गुरुवार, 24 जून 2021

अदबी सिंधी संगत करायेगी अकादमिक यात्रा से परिचित

सिंधी साहित्य के शैदाई दयाराम नागवाणी

वाराणसी 24 जून (डॉली मेघनानी/दिल इंडिया लाइव)। कोरोना महामारी के दौर में जहाँ एक ओर लॉकडाउन के कारण सभी प्रकार की गतिविधियाँ थम गई है वहीं दूसरी ओर सामाजिक आभासीय माध्यमों के मंच से साहित्यकार साहित्यिक कार्यक्रमों को निरंतर गतिमान रखते हुए अपने उत्तरदायित्व का निर्वहन कर रहे हैं। 

शान्तिमोर्चा हिंदी दैनिक,अयोध्या के सम्पादक ज्ञानप्रकाश टेकचंदानी ' सरल ' ने 'अदबी सिंधी संगत,उ.प्र.' नाम से ह्वाट्सएप समूह का गठन किया है। इसका मुख्य उद्देश्य सिंधी साहित्यकारों,संस्कृति कर्मियों, शिक्षकों व पत्रकारों की अकादमिक यात्रा के बारे में सभी सिंधियों को परिचित कराना है।

सरल सर ने मुझे बुजुर्ग सिंधी साहित्य सेवी दयाराम नागवाणी के अकादमिक योगदान को सबके सामने लाने की जिम्मेदारी सौंपी। वाराणसी में उनका आवास मेरे घर से कुछ मिनटों की दूरी पर ही था। मैं उनसे फ़ोन पर अनुमति लेकर उनके निवास पर गई और सिंधी साहित्य के शैदाई से बहुत कुछ जानने और सीखने का अवसर मिला।

श्री दयाराम नागवाणी का जन्म 05 जून सन् 1949 ई. में महाराष्ट्र के उल्हासनगर में हुआ था।1952 ई. में उनका परिवार वाराणसी आकर बस गया। उन्होंने यहाँ अंग्रेज़ी विषय में स्नातकोत्तर करने के साथ बीएड की पढ़ाई पूर्ण की।सन् 1969 ई.में बीएचयू के सेंट्रल हिंदू कॉलेज में अंग्रेज़ी के प्रवक्ता पद पर नियुक्त हुए और वहीं से सन्.... में अवकाश ग्रहण किया।

श्री नागवाणी जी को अंग्रेज़ी के अतिरिक्त सिंधी,पंजाबी व उर्दू भाषाओं का भी ज्ञान है।

श्री नागवाणी जी मूलत अंग्रेज़ी विषय के विद्वान हैं। किंतु मातृभाषा सिंधी होने के कारण उनका सिंधी भाषा - साहित्य के प्रति विशेष लगाव है।यही कारण है कि वे सिंधी साहित्य का निरंतर अध्ययन-मनन करते रहते हैं। उन्होंने सिंधी भाषा में अनेक फुटकर लेख लिखे जो विभिन्न पत्र - पत्रिकाओं प्रकाशित होते रहे हैं। उनमें से उल्लेखनीय हैं : अयोध्या से प्रकाशित सिंधी - हिंदी पाक्षिक 'सिंधु गर्जना' में प्रकाशित उनका लेख 'इएं कोन थींदी काइमु सिंधियत' जिसमें वे सिंधी भाषा के अस्तित्व पर मंडराते ख़तरे पर चिंता करते हुए उसके संरक्षण की बात करते हैं और अपनी मातृभाषा सिंधी में ही बात करने पर बल देते हैं।

सिंधी युवा समिति,वाराणसी की 'समर्पण' में प्रकाशित उनका लेख ' सिंधु जी सुञाणप ' सिंधियों के इष्टदेव झूलेलाल पर केंद्रित है। वाराणसी से ही प्रकाशित एक अन्य वार्षिक स्मारिका 'सेवा' में संत कँवरराम पर आधारित प्रकाशित उनका लेख 'कलावंत कंवर' उनके लेखन की भाषा - शैली का उत्कृष्ट परिचय देता है। है।

वाराणसी से ही प्रकाशित मासिक पत्रिका 'सिंधु चेतना' में उनके सिंधी लतीफे भी छपते रहते थे।जो उनकी बहुगुणी प्रतिभा का दर्शन कराते हैं।

