रविवार, 1 अक्तूबर 2023

Jain Mandir's में मैत्री, प्रेम की बही गंगा

विश्व मैत्री क्षमावाणी पर्व " आस्थापूर्वक मनाया गया

भूल से अगर "भूल " हो गयी हो तो "भूल " समझ कर "भूल"जाना...




Varanasi (dil India live). 30.09.2023. शनिवार को भगवान पार्श्वनाथ की जन्म कल्याणक भूमि एवं जैन धर्म की प्रमुख तीर्थं स्थली भेलूपुर समेत देश दुनिया में सायंकाल "विश्व मैत्री क्षमावाणी पर्व " आस्थापूर्वक मनाया गया. बैर-विरोध को शांत कर क्षमा, प्रेम और मैत्री भाव गंगा में शत्रु भी इस दिन एक दूसरे को क्षमादान करके मन को शांत और निरबैर बनाने का प्रयत्न करते है. तीर्थंकर पार्श्वनाथ अतिशय क्षेत्र भूमि पर पूरे विश्व का यह अनूठा कार्यक्रम आयोजित किया गया.

श्री दिगम्बर जैन समाज काशी के तत्वावधान में क्षमावाणी पर्व पर सभी छोटे-बड़े का भेदभाव मिटाकर महिलाए, पुरूष,बच्चे, बुजुर्ग एक दूसरे से अश्रुपूरित नेत्रो से पाँव पकड़कर गले मिलकर क्षमा मांग रहे थे. इस पर्व पर तन-मन एवं आत्मा की शुद्धि, पर्युषण की महानता, क्षमावाणी की सौजन्यता से विभूषित होकर जैन धर्म सभी के जीवन में उत्तम क्षमा का मंगलमयी सन्देश दे रहा था.

जैन धर्म के प्रमुख विद्वान प्रो: अशोक जैन ने अपने सन्देश में कहां की 'क्षमा वीरस्य भूषणम्' क्षमा महान वीरों का आभूषण है. प्रो: कमलेश जैन ने कंहा की सूरज जैसे अंधेरा दूर करें, पानी जैसे प्यास दूर करें वैसे ही एक दूसरे को क्षमादान करना बहुत ही पुनीत कार्य है. डां मुन्नी पुष्पा जैन ने कहां की 'मिच्छामी दुक्कडम'आया क्षमावाणी पर्व महान, सब मानुष है गुण की खान। अंहकार को दहन करेगें, सहजता का हम प्रमाण देंगे। हम क्षमा याचना करते हैं, हम क्षमा आपको करते है. प्रो: फूल चन्द्र प्रेमी ने कंहा-क्रोध हर जीव का शत्रु है उसे जीतना ही क्षमा धर्म हैं ।पं सुरेंद्र शास्त्री ने कंहा- क्षमा शब्द मानवीय जीवन की आधार शिला है, हम क्षमा से ही महानता को प्राप्त कर सकते है. राजेश जैन ने कंहा की क्षमा पर्व का पावन दिन है, भव्य भावना का त्योहार, विगत बर्ष की सारी भूलें देना हमारी आप बिसार. जैन धर्मावलम्बीयो ने देश-विदेश में रहने वाले रिश्तेदारो, ईष्ट मित्रो, शुभचिन्तको, गुरुओ एवं सभी वर्ग के लोगो को क्षमावाणी कार्ड, दूरभाष, ईमेल, एस एम एस द्वारा क्षमावाणी का संदेश पहुंचा कर शुभकामनाए दी.

