नई नस्ल के लिए मिसाल है हाफिज रेहान युसूफ
Varanasi (dil India live). मौलाना ओबैदुल्लाह तैयब के मदनपुरा मकान पर कई सालों से रमज़ान की ख़ास नमाज तरावीह होती आ रही है। पर इस बार की तरावीह कुछ ख़ास थी। लोगों में उत्साह और उल्लास देखते ही बन रहा था। क्यों कि इस बार तरावीह को महज़ 14 साल के हाफ़िज़ रेहान यूसुफ ने मुकम्मल कराया। यह कोई मामूली बात नहीं, बल्कि एक बेहतरीन मिसाल है, जो हमें यह सिखाती है कि अगर इरादा मज़बूत हो और तरबियत सही हो, तो कोई भी मंज़िल मुश्किल नहीं। बहरहाल तरावीह मुकम्मल होते ही तमाम लोगों ने हाफ़िज़ युसूफ को हाथों-हाथ ले लिया। फूल मालाओं और उपहार से उन्हें लाद दिया गया।
कैसे बने युसूफ हाफिज
लॉकडाउन के दौरान यूसुफ रेहान के वालिद मोहम्मद यूसुफ ने यह ठान लिया कि अपने बेटे को हाफ़िज़-ए-कुरआन बनाएंगे। उनकी मेहनत, लगन और बेहतरीन परवरिश का ही नतीजा है कि सिर्फ़ 1 साल 4 महीने में रेहान यूसुफ ने मुकम्मल कुरआन हिफ़्ज़ कर लिया। यह न सिर्फ़ उनके घर वालों के लिए फ़ख्र की बात है, बल्कि पूरे समाज के लिए एक बेहतरीन मिसाल भी है।
लोगों ने क्या कहा
लल्लापुरा के अल्तमश अहमद अंसारी कहते हैं कि इतनी कम उम्र में हाफ़िज़ रेहान यूसुफ की कामयाबी इस बात का सुबूत है कि अगर वालिदैन अपने बच्चों को सही राह दिखाएं, अच्छी तरबियत दें और उनके लिए एक मक़सद तय करें, तो बच्चे भी उनकी उम्मीदों पर खरे उतर सकते हैं। मोहम्मद यूसुफ ने यह साबित कर दिया कि सही रहनुमाई और मेहनत से बच्चों को दीनी और दुनियावी दोनों कामयाबियों की तरफ़ ले जाया जा सकता है।
मौलाना ज़मीर कहते हैं कि रेहान यूसुफ की इस मेहनत और क़ुर्बानी को जितना सराहा जाए, उतना कम है। यह पूरी नई नस्ल के लिए एक मिसाल हैं। हम दुआ करते हैं कि अल्लाह तआला उन्हें बेपनाह बुलंदियों पर पहुंचाए, उनका सीना इल्म-ओ-हिकमत से भर दे और उन्हें दुनिया और आख़िरत में कामयाबी अता करे।
बहरहाल तमाम लोगों को इससे सीख लेनी चाहिए कि अपने बच्चों की सही तरबियत करें, उन्हें बेहतरीन तालीम दें और उनकी ज़िन्दगी को एक मक़सद दें, ताकि वे भी रेहान यूसुफ की तरह दुनिया और आख़िरत दोनों में रौशन सितारा बन सकें।
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