इत्तेहाद अब्नाय सलफिया बनारस का सालाना इजलास
Varanasi (dil India live).02.11.2023. इत्तेहाद अब्नाय सलफिया बनारस के जेरे एहतमाम एक सालाना इजलास ए आम ईदगाह अहले हदीस सिगरा मे आयोजित किया गया जिसकी शुरुआत कुरान की तिलावत से हुई. इस दौरान हम्द और नात पढी गई. शारजाह से तशरीफ लाए शेख जफरुल हसन ने कहा कि आज हमे मरने के बाद की जिंदगी यानी आखिरत की जिंदगी पर फिक्र करनी चाहिए. जिस रास्ते पर सलफ सालेहीन उसी रास्ते पर हमें अपनी जिंदगी को गुजारना चाहिए, साथ ही इस्लाम की तालीमत को आम करना चाहिए. अपने घरों में पूरी तरह दीन को दाखिल कर देना चाहिए, घर के हर फरद को चाहे वह औरत हो या मर्द हो उन्हें दीन की बेसिक जानकारी होना चाहिए. उस पर अमल करना चाहिए तथा दूसरे भाई-बहनों तक भी दीन की बातों को पहुंचना चाहिए. दीन की तालीम के साथ दुनिया की भी तालीम हमारे लिए जरूरी है. जिससे हम दुनिया की जिंदगी में भी कामयाब होंगे और आखिरत की भी जिंदगी में भी कामयाब होंगे.
कर्नाटक से आए शेख अब्दुल हसीब मदनी ने कहा कि आज मुसलमान का एक बड़ा तबका दीन से दूर हो चुका है वह सिर्फ नाम का मुसलमान है. जिसकी वजह से इस्लाम विरोधी ताकते मुसलमान को बरगला के बहका कर इस्लाम की तालीमत के खिलाफ मुसलमानो को लगा दिया जिसका नतीजा या हुआ कि मुसलमान का बड़ा तबका दीन से दूर हो गया और दूसरा तबका दीन में बहुत सी चीजों को मिलावट करके इस्लाम की तस्वीर ही बदल दी, जो इस्लाम दुनिया में तौहीदपरस्ती इंसानियत इंसाफपरस्ती हुकुकुलइबाद तालिमात और जुल्म के खिलाफ आवाज उठाने के लिए जाना जाता था आज उसका एक बड़ा तबका दुनिया परस्ती में लग गया है, अगर हमें फिर से बुलंदी हासिल करना है तो हमे अल्लाह की नजिल कुरान मजीद पर अमल करते हुए मोहम्मद सल्ल. की तालीम की जरुरत है. रसूल के रास्ते पर चल कर अपनी दुनिया व आखिरत हम बना सकते हैं , साथ ही कुरान व सही हदीस पर अमल कर हम मुसलमान आपसी इख्तलाफ खत्म कर सकते है. और फिर से एक उम्मत बन सकते हैं और फिर से पूरी दुनिया में इस्लाम का गलवा हो सकता है. शेख अब्दुल गफ्फार सलफी ने कहां की इस फितनों के दौर में हमें अपने ईमान को बचाए रखना है हर तरफ जुल्म व जायदती का माहौल है, इंसान का खून सस्ता है बदकरी आम है, झूठो का बोलबाला है और ना इंसाफी का दौर है, यह सभी कयामत के पहले का मंजर है. कयामत का मंजर पेश करते हुए उन्होंने कहा कि वहां का मंजर बहुत खौफनाक होगा लोगो के कर्म के अनुसार फैसला किया जायगा सब के साथ इन्साफ होगा लोग अपने कर्मो से ही जन्नत और जहन्नम मे जाएगे शेख जफर नोमान मक्की ने वालीदेंन के हुकुक पर रोशनी डालते हुए कहा कि हमें अपने मां-बाप की की फमर्बदरी करनी चाहिए और उनकी खिदमत करना चाहिए जिसके वालीदेंन अपनी औलादे से नाराज होंगे वह शख्स जन्नत की खुशबू भी नहीं सुन सकता हमें चाहिए कि हम अपने वालीदेंन की नाफरमानी से बचना चाहिए और इस्लाम ने सबसे पहले औरतो को हुकूक दिया तथा परदे मे रहते हुए आजादी दी इस्लाम में औरतों का जो मुकाम दिया वह किसी और दीन में नहीं था इस्लाम में बताया मां के पैर के नीचे जन्नत है, तुम्हारी बीवी तुम्हारे घर की मलिका है और तुम्हारी बेटियां तुम्हारी शहजादियां है. जिनकी परवरिश सही इस्लामी तालीमत के साथ करके तुम जन्नत के मुस्तक बन सकते हो.
जलसे की निजामत करते हुए शेख अब्दुल रहमान सल्फी ने कहा कि इस्लाम एक अच्छे समाज की स्थापना चाहता है, नशा खोरी, जुआ, सूद-ब्याज, जाति प्रथा का विरोध करता है.
जलसे की सदारत करते हुए शेख अब्दुल्लाह सउद सलफी तौहीद पर बोलते हुए कहा कि एक अल्लाह की इबादत करनी चाहिए. उसमे किसी को शरीक नहीं करना और दीन इस्लाम मुकम्मल होने के बाद उसमें कोई भी नई बातों का इजाफा नहीं करना चाहिए और जिसने इजाफा किया उसने बिद्दत किया.
जलसे मे मुख्य रूप से मौलाना अब्दुर्रहीम रेयाजी, मो. ओसामा सलफी, मसूद जमाल, अब्दुल रकीब एडवोकेट, अब्दुल मलिक, जुबियान अनस सहित बडी तैदात मे लोग शामिल थे और सैकड़ों की संख्या मे महिलाए भी थी.