वराज के लक्ष्यों के साथ, इस विद्यापीठ की यात्रा शुरू हुई थी। ब्रिटिश शासन की सहायता और नियंत्रण से दूर रहते हुए, भारतीयों द्वारा पूर्णत: भारतीय संसाधनों से निर्मित, काशी विद्यापीठ का नामकरण ‘महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ’ करने के पीछे हमारे स्वाधीनता संग्राम के आदर्शों के प्रति सम्मान व्यक्त करने की भावना निहित है। उन आदर्शों पर चलना तथा अमृत-काल के दौरान देश की प्रगति में प्रभावी योगदान देना यहां के विद्यार्थियों द्वारा विद्यापीठ के राष्ट्र-निर्माता संस्थापकों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ का ध्येय वाक्य है विद्ययाऽमृतमश्नुते...। यह ध्येय वाक्य ईशा-वास्य उपनिषद से लिया गया है। ईश उपनिषद में यह बोध कराया गया है कि व्यावहारिक ज्ञान और आध्यात्मिक ज्ञान एक दूसरे के संपूरक हैं। व्यावहारिक ज्ञान से अर्थ, धर्म और कामनाओं की सिद्धि होती है। विद्या पर आधारित आध्यात्मिक ज्ञान से अमरता यानी मोक्ष की प्राप्ति होती है।
चिर-नवीन की परिधि में विज्ञान तथा व्यावहारिक ज्ञान की आधुनिकतम धाराएं समाहित हैं। आप सभी विद्यार्थियों को चिर-पुराण और चिर-नवीन के समन्वय को अपनी शिक्षा, आचरण और जीवन में उतारना है। तब आप राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार, भारतीय परम्पराओं से जुड़े रह कर इक्कीसवीं सदी के आधुनिक विश्व में सफलताएं अर्जित करेंगे।
राष्ट्रपति ने कहा कि दो भारत रत्नों का इस संस्थान से जुड़ना महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ की गौरवशाली विरासत का प्रमाण है। भारत रत्न डॉ. भगवान दास इस विद्यापीठ के पहले कुलपति थे और पूर्व प्रधान मंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री इस संस्था के पहले बैच के छात्र थे। उन्होंने कहा कि इस संस्थान के विद्यार्थियों से अपेक्षा है कि वे शास्त्री जी के जीवन मूल्यों को अपने आचरण में अपनायें।
राष्ट्रपति ने कहा कि इस विद्यापीठ की यात्रा हमारे देश की आजादी से 26 साल पहले गांधीजी की परिकल्पना के अनुसार आत्मनिर्भरता और स्वराज के लक्ष्यों के साथ शुरू हुई थी। असहयोग आंदोलन से जन्मी संस्था के रूप में यह विश्वविद्यालय हमारे महान स्वतंत्रता संग्राम का जीवंत प्रतीक है। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के सभी छात्र स्वतंत्रता संग्राम के हमारे राष्ट्रीय आदर्शों के ध्वजवाहक हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि काशी विद्यापीठ का नाम महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ रखने के पीछे का उद्देश्य हमारे स्वतंत्रता संग्राम के आदर्शों के प्रति सम्मान व्यक्त करना है। उन आदर्शों पर चलकर अमृत काल में देश की प्रगति में प्रभावी योगदान देना ही विद्यापीठ के राष्ट्र-निर्माण संस्थापकों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। राष्ट्रपति ने कहा कि वाराणसी प्राचीन काल से ही भारतीय ज्ञान परंपरा का केंद्र रहा है। आज भी इस शहर की संस्थाएँ आधुनिक ज्ञान-विज्ञान के प्रचार-प्रसार में अपना योगदान दे रही हैं। उन्होंने महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के छात्रों और शिक्षकों से ज्ञान के केंद्र की परंपरा को बनाए रखते हुए अपने संस्थान के गौरव को समृद्ध करते रहने का आग्रह किया।
65 में 51 छात्राओं ने जीता स्वर्ण
वाराणसी में महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के 45 वें दीक्षांत समारोह में सोमवार को मुख्य अतिथि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 16 मेधावियों को गोल्ड मेडल और डिग्री प्रदान की। इस दौरान कुल 65 गोल्ड और 77692 छात्र छात्राओं को उपाधियां दी गई। 65 में से 51 छात्राओं ने गोल्ड मेडल की बाजी जीती है। वहीं, 14 लड़कों को गोल्ड मेडल मिला।
शेख़ अली हजी को दिखता था बनारस का हर बच्चा राम और लक्ष्मण
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असामाजिक तत्वों से समाज का सभी वर्ग संयुक्त रुप से करे मुकाबला : हाफिज़ उबैदुल्लाह सांप्रदायिक तत्व देश के विकास में हैं बाधक, ऐसे तत्वों के...