गुरुवार, 6 मार्च 2025

Masjid al-quresh समेत कई जगहों पर तरावीह पूरी

ककरमत्ता में खुशनुमा माहौल में तरावीह मुकम्मल



 

Mohd Rizwan 

Varanasi (dil India live)। मस्जिद अल कुरैश समेत कई जगहों पर नमाजे तरावीह जुमेरात को मुकम्मल हुई। मस्जिद अल कुरैश में मुफ्ती अब्दुल हन्नान साहब की मौजूदगी में हाफिज मोहम्मद इरफान ने नमाजे तरावीह मुकम्मल करायी। जैसे ही तरावीह खत्म हुई तमाम लोगों ने हाफ़िज़ साहब को फूल मालाओं से लाद कर जोरदार खैरमकदम किया। 

ककरमत्ता में नमाजे तरावीह

हाफ़िजे कुरान मोहसिन साहब ने अपने ककरमत्ता उत्तरी में मुराद साहब के दौलतखाने पर पांच रमज़ान को तरा़वीह खत्म करायी। इस दौरान हाफिजे़ कुरान हमीद, मोहम्मद मुराद, यासीन सिद्दीकी, मुहम्मद नसरुल्ला, शिब्बू, शाद के समेत काफी लोंगों ने हाफिजे कुरान का ज़ोरदार खैरमकदम किया। 

सड़क सुरक्षा जागरूकता कार्यक्रम से रुबरु हुई वीकेएम की छात्राएं

सड़क दुघर्टना में उत्तर प्रदेश देश में पहले नंबर पर

सात दिनी विशेष एनएसएस शिविर का चौथा दिन 





Varanasi (dil India live). बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू), वाराणसी के प्राथमिक विद्यालय छित्तूपुर खास में सड़क सुरक्षा जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। वसंत कन्या महाविद्यालय, कमच्छा, वाराणसी की एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी डॉ. शशि प्रभा कश्यप की अगुवाई में आयोजित इस कार्यक्रम का उद्देश्य छात्राओं और स्थानीय लोगों को सड़क सुरक्षा और जिम्मेदार ड्राइविंग के महत्व के बारे में शिक्षित करना था। 

कार्यक्रम की शुरुआत एनएसएस ताली, थीम गीत और हम होंगे कामयाब गीत के साथ अतिथि वक्ता का स्वागत करने के बाद की गई। इस दौरान सड़क सुरक्षा जागरूकता पर पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता भी हुई। ट्रैफिक सब-इंस्पेक्टर, पुलिस ट्रैफिक कमिश्नरेट, वाराणसी देवानंद बरनवाल कार्यक्रम के अतिथि वक्ता थे। उन्होंने सुरक्षित ड्राइविंग प्रथाओं, यातायात नियमों और लापरवाह ड्राइविंग के परिणामों पर बहुमूल्य जानकारी साझा की। उन्होंने वर्तमान सड़क दुर्घटना के आंकड़ों के बारे में बात की, दुनिया भर में: प्रति दिन 3,700 सड़क दुर्घटना मौतें, भारत में प्रति दिन 422 सड़क मौतें, सबसे अधिक प्रभावित आयु समूह: 16-45 वर्ष बताया। राज्यवार आंकड़ों में उत्तर प्रदेश (यूपी) पहले स्थान पर है जबकि एमपी दूसरे स्थान पर है और सड़क सुरक्षा के लिए कानूनी ढांचा। कुछ महत्वपूर्ण कानूनों के बारे में उन्होंने चर्चा की, जैसे भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), मोटर वाहन अधिनियम (एमवी अधिनियम) - सड़क सुरक्षा नियमों और दंड को नियंत्रित करता है, एमवी अधिनियम में संशोधन, बढ़ी हुई जुर्माना राशि और दंड। उन्होंने कहा कि स्कूल वाहन चालकों के पास कम से कम 5 साल का ड्राइविंग अनुभव होना चाहिए।  

उन्होंने हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट (एचएसआरपी), एचएसआरपी न होने पर जुर्माना, सड़क संकेत और जागरूकता, गति और हेलमेट विनियम, गुड सेमेरिटन कानून - धारा 134 (ए) प्रक्रिया और गोल्डन ऑवर (दुर्घटना के 1 घंटे के भीतर) में मदद करने पर किसी व्यक्ति को दिए जाने वाले पुरस्कार और यातायात नियम और दंड के बारे में भी बात की।