हिंदी दैनिक 'आज' समाचार पत्र में सिंधी भाषी महापुरुषों के चरित्र को सर्व समाज के समक्ष प्रकाश में लाने के उद्देश्य से हेमू कालाणी,भगत कँवरराम,साधु बेला आश्रम आदि विषयों पर इनके अनेक लेख प्रकाशित होते रहे हैं।

यद्यपि उनका मौलिक लेखन तो गौण है परंतु सिंधी की अरबी - फ़ारसी लिपि में प्रकाशित पुस्तकों का देवनागरी लिपि में लिप्यंतरण का कार्य उल्लेखनीय है जिनमें से एक पुस्तक प्रकाशित भी हो चुकी है। इस पुस्तक का शीर्षक है 'आदर्श जीवन या शंकर प्रकाश' जिसके लेखक द्वारिकाप्रसाद रोचीराम शर्मा हैं।यह पुस्तक सिंध के बहुत बड़े संत महाराज शंकरलाल शर्मा के जीवन पर केंद्रित है जो बाद में काशी में आकर बस गए थे। इसके अतिरिक्त नागवाणी जी कई अन्य पुस्तकों के लिप्यंतरण का कार्य भी कर रहे हैं।उनमें महत्वपूर्ण हैं मोहम्मद पुनहल ड॒हर द्वारा लिखित 'भग॒त कंवरराम साहिब : मुसलमाननि जी निगाह में' पुस्तक का देवनागरी लिप्यंतरण कार्य प्रगति पर है।यह पुस्तक कुल 256 पृष्ठों की है।इस पुस्तक में संत कंवरराम के विषय में 10 मुसलमान लेखकों के विचारों का संग्रह है।दूसरी पुस्तक ताज जोयो लिखित 'शहीद भगत कंवरराम: सिंधी  सभ्यता जो मजस्म रूप' का भी लिप्यंतरण का कार्य प्रगति पर है। यह पुस्तक कुल 300 पृष्ठों की है।

श्री नागवाणी जी द्वारा किया गया लिप्यंतरण का कार्य अत्यंत ही प्रशंसनीय है क्योंकि आजकल के सिंधी युवा अपनी मातृभाषा सिंधी  पढ़ना ही नहीं जानते हैं। सिंधी पुस्तकें देवनागरी लिपि में उपलब्ध होने से उनको भी लाभ मिल सकेगा और इस तरह से वे भी सिंधी साहित्य- संस्कृति से परिचित हो सकेंगे। 

श्री दयाराम नागवाणी जी से भेंट के मध्म हुई बातचीत में सिंधी साहित्य के प्रति उनका अगाध प्रेम परिलक्षित हो रहा था। संत कँवरराम के प्रति उनके मन में विशेष आदर का भाव है। उनके पास संत कँवरराम से संबंधित अनेक पुस्तकों का संग्रह है।26 अप्रैल, 2010 में संत कँवरराम की 125 वीं जयंती के अवसर पर भारत के  राष्ट्रपति प्रतिभा देवीसिंह पाटील के करकमलों से विमोचित भगत कँवरराम स्मारक डाक  टिकट आज भी उन्होंने सहेज कर रखा है।अंग्रेज़ी,सिंधी

और हिंदी भाषा की अनेक पुस्तकों के अतिरिक्त  सिंधी की पत्र - पत्रिकाएँ उनकी अलमारी की शोभा बढ़ा रहे हैं।बीच-बीच में बातों ही बातों में वे सिंधी भाषा के प्रति युवा पीढ़ी की उदासीनता पर चिंता भी व्यक्त कर रहे थे। नागवाणी जी इन दिनों कुछ अस्वस्थ हैं फिर भी सिंधी की सेवा के लिए निरंतर कार्य कर रहे हैं।उन्होंने मुझे भेंट स्वरूप एक पुस्तक भी दी। मैं आभार प्रकट करती हूं आदरणीय सरल सर जी का कि जिनके कारण मुझे एक स्तरीय साहित्यसेवी दयाराम नागवाणी जी से मिलने का सुअवसर दिया।


(लेखक बीएचयू में शोध छात्रा है)

बुधवार, 23 जून 2021

संगीतकार वी. बालसारा

आज जीवित होते, तो सौ साल ‌के रहते !  

खेमचंद प्रकाश, गुलाम हैदर, नौशाद, लता मंगेशकर और राजकपूर जिनके पियानो के दीवाने थे ! 

