सोमवार, 8 अगस्त 2022

Muharram 9th:आग के अंगारों से होकर गुजरा विश्व प्रसिद्ध दूल्हे का जुलूस

दूल्हा घायल लौटा जुलूस, फिर दूसरे दूल्हे संग आग पर कूदा जुलूस



Sarfaraz Ahmad
Varanasi (dil india live). शहीदाने कर्बला हज़रत कासिम की याद में नौवीं मोहर्रम की मध्यरात्रि विश्व प्रसिद्ध कदीमी (परंपरागत) दूल्हे का जुलूस निकाला गया। शिवाला सिथत इमामबाड़ा दूल्हा कासिम नाल से अकीदत एवं एहतराम के साथ उठा यह जुलूस निकलते ही तब उसे वापस इमामबाड़े लौटना पड़ा जब दूल्हे का हाथ उखड़ गया। इस दौरान अकीतदमंदों का जनसैलाब शिवाला में उमड़ा हुआ था। पुनः दूसरे व्यक्ति को दूल्हा बना कर जुलूस निकाला गया। जुलूस या हुसैन, या हुसैन...की सदाएं बुलंद करते हुए आग के अंगारों पर चलकर हज़रत इमाम हुसैन, हज़रत कासिम समेत कर्बला में शहीद हुए 72 हुसैनियों को सलामी पेश करते हुए इमाम चौकों पर बैठायी गई तकरीबन 60 ताजियों को सलामी देने व 72 अलाव से होता हुआ मंगलवार की सुबह वापस लौटेगा। जुलूस शहर के छह थानाक्षेत्रों से गुजरता है। इस दौरान कड़ी सुरक्षा व्यवस्था रही।

इससे पहले दूल्हा कमेटी ने एक ओहदेदारान को दूल्हा बनाया जिस पर सवारी पढ़ी गई। डंडे में लगी घोड़े की नाल लिये दूल्हे को पकड़ने की लोगों में होड़ मची हुई थी। पीछे पीछे अकीदतमंदों का हुजूम जुलूस में शामिल था। जुलूस विभिन्न मुहल्लों में इमाम चौकों पर बैठे ताजिये को सलामी देते बढ़ता गया। इस दौरान या हुसैन की सदाएं बुलंद हो रही थी। इस दौरान विभिन्न थानों की पुलिस के अलावा पीएसी के जवान तैनात थे। कमेटी के सचिव मोहम्मद खालिद ने बताया कि जुलूस मंगलवार को पुन: शिवाला सिथत इमामबाड़ा दूल्हा कासिम नाल पहुंच कर ठंडा होगा। समाचार लिखे जाने तक जुलूस लगातार या हुसैन,या हुसैन...की संस्थाएं बुलंद करता हुआ आगे बढ़ रहा था। 

आकर्षक ताजिये की हुई जियारत

9 वीं मोहर्रम को इमाम चौक पर सभी ताजिया फातेहा करके बैठा दी गईं। शहर भर में इनकी जियारत के लिए भारी भीड़ उमड़ी रही। अर्दली बाजार, दालमंडी, नई सड़क, मदनपुरा, बजरडीहा आदि इलाकों से ताजिया दरगाहे फातमान की ओर कल रवाना होगी।

 बुर्राक की ताजिया, पीतल की ताजिया, रांगे की ताजिया, शीशम की ताजिया, चपरखट की ताजिया, मोतीवाली ताजिया, हिंदू लहरा की ताजिया, जरी की ताजिया, शाबान की आदि प्रमुख ताजिया लोगों के आकर्षण का केंद्र रहीं।