सुरक्षित ड्राइविंग के लिए संकेतों का ज्ञान आवश्यक

 सुरक्षित ड्राइविंग के लिए सड़क संकेतों का उचित ज्ञान आवश्यक है। उन्होंने सड़क सुरक्षा के लिए डिजिटल समाधान, डिजी लॉकर और एमपरिवहन ऐप पर भी जानकारी दी। एनएसएस स्वयंसेवकों में से एक, शिखा पटेल को दुर्लभ "गिव वे" संकेत की पहचान करने के लिए पदक मिला - जहां मुख्य सड़क यातायात लिंक सड़क यातायात को रास्ता देता है - एक अवधारणा जिसे  छात्र पहचानने में विफल रहे। अंत में इस नोट के साथ सत्र समाप्त हुआ कि सड़क सुरक्षा स्वयं और दूसरों के प्रति हमारी सचेत और सामूहिक जिम्मेदारी होनी चाहिए।

दर्शकों ने इंटरैक्टिव सत्र में सक्रिय रूप से भाग लिया, सवाल पूछे और सड़क सुरक्षा के विभिन्न पहलुओं पर स्पष्टीकरण मांगा।  एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी डॉ. शशि प्रभा कश्यप ने दर्शकों के साथ अपनी विशेषज्ञता साझा करने के लिए देवानंद बरनवाल के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा, "कार्यक्रम बहुत सफल रहा और हमें उम्मीद है कि यह हमारे स्वयंसेवकों, स्कूली छात्रों, शिक्षकों और स्थानीय लोगों को सुरक्षित ड्राइविंग प्रथाओं को अपनाने और अपने समुदायों में सड़क सुरक्षा जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित करेगा।" 

सड़क सुरक्षा पर निकली रैली

दोपहर के भोजन के बाद कार्यक्रम का दूसरा सत्र शुरू हुआ। इस सत्र में सड़क सुरक्षा पर आधारित एक रैली सुरक्षा नियमों के बारे में जागरूकता के लिए चित्तूपुर के गांव और सड़क से होते हुए विश्वनाथ मंदिर, बीएचयू तक गई। सड़क सुरक्षा जागरूकता कार्यक्रम वसंत कन्या महाविद्यालय, कमच्छा, वाराणसी की एनएसएस इकाई द्वारा छात्रों और स्थानीय लोगों के बीच सामाजिक जागरूकता और सामुदायिक सेवा को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई पहलों की श्रृंखला का हिस्सा था। इस जागरूकता कार्यक्रम में 50 एनएसएस स्वयंसेवक, प्रधानाचार्य, शिक्षक, प्राथमिक विद्यालय के छात्र, स्थानीय लोग शामिल हुए। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ।

Quran, mukammal, तरावीह पूरे रमज़ान भर पढ़ना जरूरी

मस्जिद बारादरी में पांच दिन की तरावीह हुई मुकम्मल


Varanasi (dil India live)। रमजान के पवित्र महीने में बनारस के सभी मस्जिदों में तरावीह की नमाज मुकम्मल होनी शुरू हो गई है। इस मौके पर पार्षद हाजी ओकास अंसारी ने बताया की बुनकर बिरादरना तंजीम बाइसी के सरदार हाजी हाफिज मोइनुद्दीन की सदारत में मोहल्ला नक्खीघाट स्थित मस्जिद बारादरी में पांच दिन की तरावीह की नमाज खत्म हुई। इस मस्जिद में तरावीह की नमाज हाफिज मोहम्मद आसिफ जैसे ही मुकम्मल की तमाम लोगों ने उनका जोरदार खैरमकदम किया। इस दौरान सैकड़ों की तादाद में लोगों ने नमाज अदा की। सरदार हाफिज मोइनुद्दीन ने इमामे तरावीह को सिर पर साफ़ा बांध कर माला पहना कर उनका जोरदार इस्तेक़बाल किया।

सरदार साहब ने कहा कि कुरान मुकम्मल हो गई है इसका ये मतलब नहीं है कि तरावीह अब नहीं पढ़ना है बल्कि सूरे तरावीह पूरे महीने भर पढ़ना है जब तक ईद का चांद न हो जाए। इस मौके पर मौजूद सरदार दरोगा, पार्षद पति हाजी ओकास अंसारी, बाबूलाल किंग, हाजी सुहैल, पार्षद डा. इम्तियाजुद्दीन, बाबू महतो, शमीम अंसारी, हाजी गुलाब, हाजी हाफिज नसीर, मोहम्मद परवेज,  हाजी यासीन मायिको, हाफिज अनवर, हाफिज अल्ताफ, हाजी अलीम, मास्टर मुमताज, हाजी अजमल, जैनुलआब्दीन, मोहम्मद महबूब सहित सैकड़ों की तादाद में लोग मौजूद थे।

