इटावा से आधा दर्जन ने तय किया संसद का सफर
Etawah (Aman/ dil India live). 2311 वर्ग किमी में फैला इटावा एक बार फिर सुर्खियों में है। इस एक जिले से 6 लोग संसद पहुंचे हैं। कन्नौज, मैनपुरी व आगरा से घिरे इटावा की यूं तो सियासी कहानी 1990 के दशक में पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव से शुरू होती है। तब पहली बार उनकी सियासी पारी की वजह से यह जिला सुर्खियों में आया। और इस बार एक साथ छह उम्मीदवारों ने अलग-अलग सीटों से जीत दर्ज कर इटावा का नाम रौशन किया है। हालांकि इससे पहले भी इस जिले से 4 सदस्य एक साथ संसद का चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंच चुके हैं।
2014 में जिले के मुलायम सिंह, डिंपल यादव, धर्मेंद्र यादव और अक्षय यादव को अलग-अलग सीटों पर जीत मिली थी। 2019 में भी इस जिले से मुलायम सिंह यादव, धर्मेंद्र यादव और प्रेमदास कठेरिया को जीत मिली थी मगर पहली बार 6 सांसद यहां से चुने गए हैं। इसमें अखिलेश यादव समाजवादी पार्टी के मुखिया हैं। इटावा जिले के सैफई के रहने वाले हैं। अखिलेश इस बार कन्नौज से चुनाव मैदान में थे। इटावा से कन्नौज की दूरी करीब 100 किलोमीटर है। उन्होंने कन्नौज सीट पर बीजेपी के सुब्रत पाठक को 1 लाख 70 हजार वोटों से हराया है। अखिलेश कन्नौज से पहले भी सांसद रह चुके हैं। कन्नौज सीट पर पिछली बार उनकी पत्नी चुनाव लड़ी थी, लेकिन उन्हें बीजेपी के सुब्रत पाठक ने हरा दिया था।
कन्नौज सीट पर पहली बार मुलायम परिवार को साल 1999 में जीत मिली थी। उस वक्त मुलायम सिंह खुद यहां से जीते थे। बाद में उन्होंने यह सीट अपने बेटे अखिलेश को दे दी थी। ऐसे ही अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल मैनपुरी लोकसभा से इस चुनाव में जीतकर संसद पहुंची हैं। डिंपल 2022 में यहां से उपचुनाव भी जीत चुकी हैं। मैनपुरी मुलायम परिवार का गढ़ माना जाता है। इस बार डिंपल का मुकाबला बीजेपी के कद्दावर मंत्री जयवीर सिंह से था। चुनाव आयोग के मुताबिक डिंपल ने बीजेपी के जयवीर सिंह को 2 लाख 21 हजार वोटों से हराया है। यहां बीएसपी के शिव प्रसाद यादव को 66 हजार मत मिले हैं।
मुलायम सिंह के भतीजे धर्मेंद्र यादव भी इस बार संसद पहुंचे हैं। धर्मेंद्र सपा सिंबल पर पूर्वांचल की आजमगढ़ सीट से चुनाव लड़े और निरहुआ को पराजित किया। धर्मेंद्र मुलायम के भाई अभयराम यादव के बेटे हैं। चुनाव आयोग के मुताबिक धर्मेंद्र ने बीजेपी के दिनेश लाल यादव निरहुआ को 1 लाख 61 हजार वोटों से हराया है। धर्मेंद्र को इस चुनाव में 5 लाख से ज्यादा वोट मिले हैं। आजमगढ़ सीट भी मुलायम परिवार का गढ़ माना जाता रहा है। यहां से मुलायम और अखिलेश दोनों सांसद रह चुके हैं।
अखिलेश के चचेरे भाई आदित्य यादव भी बदायूं सीट से 18 वीं लोकसभा में पहुंच चुके हैं। आदित्य शिवपाल यादव के बेटे हैं और सपा ने उन्हें बदायूं सीट से मैदान में उतारा था। सपा ने इस सीट पर 2 बार अपना उम्मीदवार बदला। आखिर में यहां से आदित्य टिकट लेने में कामयाब रहे। चुनाव आयोग के मुताबिक आदित्य ने बीजेपी के दुर्गविजय सिंह शाक्य को 34 हजार वोटों से हराया है। आदित्य को 5 लाख 18 हजार वोट मिले, जबकि शाक्य को करीब 4 लाख 66 हजार।
ऐसे ही सपा के प्रमुख महासचिव राम गोपाल यादव के बेटे अक्षय भी इस बार संसद जाने में कामयाब हो गए हैं। अक्षय फिरोजाबाद सीट से मैदान में थे। यह इटावा के बगल की सीट है। अक्षय इस सीट से पहले भी सांसद रह चुके हैं, लेकिन 2019 में उन्हें बीजेपी के चंद्रसेन जादौन ने हरा दिया था। चुनाव आयोग के मुताबिक इस बार अक्षय ने बीजेपी के विश्वदीप सिंह को करीब 89 हजार वोटों से हराया है। अक्षय को 5 लाख 43 हजार वोट मिले हैं। यहां बीएसपी भी एक्स फैक्टर साबित हुआ है। बीएसपी के चौधरी बशीर को 90 हजार से ज्यादा वोट मिले हैं।
इटावा के भरथना तहसील के जितेंद्र दोहरे भी इस बार संसद पहुंच गए हैं। जितेंद्र ने सपा के सिंबल पर इटावा (सुरक्षित) लोकसभा सीट से जीत हासिल की है। 2014 से ही यहां पर बीजेपी का कब्जा था।
चुनाव आयोग के मुताबिक जितेंद्र दोहरे ने बीजेपी के रामशंकर कठेरिया को 58 हजार से ज्यादा वोटों से हराया है। कठेरिया मोदी सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। जितेंद्र को चुनाव में 4 लाख 90 हजार से ज्यादा मत मिले हैं। इस तरह 6 लोगों को संसद पहुंचाने की वजह से इटावा फिर सुर्खियों में है।