रविवार, 30 जुलाई 2023

Azadarro ने दर्द भरे नौहों पर पेश किया मातम का नजराना

... ज़माना देख ले क्या क्या मेरे हुसैन से है





Varanasi (dil India live)। ज़माना देख ले क्या क्या मेरे हुसैन से है, ख़ुदा के नाम का चर्चा मेरे हुसैन से है...। जब यह नौहा पढ़ते हुए बेनिया स्थित बाकर हुसैन के इमामबाड़े से जंजीर और सिक्कड़ का मातम करते अंजुमन हैदरी का कदीमी जुलूस नई सड़क की ओर बढ़ा तो मौजूद लोगों के रोंगटे खड़े हो गए। अंजुमन में मौजूद लोग खुद को जंजीर और चाकू से जख्मी होकर दरगाहे फातमान पहुंचे। ऐसे ही शनिवार को शहर में कई जुलूस शहीदानें- कर्बला को खिराजे अकीदत पेश करने के लिए शिया वर्ग की ओर से निकाला गया। जंजीर कमा का करते हुए विभिन्न रास्तों से मातम देख खड़े हुए रोंगटे गौरीगंज स्थित काजिम रिजवी के अजाखाने से दुलदुल, ताबूत और ताजिये का क़दीमी जुलूस, दर्द भरे नौहों...तुम जहाँ भी हो, मुझे पास बुलालो बाबा, मुझको लिल्लाह इस आफत बचा लो बाबा...। जैसे सैयद नासिर हुसैन जैदी के नौहों को अजादार पढ़ते हुए चल रहे थे। 

उधर शिवाला से मिर्जा दाउद बख्त के अजाखाने से अंजुमन निशाने अली ने नौहाख्वानी व मातम करते हुए जुलूस निकाला  गया , जुलूस यहां से निकलकर शिवाला कि विभिन्न गलियों में होकर शिवाला घाट जाकर सम्पन्न हुआ। उधर वरुणापार का मशहूर ताबूत, दुलदुल और अलम का कदीमी जुलूस पूरी अकीदत के साथ अदली 'बाजार उल्फत कम्पाउंड से निकला जुलूस में शामिल लोग जंजीर और कमा का मातम करते हुए विभिन्न रास्तों से फातमान पहुंचे। जुलूस में अंजुमन इमामिया दर्द भरे नौहों पर मातम करते हुए चल रही थी। कुछ जुलूस सरैया और शिवाला घाट पहुंचा तो ज्यादातर दरगाहे फातमान पहुंच कर सम्पन्न हुआ।

शनिवार, 29 जुलाई 2023

10 moharram : कर्बला में दफन हुए सैकड़ों ताजिए











Varanasi (dil India live)। कर्बला के शहीदे आजम हज़रत इमाम हुसैन (रजि.) समेत कर्बला के 72 शहीदों और असीरो को खिराजे अकीदत पेश करने के लिए जुमे को इमामबाड़ों और इमाम चौकों पर अकीदत और एहतराम के साथ बैठायी गई तकरीबन साढ़े पांच सौ बड़ी व सैकड़ों मन्नती ताजिया पूरे एहतराम के साथ यौमे आशूरा पर कर्बला में दफन हुई।