विद्वत जनो में प्रो: अशोक जैन, प्रो: फूल चन्द्र प्रेमी, डां मुन्नी पुष्पा जैन, प्रो:कमलेश जैन, पं सुरेंद्र शास्त्री का सम्मान सभापति दीपक जैन ने किया. दशलक्षण पर्व पर 10 दिनो का व्रत करने वालो में आलोक जैन, श्रीमति मंजू जैन, श्वेता जैन, रजनी जैन, स्नेहलता जैन, निधी जैन, प्रफुल्ल जैन, वरूण जैन, गरिमा जैन (5 दिन) कमल बागडा ( 10 दिन एकासना) का सम्मान प्रधान मंत्री अरूण जैन, उपाध्यक्ष राजेश जैन एवं महिला समाज द्वारा किया गया. अपराह्न में क्षमावाणी पूजा, भगवान पार्श्वनाथ जी को रजत पाण्डुक शिला पर विराजमान कराकर प्रक्षाल नमन किया गया. विश्व शांती के लिए शांती धारा, तीर्थंकरो की आरती एवं जयमाल किया गया. संचालन उपाध्यक्ष राजेश जैन ने किया. आयोजन में प्रमुख रूप से अध्यक्ष दीपक जैन, उपाध्यक्ष राजेश जैन, संजय जैन, विनोद जैन, आर सी जैन, प्रधान मंत्री अरूण जैन, समाज मंत्री तरूण जैन, विनय जैन, सुधीर पोद्दार, गौरव जैन उपस्थित थे.

शनिवार, 30 सितंबर 2023

Post Card ने पूरा किया 154 साल का सफर

1 अक्टूबर 1869 को जारी हुआ था पहला पोस्टकार्ड

विभिन्न आंदोलनों का गवाह रहा है पोस्टकार्ड

इंटरनेट के दौर में भी पोस्टकार्ड का क्रेज बरकरार



Varanasi (dil India live). 30.09.2023. सोशल मीडिया में खोई युवा पीढ़ी का पाला भले ही पोस्टकार्ड से न पड़ा हो, पर एक दौर में पोस्टकार्ड खत भेजने का प्रमुख जरिया था। शादी-ब्याह, शुभकामनाओं से लेकर मौत की ख़बरों तक तो इन पोस्टकार्डों ने सहेजा है। तमाम राजनेताओं से लेकर साहित्यकारों व आंदोलनकारियों ने पोस्टकार्ड का बखूबी प्रयोग किया है। अपना वही पोस्टकार्ड 1 अक्टूबर, 2023 को वैश्विक स्तर पर 154  साल का हो गया। वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि, दुनिया में पहला पोस्टकार्ड  एक अक्तूबर 1869 को ऑस्ट्रिया में जारी किया गया था।
इसके पीछे की कहानी के बारे में पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव बताते हैं कि, पोस्टकार्ड का विचार सबसे पहले ऑस्ट्रियाई प्रतिनिधि कोल्बेंस्टीनर के दिमाग में आया था, जिन्होंने इसके बारे में वीनर न्योस्टॉ में सैन्य अकादमी में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर डॉ. एमैनुएल हर्मेन को बताया। उन्हें यह विचार काफी आकर्षक लगा और उन्होंने 26 जनवरी 1869 को एक अखबार में इसके बारे में लेख लिखा। ऑस्ट्रिया के डाक मंत्रालय ने इस विचार पर बहुत तेजी से काम किया और पोस्टकार्ड की पहली प्रति एक अक्तूबर 1869 में जारी की गई। यहीं से पोस्टकार्ड के सफर की शुरुआत हुई। दुनिया का यह प्रथम पोस्टकार्ड पीले रंग का था।  इसका आकार 122 मिलीमीटर लंबा और 85 मिलीमीटर चौड़ा था।  इसके एक तरफ पता लिखने के लिए जगह छोड़ी गई थी, जबकि दूसरी तरफ संदेश लिखने के लिए खाली जगह छोड़ी गई। 
पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि भारत में पहला पोस्टकार्ड 1879 में जारी किया गया।  हल्के भूरे रंग में छपे इस पहले पोस्टकार्ड की कीमत 3 पैसे थी और इस कार्ड पर ‘ईस्ट इण्डिया पोस्टकार्ड’ छपा था।  बीच में ग्रेट ब्रिटेन का राजचिह्न मुद्रित था और ऊपर की तरफ दाएं कोने मे लाल-भूरे रंग में छपी ताज पहने साम्राज्ञी विक्टोरिया की मुखाकृति थी। अंदाज़-ए-बयां का यह  माध्यम लोगों को इतना पसंद आया कि साल की पहली तीन तिमाही में ही लगभग 7.5 लाख रुपए के पोस्टकार्ड बेचे गए थे।
गौरतलब है कि डाकघरों में चार  तरह के पोस्टकार्ड मिलते रहे हैं - मेघदूत पोस्टकार्ड, सामान्य पोस्टकार्ड, प्रिंटेड पोस्टकार्ड और कम्पटीशन पोस्टकार्ड। ये क्रमश : 25 पैसे, 50 पैसे, 6 रूपये और 10 रूपये में उपलब्ध हैं। कम्पटीशन पोस्टकार्ड फिलहाल बंद हो गया है। इन चारों पोस्टकार्ड की लंबाई 14 सेंटीमीटर और चौड़ाई 9 सेंटीमीटर होती है।
पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि कम लिखे को ज़्यादा समझना की तर्ज पर पोस्टकार्ड न सिर्फ व्यक्तिगत बल्कि तमाम सामाजिक-साहित्यिक-धार्मिक-राजनैतिक आंदोलनों का गवाह रहा है। पोस्टकार्ड का खुलापन पारदर्शिता का परिचायक है तो इसकी सर्वसुलभता लोकतंत्र को मजबूती देती रही है। आज भी तमाम आंदोलनों का आरम्भ पोस्टकार्ड अभियान से ही होता है। ईमेल, एसएमएस, फेसबुक, टि्वटर और व्हाट्सएप ने संचार की परिभाषा भले ही बदल दी हो, पर पोस्टकार्ड अभी भी आम आदमी की पहचान है।

पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि पोस्टकार्ड के प्रति अभी भी लोगों का क्रेज बरकरार है। वाराणसी परिक्षेत्र के डाकघरों द्वारा पिछले वित्तीय वर्ष में 2.12  लाख पोस्टकार्डों की बिक्री हुई थी, वहीं इस साल 1.29 लाख पोस्टकार्डों की बिक्री की जा चुकी है।

BFA First Year Welcome Program 2023

वैष्णवी मिस फ्रेशर, अभिषेक मिस्टर फ्रेशर बने


Varanasi (dil India live). 30.09.2023. इंस्टीट्यूट आफ फाईन आर्ट्स में बीएफए प्रथम वर्ष में नव प्रवेशित विद्यार्थियों के स्वागत के लिए परिचय समारोह का आयोजन किया गया. सीनियर्स द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में नवागंतुकों ने अपना परिचय देते हुए रैंप वॉक, डांस आदि की प्रस्तुति दी. इसके आधार पर वैष्णवी को मिस फ्रेशर, अभिषेक को मिस्टर फ्रेशर चुना गया. इसके साथ ही आंचल को बेस्ट परफार्मेंस और मुकेश को बेस्ट रैंप वॉक के पुरस्कार से नवाजा गया. सभी नए विद्यार्थियों को गिफ्ट भी दिया गया. कार्यक्रम में विकास सिंह, विनिता नागर, निहारिका, वर्षा, आकांक्षा, ज्योति, श्रुति, विकास, गौरव और आदित्य का विशेष योगदान रहा। संस्था निदेशक डा.अवधेश कुमार सिंह व डा. अनिल कुमार सिंह ने नये स्टूडेंट्स को शुभकामनाएं दी।

Pitru Paksha Kashi 2023: गंगा घाटों पर श्राद्ध शुरू

गंगा घाटों पर पूजन तर्पण करने जुटी भीड़


Varanasi (dil India live). 30.09.2023. पितृ पक्ष पर श्राद्ध शुरू हो चुका है। काशी के गंगा घाटों पर पूजन तर्पण करने लोगों की भारी भीड़ जुटी हुई है। काशी में देश के विभिन्न प्रांतों से आए श्रद्धालुओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। शनिवार की सुबह गंगा घाटों पर तर्पण करने वालों की काफी भीड़ उमड़ी। उधर पिशाचमोचन में भी पितरों को नमन करने का अनुष्ठान भी शुरु हुआ। इस 16 दिवसीय पितृपक्ष में सभी अपने पूर्वजों को याद कर रहे हैं। काशी के दशाश्वमेध, शीतला, अस्सी सहित विभिन्न घाटों पर सुबह से लोगों का तांता लगा हुआ है। पिशाचमोचन पर भी श्राद्ध पूजन के लिए लोगों की भीड़ देखने को मिली। सुबह से ही काशी के अस्सी घाट पर लोगों का हुजूम दिखा।  