जयनारायण प्रसाद Jai Narayan Prasad फेसबुक वाल से)


वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)।संगीतकार वी. बालसारा न सिर्फ पियानो में पारंगत थे, बल्कि हारमोनियम और रवींद्र संगीत के भी 'मास्टर्स' थे। आज बालसारा साहेब जीवित होते, तो सौ साल के रहते।‌ उनके वाद्य संगीत के दीवाने खेमचंद प्रकाश, गुलाम हैदर, नौशाद, राजकपूर, लता मंगेशकर और शंकर-जयकिशन तक थे। देशभर में वी. बालसारा के चाहने वालों की लंबी फेहरिस्त हैं और बंगाल में तो कहना ही क्या ! 

वी. बालसारा की पैदाइश हालांकि बंबई में हुई थीं, लेकिन गुजरे वे कलकत्ता में। रवींद्रनाथ टैगोर के संगीत और बंगाल की संस्कृति उन्हें खींचकर कलकत्ता ले आई थीं। वर्ष 1954 में कलकत्ता आए, तो फिर लौटे नहीं। वी. बालसारा कलकत्ता और बंगाल के होकर रह गए।

बंबई में 22 जून, 1922 को एक संभ्रांत पारसी परिवार में वी. बालसारा का जन्म हुआ था। उनका निधन कलकत्ता में 24 मार्च, 2005 को हुआ। वी. बालसारा के संगीत के दीवानों में वैसे तो अनगिनत हैं, लेकिन एक महेश गुप्ता हैं, जो हर साल बालसारा की याद में संगीत का जलसा आयोजित करते हैं और संगीत के जानकारों को सम्मानित भी करते हैं। 

कहते हैं कि वी. बालसारा जब सिर्फ छह साल के थे, तब अपनी मां से हारमोनियम सीखा था। उनकी मां का नाम था- नजामेई। संगीत के परिवेश में बालसारा बड़े हुए, तो उन्हें पहली हिंदी फिल्म मिली 'बादल'। उस्ताद मुस्ताक हुसैन की इस फिल्म में वी. बालसारा सहयोगी संगीतकार थे। लेकिन, वर्ष बीतते न बीतते बालसारा को पहली स्वतंत्र फिल्म मिल गई। इस हिंदी फिल्म का नाम था- 'सर्कस गर्ल', जो वसंत कुमार नायडू ने बनाई थीं। साल था 1943 और इस फिल्म ने बालसारा को शोहरत के मुकाम तक पहुंचाया।

बंबई में 1940 से 1950‌ तक वी. बालसारा की अच्छी ‌धाक थीं।। वर्ष 1947 में संगीतकार नौशाद के साथ जुड़े। उससे पहले खेमचंद प्रकाश और गुलाम हैदर उनके चाहने वालों में थे। फिर, आरके फिल्म्स के बैनर तले राजकपूर के साथ रहे। गायिका लता मंगेशकर बालसारा के सबसे बड़ी प्रशंसक अब भी हैं। 1952 में संगीतकार जोड़ी शंकर-जयकिशन ने वी. बालसारा के साथ काम किया। बंबई में रहते हुए बालसारा ने सिने म्यूजिशियन एसोसिएशन की स्थापना की। उद्देश्य था गरीब संगीतकारों की आर्थिक मदद करना। इस संगीत-संस्था के वे सचिव भी रहे।

पियानो, माउथ आर्गन और हारमोनियम में वी. बालसारा   सिद्धहस्त थे। रवींद्र संगीत में भी वे पारंगत थे। जाने-माने संगीतकार ज्ञान प्रकाश घोष के आमंत्रण पर वर्ष 1954 में वी. बालसारा कलकत्ता क्या आए- यहीं के होकर रह गए। वर्ष 2005 में वी. बालसारा चल बसे। कलकत्ता में हिंद सिनेमा के पास (वेलिंगटन के नजदीक) अरकू दत्त लेन की दो मंजिला इमारत पर वे रहते थे। अब वहां कोई नहीं रहता। 

कलकत्ता में एक महेश गुप्ता हैं, जो वी. बालसारा‌ के पास कभी पियानो सीखने गए थे, सीख तो नहीं पाए‌ लेकिन बालसारा के ऐसे फैन बने कि वी. बालसारा की याद में एक संस्था बना डाली- बालसारा मेमोरियल कमिटी। इस संस्था के बैनर तले हर साल उनकी याद में संगीत का एक बेहतरीन जलसा होता है। इस जलसे में बंगाल के बड़े म्यूजिशियन जुटते हैं और वी. बालसारा को अपने तरीके से याद करते हैं। बालसारा के प्रति उनका समर्पण ऐसा कि सबकुछ अपने पैसे से करते हैं ! 


