अलविदा अलविदा, माहे रमज़ां अलविदा...

कल्बे आशिक है अब पारा पारा,
अलविदा अलविदा माहे रमज़ान।
तेरे आने से दिल खुश हुआ था,
और ज़ोके इबादत बड़ा था,
आह, अब दिल पे है गम का गलबा,
अलविदा अलविदा माहे रमज़ान।
नेकिया कुछ न हम कर सके हैं,
अह इस्सियाहे में दिन कटे हैं,
हाय गफलत में तुझको गुज़ारा,
अलविदा अलविदा माहे रमज़ान।
कोई हुस्न अमल न कर सका हूँ,
चंद आंसू नज़र कर रहा हूँ
यही है मेरा कुल असासा,
अलविदा अलविदा माहे रमज़ान।
जब गुज़र जायेंगे माह ग्यारा,
तेरी आमद का फिर शोर होगा,
है कहां ज़िन्दगी का भरोसा,
अलविदा अलविदा माहे रमज़ान।
बज्मे इफ्तार सजती थी कैसी,
खूब सहेरी कि रौनक भी होती,
सब समां हो गया सुना सुना,
अलविदा अलविदा माहे रमज़ा।
याद रमजान की तड़पा रही है
आंसू की जरहे लग गयी है,
कह रहा है हर एक कतरा,
अलविदा अलविदा माहे रमज़ा।
तेरे दीवाने सब के सब रो रहे है,
मुज़्तरिब सब के सब रो रहे है,
कौन देगा इन्हें अब दिलासा,
अलविदा अलविदा माहे रमज़ा।
मैं बदकार हूँ मैं हूँ काहिल,
रह गया हूँ इबादत में गाफिल,
मुझसे खुश होके होना रवाना,
हमसे खुश होके होना रवाना,
अलविदा अलविदा माहे रमज़ा।
वास्ता तुझको प्यारे नबी (स.) का,
हश्र में मुझे मत भूल जाना,
हश्र में हमें मत भूल जाना,
रोज़े महशर मुझे बकशवाना,
रोज़े महशर हमें बकशवाना,
अलविदा अलविदा माहे रमज़ा।
तुमपे लाखो सलाम माहे रमज़ा।
तुमपे लाखो सलाम माहे गुफरान।
जाओ हाफिज खुदा अब तुम्हारा,
अलविदा अलविदा माहे रमज़ा।
अलविदा अलविदा माहे रमज़ा।
अलविदा अलविदा माहे रमज़ा....।
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