धर्मशालाओं व गेस्ट हाउसों में भीड़

भारत के विभिन्न प्रांतों से काशी आकर तर्पण करने वालों की काफी उपस्थिति घाट के आसपास धर्मशालाओं व गेस्ट हाउसों में हैं। सोमवार की शाम से लोगों की भीड़ होने लगी हैं। सुबह तर्पण करने के लिए पंडे-पुरोहितों ने भी तैयारी कर रखी थी। पूजा-पाठ की दुकानों में अनुष्ठान से संबंधित वस्तुओं की काफी मांग रही।

आखिर क्यों होता है श्राद्ध

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, श्रद्धा के साथ जो संकल्प और तर्पण किया जाता है उसे श्राद्ध कहते हैं। श्राद्ध के महत्व के बारे में कई प्राचीन ग्रंथों तथा पुराणों में वर्णन मिलता है। श्राद्ध का पितरों के साथ बहुत ही घनिष्ठ संबंध है। पितरों को आहार और अपनी श्रद्धा पहुंचाने का एकमात्र साधन श्राद्ध है। मृतक के लिए श्रद्धा से किया गया तर्पण, पिंड और दान ही श्राद्ध कहा जाता है। 

भाद्रपद की पूर्णिमा को शुरू होने वाला पितृपक्ष 15 दिनों तक चलता है। अश्विन की अमावस्या यानी सर्वपितृ अमावस्या को खत्म हो जाता है। शास्त्रों के अनुसार तीन प्रकार के होते हैं जिनमें देव ऋण, ऋषि ऋण और पितृ ऋण होता है। पितरों को तलने के लिए पितृपक्ष में श्राद्ध कर्म किया जाता है।

घाट पुरोहितों के अनुसार मान्यता है कि पितरों को श्रद्धा से अर्पित किया जाता है वह उन्हें खुशी खुशी मिल जाता है। पितृपक्ष पक्ष को महालय या कनागत भी कहा जाता है।

Agar Mujhse Koi Ghalti हुई हो तो क्षमा करें

‘क्षमावाणी’ पर्व : आज जैनी मांगेंगे एक दूसरे से क्षमा 

 


Varanasi (dil India live). 30.09.2023. श्री दिगम्बर जैन समाज काशी के तत्वावधान में शनिवार को अतिशय क्षेत्र भगवान पार्श्वनाथ जन्म कल्याणक भूमि भेलूपुर में विश्व मैत्री ‘क्षमावाणी’ पर्व का आयोजन होगा। अपराह्न में श्री 1008 भगवान पार्श्वनाथ की पूजा, क्षमावाणी पूजा एवं विश्व शांति के लिए शान्ती धारा व अभिषेक किया जायेगा। इस मौके पर सायंकाल 5 बजे से व्रत करने वालो एवं विद्वतजनो का सम्मान किया जायेगा।  कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पुलिस कमिश्नर अशोक मुथा जैन होगे। तत्पश्चात विद्वतजन अपनी वाणी से क्षमा का सन्देश गुंजायमान करेगे। धर्मावलंबी महिलाएं व पुरूष टोलियो में एक दूसरे से क्षमा याचना करेगें।