(नीचे‌ तस्वीर में संगीतकार वी. बालसारा (बांए) और दाहिनी तरफ महेश गुप्ता। फोटो सौजन्य : महेश गुप्ता)

आर्गेनिक हाट में आई गुड़ से बनी बुंदी की मिठाई


गुड़, स्वाद के साथ ही सेहत का भी खजाना

वाराणसी 23 जून (दिल इंडिया लाइव)। प्राकृतिक मिठाई के तौर पर पहचाना जाने वाला गुड़, स्वाद के साथ ही सेहत का भी खजाना है। आर्गेनिक हाट करौंदी में गुड़ से बनी कई तरह की मिठाई लोगों को न सिर्फ अपनी ओर आकर्षित कर रही है, बाल्कि लोग इसे खरीद भी रहे हैं। इस बुंदी के लड्डू की सोंधी खूश्बू व मिठास लोगों को खूब भाती है। इसे गुड़ही भी कहते हैं इसमें तिल, तिसी व सौफ भी मिलाया गया है। गुड़ पेट की समस्याओं से निपटने का आसान और फायदेमंद उपाय है। यह गैस बनना और पाचन क्रिया से जुड़ी अन्य समस्याओं को हल करने में सहायक है। खाना खाने के बाद गुड़ का सेवन पाचन में सहयोग करता है। इतना ही नहीं गुड़ सर्दी, जुकाम और खास तौर से कफ से भी राहत दिलाता है। रोजाना दूध या चाय में गुड़ का प्रयोग कर तमाम समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है। 

कुछ प्रमुख खाद्य पदार्थों की सूची 

चावल, काला चावल, दालें, सरसो, तीसी, मूंगफली व तिल तेल, देशी गाय का घी, गुड, शहद, मोटे अनाज, दलिया, रागी, चना, मटर, मिश्रित आटा, मसाले, मुरब्बा, आचार,, मोरिंगा से बने उत्पाद, तुलसी अर्क, एलोवेरा, अश्वगंधा, शतावरी, अर्जुन छाल चूर्ण, सिरका, आंवला जूस, आंवला लड्डू, रॉकसाल्ट भी इस हॉट में मौजूद है।

मंगलवार, 22 जून 2021

आशा ट्रस्ट ने दिया "कोरोना योद्धा सम्मान पत्र"

'मेडिकल किट' देकर ग्रामीण चिकित्सको का सम्मान

ग्रामीण चिकित्सकों के कोरोना काल में किये गये योगदान की सराहना

वाराणसी 22 जून (दिल इंडिया लाइव)। कोरोना संकट के दौरान उल्लेखनीय सेवा प्रदान करने वाले ग्रामीण चिकित्सकों को चिन्हित करके  सामाजिक संस्था 'आशा ट्रस्ट' द्वारा  "कोरोना योद्धा सम्मान" से सम्मानित किये जाने का निर्णय लिया है। इस क्रम में मंगलवार को राजातालाब कस्बे में स्थित एक लॉन में ट्रस्ट द्वारा मनरेगा मजदूर यूनियन द्वारा चयनित किये गये क्षेत्र के 40 चिकित्सकों को सम्मानित किया गया। सम्मान पत्र के साथ ही उन्हें एक 'स्वास्थ्य रक्षक किट' भी प्रदान की गयी जिसमे आक्सीमीटर, थर्मामीटर, थर्मल स्कैनर, वेपोराइजर, फेस शील्ड, दस्ताना, मास्क, उपयोगी दवाएं आदि है जिसका चिकित्सा के दौरान प्रयोग किया जा सके।