परिषदीय विद्यालय में बाल साहित्य उपलब्ध कराये गये

छीतमपुर, चुमकुनी, दुबान और कैथी परिषदीय स्कूलों में बांटे गए साहित्य

सामाजिक संस्था आशा ट्रस्ट ने बताया व्यक्तित्व विकास के लिए साहित्य पढने की आदत जरूरी



मोहम्मद रिजवान 

Varanasi (dil India live). चोलापुर विकासखंड के अंतर्गत बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित छीतमपुर, चुमकुनी, दुबान बस्ती और कैथी प्राथमिक विद्यालयों में बुधवार को सामाजिक संस्था आशा ट्रस्ट द्वारा बच्चो की  रोचक पुस्तकें प्रदान करते हुए आशा बाल पुस्तकालय की श्रृंखला प्रारंभ की गयी है । एक देश समान शिक्षा अभियान के अंतर्गत  सभी को समान और बेहतर शिक्षा के अवसर की उपलब्धता के लिए संस्था द्वारा विगत तीन वर्षों से सरकारी स्कूलों में बाल साहित्य प्रदान किया जा रहा है । अब तक कुल 19 विद्यालयों पुस्तकालय प्रारंभ किये जा चुके हैं । 

इस अवसर पर उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए आशा ट्रस्ट के समन्वयक वल्लभाचार्य पाण्डेय ने कहा कि तकनीक के वर्तमान दौर में बच्चों में पढने की रूचि कम हो रही है जबकि पढ़ने की आदत से ही बच्चों का सर्वांगीण विकास होगा और वे जागरूक होंगे अन्यथा सोशल मीडिया पर प्राप्त अधकचरी और असत्य जानकारियों को ही सत्य मानने से उनमे सही गलत की पहचान करने की क्षमता नष्ट हो जायेगी ।

छीतमपुर विद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में प्रधानाध्यापक अरविन्द कुमार पाण्डेय ने कहा कि व्यक्तित्व विकास के लिए किताबों का बहुत महत्व है, इसमें निहित ज्ञान को आत्मसात करने से हम परिवार, समाज, देश और प्रकृति के प्रति एक जिम्मेदार नागरिक बन सकते हैं । चुमकुनी प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक दुर्गेश चौबे ने साथ के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि बच्चों के स्थानीय परिवेश और जानकारियों से अवगत वाली पुस्तकों को पढ़ने से उनके सामान्य ज्ञान में वृद्धि होगी।     

इस अवसर पर  प्रदीप सिंह, पंकज मित्तल, पूजा पाण्डेय, अबू मोहम्मद आदिल, रेनू सिंह, दुर्गेश चौबे, अनुराधा, संध्या शर्मा, लता सिंह, अजय सिंह, सोनी श्रीवास्तव, सरिता, ज्योति प्रकाश गुप्ता, रमेश प्रसाद, सुरेखा, मधुबाला आदि की प्रमुख रूप से उपस्थिति रही ।


प्रेषक

वल्लभाचार्य पाण्डेय 

9415256848

बुधवार, 5 मार्च 2025

Bharat Ratna Ustaad Bismillah Khan के दौलतखाने पर इफ्तार दावत

नमाज, इफ्तार संग हुई मुल्क में अमन के लिए दुआएं 

Mohd Rizwan 

Varanasi (dil India live)। ५ मार्च यानी ४ रमजान को भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां के आवास पर रमजान उल मुबारक के पहले बुधवार को कदीमी इफ्तार का आयोजन किया गया। काज़िम हुसैन और नाज़िम हुसैन के संयोजन में मौलना सैयद मोहम्मद अकील हुसैनी ने इफ्तार से पहले नमाज अदा कराई। इफ्तार के लिए दस्तरख्वान पर हर तरह की नेमत, फल, फूल , मिठाई, मेवा आदि मौजूद थी। इसके बाद मजलिस का आयोजन हुआ। मजलिस के बाद शिया जामा मस्जिद के प्रवक्ता हाजी सैयद फरमान हैदर ने खान साहब का पसंदीदा नोहा ‘मारा गया है तीर से बच्चा रबाब का, बच्चा भी वो जो पारा-ए-दिल था रबाब का।’ पेश किया। इसके बाद उनकी याद में मुल्क में अमन मिल्लत और देश तरक्की के लिए दुआख्वानी हुई और फातेहा पढ़ी गई। इस अवसर पर शिरकत करने वालों में मुर्तुजा शम्सी, मुनाजिर मंजू, आबिद उर्फी, जिया उल हसन, मोहम्मद सिब्तैन, शकील अहमद जादूगर, वली हसन, आफाक हैदर, काबे अली, तथा उनके परिवार के तमाम लोग शामिल हुए। इस अवसर पर हैदर ने बताया कि ७० सालों से अधिक समय से ये इफ्तार का आयोजन हो रहा है। खां साहब जब जीवित थे तो स्वयं रोजदारों का इस्तेकबाल करते थे। अब उनके परिवार के लोग ये रिवायत उनकी याद को ताज़ा रखने के लिए निभा रहे हैं।

