मंगलवार, 25 मार्च 2025

Ramzan mubarak (24)-इबादत और दुआओं का दौर तेज़

ऐ अल्लाह रमज़ान के सदके में दुनिया और आखिरत संवार दे... आमीन 

ताक रात में हो रही इबादत खास

Varanasi (dil India live)। ऐ अल्लाह रमज़ान के सदके में दुनिया और आखिरत संवार दे, तू रहीम है तू करीम है मेरे मौला हम सबके हालात सुधार दे, दुनिया के तमाम लोगों की जो भी परेशानियां है उसे दूर कर दे...आमीन। 

आज शबे कद्र है, इस रात कुछ ऐसी ही सदाएं रोज़ादार और इबादतगुजार घरों मस्जिदों में बुलंद करते दिखाई दिए। ताक रात में आज पूरी रात इबादत होगी, रोज़ेदार पूरी रात जागकर इबादत में मशगूल रहेंगे। दरअसल माहे रमजान के आखिरी दस दिनों की पांच रातों में से कोई एक शबे कद्र होती है। इस शब में लोग जागकर रब की इबादत करते हैं। इस्लाम में इस रात को हजार रातों से अफजल बताया गया है। इसलिए रोजेदार ही नहीं बल्कि हर कोई इस रात में इबादत कर अल्लाह से खुसूसी दुआ मांगता है।

हज़ार रातों से अफज़ल है शबे कद्र की ताक रातें

रमज़ान महीने के आखरी अशरे के दस दिनों में पांच रातें ऐसी होती हैं जिन्हें ताक रातें कहा जाता है। ये हैं रमज़ान की 21, 23, 25, 27, 29 की शब में होती हैं। इन पांच रातों में से कोई एक शबेकद्र होती है। यह रात हजार महीनों से बेहतर मानी जाती है। इस रात में मुस्लिम मस्जिदों व घरों में अल्लाह की कसरत से इबादत करते हैं। इसमें महिलाएं और बच्चे भी घरों में इबादत करते दिखाई देते हैं। मौलाना निज़ामुददीन चतुर्वेदी कहते हैं कि कुरान में बताया गया है कि तुम्हारे लिए एक महीना रमजान का है, जिसमें एक रात है जो हजार महीनों से अफजल है। कहा कि जो शख्स इस रात से महरूम रह गया वो भलाई और खैर से दूर रह गया। जो शख्स इस रात में जागकर ईमान और सवाब की नीयत से इबादत करता है तो उसके पिछले सभी गुनाह माफ कर दिए जाते हैं। हाफिज तहसीन रज़ा कहते हैं कि शबे कद्र की रात बड़ी बरकतों वाली होती है। यह रात बड़ी ही चमकदार होती है व सुबह सूरज बिना किरणों के ही निकलता है। इस रात को मांगी गई दुआ हर हाल में कुबूल होती है।

यूं तो रमज़ान महीने को तीन अशरों में बांटा गया है। पहले अशरा रहमत, दूसरे को मगफिरत व तीसरे अशरे को जहन्नुम से आजादी का अशरा कहा जाता है। प्रत्येक अशरा दस दिन का होता है। आज 24 रोज़ा पूरा होने के साथ ही 25 वें रोज़े की शब लग गई। सहरी से पहले तक तमाम इबादत गुज़ार जागकर रब को राज़ी करने के लिए दुआएं मांगेंगे और खूब इबादत करेंगे। तीसरा अशरा जहन्नुम से आज़ादी का भी आधा गुजर गया। दो शबे कद्र की रातें गुजर गई। आज 21, 23 के बाद 25 वीं शबे कद्र है। या अल्लाह रब्बुल इज्जत हम सबको ज्यादा से ज्यादा इबादत करने की तौफीक दे... आमीन।

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