इस अवसर पर कार्यक्रम का संयोजन कर रहे मनरेगा मजदूर यूनियन के संयोजक सुरेश राठोर ने कहा कोरोना संकट की दूसरी लहर के दौरान गाँव गाँव में चिकित्सा सेवा से जुड़े लोगों का बहुत ही सराहनीय और उल्लखनीय योगदान रहा, जब सरकारी अस्पतालों और बड़े अस्पतालों में बेड और आक्सीजन के लिए हाहाकार मचा हुआ था उस समय दूर दराज गाँवों में चिकित्सकजन ने बड़े ही जिम्मेदारी से पीड़ित और संक्रमित लोगों को चिकित्सा सुलभ कराइ. इन चिकित्सको के पास प्रायः बड़ी डिग्री नही होती लेकिन इनका विभिन्न प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज करने का अनुभव कही बहुत ज्यादा है और यही कारण था कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान इन चिकित्सकों ने ग्रामीण क्षेत्र में हजारों लोगों की जान बचाई।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि ब्लाक प्रमुख प्रतिनिधि महेंद्र सिंह पटेल ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में सेवा कर रहे निजी चिकित्सकों ने महामारी के दौर में मानवता की सेवा की मिसाल कायम की है, उन्हें प्रोत्साहित किये जाने की आवश्यकता है, इससे उनमे भविष्य में और बेहतर सेवा करने का आत्मविश्वास जगेगा.

आशा ट्रस्ट के समन्वयक वल्लभाचार्य पाण्डेय ने कहा ग्रामीण चिकित्सकों को आधुनिक चिकित्सा उपकरणों के उपयोग का  प्रशिक्षण दिए जाने की जरूरत है जिससे भविष्य में ऐसी स्थिति उत्पन्न होने पर वे और अच्छी सेवा दे सकें. उन्होंने कहा कि देश में सभी को बेहतर स्वास्थ्य के अधिकार के लिए जन आंदोलन की आवश्यकता है, जिसमे प्रति 1000 की आबादी पर न्यूनतम आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने की मांग हो।

किसान नेता योगीराज पटेल ने कहा कि प्रत्येक गाँव में मानदेय पर जन स्वास्थ्य रक्षकों की नियुक्ति की जानी चाहिए जिससे ग्रामीण क्षेत्र में  रक्तचाप, मधुमेह, ऑक्सीजन स्तर आदि सामान्य जांच की सुविधा आसानी से सुलभ हो सके.

कार्यक्रम में अनेक ग्रामीण चिकित्सकों ने कोरोना संकट काल के समय के अपने अनुभवों को साझा भी। किया।

कार्यक्रम के दौरान कोरोना अवधि में अपनी जान जोखिम में डाल कर पत्रकारिता की जिम्मेदारी का निर्वाह करने वाले ग्रामीण पत्रकार बंधुओं को भी स्वास्थ्य सुरक्षा किट एवं सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से रेनु पटेल,महेश पांडेय,ओमप्रकाश,अरविंद पटेल,नेहा जायसवाल,अजय कुमार,अली हसन,प्रियंका,निशा,पूजा,रीना, मुस्तफा,श्रद्धा,रोहित,अरमान, महेंद्र,अनिता,नैना,पार्वती, सरस्वती,मंजू आदि लोग शामिल हुए।

सम्मानित किये गये चिकित्सक 
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प्रमाण पत्र देकर सम्मानित करते संस्था के पदाधिकारी

डॉ.जे.पी.पाल, पवन गुप्ता, प्यारेलाल, नागेश श्री, रामबली, रामदुलार, दशरथ, राजनाथ, अजय कुमार, प्रकाश कुमार, कल्लू प्रसाद यादव, विश्वास चंद्र, हंसराज, दयाराम,आर.के. पाल, ऋतु प्रिया सिंह, लालजी, लोहा सिंह, बाबुलाल, छविनाथ, लक्ष्मी शंकर यादव, धर्मा देवी, ए. के.वर्मा, रमेश, महंगू, मुन्ना, सुरेंद्र, गोविंद, राहुल, अभय, रामदुलार, शोभनाथ, राजेश केसरी, राजू, दिनेश राम, रविशंकर, नित्यानंद,

सम्मानित किये गये पत्रकार

राजकुमार गुप्ता, मयंक, मुश्ताक, दयाशंकर पांडेय, त्रिपुरारी यादव, रवि पांडेय, देवेंद्र वर्मा, कृष्णकांत मिश्रा आदि।