Ramzan mubarak (5) ज़कात जल्द से जल्द हकदारों तक पहुंचा दें

जानिए क्या है जकात, क्यों इसे देने में जल्दी करें 

Varanasi (dil india live)। इस्लाम में ज़कात फर्ज हैं। ज़कात पर मजलूमों, गरीबों, यतीमों, बेवाओं का ज्यादा हक है। ऐसे में जल्द से जल्द हकदारों तक ज़कात पहुंचा दें ताकि वह रमजान व ईद की खुशियों में शामिल हो सकें। ये ज़कात देने का सही वक्त है। जकात फर्ज होने की चंद शर्तें है। मुसलमान अक्ल वाला हो, बालिग हो, माल बकदरे निसाब (मात्रा) का पूरे तौर का मालिक हो। मात्रा का जरुरी माल से ज्यादा होना और किसी के बकाया से फारिग होना, माले तिजारत (बिजनेस) या सोना चांदी होना और माल पर पूरा साल गुजरना जरुरी हैं। सोना-चांदी के निसाब (मात्रा) में सोना की मात्रा साढ़े सात तोला (87 ग्राम 48 मिली ग्राम) है। जिसमें चालीसवां हिस्सा यानी सवा दो माशा ज़कात फर्ज है।

सोना-चांदी के बजाय बाजार भाव से उनकी कीमत लगा कर रुपया वगैरह देना जायज है। जिस आदमी के पास साढ़े बावन तोला चांदी या साढ़े सात तोला सोना या उसकी कीमत का माले तिजारत हैं और यह रकम उसकी हाजते असलिया से अधिक हो। ऐसे मुसलमान पर चालीसवां हिस्सा यानी सौ रुपये में ढ़ाई रुपया जकात निकालना जरुरी हैं। दस हजार रुपये पर ढ़ाई सौ रुपया, एक लाख रुपया पर ढ़ाई हजार रुपया जकात देनी हैं। सोना-चांदी के जेवरात पर भी ज़कात वाजिब होती है। तिजारती (बिजनेस) माल की कीमत लगाई जाए फिर उससे सोना-चांदी का निसाब (मात्रा) पूरा हो तो उसके हिसाब से ज़कात निकाली जाए। अगर सोना चांदी न हो और न माले तिजारत हो तो कम से कम इतने रूपये हों कि बाजार में साढ़े बावन तोला चांदी या साढ़े सात तोला सोना खरीदा जा सके तो उन रूपर्यों की ज़कात वाजिब होती है।

इन्हें दी जा सकती हैं जकात

"ज़कात" में अफ़ज़ल यह है कि इसे पहले अपने भाई-बहनों को दें, फ़िर उनकी औलाद को, फ़िर चचा और फुफियों को, फ़िर उनकी औलाद को, फ़िर मामू और ख़ाला को, फ़िर उनकी औलाद को, बाद में दूसरे रिश्तेदारों को, फ़िर पड़ोसियों को, फ़िर अपने पेशा वालों को। ऐसे छात्र को भी "ज़कात" देना अफ़ज़ल है, जो "इल्मे दीन" हासिल कर रहा हो। ऊपर बताये गये लोगों को जकात तभी दी जायेगी जब सब गरीब हो, मालिके निसाब न हो। ज़कात का इंकार करने वाला काफिर और अदा न करने वाला फासिक और अदायगी में देर करने वाला गुनाहगार हैं। मुसलमानों को चाहिए कि जल्द से जल्द ज़कात की रकम निकाल कर गरीब, यतीम, बेसहारा मुसलमान को दें दे ताकि वह अपनी जरुरतें पूरी कर लें।