"इस दौरान बोल मोहम्मदी, या हुसैन... या हुसैन...व.. नारे तकबीर अल्लाह हो अकबर..... की सदाएं फिजा में बुलंद हो रही थी। मन्नती ताजिया सुबह से ही दफन करने का जो सिलसिला शुरू हुआ वह देर शाम तक जारी था। कर्बला की ओर जा रहे जुलूस को देखने के लिए लोगों की भारी भीड़ खासकर बच्चों, ख्वातीन और बुजुर्ग घरो व सड़कों के आसपास उमड़े हुए थे। अर्दली बाजार उल्फत कम्पाउंड कि नामचीन जरी कि ताजिया, हड़हासराय, पठानी टोला की पीतल की ताजिया, नई सड़क की चपरखट की ताजिया, मदनपुरा, कोयाला बाजार की नगीने की ताजिया, सरैया की जकाट की ताजिया, मुर्गिया टोला की ताजिया, बकराबाद, लल्लापुरा व रजा नगर की बुरराक की ताजिया, गौरीगंज की शीशम की ताजिया, बाबा फरीद की ताजिया, पक्कों मस्जिद लल्लापुरा की सलाके की ताजिया, सोनारपुरा की कुम्हार की ताज़िया, कोनिया की कागज़ की ताजिया समेत सैकड़ों ताजिए अपने कदीमी रास्तों से होकर कर्बला पहुंच कर दफन हुए। ककरमत्ता में ताजिये का जुलूस सुबह निकला जो विभिन्न रास्तों से होकर फातमान पहुंचा जहां ताजिया दफन की गयी। बजरडीहा, गौरीगंज, नई सडक, शेख सलीम फाटक, पीलीकोठी, सरैया, छिन्तनपुरा, राजा बाजार, प्रहलादघाट, सुंदरपुर, नरिया, दालमंडी, लल्तापुरा, पितरकुंडा, कोयला बाजार, बड़ी बाजार आदि जगहो के ताजिया अपने-अपने कदीमी रास्तों से होकर कर्बला में जाकर दफन हुए। गौरीगंज, शिवाला, नवाबगंज, काश्मीरीगंज आदि की ताजिया भवनिया कब्रिस्तान में जहां दफ्न हुई तो मदनपुरा, रेवडीतालाब, नई सड़क, लल्लापुरा, पितरकुडा, जैतपुरा, बजरडीहा, अरदली बाजार, नदेसर, राजा बाजार, शिवपुर आदि के जुलूस फातमान पहुंचे। जलालीपुरा, शक्कर तालाब, सरैया, कोनिया आदि के ताजिये लाट सरैया पहुंच कर दफन हुए। बजरडीहा कि सभी ताजिया रेवडीतालाब पार्क पहुंच कर एकत्र हुई उसके बाद वहां से फातमान रवाना रवाना हुई। कुछ तेलियानाला घाट तो कुछ शिवाला घाट में भी ताजिया ठंडी कि गई।


हिन्दू-मुस्लिम एकता कोनिया कि ताज़िया 

गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल कोनिया की  ताजिया देखने हुजूम उमड़ा। वहां रवायत के तहत इलाके की लंगड़ मजीद पहलवान की मशहूर कागज़ की ताजिया बैठायी जाती है। यह ताजिया जब दफन होने के लिए निकलती है तो इसे पहले हिन्दू कंधा देते हैं फिर मुस्लिम ताजिया लेकर कर्बला की ओर बढ़ जाते हैं। ऐसे ही हिन्दू वर्ग के लोगों ने दस मोहर्रम को एक बार फिर सदियों पुरानी रवायत को मजबूत किया। लगड़ मजीद की कदीमी ताजिये को यहां की रामलीला समिति के अमर देव यादव पार्षद, विनोद मौर्य, सोमनाथ मौर्य, मोहन यादव, दुलारे आदि ने पहले कंधा दिया। फिर उसे मुस्लिम लोगों के हवाले कर दिया गया। ताजिये के जुलूस में मुस्लिम संग हिन्दू भी साथ-साथ लाट सरैया तक गये। ताजिया प्रमुख मजीद पहलवान बताते हैं कि यह हर साल की यहां परम्परा है। जिस पर आधुनिकता और फिरकापरस्त ताकतों का कोई असर नहीं पड़ा है। हिन्दू ताजिये का न सिर्फ इस्तेकबाल करते हैं बल्कि उसे कंधा देकर आगे बढ़ाते हैं। इस दौरान मुस्लिम उसे लेकर लाट सरैया स्थित कर्बला गये जहां उसे दफन कर दिया गया। ताजिया में शामिल मोहम्मद शरीफ, रोजन अली, मोहम्मद, मो. सलीम, मोहन यादव शामिल थे।

मोहर्रम के जुलूसों के दौरान तमाम सामाजिक संगठनों ने लोगों की खिदमत की। नईसड़क पर अंजुमन इस्लामियों के शाहिद अली मुन्ना लोगों की खिदमत कर रहे थे तो नदेसर पर भाजपा नेता मलिक, बसपा के मो. शाहिद खां, बदरुद्दीन खां एडवाकेट, मो. खालिक, बच्चा, सिकंदर, मो. नेयाज अहमद, बब्लू, जावेद अख्तर, मो. अय्यूब आदि व्यवस्था संभाले हुए थे तो सरैया में पार्षद पति हाजी वकास अंसारी, बदरुद्दीन अहमद, हाजी सुहेल, हाजी इब्राहिम, बेलाल, इम्तेयाज आदि ने  कैम्प लगाया था, जहां पर चोटिल लोगों का इलाज व भूले-भटके लोगों को मिलाया जा रहा था। यहां डा. वकालत अली, डा. अफरोज द्वारा लोगों को मेडिकल सुविधा उपलब्ध करायी गयी है। शकील अहमद जादूगर के संयोजन में शाकिब अंसारी, इरशाद अंसारी, अंसारी, आरिफ अंसारी, फैजुल अंसारी पितरकुण्डा में लोगो की मदद करते दिखाई।