शुक्रवार, 29 सितंबर 2023

अंनत चतुर्दशी पर अनंतनाथ एवं पार्श्वनाथ का महामस्तकाभिषेक

Jain Mandir's में 108 रजत कलशों से हुआ महामस्तकाभिषेक

निर्जला व्रत कर किया नमन पाठ-जैन मंदिरो में उमड़ी भीड़






Varanasi (dil India live). 29.09.2023. अंनत चतुर्दशी के पावन पर्व पर गुरुवार को अंनत नाथ एवं देवाधिदेव पार्श्वनाथ जी का 108 रजत कलशों से मस्तकाभिषेक भक्तो ने किया। पर्युषण पर्व के अन्तिम दिन जैन मन्दिरो में भक्तो की भारी भीड़ रही। मुख्य आयोजन ग्वाल दास लेन स्थित श्री दिगम्बर जैन पंचायती मन्दिर में सकल जैन समाज की उपस्थिती में सायंकाल 4 बजे व्रतधारी केशरिया शुद्ध वस्त्रो मे इन्द्र के रूप मे वाद्य यंत्रो एवं शहनाई की मंगल ध्वनि के बीच सैकड़ो मतावलंबी ने मंत्रोच्चारण के साथ रजत पाण्डुक शिला के कमल सिंहासन पर विराजमान कर तीर्थंकर द्वय का बारी-बारी से पंचाभिषेक से महामस्तकाभिषेक किया। भक्तो ने नमन पाठ पढकर इच्छुक रसधारा, दुग्ध धारा, घृत धारा, केशर एवं गंगाजल के 108 कलशो से तीर्थंकरो का प्रक्षाल किया। 

भाद्र शुक्ल पंचमी से अंनत चतुर्दशी तक 10 दिनो तक चलने वाले पर्युषण पर्व पर जैन धर्मावलंबी प्राचीन परम्परा के अनुसार अंनत चतुर्दशी पर्व पर विभिन्न जैन मन्दिरो में भगवान पार्श्वनाथ जन्म स्थली भेलूपुर, सुपार्श्वनाथ जन्म स्थली भदैनी, श्रेयांस नाथ जन्म स्थली सारनाथ, चन्द्र प्रभु जन्म स्थली चौबेपुर के अलावा नरिया, खोजंवा, मैदागिन, हाथीबाजार, मझवा, भाट की गली एवं चैत्ययालयों में जाकर दर्शन पूजन किया। भक्त समूह परिक्रमा, वंदना के बाद ग्वाल दास लेन पहुंच कर मुख्य आयोजन मे भाग लेते है। पंचायती मन्दिर में चौबीसी पूजन, देव शास्त्र, गुरु पूजा, विनय पाठ, अंनत नाथ पूजा व शान्ति पाठ किया। भगवान वासु पूज्य के मोक्ष कल्याणक पर 48 दीपको से भक्तामंबर दीपार्चना समर्पित किया गया। श्रद्धालुओ ने पंचामृत में भीगोकर अंनत सूत्र को अपनी बांहो में बांधा। सायं 

पर्व के 10वें अध्याय उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म पर बोलते हुए पं सुरेंद्र शास्त्री ने कहां- पर द्रव्यों से रहित शुद्ध बुद्ध आत्मा में चर्या अर्थात लीनता होती है उसे ब्रह्मचर्य कहते हैं। इस प्रकार दसों दिन आत्मा के 10 धर्मो की भावपूर्ण आराधना करने वाला शीघ्र ही आत्मा अनुभूति को प्राप्त करता है। सायंकाल जिनेन्द्र भगवान की आरती, विविध धार्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए। प्रमुख रूप से अध्यक्ष दीपक जैन, उपाध्यक्ष राजेश जैन,संजय जैन, विनोद जैन, प्रधान मंत्री अरूण जैन, तरूण जैन, विनय जैन, रत्नेश जैन, राजेश भूषण जैन, सौमित्र जैन उपस्थित थे।

