सोमवार, 31 मार्च 2025

Varanasi समेत Desh Duniya में Eid का जश्न

पहले रब की बारगाह में सिजदा, फिर गले मिलकर दी ईद कि मुबारकबाद 

Varanasi (dil india live). Desh Duniya में मुक़द्दस Ramadan का एक माह का रोजा कामयाबी से मुकम्मल करने बाद सोमवार को मुसलमानों ने ईद की खुशियां मनायीं। यूं तो खुशियों का आगाज़ ईद के चांद के दीदार के साथ ही हो गया था जब हिंदुस्तान में ईद का चांद देखा जा रहा था तब खाड़ी देशों में ईद कि खुशियां मनाई जा रही थी। हिंदुस्तान में ईद का जश्न ईदुल फित्र कि नमाज़ अदा करने के बाद अपने शबाब पर पहुंच गया। मज़हबी शहर Varanasi में तो ईद का मज़ा और रंग ही औरों से जुदा है। यहां सभी मज़हब के लोग मिलजुल कर एक साथ ईद का जश्न मनाते है।

आईपीएस ने गले मिलकर दी ईद की मुबारकबाद 


Varanasi में ईद का त्योहार उल्लास के साथ मनाया जा रहा है। इस बीच लंगडे हाफिज मस्जिद में ईद की नमाज पढ़ने के बाद अकीदतमंदों ने एक दूसरे से गले मिलकर बधाई दी। वहीं आईपीएस सरवणन टी दालमंडी में सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लेने पहुंचे। उन्होंने लोगों को गले लगाया और ईद की मुबारकबाद दी। इस दौरान एक छोटे बच्चे को भी उन्होंने हाथ मिलाकर ईद की बधाई दी। वहीं हिंदू वर्ग ने नमाजियों पर पुष्पवर्षा कर मिसाल पेश किया। लोगों के लिए यह एक सुखद एहसास था। ईद पर्व के मौके पर वाराणसी में गंगा जमुना तहजीब की यह मिसाल कबीर और नज़ीर के शहर बनारस में उस पर की याद ताज़ा कर गई, जब जयचंद की हार के बाद बादशाह कुतुबुद्दीन ऐबक ने बनारस में सौहार्द की ईद देखी थी। उस ईद में हिंदू मुस्लिम की अलग अलग पहचान करना मुश्किल था कि कौन हिन्दू है और कौन मुसलमान। सोमवार को भी मस्जिद में ईद की नमाज अदा करने के बाद हिंदू भाइयों ने नामजियों पर पुष्पवर्षा के साथ ही गले मिलकर ईद मुबारक कहा। तो काशी के लोगों को बनारस की पहली ईद की याद आ गई।


Varanasi में दो दर्जन ईदगाह और 500 से ज्यादा मस्जिदों में इबादतगुजारों ने रब के सामने जहां सिर झुकाया वहीं अपनी रोजी-रोटी, देश की तरक्की और अमन के लिए रब की बारगाह में हाथ उठाया। मस्जिदों और ईदगाहों में नमाजियों का सैलाब नमाज अदा करने उमड़ा था। सुबह 6 बजे से 10.30 बजे के बीच ईद की नमाज मोमिनीन ने अकीदत के साथ अदा की। मस्जिदों व ईदगाहों के आसपास मेले जैसा माहौल दिखा। नमाज पूरी होते ही एक-दूसरे से गले मिलकर सभी ने ईद की मुबारकबाद दी। बड़ों ने छोटों को ईदी दिया तो वे निहाल हो उठे। गरीबों और मिसकीनों का भी लोगों ने ख्याल रखा। किसी ने फितरे की रकम तो किसी ने सदका व खैरात देकर गरीबों की मदद की। 

