सोमवार, 15 जनवरी 2024

मशहूर शायर मुनव्वर राना नहीं रहे






Lucknow (dil India live)। 

“मैंने रोते हुए पोंछे थे किसी दिन आँसू

मुद्दतों माँ ने नहीं धोया दुपट्टा अपना”

“किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकाँ आई

मैं घर में सब से छोटा था मेरे हिस्से में माँ आई”

“ऐ अँधेरे! देख ले मुँह तेरा काला हो गया

माँ ने आँखें खोल दीं घर में उजाला हो गया”

“इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है

माँ बहुत ग़ुस्से में होती है तो रो देती है”

“अभी ज़िन्दा है माँ मेरी मुझे कु्छ भी नहीं होगा

मैं जब घर से निकलता हूँ दुआ भी साथ चलती है”।

कुछ ऐसी ही शायरी करने वाला इस सदी का मशहूर शायर मुनव्वर राणा का आज इंतेकाल हो गया। वो 71 साल थे। सदी के इस मशहूर शायर लंबे वक्त से बीमारी से संघर्ष कर रहे थे। मुनव्वर राणा ने  लखनऊ के पीजीआई में अंतिम सांस ली है। उनके निधन की खबर की पुष्टि उनके बेटे ने की है। मुनव्वर राणा का बनारस से भी गहरा रिश्ता था।

मुनव्वर राणा का जीवन परिचय

मुनव्वर राणा एक भारतीय उर्दू भाषा के कवि, लेखक और उत्तर प्रदेश, भारत के गीतकार हैं। वो अपनी शक्तिशाली और विचारोत्तेजक कविता के लिए जाने जाते रहे हैं जो सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक मुद्दों को संबोधित करती रही है। उन्होंने कविता के कई संग्रह प्रकाशित किए हैं और उनकी रचनाओं को भारत और उसके बाहर व्यापक रूप से सराहा गया है।

दो दर्जन से अधिक पुरस्कारों के विजेता, लखनऊ स्थित मुनव्वर राणा एक अद्वितीय स्वर के साथ भारत के सबसे लोकप्रिय और प्रशंसित कवियों में से एक हैं। वो हिंदी और उर्दू दोनों में लिखते थे और भारत और विदेशों में मुशायरा हलकों में एक प्रमुख नाम था। उनकी सबसे प्रसिद्ध कविता ज़बरदस्त 'माँ' थी जिसमें उन्होंने ग़ज़ल की शैली का इस्तेमाल एक माँ के गुणों का गुणगान करने के लिए किया था। उनके कुछ अन्य कार्यों में मुहजिरनामा, घर अकेला हो गया और पीपल छाँव शामिल हैं। उन्हें उनकी कविता पुस्तक, शाहदाबा के लिए प्रतिष्ठित साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा उन्हें अमीर खुसरो पुरस्कार, मीर तकी मीर पुरस्कार, ग़ालिब पुरस्कार, डॉ. ज़ाकिर हुसैन पुरस्कार और सरस्वती समाज पुरस्कार मिल चुके हैं। राणा की कविताओं का हिंदी, उर्दू, गुरुमुखी और बांग्ला में भी अनुवाद और प्रकाशन हुआ है।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

मुनव्वर राणा का जन्म 26 नवंबर 1952 को उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले के एक गांव में हुआ था। विभाजन की उथल-पुथल के दौरान, उनके अधिकांश करीबी रिश्तेदार, जिनमें उनकी चाची और दादी शामिल थीं, पाकिस्तान में सीमा पार कर गए थे। लेकिन उनके पिता ने भारत के प्रति प्रेम के कारण यहां रहना चुना। बाद में, उनका परिवार कोलकाता चला गया, जहाँ युवा मुनव्वर ने अपनी शिक्षा पूरी की। माँ की स्तुति करने के लिए ग़ज़ल शैली का उनका चुनाव उनकी कविता का एक दुर्लभ और उल्लेखनीय पहलू है, क्योंकि ग़ज़लों को पारंपरिक रूप से कविता की एक शैली के रूप में माना जाता था जिसमें प्रेमी एक दूसरे के साथ बातचीत करते थे।