रविवार, 7 अगस्त 2022

Duldul ka julus: दर्द भरे नौहों की बोल पर हुआ मातम

अर्दली बाजार से निकला कदीमी दुलदुल, अलम, ताबूत



Varanasi (dil india live). सैय्यद जियारत हुसैन के अंर्दली बाजार तार गली स्थित इमामबाड़े से 8 वीं मोहर्रम को दुलदुल अंलम, ताबूत का  कदीमी जुलूस रविवार की देर रात निकाला गया। जुलूस अपने कदीमी (पुराने) रास्ते से होकर उल्फत बीबी कम्पाउन्ड स्थित स्व.मास्टर जहीर साहब के  इमामबाड़े पर  पहुंच कर समाप्त समाप्त हुआ। जुलूस में अंजुमन इमामिया ने नौहाखवानी व मातम किया। जुलूस की अगुवाई इरशाद हुसैन "शद्दू"  ने करते हुए बताया कि आठवीं मोहर्रम को रवायत के अनुसार यह जुलूस निकाला गया। जुलूस में रास्ते भर अकीदतमंद दुलदुल की जियारत करने उमड़े हुए थे। 

Muharram 8th:" जब हाथ कलम हो गए सक्काए हरम के "

आठवीं मुहर्रम: निकला तुर्बत व अलम  का कदीमी जुलूस 

ख्वाजा नब्बू के इमामबाड़े से अंजुमन हैदरी ने निकाला जुलूस



Varanasi (dil india live) । आठवीं मुहर्रम का तुर्बत व अलम  जुलूस ख्वाजा नब्बू साहब के चहमामा स्थिति इमामबाडे से सै• मुनाजिर हुसैनी मंजू के जेरे इन्तजाम उठा जुलूस उठने से पूर्व मजलिस को खेताब फरमाते हुए अब्बास मुर्तुजा शम्सी ने बयान किया कि मौला अब्बास अ• स• की शुजाअत और वफा की कोई मिसाल नहीं है। जुलूस उठने पर शराफत अली खां साहब,  लियाकत अली साहब व साथियों ने सवारी शुरू किया - " जब हाथ कलम हो गए सक्काए हरम के " जुलूस धीरे-धीरे पत्थर गलिया चहमामा होते हुए दालमंडी पहुंचा जहाँ से अंजुमन हैदरी चौक ने नौहा ख्वानी व मातम शुरू किया - "करते है मातम हरम अब्बास का हो गया मरना सितम अब्बास का "। जुलूस मेंपूरे रास्ते उस्ताद हसन अली खां साहब व साथियों ने शहनाई पर मातमी धुन पेश किया। जुलूस नई सडक काली महल पितरकुण्डा होते हुए लल्लापुरा स्थित फात्मान पहुंचा जहाँ से पुनः वापस अपने कदीमी रास्तों से होते हुए चहमामा स्थिति इमामबाडे मे आकर इकतेदाम पदीर हुआ।