विदुषियों ने किया आनलाईन योग

योग से ही रह सकती हैं महिलाएं निरोग

वाराणसी 21जून (दिल इंडिया लाइव) विश्व योग दिवस पर महिलाये भी किसी से पीछे नहीं रहीं, उन्होंने भी योग अभ्यास का आयोजन कर दुनिया को बता दिया कि योग से ही निरोग रहा जा सकता है। विदुषी महिला मंडल (Vidushi mahila mandal) की ओर से विदुषी पदाधिकारियो व सदस्याओ ने कोरोना काल को देखते हुए आनलाईन योग अभ्यास


कार्यक्रम का आयोजन किया। संस्थापक संरक्षक मनीषा अग्रवाल की मौजूदगी में योग शिक्षक सुश्री निधि गिरि के नेतृत्व में योगा दिवस मनाया गया। मनीषा अग्रवाल ने योग के ऐतिहासिक महत्व पर जहां प्रकाश डाला वहीं रमा सिंह (अध्यक्ष,) गरिमा टकसाली (महामंत्री,) पूजा अग्रवाल (कोषाध्यक्ष) ने योग को महिलाओं की फिटनेस के लिए जरूरी बताया।

डाक विभाग ने 'बी विद योगा, बी एट होम' के तहत मनाया योग दिवस, चिट्ठियों पर लगी विशेष मुहर

मनुष्य की ऊर्जा को बढ़ाता है योग: पोस्टमास्टर जनरल

कोरोना महामारी के दौर में योग को अपनाकर स्वस्थ भारत के निर्माण में बनें सहभागी

वाराणसी 21जून (दिल इंडिया लाइव)। 'अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस' पर डाक विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों ने कोविड प्रोटोकाल के तहत घर पर रहकर योग दिवस मनाया। कोरोना महामारी के चलते इस वर्ष भारत सरकार ने लोगों से 'बी विद योगा, बी एट होम' का अनुपालन करते हुए 21 जून को सातवाँ अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने की अपील की थी। इसी क्रम में वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव सहित ने घर पर योग किया और लोगों को भी इस ओर प्रेरित किया। इसी क्रम में लोगों को योग दिवस की महत्ता बताने हेतु कैण्ट प्रधान डाकघर में पोस्टमास्टर जनरल ने विशेष विरूपण (स्पेशल कैंसिलेशन) भी जारी किया, जिसे सभी प्रधान डाकघरों में योग दिवस के दिन प्राप्त होनी वाली समस्त डाक पर लगाया गया। वेबिनार के माध्यम से भी डाककर्मियों को योगाभ्यास कराया गया। 

इस अवसर पर पोस्टमास्टर जनरल  श्री कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि, योग जीवन का वह दर्शन है,जो मनुष्य को उसकी आत्मा से जोड़ता है और मनुष्य के मानसिक, शारीरिक व आध्यात्मिक ऊर्जा को बढ़ाता है। योग न सिर्फ हमें नकारात्मकता से दूर रखता है अपितु हमारे मनोमस्तिष्क में अच्छे विचारों का निर्माण भी करता है। श्री यादव ने कहा कि, कोरोना महामारी के दौर में योग का महत्त्व और अधिक बढ़ जाता है, जिसे अपनाकर हम सभी को स्वस्थ भारत के निर्माण में सहभागी बनना चाहिए। डाक विभाग के अधिकारी-कर्मचारी इस समय 'कोरोना वॉरियर्स' के रूप में कार्य करते हुए फील्ड में तमाम सेवाएँ दे रहे हैं, ऐसे में 'योग फॉर वेलनेस' की भावना उन्हें और भी मजबूत बनाएगी।

सहायक निदेशक श्री राम मिलन ने कहा कि, भारतीय संस्कृति की अमूल्य और विलक्षण धरोहर एवं मानव के उत्तम स्वास्थ्य का आधार योग है। वाराणसी पश्चिमी मंडल के अधीक्षक डाकघर श्री संजय कुमार वर्मा ने कहा कि मानसिक व शारीरिक लाभ के साथ नैतिक बल भी प्रदान करने वाली योग पद्धति ने कोरोना महामारी में बहुत संबल प्रदान किया है। इस अवसर पर कैण्ट प्रधान डाकघर के पोस्टमास्टर रमाशंकर वर्मा, सहायक अधीक्षक अजय कुमार, सहायक लेखा अधिकारी संतोषी राय, डाक निरीक्षक श्रीकांत पाल, वीएन द्विवेदी, श्री प्रकाश गुप्ता,  भी उपस्थित रहे।