साहित्य में करियर

मुनव्वर राणा उर्दू साहित्य की दुनिया में एक प्रमुख व्यक्ति हैं। उन्होंने एक कवि के रूप में अपना करियर शुरू किया और अपनी अनूठी शैली और शक्तिशाली भाषा के लिए जल्दी ही पहचान हासिल कर ली। उन्होंने अपनी कविताओं के कई संग्रह प्रकाशित किए हैं, जिनमें "खाकान ए इश्क", "मैं नहीं मानता", "सर-ए-वादी-ए-सबा" और "बातें" शामिल हैं। उनका काम अपनी विचारोत्तेजक सामग्री और मजबूत सामाजिक टिप्पणी के लिए जाना जाता है। एक कवि के रूप में अपने काम के अलावा, राणा ने फिल्म और टेलीविजन के लिए गीतकार के रूप में भी काम किया है। उन्होंने कई लोकप्रिय फिल्मों और टीवी शो के लिए गीत लिखे हैं, और उनके गीत उनकी भावनात्मक गहराई और शक्तिशाली प्रभाव के लिए जाने जाते हैं।

राजनीतिक विचार

मुनव्वर राणा अपनी शक्तिशाली और विचारोत्तेजक कविता के लिए जाने जाते हैं जो अक्सर राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों को उठाती है। उन्हें आधुनिक उर्दू शायरी में अग्रणी आवाज़ों में से एक माना जाता रहा है और उन्हें भ्रष्टाचार, भेदभाव और सामाजिक अन्याय जैसे संवेदनशील विषयों के स्पष्ट और अप्रकाशित उपचार के लिए भी जाना जाता है।

अपने पूरे करियर के दौरान, मुनव्वर राणा ने महत्वपूर्ण मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और यथास्थिति को चुनौती देने के लिए एक मंच के रूप में अपनी कविता का उपयोग किया है। वो विवादास्पद विषयों पर अपने निर्भीक और निडर दृष्टिकोण के लिए जाने जाते थे, और उनके काम ने कई लोगों को प्रेरित और सशक्त किया है। राणा के सामाजिक और राजनीतिक विचार उनके साहित्यिक कार्यों से निकटता से जुड़े हुए हैं, और उन्हें व्यापक रूप से आधुनिक उर्दू कविता में सबसे प्रभावशाली आवाज़ों में से एक माना जाता है।

मुनव्वर राणा एक प्रसिद्ध उर्दू कवि और गीतकार हैं जिन्होंने उर्दू साहित्य को काफी प्रभावित किया है। उन्हें समकालीन उर्दू शायरी में प्रमुख आवाज़ों में से एक माना जाता है और वो अपनी तीक्ष्ण और विचारोत्तेजक शायरी के लिए प्रसिद्ध हैं जो अक्सर राजनीतिक और सामाजिक विषयों को संबोधित करती हैं। राणा ने अपने करियर के दौरान साहित्य और कला में अपने योगदान के लिए अनगिनत सम्मान और पुरस्कार अर्जित किए हैं, और वो आज भी कवियों और कलाकारों के लिए एक बड़ी प्रेरणा हैं।

रविवार, 14 जनवरी 2024

सब गरीबों के मददगार, ख्वाजा मोइनुद्दीन ग़रीब नवाज़....

अंजुमन गरीब नवाज के डायस पर गूंजा नूरानी कलाम
Varanasi (dil India live). सब गरीबों के मददगार, ख्वाजा मोइनुद्दीन ग़रीब नवाज़...., व तू हम पे भी करम कर दे, सरकार ग़रीब नवाज़, सरकार ग़रीब नवाज़...।