hand writing से जान सकते है व्यक्ति की मानसिकता: राजेश जौहरी

डीएवी पीजी कॉलेज में कार्यशाला : देश भर से जुटे प्रतिभागी


Varanasi (dil india live)। डीएवी पीजी कॉलेज के मनोविज्ञान विभाग के तत्वावधान मे चल रहे "हस्तलेख निदान : मानसिक स्वास्थ्य एवं व्यक्तित्व का आंकलन" विषयक रास्त्री कार्यशाला के दूसरे दिन रविवार को विषय विशेषज्ञ राजेश जौहरी ने बताया कि लोगों की लिखावट, उनकी मानसिक परिपक्वता, कार्य करने की शैली, लोगों से संबंध, सकारात्मक एवं नकारात्मक सोच, विचार शैली, लक्ष्य प्राप्ति की उत्कंठा एवं मन में उपजे सारे विचारों को जानना ग्राफ़ोलॉजी पद्धति द्वारा संभव है। अलग-अलग प्रकार की राइटिंग भिन्न प्रकार की मानव मस्तिष्क को दर्शाती है । उन्होंने आगे कहा कि छोटे अक्षर लिखने वाले मनुष्य दूरदर्शी, सूक्ष्म, गहन अध्ययन करने वाले अस्पष्ट लिखने वाले दुविधाग्रस्त, अव्यवस्थित लिखने वाले दिशाभ्रमित तथा अन्य कई सारी चीजें एवं व्यवहार लिखावट के द्वारा जानी जा सकती है । उन्होंने कहा कि लोग कलम को कितना दबाकर लिखते हैं, इसका भी अपना अर्थ होता है । जो लोग कम दबाव के साथ लिखते हैं वह परिस्थितियों के साथ तेजी से समायोजन करने वाले, विचारों में अधिक लचीले, जल्दी थक जाने वाले होते हैं । जबकि भारी दबाव के साथ लिखने वाले लोग आक्रमक, अत्यंत कुंठित, अमाशय एवं आंत संबंधी समस्याओं से ग्रसित होते हैं तथा ध्यानाकर्षण चाहने वाले होते हैं।  सामान्य दबाव के साथ लिखने वाले लोग सामान्य, संतुलित, परिश्रमी तथा दायित्व निर्वहन करने वाले होते हैं। उन्होंने अक्षरों के झुकाव की विभिन्न शैलियों तथा उनके अर्थ के साथ साथ हस्तलेखन के परिक्षेत्रों के बारे में जानकारी दी। अक्षर का ऊपरी परिक्षेत्र का भविष्य, मध्यम परिक्षेत्र का वर्तमान तथा निचले परिक्षेत्र का संबंध बीते हुए कल से होता है । 

 कार्यशाला में देश भर से जुड़े प्रतिभागियों एवं अतिथि का स्वागत विभागाध्यक्ष प्रो. ऋचा रानी यादव ने किया एवं धन्यवाद ज्ञापन आयुष्मान ने दिया। कार्यक्रम में प्रो. सत्य गोपाल, डॉ. कल्पना सिंह, डॉ. अखिलेंद्र कुमार सिंह, डॉ. कमालुद्दीन शेख, प्रशांत राज, मनीष कुमार आदि उपस्थित रहे। हाइब्रिड मोड में आयोजित कार्यशाला में देश के विभिन्न भागों के लगभग 60 प्रतिभागी शामिल हो रहे है।

Happy Friendship day : दोस्त के लिए जां निछावर करने की कहानी मित्रता दिवस

दोस्तों को श्रद्धांजलि के लिए शुरू हुआ friendship day

Varanasi (dil india live).आज पूरी दुनिया में friendship day सेलिब्रेट किया जा रहा है। friendship बैंड, friendship कार्ड, गिफ्ट्स का आदान-प्रदान किया जा रहा है। कहीं दोस्तों की पार्टी हो रही है तो कहीं पिकनिक पार्टी का लुत्फ उठाया जा रहा है। इन सबके बीच एक सवाल है कि आखिर फ्रेंडशिप डे का क्या है इतिहास? इसे क्यों और कब मनाया जाता है?

 दरअसल फ्रेंडशिप डे या मित्रता दिवस अगस्त महीने के पहले रविवार को मनाया जाता है। इस दिन को दोस्ती को समर्पित करने के पीछे भी एक रोचक कहानी है। कहानी कुुछ यूं शुरू होती है एक बार अमेरिका की सरकार ने एक बेेेगुनाह व्यक्ति को सजा-ए-मौत दे दिया था। इस व्यक्ति का एक दोस्त था, जिसने अपने दोस्त की मृत्यु के गम में आत्महत्या कर ली। उनकी दोस्ती की गहराई को सम्मान देते हुए 1935 से अमेरिकी आवाम ने इस दिन को दोस्तों के नाम कर दिया। इस तरह अमेरिका में फ्रेंडशिप डे मनाने की शुरुआत हुई। तय हुआ कि अगस्त केे पहलेेेेेे संडे को friendship day मनाया जाएगा। तब से यह ग्लोबल पर्व देश दुनिया में मनाया जाता है।