यहां अदा हुई नमाज़े ईदैन


कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच  ईदगाह पुरानापुल पुल्कोहना में मौलाना शकील, ईदगाह गोगा की बाग जलालीपुरा में मौलाना नुरुल हसन, ईदगाह शक्कर तालाब अहले हदीस में मौलाना अहसन जमील मदनी, ईदगाह मस्ज़िद लंगर नवापुरा में मौलाना इरशाद रब्बानी, जामा मस्ज़िद खोज़ापुरा मैदान में मौलाना जाहिर अहमद, मस्ज़िद शहीद बाबा सरैयां बाजार में हाफिज गुलाम, मस्ज़िद सुन्नी इमामबाडा सरैया में मौलाना इक़बाल अहमद सेराज़ी, शिया इमामबाडा सरैयां में मौलाना जफ़रुल हुसैनी, बड़ी मस्ज़िद सरैयां पक्का महाल हाफिज खैरुद्दीन, जामा मस्ज़िद कमल गडहा में मौलाना आज़ाद, नई मस्ज़िद शिया हज़रात दोषीपुरा में मौलाना जफ़र हुसैन, मीनार वाली मस्ज़िद कमालपुरा में मौलाना निजाम ने नमाज अदा कराया। मस्जिद लाट सरैया में मौलाना जियाउर्रहमान ने नमाज तो खानकाह शक्कर तालाब में मुफ्ती-ए-बनारस अहले सुन्नत मौलाना मोइनुद्दीन अहमद फारुकी प्यारे मियां, शाही मस्जिद ढाई कंगूरा में हाफिज नसीम अहमद बशीरी, शाही मुगलिया मस्जिद बादशाहबाग में मौलाना हसीन अहमद हबीबी, मस्जिद लंगड़े हाफिज में मौलाना जकीउल्लाह असदुल कादरी, सदर इमामबाड़े में मौलाना जफरुल हुसैनी, ईदगाह विद्यापीठ में मुफ्ती शमीम, मस्जिद उल्फत बीबी में मौलाना साकीब रजा, मस्जिद खाकी शाह में मौलाना मुनीर, जामा मस्जिद कम्मू खां डिठोरी महाल में मौलाना शमशुद्दीन साहब ने नमाज अदा करायी।

शाही मस्जिद ज्ञानवापी में मौलाना अब्दुल आखिर नोमानी, मस्जिद नगीना में हाफिज सैफुल मलिक, मस्जिद सुल्तानिया में अब्दुल्लाह सऊद अत्तारी, मदनपुरा अल्लू की मस्जिद हाफिज अनस, ऊंची मस्जिद में मौलाना एहसन कमाल, ढोमन की मस्जिद में कारी फराज अहमद, मस्जिद बरतला में वासिफ रज़ा, मस्जिद जहांगीर हटिया में हाफ़िज़ शुऐब व हाफिज मो. ताहिर ने मस्जिद याकूब शहीद में नमाज अदा करायी। खोजित कुआं में मौलाना वकील अहमद मिस्बाही, ईदगाह मस्जिद लाटशाही में हाफिज हबीबुर्रहमान, जामा मस्जिद नदेसर में मौलाना मजहरुल हक, मस्जिद टकटकपुर कब्रिस्तान में मौलाना अजहरुल कादरी, मस्जिद शाह तैय्यब बनारसी में मौलाना अब्दुस्सलाम, मस्जिद हज़रत शाह मूसा में हाफ़िज़ ख़ालिक़ जमाल, मस्जिद नगीना में हाफिज सैफुल मलिक, मस्जिद सुल्तानिया में अब्दुल्लाह सऊद अत्तारी, मदनपुरा अल्लू की मस्जिद में मौलाना शकील, ऊंची मस्जिद में मौलाना एहसन कमाल, ढोमन की मस्जिद में कारी फराज अहमद, ईदगाह दायम खां हाफिज नसीर, मस्जिद बरतला में अयाज महमूद व हाफिज मो. ताहिर ने मस्जिद याकूब शहीद में नमाज अदा करायी। ऐसे ही मस्जिद बुलाकी शहीद अस्सी, मस्जिद नईबस्ती गौरीगंज, मस्जिद हबीबिया गौरीगंज, आलमगीर मस्जिद धरहरा, मस्जिद कुश्ताबेगम, मस्जिद मदीना, मस्जिद गौसिया, मस्जिद ताराशाह, मस्जिद छित्तनपुरा इमलिया तले, मस्जिद नूरैन समेत शहर और आसपास की मस्जिदों में ईदुल फितर की नमाज पूरी अकीदत के साथ अदा की गई। इसी के साथ ईद का सप्ताह भर चलने वाला महापर्व शुरू हो गया। इस हिंदू-मुस्लिम से गले मिलने का नजारा गंगा-जमुनी शहर Varanasi की तस्वीर पेश करने में सफल रहा। लोहता, लालपुर, कोटवा, बाबतपुर, रामनगर, मिल्कीपुर आदि ग्रामीण इलाकों में भी ईद की खुशियां धूमधाम से मनायी गयीं। Varanasi में ईद की नमाज सकुशल संपन्न होने पर जिला व पुलिस प्रशासन ने राहत की सांस ली। इस दौरान पुलिस अधिकारियों द्वारा ईद-उल-फितर के अवसर पर प्रमुख मस्जिदों व ईदगाहों पर व्यवस्था संभाली। लाट सरैया में मुस्तैद पुलिस कर्मियों को ईद की नमाज को सकुशल सम्पन्न होने पर चौदहो के सरदार मकबूल हसन, हाजी मो. सुहैल आदि ने ईद की मुबारकबाद पेश की।