Postal Department celebrated Yoga Day under 'Be with Yoga, Be at Home', special stamp on letters


Varanasi 21jun (dil india live)'International day of Yoga' was celebrated by Postal Department in Varanasi Region by following Covid protocol. Due to the Corona pandemic, this year the Government of India had asked to observe the 7th IDY with 'Be with Yoga, Be at Home.' Postmaster General of Varanasi Region Mr. Krishna Kumar Yadav also did yoga at home and inspired people to do the same. In order to make people aware of the importance of Yoga Day, the Postmaster General also issued a special cancellation at Varanasi Cantt. Head Post Office, which was affixed on all the mails booked and received on the day. The postal employees also performed yoga practice through webinar.

On this occasion, Postmaster General Mr. Krishna Kumar Yadav said that Yoga is philosophy of life, which connects human being with his soul and increases the mental, physical and spiritual energy. Yoga not only keeps us away from negativity but also creates good thoughts in our mind. Mr. Yadav said that in the time of Corona pandemic, the importance of yoga increased even more, adopting which we all should participate in building a healthy India. Postal employees are currently serving as 'Corona Warriors' in the field, so the spirit of 'Yoga for Wellness' will make them stronger.

Assistant Director Mr. Ram Milan said that Yoga is the invaluable and unique heritage of Indian culture and the base of good health of human beings. Superintendent of Post Office, Varanasi West Division, Mr. Sanjay Kumar Verma said that the yoga system, which provides moral strength along with mental and physical benefits, has provided a lot of strength in the Corona epidemic. Postmaster, Varanasi Cantt. Head Post Office Ramashankar Verma , Assistant Superintendent Ajay Kumar, Assistant Accounts Officer Santoshi Rai, Postal Inspector Shrikant Pal, V. N. Dwivedi, Shri Prakash Gupta were also present on the occasion.

चित्र :1. पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव सपरिवार योग करते हुए।

2. अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव स्पेशल कैंसिलेशन जारी करते हुए

मुसिलमों ने भी किया योग

सुल्तान क्लब ने की विश्व योग दिवस की अगुवाई

वाराणसी 21जून (दिल इंडिया लाइव)। 7 वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के मुसलिमों ने भी योग कर लोगों को स्वस्थ रहने की अपील की। "सुल्तान क्लब" की अगुवाई में हुए इस आयोजन में बड़ी संख्या में मुसलिम जुटे और योग अभ्यास किया। रसूलपुरा, बड़ी बाजार में संस्था अध्यक्ष डॉक्टर एहतेशामुल हक के आव्हान पर मनाये गये योग दिवस का नेनृत्व  मास्टर अब्दुल रहमान ने किया।

 उन्होंने योग के विभिन्न आसनों के लाभ बताये व योग विभिन्न मुद्राओं में किया। इस अवसर पर  सभी बहुत उत्साहित थे। डॉक्टर एहतेशामुल हक ने कहा की नमाज जैसी पवित्र प्रार्थना  के साथ योग भी स्वास्थ्य के लिए बेहतरीन  व्यायाम है, अगर बच्चे ,जवान ,बूढ़े और महिलाएं योग जैसे व्यायाम को अपना ले तो बहुत सारी बीमारियों जैसे बी पी, शूगर, हृदय रोग इत्यादि बीमारियों से बच सकते हैं, योग यूनानी व आयुर्वेदिक पद्धति का एक अंग है।

 इस अवसर पर अध्यक्ष डॉ एहतेशामूल हक, प्रधानाचार्य मुसर्रत इस्लाम, महासचिव एच हसन नन्हें, सचिव मुस्लिम जावेद अख्तर, कोषाध्यक्ष शमीम रियाज, उपाध्यक्ष महबूब आलम, उप सचिव अब्दुल रहमान, ऑडिटर मुख्तार अहमद अंसारी,


मौलाना अब्दुल्लाह, हाफिज मुनीर इत्यादि शामिल थे।

शेख़ अली हजी को दिखता था बनारस का हर बच्चा राम और लक्ष्मण

बरसी पर याद किए गए ईरानी विद्वान शेख़ अली हजी  Varanasi (dil India live)। ईरानी विद्वान व दरगाहे फातमान के संस्थापक शेख मोहम्मद अली हजी ईरान...