Varanasi ki khas taziya Google search maine

कैमरे कि नज़र से बनारस कि शानदार ताजिया देखें 















Moharram 9: घरों में हुई शहीदाने कर्बला कि फातेहा, इमाम चौकों पर बैठाती गयी ताजिया

फातेहा के बाद आकर्षक ताजिये की जियारत







Varanasi (dil India live). हज़रत इमाम हसन, हज़रत इमाम हुसैन समेत कर्बला के 72 शहीदों कि याद में जुमे को मलीदे, शरबत और शिरनी कि मुस्लिम घरों, इमाम चौकों व इमामबाड़ों में फातेहा करायी गई। फातेहा कराने के बाद जहां लोगों में तबर्रुक तकसीम किया गया वहीं इमाम चौक और इमामबाड़ों पर अदब और एहतराम के साथ ताजिये बैठा दिए गए। ताजिया बैठते ही उसकी जियारत करने दोनों वर्ग के लोगों का हुजुम दिखाई दिया।

9 वीं मोहर्रम को इमाम चौक पर सभी ताजिया फातेहा करके बैठा दी गईं। शहर भर में इनकी जियारत के लिए भारी भीड़ उमड़ी रही। जैतपुरा की बुर्राक की ताजिया, नईसडक की पीतल की ताजिया, लल्लापुरा की रांगे की ताजिया, गौरीगंज की शीशम की ताजिया, अर्दली बाजार की जरी के साथ ही चपरखट की ताजिया, मोतीवाली ताजिया, हिंदू लहरा की ताजिया, शीशे की ताजिया, मोटे शाबान की ताजिया, काशीराज की मन्नत की ताजिया आदि प्रमुख ताजिया लोगों के आकर्षण का केंद्र रहीं। इस दौरान बच्चे आकषर्ण ताजिये के साथ सेल्फी भी लेते दिखाई दिए।

आग के अंगारों पर दौड़ा विश्व प्रसिद्ध 'दूल्हे' का जुलूस

Ya Husain...ya Husain...की गूंजी सदाएं, निकला दूल्हे का जुलूस 

  • गश्ती अलम का निकला जुलूस 








  • Mohd Rizwan 
Varanasi (dil India live). हज़रत कासिम की याद में नौवीं मोहर्रम की मध्यरात्रि विश्व प्रसिद्ध कदीमी (परंपरागत) दूल्हे का जुलूस निकाला गया। यह जुलूस इमामबाड़ा हज़रत कासिम नाल के सदर परवेज कादिर खां कि अगुवाई में अदब और एहतराम के साथ निकाला गया। सवारी पढ़ने के बाद जुलूस को दूल्हा कमेटी ने आवाम के हवाले किया जो अपने कदीमी रास्तों में लगी आग पर से होकर आगे बढ़ रहा था।अकीतदमंदों का जनसैलाब शिवाला में उमड़ा हुआ था। 

लोगों का हुजूम या हुसैन, या हुसैन...की सदाएं बुलंद करते हुए आग के अंगारों पर चलकर हज़रत इमाम हुसैन, हज़रत कासिम समेत कर्बला में शहीद हुए 72 हुसैनियों को सलामी पेश करते हुए इमाम चौकों पर बैठायी गई तकरीबन 60 ताजियों को सलामी देने व 72 अलाव से होता हुआ शनिवार की सुबह वापस लौटेगा। जुलूस शहर के छह थाना क्षेत्रों से गुजरता है। इस दौरान कड़ी सुरक्षा व्यवस्था दिखाई दी।

इससे पहले दूल्हा कमेटी ने एक ओहदेदारान को दूल्हा बनाया जिस पर सवारी पढ़ी गई। डंडे में लगी घोड़े की नाल लिये दूल्हे को पकड़ने की लोगों में होड़ मची हुई थी। पीछे पीछे अकीदतमंदों का जनसैलाब जुलूस में शामिल था। जुलूस विभिन्न मुहल्लों में इमाम चौकों पर बैठे ताजिये को सलामी देता हैं, समाचार लिखे जाने तक दूल्हा शिवाला कि गलियों में लगी आग से होकर अस्सी कि ओर बढ़ रहा था। जुलूस के साथ विभिन्न थानों की पुलिस के अलावा रिजर्व पुलिस, पीएसी के जवान तैनात थे। कमेटी के अध्यक्ष परवेज कादिर खां ने बताया कि जुलूस शनिवार को पुन: शिवाला सिथत इमामबाड़ा दूल्हा कासिम नाल पहुंच कर ठंडा होगा। जुलूस जब ठंडा हो जाता है उसके बाद ही कर्बला के लिए ताजिया निकलती है। दूल्हे का जुलूस निकलने के बाद गश्ती अलम का जुलूस विभिन्न शिया इमामबाडों से निकाला गया जो गश्त करते हुए एक जगह से दूसरे जगह तक जाता दिखाई दिया। 