ऐसा शायद ही कोई व्यक्ति हो जिसका कोई मित्र न हो, जो दोस्ती की अहमियत न जानता हो। हम सभी की जिंदगी में कम या ज्यादा लेकिन दोस्त जरूर होते हैं, दोस्तों के साथ बिताया समय किसे नहीं अच्छा लगता। खासकर बचपन की दोस्ती तो बहुत गहरी होती है जिनकी यादें सदा के लिए मन में बस जाती है। दोस्ती ही एक ऐसा रिश्ता है जिसे व्यक्ति खुद की मर्जी से चुनता है। बचपन में जाने अनजाने ही कई दोस्त बन जाते हैं, जिनमें से कुछ स्कूल, कॉलेज तक ही साथ निभाते हैं तो कुछ आगे तक आपकी लाइफ में बने रहकर अच्छे-बुरे वक्त में दोस्ती निभाते है। हालांकि ऐसे दोस्त कम ही होते है जो ताउम्र सच्ची दोस्ती निभाएं। इसलिए दोस्त बनाते हुए आपको सतर्कता बरती चाहिए।

सदैव अच्छे दोस्त का करें चयन

दोस्त वे होते हैं जिनकी संगत आपके भविष्य को प्रभावित करती है। बुरी आदतों वाले दोस्तों की संगत आपको व आपके भविष्य को बिगाड़ने की क्षमता रखती है, वहीं अच्छी सोच व आदतों वाले दोस्त आपके व्यक्तित्व व जिंदगी को संवारने में सहायक होते है।

तो, यदि आपके जीवन में भी कोई ऐसा सच्चा दोस्त हो, तो फ्रेंडशिप डे के खास मौके पर अपने दोस्त को स्पेशल महसूस कराना न भूलें। वैसे इस दिन को दोस्तों के साथ सेलेब्रेट किया जाता है। कई लोग दोस्तों के साथ सेलिब्रेट करने के विभिन्न प्लान इस दिन के लिए मनाते हैं। पूरा दिन न सही लेकिन इस दिन जितना संभव हो अपनी व्यस्त दिनचर्या में से कुछ पल अपने दोस्तों के लिए जरूर निकालें।

Katha:कथा सिर्फ हरि की, बाकी सब व्यथा

करपात्र प्राकट्योत्सव में बोले मुरलीधर महाराज जीवन के सब रस रामकथा में समाहित




Varanasi (dil india live)। कथा तो सिर्फ हरि की है बाकी सब वृथा और व्यथा है। जीवन के सब रस रामकथा में समाहित है बस आवश्यकता है उसमें भक्ति भाव से गोते लगाने की। उक्त उदगार प्रख्यात मानस मर्मज्ञ संत मुरलीधर जी महाराज ने 115 वें करपात्र प्राकट्योत्सव के अवसर पर दुर्गाकुण्ड स्थित मणि मंदिर, धर्मसंघ प्रांगण में चल रहे 27 दिवसीय श्रीराम कथा के 22 वे दिन शनिवार को व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि भगवान राम के चरित्र को हर व्यक्ति अपने जीवन में उतार ले तो स्वतः ही राम राज्य स्थापित हो जाएगा, इसके लिए किसी क्रांति की आवश्यकता नही।  

गुरु की महिमा का बखान करते हुए कहा कि गुरु के चरण नहीं वरन आचरण वंदनीय व अनुकरणीय होता है।

दूसरों का वंदन व सम्मान करने से स्वयं की सकारात्मक शक्ति में विकास होता है।

मुरलीधर जी महाराज ने कहा कि किसी स्थान पर जाने से हमारे मन में शान्ति तथा सकारात्मक शक्ति आए, इसका मतलब उस स्थान पर किसी साधु या संत ने रहकर भगवान का भजन किया होगा। भले ही दुनिया के कई स्थान अपने आप में स्वर्ग कहलाते होंगे लेकिन उस भारत भूमि पर सैकड़ों स्वर्ग भी न्यौछावर है जहाँ संतो, ऋषियों ने जन्म लिया और अपनी तपस्या साधना से इसे स्वर्ग बना दिया। हम बहुत सौभाग्यशाली है जो भारतभूमि में जन्म प्राप्त कर सके।