गुरुवार, 28 सितंबर 2023

Eid milladunnabi mubarak: शहर भर में निकला जुलूसे मोहम्मदी

आमीना के लाल का जिक्र और झूमता रहा सारा जहां, हर तरफ नबी नबी की धूम




आमीना के लाल का जिक्र और झूमता रहा सारा जहां 

Varanasi (dil India live) . अमन और मिल्लत के साथ  निकले जुलूसे मोहम्मदी की कामयाबी के बाद बनारस की रात जश्ने ईद मिलादुन्नबी मनाते गुजरी. इस मौके पर नई सड़क स्थित कपड़ा मार्किट में मिल्लत कमेटी द्वारा मस्जिद लंगड़े हाफिज के इमाम मौलाना जकीउल्ला असदुल कादरी की सदारत में जलसे का एहतमाम किया गया. इस दौरान नात, नज़्म और हमदो सना का दौर पूरे इलाके में समाचार लिखे जाने तक चलता रहा, साथ ही एसीपी अवधेश पाण्डेय व थानाध्यक्ष ने मौके पर मुस्तैद रहे। कपड़ा व्यापारियों ने क्षेत्रीय पुलिस अधिकारियों को सम्मानित किया. उधर अंजुमन उम्मते रसूले करीम की ओर से मोहम्मद इरफान खान ने मरकजी यौमुननबी कमेटी का कदीमी जुलूस का खैरमकदम व इस्तकबाल किया। इस दौरान जुलूस में बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे। उन्हें खजूर, बिस्कुट, मिठाईयां व पानी वगैरह बांटा गया।





अंजुमनों को मिला इनामात


अंजुमन हमीदिया इत्तेहादे मिल्लत दालमंडी के डायस पर हुए नातिया मुकाबले में बेहतरीन स्थान पाने वाली अंजुमनों को इनामात से नवाजा गया. अंजुमन फलाहे दीन शेख सलीम फाटक नई सड़क, अंजुमन तकरिबाते इस्लामी सराय हड़हा, अंजुमन फ़िरदौसे अदब, अंजुमन गुलामाने वारिस, अंजुमन दावते इस्लामी मकबूल आलम रोड, अंजुमन गुलामाने गौसे पाक, अंजुमन गुलशने रसूल, अंजुमन अनवारे रहमत, अंजुमन ओलियाए कराम, अंजुमन फिर‌दौसे अदब बचकानिया, अंजुमन अहलेबैत, अंजुमन रजाए मुस्तफा बचकानिया को इनामात से नवाजा गया.




ईद मिलादुन्नबी पर गूंजता रहा हर ओर

सरकार की आमद-मरहबा, मुख्तार की आमद-मरहबा...













Varanasi (dil india live). जुमेरात को ईद मिलादुन्नबी (पैगंबर हजरत मोहम्मद (स.) के जन्म दिन पर निकले जुलूसे मोहम्मदी में आपसी सद्भाव और देश प्रेम का जज्बा देखने को मिला। शहर में निकले जुलूस में शामिल लोग इस्लामिक झंडे के साथ राष्ट्रध्वज भी लहराते हुए चल रहे थे। इसमें हिंदू भाइयों ने भी बढ़-चढ़ कर सहयोग किया। मुस्लिम इलाकों में पूरी रात नातिया कलाम और हमदो सना की महफ़िले गुलज़ार रही। वहीं इस दौरान वरुणा पार के अर्दली बाजार में अंजुमन फैजाने नूरी की ओर से दो दिवसीय जलसा वह नातियां मुशायरा मिल्लत की नज़ीर पेश करता नजर आया. यहां पर एक ओर खाने काबा का दीदार हुआ वहीं दूसरी हो कई खूबसूरत मॉडल सजाया गया था साथ ही इस्लामी झंडू के साथ शानदार देश की आन बान और शान तिरंगा भी लहराता दिखाई दिया। शायद इसे ही देश की गंगा जमुनी तहजीब का अद्भुत नजारा कहा जाता है। यहां हिंदू मुस्लिम एक साथ कंधे से कंधा मिलाएं खड़े नजर आये। उधर ईद मिलादुन्नबी पर निकलने वाला जुलूसे मोहम्मदी भी अकीदतमंदों का हुजूम उमड़ा. यह पूर्वांचल का सबसे बड़ा जुलूस है। इसमें वाराणसी के साथ ही आसपास के जिलों के लोग भी शामिल होते है। इसके चलते जुमेरात को लाखों की संख्या में लोग जुलूस में शामिल हुए। हाथों में इस्लामिक और तिरंगा झंडा था तो लबों पर सरकार की आमद मरहबा...और नार-ए-तकबीर और नारे रेसालत के नारे बुलंद हो रहे थे। इससे पूर्व रेवड़ी तालाब मैदान से सुबह 7.30 बजे जुलूस-ए-मोहम्मदी निकाला गया। जुलूस रविंद्रपुरी, शिवाला, मदनपुरा, मैदागिन, कबीरचौरा होते बेनियाबाग पहुंच कर सभा में परिवर्तित हो गया। मरकज़ी दावते इस्लामी जुलूसे मोहम्मदी कमेटी का जुलूस बेनियाबाग मैदान पहुंचा। जहां पर मौलाना अब्दुल हादी खान हबीबी की सदारत में जलसा हुआ जिसका संचालन मौलाना हसीन अहमद हबीबी कर रहे थे। तकरीर और दुआ के साथ जुलूस समाप्त हो गया। तकरीर में पैगंबर साहब के जीवन के बारे में बताया गया और उनके द्वारा बताए गए रास्तों पर चलने की बात कही गई। इसके अलावा देश और दुनिया में अमन और शांति के लिए दुआ की गई. शुक्रिया अबु ज़फ़र रिजवी ने दिया.