शुक्रवार, 28 जुलाई 2023

Sports college में Allahabad के अहमद हसन का चयन

बेटे कि उपलब्धि पर ख़ुश हैं पिता हसन व मां जेबा



Allahabad (dil India live). शहर के उभरते हुए हाकी खिलाड़ी अहमद हसन उस्मानी का चयन गुरु गोविंद सिंह स्पोर्ट्स कालेज लखनऊ में हुआ है। वह करेलाबाग लाल कालोनी के रहने वाले हैं। पिता हसन महमूद उस्मानी और मां जेबा उस्मानी ने बेटे की उपलब्धि पर खुशी जाहिर करते हुए रब का शुक्रिया अदा किया है। कहां कि हसन मजीदिया इस्लामिया इंटर कालेज (एमआईसी) में फरदीन खान से हाकी का प्रशिक्षण ले रहे हैं। उनके चयन पर फरदीन खान ने इसे अहमद हसन कि मेहनत का नतीजा बताया। कहां कि अहमद हसन लगातार कड़ी मेहनत कर रहा था और उसी का नतीजा है कि उसका चयन हुआ।

गुरुवार, 27 जुलाई 2023

Moharram 8: जब हाथ कलम हो गए सक्काए हरम के...

आठवीं मोहर्रम को निकला कदीमी दुलदुल का जुलूस

–शान से बैठायी गई प्रमुख ताजियां, कल आग से होकर गुजरेगा दूल्हे का विश्व प्रसिद्ध जुलूस  






Varanasi (dil India live)।  मोहर्रम पर शहर की प्रमुख रांगे की ताजिया, पीतल की ताजिया, नगीने की ताजिया, कुम्हार की ताजिया आदि लोगों की जियारत के लिए इमामबाडे में बैठा दी गई। बची हुई सभी ताजिया जुमे को इमाम चौकों पर बैठायी जाएंगी और शनिवार को उन्हें कर्बला में दफन किया जाएगा। मोहर्रम को देखते हुए पुलिस कमिश्नर के निर्देश पर पैदल गश्त बढ़ा दी गई। थाना प्रभारियों ने विभिन्न स्थानों पर गश्त कर आवश्यक दिशा निर्देश जारी किया। इस दौरान प्रभारी निरीक्षक सिगरा व चौकी प्रभारी लल्लापुरा मय सशस्त्र बल चौकी क्षेत्र लल्लापुरा में रांगे कि कदीमी ताजिया और दरगाहे फातमान आदि का पैदल गस्त कर निरीक्षण किया। 

निकला अलम, ताबूत का जुलूस

चाहमाहमा स्थित ख्वाजा नब्बू साहब के इमामबाड़े से कदीमी आठवीं मोहर्रम का तुर्बत व अलम का जुलूस अपनी पुरानी परंपराओं के अनुसार संयोजक सैयद मुनाज़िर हुसैन 'मंजू' के ज़ेरे इंतेजाम जहां उठाया गया वहीं अर्दली बाजार में दुलदुल, अलम व ताबूत का कदीमी जुलूस निकला।

चाहमाहमा के ख्वाजा नब्बू के इमामबाड़े में तुर्बत व अलम का जुलूस जुलूस उठने से पूर्व मजलिस को खिताब करते हुए अब्बास मूर्तज़ा शम्सी ने मौला अब्बास की शहादत बयान किया। जुलूस उठने पर लियाकत अली खां व उनके साथियों ने सवारी शुरू की- "जब हाथ कलम हो गए सक्काए हरम के, और अर्शे बरी हिल गया गिरने से अलम के"। जुलूस चाहमामा होते हुए दालमंडी स्थित हकीम साहब के अज़ाख़ाने पर   पहुँचा जहां से अंजुमन हैदरी चौक बनारस ने नौहाख्वानी शुरू की। "अब्बास क्या तराइ में सोते हो चैन से" जिसमें शराफत हुसैन, लियाकत अली खां, साहब ज़ैदी, शफाअत हुसैन शोफी, मज़ाहिर हुसैन, राजा व शानू ने नौहाख्वानी की।