 कथा के अंत मे धर्मसंघ पीठाधीश्वर स्वामी शंकरदेव चैतन्य ब्रह्मचारी जी महाराज ने भी श्रद्धालुओं को आशीर्वचन दिया।

इससे पूर्व कथा का शुभारंभ व्यासपीठ का पूजन कर हुआ।पंडित जगजीतन पाण्डेय, रामस्वरूप शर्मा, राम गोपालानंद जी महाराज ने श्री राम चरित मानस व व्यास पीठ का पूजन किया। इस अवसर पर मनोज अग्रवाल, रतन लाल गुप्ता, शशि अग्रवाल, विजय मोदी, राजमंगल पाण्डेय, सुमित सराफ आदि शामिल रहे

Sajhi virasat:देश मुश्किल दौर में, इसे बचाना वक़्त की जरूरत: शमा परवीन

हमें वंचितों की आवाज़ बनना होगा: शारदा देवी



Varanasi (dil india live). बदलते दौर में साझी विरासत तथा संवैधानिक एवं धर्मनिरपेक्ष मूल्यों को कैसे सुरक्षित रखा जाए,  बहुत ही चुनौती एवं जोखिमपूर्ण कार्य है। इस पर बातचीत के लिए स्थानीय समुदाय के साथ एक परिचर्चा का आयोजन राजघाट, वाराणसी में राइज एण्ड एक्ट के तहत किया गया। वक्ताओं ने कहा कि आज देश मुश्किल दौर से गुजर रहा है।भारत मे विभिन्न धर्म और समुदाय के लोग सदियों से आपस में मेल-जोल से रहते आये है पर आज इस परम्परा को नकारने की प्रवृत्ति बढ़ रही है।हमें यदि इस परंपरा को बचाये रखना है तो गरीबों-मज़लूमों के रोजी-रोटी के सवालों के साथ खड़े होना होगा क्योंकि सही मायने में इन्ही लोगों ने इसे बचाये रखा है।

            शमा परवीन ने कहा कि आज देश में सामाजिक और लोकतांत्रिक मूल्यों का क्षरण हो रहा है। स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के सपनों के अनुरूप समाज निर्माण नहीं हो रहा है। ऐसे मे सँवैधानिक मूल्यों पर आधारित समाज व साझी विरासत बचाना वक्त की भारी जरूरत है।

              मालती देवी ने कहा कि विकास के नाम पर तमाम लोग उजाड़ दिए गए है और उनका पुनर्वासन भी नहीं किया गया है।सरकार असंवेदनशील है और हमारे पास संघर्ष के अलावा कोई रास्ता नही बचा है। इससे तब ही निपटा जा सकता है जब हममें एकजुटता हो।

             शारदा देवी ने अपने सम्बोधन में कहा कि आज लोगों को रोजगार की जरूरत है पर इसपर सरकारी मशीनरी मौन है ।जो लोग स्मार्ट सिटी के नाम पर उजाड़ दिए गए हैं उनमें से ज्यादातर लोग दर-बदर मारे-मारे फिर रहे हैं।उनका कोई पुरसाहाल नहीं हैं।हमें उनकी आवाज़ बनना होगा।ये तभी सम्भव है जब जाति-धर्म के झगड़े से हम बाहर निकलेंगे।

 कार्यक्रम में आसपास की बस्तियों के तमाम लोग मौजूद रहे, संचालन शमा परवीन और धन्यवाद ज्ञापन इक़बाल अहमद ने किया।

38000 Students को राहत देने की टीचर्स एसोसिएशन मदारिसे अरबिया की मांग

कामिल व फाज़िल मदरसा छात्रों को ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती विश्वविद्यालय से सम्बद्ध किया जाए-हाजी दीवान साहेब ज़मा - मदरसा नियमावली से अगे बढ...