घरों में चला दावतों और जश्न का दौर 

ईद जैसे ग्लोबल पर्व पर सेवइयों की घुलन ने हर एक को अपने आगोश में ले लिया, हर आमो-खास ईद के रंग में रंगा नजर आया। ईद की नमाज अदा कर लौटे लोगों ने दूसरे वर्ग के लोगों को ईद की दावत दी। मुस्लिम घरों में दावतों का शुरू हुआ सिलसिला देर रात तक चलेगा। हिंदू-मुस्लिमों ने गले मिलकर एक-दूसरे को ईद की मुबारकबाद दी। कई जगहों पर ईद पार्टी रखी गयी थी। पार्टी में शामिल होने वालों के हिसाब से मीनू तैयार किया गया था। कुछ मुस्लिम घरों में गैर-मुस्लिमों के लिए सेवइयों के साथ नवरात्र को देखते हुए शाकाहारी सब्जी और पूड़ी का इंतजाम भी था। यहां ईद मिलने समाजिक संगठनों व सियासी दलों के लोगों का हुजूम जुटा हुआ था। 


ईदी पाकर निहाल हुए बच्चे

माहे रमज़ान का रोज़ा मुकम्मल करने के बाद लाखों मुसलमानों ने मज़हबी शहर बनारस में सभी मज़हब के लोगों संग मिलकर ईद की खुशियां मनायी। खुशियों का आगाज़ नमाज़-ए-ईदुल फित्र अदा करने के साथ हुआ। शहर के तकरीबन एक दर्जन ईदगाह और पांच सौ से ज्यादा मस्जिदों में इबादतगुज़ारों ने रब के सामने जहां सिर झुकाया वहीं अपनी रोज़ी रोटी, देश की तरक्की और खुशहाली के लिए रब की बारगाह में हाथ उठाया। इस मौके पर मस्जिदों और ईदगाहों में नमाजियों का जन सैलाब नमाज़ अदा करने उमड़ा हुआ था।


दीनी और दुनियावी दोनों तालीम करें हासिल 

दीनी और दुनियावी दोनों तालीम हासिल करना मौजूदा वक्त में सभी लोगों के लिए जरूरी है। अगर आप बेहतर तालीम अपने बच्चों को देंगे तो उनका मुस्तकबिल संवर जाएगा। बहुत लोग कहते हैं कहा से पढ़ाई कराएं पैसा नहीं है। मैं आपसे कह रहा हूं आज वो दौर है की सरकार की बहुत सी स्कीम है जिसका फायदा लेकर मुफ्त में या बहुत कम पैसों में तालीम हासिल की जा सकती है। मैं तो ये कहता हूं कि चटनी रोटी ही क्यों न हासिल करना पड़े मगर हर हाल में बच्चों को दीनी के साथ ही आधुनिक तालीम भी दें। यह तकरीर मशहूर आलिम मौलाना अजहरुल कादरी ने मस्जिद टकटकपुर में ईद की नमाज़ से पहले की। उन्होंने कहा कि नबी ने कहा था इल्म हासिल करना चाहते हो तो चीन तक जाना हो तो जाओ। उस दौर में अरब से चीन की दूरी कितनी ज्यादा थी, न तो ट्रेन थी न जहाज़ फिर भी तालीम के लिए चीन तक जाने के लिए कहना तालीम के महत्व को व अहमियत को बयां करता है।


पुरखों के दर पर हाजिरी

ईद की नमाज के बाद लोगों ने शहर के कब्रिस्तानों में जाकर वलियों, बुजुर्गों व अपने पुरखों के दर पर हाजिरी लगाई और फातेहा पढ़ा। टकटकपुर, हुकुलगंज, मदनपुरा, रेवड़ीतालाब, बजरडीहा, जलालीपुरा, गौरीगंज, फातमान आदि आस्ताने पर हाजिरी लगाई गई। हजरत लाटशाही बाबा, चंदन शहीद, हजरत याकूब शहीद, बहादुर शहीद, हज़रत शाह तैय्यब बनारसी, हरदाम शाह बाबा, हज़रत शाह मूसा व पीर आले शाह बाबा आदि के आस्ताने पर भी अकीतदमंदों का हुजूम उमड़ा। 

हज कमेटी के सदस्य सर्वर सिद्दीकी ईदगाह में लोगों को मुबारकबाद देते 


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