अंजुमन गरीब नवाज हंकार टोला की ओर से जश्ने ईद मिलादुन्नबी में कुछ ऐसे ही कलाम शनीवार की रात से इतवार की सुबह तक गूंजते रहे। बैरूनी व मकामी अंजुमनों ने शिरकत कर एक से एक नात-ए-पाक का नजराना पेश किया। अंजुमन मुजाहीदीने-ए-रसूल कोटवा, अंजुमन कारवाने हरम लोहता, अंजुमन मुहिब्बाने अहले बैत सराय हड़हा, अंजुमन फिरदौसे अदब चाहमामा, अंजुमन शाहे मदीना सप्तसागर, अंजुमन फारुखिया भीखा शाह गली, अंजुमन सेराजूल इस्लाम छित्तनपुरा, अंजुमन अनवारे रहमत कपड़ा मार्केट, अंजुमन रजा-ए-मुस्तफा कर्णघण्टा, अंजुमन चिरागे इस्लाम मऊ, अंजुमन आमदे रसूल पड़ाव, अंजुमन नूरे इस्लाम काजी सदुल्लापुरा, अंजुमन दावते इस्लाम खजुरी कालोनी, अंजुमन गौसे-ए-पाक नई सड़क, अंजुमन हक्कानीया टांडा, अंजुमन गुलामाने अहलैबेत रेवड़ी तालाब, अंजुमन इरफानिया पठानी टोला, अंजुमन पैगाम-ए-अहले बैत लल्लापुरा, अंजुमन जानिसार-ए-मुस्तफा टाँडा, अंजुमन गुलामान-ए-वारिस खजुर वाली मस्जिद, अंजुमन गुलशन-ए-रसूल लोहता, अंजुमन सुन्नते रसूल सरैय्या, अंजुमन गौसिया फैजाबाद, अंजुमन मुजाहिदीने ईस्लाम कोटवा, अंजुमन गुलामान-ए- रिजविया मऊ, अंजुमन फलाहेदिन फाटक शेख सलीम, अंजुमन ईलाहिया कोयला बाजार, अंजुमन खुद्दामे खैरूल अनाम राजापुरा, अंजुमन तकरीबात-ए-ईस्लाम सराय हड़हा, अंजुमन अलविया जौनपुर, अंजुमन तर्जुमाने ईस्लाम सराय हड़हा, अंजुमन गुलामान-ए-साहबा अंबिया मण्डी, अंजुमन फारूकिया कुत्बन शहीद,

अंजुमन बाग-ए-रसुल आदि अंजुमनों ने अपने अपने अंदाज में नूरानी कलाम पेश किया।सैफ, फ़ैज़ खां, शाह आलम, तनवीर कुरैशी, अमन खां, जैनुल व जंगी आदि व्यवस्था संभाले हुए थे।

शनिवार, 13 जनवरी 2024

Gharib Nawaz Relief Foundation ने जाना ठंड से कांपते लोगों का हाल

गर्म कपड़े बांटकर जीएनआरएफ ने कड़कड़ाती ठंड में दी जरुरतमंदों को फौरी राहत

Varanasi (dil India live)। दावते इस्लामी इंडिया का फ्रंटल संगठन गरीब नवाज रिलीफ फाउंडेशन द्वारा सर्दी की कड़कड़ाती ठंड में जरूरतमंद लोगों को कंबल व गर्म कपड़े बांटकर फ़ौरी राहत देने की कोशिश की गई। इसअभियान में रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड तथा रोड किनारे, फुटपाथ पर सो रहे बेघर लोगों, रिक्शा चालकों व अन्य जरुरतमंदों आदि को गर्म कपड़े वितरण किया गया। गरीब नवाज रिलीफ फाउंडेशन द्वारा पूरे देश में गर्म कपड़े बांटने का अभियान चलाया जा रहा है। इस मौके पर गरीब नवाज रिलीफ फाउंडेशन के डा. साजिद अत्तारी, ने बताया कि फाउंडेशन द्वारा समय समय पर वृक्षारोपण, राशन वितरण, फ्री मेडिकल कैम्प, गर्मी में ठंडे पानी आदि की जरुरतमंदों व राहगीरों की खिदमत की जाती है। इस मौके पर डा. मुबससिर, डा. साजिद, अफ़रोज़ अत्तारी, हाफिज शाहनवाज बरकाती,जुलकरनैन बरकाती, नुरुजजमन अत्तारी, मो. सलीम, कारी इरफान, शाहजान अत्तारी आदि मौजूद थे।

Ajmer Sharif : ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती अजमेरी का उर्स

