आत्म-निर्भरता तथा स्वराज के लक्ष्यों के साथ विद्यापीठ की यात्रा शुरू हुई-राष्ट्रपति
-विद्यापीठ के दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति ने बताया विश्वविद्यालय का इतिहास
Varanasi (dil India live).11.12.2023. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू सोमवार को वाराणसी में थी। इस दौरान उन्होंने महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के दीक्षांत समारोह में शिरकत किया। यहां महामहिम ने 16 मेधावियों को अपने हाथों से मेडल प्रदान किया। राष्ट्रपति के हाथों मेडल पाकर छात्र छात्राएं झूम उठे। समारोह में राज्यपाल ने भी संबोधन दिया। उन्होंने सभी छात्र-छात्राओं को बधाई दी और राष्ट्रपति का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा काशी विद्यापीठ का सामाजिक और शैक्षिक योगदान अमूल्य है।
इससे पहले राष्ट्रपति ने कलश में पानी डालकर दीक्षांत समारोह की शुरुआत की। राज्यपाल के संबोधन के बाद महामहिम ने सभी विद्यार्थियों, उनके शिक्षकों और परिजनों को बधाई दी। राष्ट्रपति ने कहा, बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में आना अपने आप में सौभाग्य की बात है। काशी का अभिप्राय है सदैव प्रकाशमान रहने और सदैव प्रकाशित रखने वाला ज्योतिपुंज। पिछले महीने काशी में देव दीपावली का पर्व भव्यता से मनाया गया। मुझे बताया गया है कि उस पर्व को 72 देशों के प्रतिनिधियों ने हमारे देशवासियों के साथ यहां मनाया। हिन्दी माध्यम में उच्च-स्तरीय शिक्षा प्रदान करने के लिए बाबू शिव प्रसाद गुप्त जी ने काशी विद्यापीठ की अपनी परिकल्पना की चर्चा महात्मा गांधी से की थी और गांधीजी ने उसे सहर्ष अनुमोदन प्रदान किया था। हमारे देश की स्वाधीनता के 26 वर्ष पूर्व, गांधीजी की परिकल्पना के अनुसार आत्म-निर्भरता तथा स्वराज के लक्ष्यों के साथ, इस विद्यापीठ की यात्रा शुरू हुई थी। ब्रिटिश शासन की सहायता और नियंत्रण से दूर रहते हुए, भारतीयों द्वारा पूर्णत: भारतीय संसाधनों से निर्मित, काशी विद्यापीठ का नामकरण ‘महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ’ करने के पीछे हमारे स्वाधीनता संग्राम के आदर्शों के प्रति सम्मान व्यक्त करने की भावना निहित है। उन आदर्शों पर चलना तथा अमृत-काल के दौरान देश की प्रगति में प्रभावी योगदान देना यहां के विद्यार्थियों द्वारा विद्यापीठ के राष्ट्र-निर्माता संस्थापकों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ का ध्येय वाक्य है विद्ययाऽमृतमश्नुते...। यह ध्येय वाक्य ईशा-वास्य उपनिषद से लिया गया है। ईश उपनिषद में यह बोध कराया गया है कि व्यावहारिक ज्ञान और आध्यात्मिक ज्ञान एक दूसरे के संपूरक हैं। व्यावहारिक ज्ञान से अर्थ, धर्म और कामनाओं की सिद्धि होती है। विद्या पर आधारित आध्यात्मिक ज्ञान से अमरता यानी मोक्ष की प्राप्ति होती है।
चिर-नवीन की परिधि में विज्ञान तथा व्यावहारिक ज्ञान की आधुनिकतम धाराएं समाहित हैं। आप सभी विद्यार्थियों को चिर-पुराण और चिर-नवीन के समन्वय को अपनी शिक्षा, आचरण और जीवन में उतारना है। तब आप राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार, भारतीय परम्पराओं से जुड़े रह कर इक्कीसवीं सदी के आधुनिक विश्व में सफलताएं अर्जित करेंगे।
राष्ट्रपति ने कहा कि दो भारत रत्नों का इस संस्थान से जुड़ना महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ की गौरवशाली विरासत का प्रमाण है। भारत रत्न डॉ. भगवान दास इस विद्यापीठ के पहले कुलपति थे और पूर्व प्रधान मंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री इस संस्था के पहले बैच के छात्र थे। उन्होंने कहा कि इस संस्थान के विद्यार्थियों से अपेक्षा है कि वे शास्त्री जी के जीवन मूल्यों को अपने आचरण में अपनायें।
राष्ट्रपति ने कहा कि इस विद्यापीठ की यात्रा हमारे देश की आजादी से 26 साल पहले गांधीजी की परिकल्पना के अनुसार आत्मनिर्भरता और स्वराज के लक्ष्यों के साथ शुरू हुई थी। असहयोग आंदोलन से जन्मी संस्था के रूप में यह विश्वविद्यालय हमारे महान स्वतंत्रता संग्राम का जीवंत प्रतीक है। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के सभी छात्र स्वतंत्रता संग्राम के हमारे राष्ट्रीय आदर्शों के ध्वजवाहक हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि काशी विद्यापीठ का नाम महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ रखने के पीछे का उद्देश्य हमारे स्वतंत्रता संग्राम के आदर्शों के प्रति सम्मान व्यक्त करना है। उन आदर्शों पर चलकर अमृत काल में देश की प्रगति में प्रभावी योगदान देना ही विद्यापीठ के राष्ट्र-निर्माण संस्थापकों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। राष्ट्रपति ने कहा कि वाराणसी प्राचीन काल से ही भारतीय ज्ञान परंपरा का केंद्र रहा है। आज भी इस शहर की संस्थाएँ आधुनिक ज्ञान-विज्ञान के प्रचार-प्रसार में अपना योगदान दे रही हैं। उन्होंने महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के छात्रों और शिक्षकों से ज्ञान के केंद्र की परंपरा को बनाए रखते हुए अपने संस्थान के गौरव को समृद्ध करते रहने का आग्रह किया।
65 में 51 छात्राओं ने जीता स्वर्ण
वाराणसी में महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के 45 वें दीक्षांत समारोह में सोमवार को मुख्य अतिथि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 16 मेधावियों को गोल्ड मेडल और डिग्री प्रदान की। इस दौरान कुल 65 गोल्ड और 77692 छात्र छात्राओं को उपाधियां दी गई। 65 में से 51 छात्राओं ने गोल्ड मेडल की बाजी जीती है। वहीं, 14 लड़कों को गोल्ड मेडल मिला।
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