इसके पहले देर रात से रेवड़ी तालाब, मदनपुरा, दालमंडी, नई सड़क, अर्दली बाजार आदि जगहों पर जगह-जगह लगे स्टेज पर अंजुमनों ने नातिया कलाम पेश किया। नबी की शान में पेश किए गए नातिया कलाम में विजेता अंजुमनों को इनाम भी दिया गया. उधर दावते इस्लामी हिंद की ओर से पूरी रात इजतेमा का आयोजन किया गया. दावते इस्लामी के निगरा और मेम्बर्स ने नबी पर दरूद और सलाम के साथ ही देश दुनिया की तरक्की, दुनिया में अमन और मिल्लत के लिए दुआएं भी मांगी। यह आयोजन फजर की नमाज के बाद संपन्न हुआ।

मिल्लत कमेटी का नातिया मुकाबला

मिल्लत कमेटी कपड़ा मार्केट की ओर से नई सड़क में बुधवार कि रात में नातिया मुकाबला शुरू हुआ जो गुरुवार को नतीजे की घोषणा के बाद नबी पर सलाम भेजने के बाद खुसूसी दुआखवानी के बाद सम्पन्न हुआ। यहां प्रथम पुरस्कार 21 हजार रुपये दिया गया। इस दौरान अध्यक्ष राहत अली, उपाध्यक्ष मोहम्मद आजम, महामंत्री सरफराज खान, मंत्री तनवीर खान, हबीबुल्लाह, फैज अली, फ़ज़ल बनारसी, हाजी अब्दुल हक, साजिद खान, इमदाद अली सहित काफी संख्या में लोग मौजूद थे।


गौरतलब हो कि 12 रबीउल अव्वल को पैगंबर-ए-इस्लाम हजरत मोहम्मद (स.) का जन्म हुआ था। इस दिन को ईद मिलादुन्नबी, यौमुन्नबी या विलादत-ए-नबी के नाम से पुकारा जाता है। इस दिन को जश्न के रूप में मनाते हैं। घरों पर हरी झंडियां लगाई जाती हैं, जुलूस निकलते है और पूरे रबीउल अव्वल माह में जलसों का आयोजन होता है. प्यारे नबी ने जिस दिन दुनिया से पर्दा किया वो तारीख भी 12 रबीउल अव्वल की ही थी. इसलिए इसे 12 वफात भी कहते हैं. सुन्नी उलेमा ईद-मिलादुन्नबी के तौर पर यह दिन सेलीब्रेट करते हैं.


Om Prakash Rajbhar बोले आदर्श समाज के निर्माण में स्काउट गाइड का योगदान सराहनीय

भारत स्काउट्स एंड गाइड्स के स्थापना दिवस सप्ताह का समापन जमीयत यूथ क्लब के बच्चों ने किया मंत्री ओपी राजभर का अभिनंदन Varanasi (dil India li...