दरगाह की मजार से उतरा संदल, जन्नती दरवाजे पर उमड़े ख्वाजा के दीवाने



Ajmer (dil India live). सुफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के 812 वें उर्स से ठीक पहले दरगाह में संदल उतारे जाने की रस्म अदा की गई। रात को दरगाह में खिदमत के वक्त ख्वाजा गरीब नवाज की मजार से खादिमों ने संदल उतारा गया व संदल को आम जायरीन को तकसीम किया गया। अकीदतिमंदों की मानें तो मजार शरीफ से उतारे गए संदल में रूहानियत होती है। संदल से शरीर की ऊपरी बीमारियों में शिफा मिलती है। ख्वाजा गरीब नवाज रहमतुल्लाह अलैह का उर्स रजब का चांद दिखने के साथ ही शुरू हो गया। खादिम सैयद कुतुबुद्दीन सकी ने बताया कि साल भर मजार शरीफ पर चढ़ने वाला संदल उतारा गया। दूर-दूराज से जायरीन मजार शरीफ से उतारे गए चंदन को लेने के लिए आते हैं। सकी बताते हैं कि मजार शरीफ से उतारे गए संदल को पानी में पीने से बड़ी से बड़ी बीमारियों में शिफा मिलती है। ख्वाजा गरीब नवाज के चाहने वाले संदल को अपने साथ लेकर जाते हैं।

घर परिवार, रिश्तेदारो में किसी की बीमार होने पर वह पानी के साथ संदल पीने के लिए देते हैं। यही वजह है कि संदल को पाने के लिए जायरीन में होड़ लगी रहती है। दरगाह के खादिम अपने पास भी संदल रखते हैं, जो दरगाह में वर्ष भर आने वाले जायरीन को आवश्यकता होने पर देते हैं।

मिट्टी के प्यालों में चढ़ता है संदल

ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह में साल भर दिन के समय खिदमत के दौरान चंदन मिट्टी के प्यालों में भरकर मजार पर चढ़ाया जाता है। खुद्दाम ए ख्वाजा अपनी और जायरीन की ओर से संदल पेश करते हैं, साथ ही दरगाह आने वाले जायरीन के लिए दुआएं की जाती हैं। साल भर में मजार पर बड़ी मात्रा में संदल जमा हो जाता है।

जन्नती दरवाजा खुलते उमड़े अकीदतमंद

साल में चार मर्तबा खुलने वाला जन्नती दरवाजा आम जायरीन के लिए खोल दिया गया। रात से ही जायरीन की कतार जन्नती दरवाजे के बाहर लग गई थी। मान्यता है कि जन्नती दरवाजे से होकर आस्ताने में ख्वाजा गरीब नवाज की जियारत करने वाले को जन्नत नसीब होती है। यही वजह है कि जायरीन में जन्नती दरवाजे से होकर जियारत करने की होड़ मची रही।

रौशनी से जगमगा उठी दरगाह

उर्स के मद्देनजर दरगाह में मौजूद हर इमारत को शानदार रोशनी से रोशन किया गया है। दरगाह के निजाम गेट रोशनी से सजाया गया है। इसी तरह दरगाह की सबसे ऊंची इमारत बुलंद दरवाजे पर भी रंग-बिरंगी रोशनी लगाई गई है। लंगर खाने, महफिल खाने, शाहजहानी मस्जिद, गुम्बद शरीफ पर भी शानदार रोशनी की सजावट है। रात के वक्त ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह दुल्हन की तरह सजी हुई नजर आ रही है। सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के 812 वें उर्स से ठीक पहले दरगाह में संदल उतारे जाने की रस्म अदा की गई.रात को दरगाह में खिदमत के वक्त ख्वाजा गरीब नवाज की मजार से खादिमों ने संदल उतारा।

समाजवादी छात्र सभा बलिया के जिला सचिव बने रययान

विधायक मोहम्मद रिजवी के नजदीकी मोहम्मद रययान के जिला सचिव बनने से सपा में उत्साह 


Baliya (dil India live) समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की अनुमति से प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल व ई.विनीत कुशवाहा की संस्तुति से बलिया जिले के सीवान कला निवासी मोहम्मद रययान को समाजवादी छात्र सभा का जिला सचिव नियुक्त किया गया है। विधायक मोहम्मद रिजवी के नजदीकी रययान की नियुक्ति से क्षेत्र के सपा व उसके विभिन्न आनुवंशिक संगठनों के कार्यकर्ताओं में उत्साह है। इस दौरान संगठनों के नेताओं, कार्यकर्ताओं एवं शुभचिंतकों द्वारा मोहम्मद रेयान को बधाई देने का क्रम जारी है। बधाई देने वाले प्रमुख लोगों में  विधायक मो.ज़ियाउद्दीन रिज़वी भी शामिल हैं। उक्त जानकारी जिला अध्यक्ष प्रवीण कुमार सिंह ने दी बताया कि संगठन की मजबूती के लिए कुछ अन्य नियुक्ति भी की गई है।