जुलूस दालमंडी, खजुर वाली मस्जिद, नई सड़क, फाटक शेख सलीम, काली महल, पितरकुंड, मुस्लिम स्कुल होते हुए लल्लापूरा स्थित फ़ातमान पहुँचा। पूरे रास्ते उस्ताद फतेह अली खां व भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां के पौत्र नासिर अब्बास, आफाक हैदर व उनके साथियों ने शहनाई पर आंसुओं का नज़राना पेश किया। फ़ातमान से जुलूस पुनः वापस मुस्लिम स्कुल, लाहंगपूरा, रांगे की ताज़िया, औरंगाबाद, नई सड़क कपड़ा मंडी, कोदई चौकी, सर्राफा बाजार, टेढ़ी नीम, बांस फाटक, कोतवालपूरा, कुंजीगरटोला, चौक, दालमंडी, चाहमामा होते हुए इमामबाङे में समाप्त होगा l उधर सैय्यद जियारत हुसैन के अंर्दली बाजार तार गली स्थित आवास से 8 वीं मोहर्रम गुरुवार को दुलदुल अलम, ताबूत का जुलूस 27 जुलाई को रात्रि 9 बजे उठा। जुलूस अपने कदीमी (पुराने) रास्ते से होकर उल्फत बीबी हाता स्थित स्व.मास्टर जहीर साहब के  इमामबाङा पर समाप्त हुआ। जुलूस में अंजुमन इमामिया नौहा व मातम किया। इरशाद हुसैन "शद्दू" ने शुक्रिया अदा किया।  

कल निकलेगा दूल्हे का विश्व प्रसिद्ध जुलूस 

विश्व प्रसिद ‘दूल्हा’ कासिम नाल कमेटी के सदर परवेज कादिर खां की अगुवाई में नौवीं तारीख की रात सदियों पुरानी परंपरा शहीदाने कर्बला की याद में एशिया का इकलौता 'दूल्हे का जुलूस' निकलेगा। इमाम हुसैन के भतीजे हजरत कासिम के घोड़े की नाल के साथ 'दूल्हा' नंगे पांव 30 टन लकडि़यों के दहकते अंगारों पर से होकर गुजरेगा तो साथ में ‘या हुसैन, या हुसैन’...की सदाएं बुलंद करते हुए लाखों लोग शामिल होंगे। दूल्हे के वापस इमामबाड़ा पहुंचने के बाद ही ताजियों का जुलूस दसवीं मोहर्रम को उठना शुरू होगा। दूल्हा नाल कमेटी के सदर परवेज कादिर खान के मुताबिक कर्बला की जंग के समय हजरत कासिम की शादी तय थी लेकिन शहीद होने के कारण दूल्हा नहीं बन सके उनकी याद में ही इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार  सैकडो साल पुरानी परंपरा काशी में चली आ रही है। हजरत कासिम के घोड़े की नाल को पकड़ने वाले को दूल्हा कहा जाता है और उस पर इमाम हुसैन की सवारी आती है।

कमेटी के मो. खालिद ने बताया कि इमामबाड़े में हज़रत कासिम के घोड़े की नाल रखी हुई है। इसे सिर्फ इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार नौवीं व दसवीं मुहर्रम को ही बाहर निकाला जाता है। इमामबाड़ा की दीवारों पर प्रतीकात्मक रूप से खून के छींटे कर्बला के मंजर की याद दिलाते हैं।

दूल्हे का जुलूस शनिवार की रात 9 बजे शिवाला से प्रारंभ होकर शहर के भदैनी, अस्सी दुर्गाकुंड, गौरीगंज’ भेलूपुर, रेवड़ी तालाब, नई सड़क होते हुए माध्यरात्रि के बाद फातमान पहुंचेगा। 12 किलोमीटर लंबे रास्ते में जगह-जगह लोग जुलूस आने के पहले ही दस-दस मन लकड़ी के अलाव जलाएंगे। इन्हीं अंगारों पर से दूल्हा और जुलूस में शामिल लोग दौड़ते हुए आगे बढ़ते हैं।

शेख़ अली हजी को दिखता था बनारस का हर बच्चा राम और लक्ष्मण

बरसी पर याद किए गए ईरानी विद्वान शेख़ अली हजी  Varanasi (dil India live)। ईरानी विद्वान व दरगाहे फातमान के संस्थापक शेख मोहम्मद अली हजी ईरान...