शनिवार, 9 दिसंबर 2023

माता-पिता विहीन 25 बच्चों का कराया विद्यारम्भ संस्कार

स्वनाथ बच्चों के प्रति समाज में जागरूकता जरूरी-प्रो. द्विवेदी 




Varanasi (dil India live). 09.12.2023. स्वनाथ (अनाथ) 25 बच्चों का शनिवार को विद्यारम्भ संस्कार कराया गया। निवेदिता इन्टर कालेज में आयोजित इस अनूठे कार्यक्रम का आयोजन स्वनाथ परिषद ने विभिन्न सामाजिक संगठनों व स्वयंसेवी संस्थाओं के सहयोग से किया। कार्यक्रम के प्रारम्भ में स्वनाथ परिषद काशी के सचिव शिशिर श्रीवास्तव ने सभी  अतिथियो को स्मृति चिन्ह देकर स्वागत किया।  इस मौके पर स्वनाथ परिषद के संस्थापक संरक्षक प्रशान्त हरतारकर ने बताया कि सनातन धर्म में जन्म से मृत्यु के बीच 16 संस्कार होते है। उनमें से 10 वां संस्कार विद्यारम्भ संस्कार होता है। यह संस्कार उन बच्चों का तो आसानी से हो जाता है जिनके माता-पिता होते है। ऐसे बच्चे जिनके माता-पिता नहीं होते हैं वो अधिकांशतः विद्यारम्भ संस्कार से वंचित हो जाते हैं। ऐसे ही स्वनाथ (अनाथ) बच्चों का विद्यारम्भ संस्कार कराने का प्रयास स्वनाथ परिषद की ओर से किया जा रहा है। बीते वर्ष भी ऐसे ही आयोजन से स्वनाथ 20 बच्चों का विद्यारम्भ संस्कार कराया था। इस वर्ष 25 स्वनाथ बच्चों का विघारम्भ कराया जा रहा है ताकि ये बच्चे समय से शिक्षा शुरू कर देश का एक जिम्मेदार नागरिक बन सकें। उन्होंने बताया कि  इन सभी अनाथ बच्चों का फालोआप स्वनाथ परिषद करता रहेगा। साथ ही "मिशन ममता" के तहत इन बच्चों के शिक्षा - दीक्षा की भी व्यवस्था की जायेगी। बताया कि परिषद की ओर से एडाप्सन व फोस्टर केयर से सम्बन्धित काउन्सलिंग भी की जा रही है। अनाथ बच्चों को आरक्षण देने के लिए स्वनाथ परिषद जल्द ही मुख्यमंत्री को पत्र भेजेगा।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुये प्रो0 राम प्रकाश द्विवेदी ने स्वनाथ परिषद के इस प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि स्वनाथों के हित में उनके स्तर पर जो कुछ भी संभव हो सकेगा उसे वह पूरा करने का प्रयास करेंगे। उन्होंने कहा कि बाबा विश्वनाथ की नगरी में रहने वाले प्रत्येक नागरिक को इन बच्चो का नाथ बनने की जरूरत है। यह तभी संभव हो पायेगा जब ऐसे बच्चों के प्रति समाज और जागरूक होगा। इसके लिए हमें हर स्तर पर प्रयास करना चाहिए। 

कार्यकम के विशिष्ठ अतिथि प्रशांत नागर ने कहा कि विद्यारम्भ संस्कार न होने से ऐसे स्वनाथ बच्चों की शिक्षा समय से शुरू नहीं हो पाती। नतीजा होता है कि उनके जीवन में भटकाव आता है जो इन बच्चों के भविष्य के लिए घातक हो जाता है। ऐसे में स्वनाथ परिषद की ओर से आयोजित स्वनाथ बच्चों के विद्यारम्भ संस्कार की जितनी भी सराहना की जाए कम है। उन्होंने कहा कि समाज को इस दिशा में आगे आना चाहिए और ऐसे ही और आयोजन कर स्वनाथ बच्चों को नया जीवन देने का प्रयास करना चाहिए। राज्य बाल संरक्षण आयोग के सदस्य ई. अशोक यादव ने कहा कि देश में कोई बच्चा अनाथ नही हो सकता इसके लिए कानून मे भी फास्टर केयर कार्यक्रम को परिभाषित किया गया है। जरूरत है समाज को इस दिशा में आगे आने की है। राज्य बाल संरक्षण आयोग की सदस्य श्रीमती निर्मला सिंह पटेल ने कहा कि भविष्य में इन स्वनाथ (अनाथ) के लिये जो सहयोग होगा प्रदान किया जायेगा।  बाल संरक्षण अधिकारी निरुपमा सिंह ने कहा कि कोई भी स्वनाथ (अनाथ) शिक्षा से वंचित न हो इसके लिए जरूरत है काशी के नागरिको को आगे आने की। ऐसा प्रयास हो कि काशी का कोई भी बच्चा अपने आप को स्वनाथ (अनाथ) न समझे। उसे लगे कि काशी के प्रत्येक नागरिक उसके संरक्षक है। सरकार द्वारा जारी कल्याणकारी योजनाओ से इन बच्चो को जोड़ा जायेगा। विद्यारम्भ संस्कार के पूजन कराने का कार्य गायत्री परिवार के सदस्यो ने किया गया। कार्यकम का संचालन डा. रचना अग्रवाल ने  और धन्यवाद ज्ञापित स्नेहा उपाध्याय ने किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में शहर के कई समाज सेवी संगठनों ने भूमिका निभाई। कार्यक्रम का प्रारम्भ अतिथियों ने दीप प्रज्जवलित कर किया। इस अवसर पर पधारे स्वनाथ (अनाथ) बच्चो का स्वागत तिलक लगा कर किया गया। कार्यक्रम के पश्चात बच्चों के अभिवावको ने बच्चों के साथ लंच किया और साथ में सेल्फी लेकर भविष्य में भी उनका ध्यान रखने की बात कही। कार्यकम को सफल बनाने में अभय पाण्डेय, मोती लाल अम्बुज उपाध्याय, आनन्द सिंह, खुश्बू, रितिका, अखिलेश कुमार, डा. राजेश श्रीवास्तव व आनन्द प्रभा की सहभागिता रही। 

इससे बड़ी कोई और पूजा नहीं

विद्यारम्भ संस्कार में शामिल स्वनाथ सुमित (परिवर्तित नाम) के अभिभावक नेहा कक्कड ने कहा कि विद्यारम्भ के लिए सुमित का अभिभावक बनकर उन्हें जो सुख मिल रहा है उसको वह शब्दों में बयां नहीं कर सकती। उन्होंने कहा कि इस पुनित कार्य से बड़ी कोई और पूजा नहीं हो सकती।

समाज को करेंगे जागरूक

समारोह में शामिल होने के लिए आये बासफाटक निवासी गोपाल जी सेठ ने कहा कि इस अनूठे कार्यक्रम में शामिल होने से उन्हें समाज में स्वनाथ बच्चों के लिए कार्य करने की प्रेरणा मिली है। अब वह और लोगों को इस दिशा में जागरूक करने का कार्य करेंगे।

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