गुरुवार, 11 जनवरी 2024

आखिर कब रुकेगा घरेलू रसोई गैस सिलेंडर का खुलेआम दुरुपयोग

दुकानों पर खुलेआम उड़ाई जा रही धज्जियां 

  • Sarfaraz Ahmad






Varanasi (dil India live)। शहर व आसपास के इलाकों में खुलेआम रसोई गैस के मानक की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। आलम यह है कि जगह-जगह होटल सराय और सड़क की दुकानों पर कमर्शियल सिलेंडर की जगह घरेलू रसोई गैस का इस्तेमाल इन जगहों पर आम हो चला है। शहर के व्यस्ततम इलाकों में से एक सिगरा आईपी माल के ठीक सामने फास्ट-फूड की दुकान पर घरेलू रसोई गैस सिलेंडर लगाकर खुलेआम प्रशासन की आंख में धूल झोंका जा रहा है। ऐसे ही पुलिस के नाक के नीचे भी सारे नियम और कानून ताक पर रख दिया गया है। सिगरा थाने के 

 के ठीक सामने घरेलू गैस सिलेंडर लगाकर खाने पीने की दुकान चलाई जा रही है। इनका पुलिस भी कुछ नहीं करती। ऐसे ही तेलिया बाग मस्जिद के बगल में मिठाई की दुकान पर भी रसोई गैस सिलेंडर का खुलेआम दुरुपयोग किया जा रहा है मगर इन्हें बोलने वाला कोई नहीं है। कमोवेश यही स्थिति इंग्लिशिया लाइन, महमूरगंज, रथयात्रा, लंका, अस्सी, दशाश्वमेध आदि में भी इस तरह के मामले देखे जा सकते हैं। सवाल यह है कि जब कोई हादसा होता है तो प्रशासन निंद्रा से जाग उठता है और क्ई सवालात खड़े हो जाते हैं अगर वक्त रहते इस पर लगाम कस जाएं तो हादसे ने हों और रसोई गैस सिलेंडर की काला बाजारी भी रूक जाए।

बुधवार, 10 जनवरी 2024

सुल्तान क्लब के वरिष्ठ समाजसेवी मुख्तार अहमद को मातृ शोक

Varanasi (dil India live). सामाजिक संस्था सुल्तान क्लब के ऑडिटर वरिष्ठ समाज सेवी मुख्तार अहमद की माता व खलीकुज्जमा की पत्नी का आज मंगलवार की सुबह लंबी बीमारी के बाद 70 वर्ष की अवस्था में इंतकाल हो गया। इंतकाल की खबर लगते ही पूरे बुनकर इलाका शोकाकुल हो गया, सुल्तान क्लब के रसूलपुरा स्थित कार्यालय में एक शोक सभा आयोजित कर खिराजे अकीदत पेश की गई। अफसोस बैठक में अध्यक्ष डॉ एहतेशामुल हक ने खिराजे अकीदत पेश करने हुए कहा कि मुख्तार अहमद की वालिदह(माता) बहुत ही नेक और ईमानदार थीं, इलाके में अच्छे व्यवहार के कारण बहुत मशहूर थीं। आपने अपने पीछे भरा पूरा परिवार छोड़ा है,बड़े पुत्र मुख्तार अहमद सामाजिक कार्यों में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते हैं।जनाज़े की नमाज़ नेशनल इंटर कालेज में छोटे पुत्र हाफिज शोएब ने अदा कराई, पास ही खानदानी कब्रस्तान में सुपुर्द खाक किया गया।

       अफसोस बैठक में अध्यक्ष डॉ एहतेशामुल हक, उपाध्यक्ष महबूब आलम, महा सचिव एच हसन नन्हें, सचिव जावेद अख्तर, कोषाध्यक्ष शमीम रियाज, सुलेमान अख्तर, हाफिज मुनीर, मुहम्मद इकराम, अब्दुर्रहमान, नसीमुल हक, वफ़ा अंसारी,इत्यादि थे।

शेख़ अली हजी को दिखता था बनारस का हर बच्चा राम और लक्ष्मण

बरसी पर याद किए गए ईरानी विद्वान शेख़ अली हजी  Varanasi (dil India live)। ईरानी विद्वान व दरगाहे फातमान के संस्थापक शेख मोहम्मद अली हजी ईरान...