 इन्हें नहीं दी जा सकती ज़कात 

ज़कात बनी हाशिम यानी हजरते अली, हजरते जाफर, हजरते अकील और हजरते अब्बास व हारिस बिन अब्दुल मुत्तलिब की औलाद को देना जाइज नहीं। किसी दूसरे मजहब को ज़कात देना जाइज नहीं है। क्यों की ये एक मज़हबी टैक्स है। सैयद को जकात देना जाइज नहीं इसलिए कि वह भी बनी हाशिम में से है। कम मात्रा यानी चांदी का एतबार ज्यादा बेहतर हैं कि सोना इतनी कीमत सबके पास नहीं हो सकती। नबी के जमाने में सोना-चांदी की मात्रा मालियत के एतबार से बराबर थीं। अब ऐसा नहीं हैं। गरीब के लिए भलाई कम निसाब (मात्रा) में हैं।

 अगर आप "मालिके निसाब" हैं, तो हक़दार को "ज़कात" ज़रुर दें, क्योंकि "ज़कात" ना देने पर सख़्त अज़ाब का बयान कुरआन शरीफ में आया है। ज़कात हलाल और जायज़ तरीक़े से कमाए हुए माल में से दी जाए। क़ुरआन शरीफ में हलाल माल को खुदा की राह में ख़र्च करने वालों के लिए ख़ुशख़बरी है, जैसा कि क़ुरआन में अल्लाह तआला फ़रमाता है कि... "राहे ख़ुदा में माल ख़र्च करने वालों की मिसाल ऐसी है कि जैसे ज़मीन में किसी ने एक दाना बोया, जिससे एक पेड़ निकला, उसमें से सात बालियां निकलीं, उन बालियों में सौ-सौ दाने निकले। गोया कि एक दाने से सात सौ दाने हो गए। अल्लाह इससे भी ज़्यादा बढ़ाता है। जिसकी नीयत जैसी होगी, वैसी ही उसे बरकत देगा"।

  • हाफिज कारी शाहबुद्दीन 

(उस्ताद मदरसा जामिया फारुकिया, रेवड़ी तालाब वाराणसी)

Inter School Cricket टूर्नामेंट में सेंट पॉल चैंपियन

अर्पिता को उम्दा गेंदबाजी और बल्लेबाजी के लिए दिया गया गर्ल ऑफ़ द मैच

Sonbhadra (dil India live). 3rd इंटर स्कूल टूर्नामेंट सेंट पॉल स्कूल रामगढ़, सोनभद्र में 3, 4 और 5 मार्च को सोनभद्र क्रिकेट स्टेडियम में किया गया। बालक वर्ग एवं बालिका वर्ग के अंडर 15 टूर्नामेंट के इस आयोजन में चतरा ब्लॉक के 8 इंग्लिश मीडियम स्कूलों ने हिस्सा लिया। जिसमें बालिका वर्ग में सोनभद्र  ड्रीम स्कूल और सेंट पॉल स्कूल का फाइनल मैच हुआ। इस मैच को सेंट पॉल स्कूल ने 10 रन से जीता। गर्ल ऑफ़ द मैच अर्पिता पाल को उम्दा गेंदबाजी और बल्लेबाजी के लिए दिया गया। बालक वर्ग में स्काई मॉडल स्कूल बनाम डिप्स कॉन्वेंट सेमी फाइनल मैच हुआ। जिसमें स्काई मॉडल ने 63 रन से मैच जीत लिया। दूसरा सेमीफाइनल सेंट पॉल स्कूल बनाम सीनियर सेकेंडरी स्कूल के बीच में हुआ। जिसमें सेंट पॉल स्कूल ने सीनियर सेकेंडरी स्कूल को आठ रनों से हराया। 4/3/2025 को दिन में 11:00 बजे डिप्स कान्वेंट स्कूल और सेंट पॉल स्कूल का मैच खेला गया। सेंट पॉल स्कूल ने 17 रनों से मैच जीत लिया। मैन ऑफ़ द मैच आकाश यादव को दिया गया। इस मैच में अंपायर के तौर पर लव कुश, बच्चे लाल पॉल, चंद्र प्रकाश और प्रशांत थॉमस ने अंपायरिंग की। सेंट पॉल स्कूल के प्रिंसिपल गोरेटी असमपुर डेवलपमेंट इंडिया के डायरेक्टर अजय दत्त ने विजेता बच्चों को पुरस्कार वितरण किया। इस कार्यक्रम में चंद्रशेखर डोगरा, ममता, राजमती, स्वामी आदि उपस्थित थे।

Ramzan ka 8 roza मुकम्मल, मंगल को पूरा होगा अशरा

मस्जिद बुद्धू छैला समेत कई मस्जिदों में तरावीह मुकम्मल  मोहम्मद रिजवान  Varanasi (dil India live). मुक़द्दस रमजान का पहला अशरा रहमतों का अपन...