Varanasi (dil India live)। कर्बला के शहीदे आजम हज़रत इमाम हुसैन (रजि.) समेत कर्बला के 72 शहीदों और असीरो को खिराजे अकीदत पेश करने के लिए जुमे को इमामबाड़ों और इमाम चौकों पर अकीदत और एहतराम के साथ बैठायी गई तकरीबन साढ़े पांच सौ बड़ी व सैकड़ों मन्नती ताजिया पूरे एहतराम के साथ यौमे आशूरा पर कर्बला में दफन हुई।
"इस दौरान बोल मोहम्मदी, या हुसैन... या हुसैन...व.. नारे तकबीर अल्लाह हो अकबर..... की सदाएं फिजा में बुलंद हो रही थी। मन्नती ताजिया सुबह से ही दफन करने का जो सिलसिला शुरू हुआ वह देर शाम तक जारी था। कर्बला की ओर जा रहे जुलूस को देखने के लिए लोगों की भारी भीड़ खासकर बच्चों, ख्वातीन और बुजुर्ग घरो व सड़कों के आसपास उमड़े हुए थे। अर्दली बाजार उल्फत कम्पाउंड कि नामचीन जरी कि ताजिया, हड़हासराय, पठानी टोला की पीतल की ताजिया, नई सड़क की चपरखट की ताजिया, मदनपुरा, कोयाला बाजार की नगीने की ताजिया, सरैया की जकाट की ताजिया, मुर्गिया टोला की ताजिया, बकराबाद, लल्लापुरा व रजा नगर की बुरराक की ताजिया, गौरीगंज की शीशम की ताजिया, बाबा फरीद की ताजिया, पक्कों मस्जिद लल्लापुरा की सलाके की ताजिया, सोनारपुरा की कुम्हार की ताज़िया, कोनिया की कागज़ की ताजिया समेत सैकड़ों ताजिए अपने कदीमी रास्तों से होकर कर्बला पहुंच कर दफन हुए। ककरमत्ता में ताजिये का जुलूस सुबह निकला जो विभिन्न रास्तों से होकर फातमान पहुंचा जहां ताजिया दफन की गयी। बजरडीहा, गौरीगंज, नई सडक, शेख सलीम फाटक, पीलीकोठी, सरैया, छिन्तनपुरा, राजा बाजार, प्रहलादघाट, सुंदरपुर, नरिया, दालमंडी, लल्तापुरा, पितरकुंडा, कोयला बाजार, बड़ी बाजार आदि जगहो के ताजिया अपने-अपने कदीमी रास्तों से होकर कर्बला में जाकर दफन हुए। गौरीगंज, शिवाला, नवाबगंज, काश्मीरीगंज आदि की ताजिया भवनिया कब्रिस्तान में जहां दफ्न हुई तो मदनपुरा, रेवडीतालाब, नई सड़क, लल्लापुरा, पितरकुडा, जैतपुरा, बजरडीहा, अरदली बाजार, नदेसर, राजा बाजार, शिवपुर आदि के जुलूस फातमान पहुंचे। जलालीपुरा, शक्कर तालाब, सरैया, कोनिया आदि के ताजिये लाट सरैया पहुंच कर दफन हुए। बजरडीहा कि सभी ताजिया रेवडीतालाब पार्क पहुंच कर एकत्र हुई उसके बाद वहां से फातमान रवाना रवाना हुई। कुछ तेलियानाला घाट तो कुछ शिवाला घाट में भी ताजिया ठंडी कि गई।
हिन्दू-मुस्लिम एकता कोनिया कि ताज़िया
गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल कोनिया की ताजिया देखने हुजूम उमड़ा। वहां रवायत के तहत इलाके की लंगड़ मजीद पहलवान की मशहूर कागज़ की ताजिया बैठायी जाती है। यह ताजिया जब दफन होने के लिए निकलती है तो इसे पहले हिन्दू कंधा देते हैं फिर मुस्लिम ताजिया लेकर कर्बला की ओर बढ़ जाते हैं। ऐसे ही हिन्दू वर्ग के लोगों ने दस मोहर्रम को एक बार फिर सदियों पुरानी रवायत को मजबूत किया। लगड़ मजीद की कदीमी ताजिये को यहां की रामलीला समिति के अमर देव यादव पार्षद, विनोद मौर्य, सोमनाथ मौर्य, मोहन यादव, दुलारे आदि ने पहले कंधा दिया। फिर उसे मुस्लिम लोगों के हवाले कर दिया गया। ताजिये के जुलूस में मुस्लिम संग हिन्दू भी साथ-साथ लाट सरैया तक गये। ताजिया प्रमुख मजीद पहलवान बताते हैं कि यह हर साल की यहां परम्परा है। जिस पर आधुनिकता और फिरकापरस्त ताकतों का कोई असर नहीं पड़ा है। हिन्दू ताजिये का न सिर्फ इस्तेकबाल करते हैं बल्कि उसे कंधा देकर आगे बढ़ाते हैं। इस दौरान मुस्लिम उसे लेकर लाट सरैया स्थित कर्बला गये जहां उसे दफन कर दिया गया। ताजिया में शामिल मोहम्मद शरीफ, रोजन अली, मोहम्मद, मो. सलीम, मोहन यादव शामिल थे।
मोहर्रम के जुलूसों के दौरान तमाम सामाजिक संगठनों ने लोगों की खिदमत की। नईसड़क पर अंजुमन इस्लामियों के शाहिद अली मुन्ना लोगों की खिदमत कर रहे थे तो नदेसर पर भाजपा नेता मलिक, बसपा के मो. शाहिद खां, बदरुद्दीन खां एडवाकेट, मो. खालिक, बच्चा, सिकंदर, मो. नेयाज अहमद, बब्लू, जावेद अख्तर, मो. अय्यूब आदि व्यवस्था संभाले हुए थे तो सरैया में पार्षद पति हाजी वकास अंसारी, बदरुद्दीन अहमद, हाजी सुहेल, हाजी इब्राहिम, बेलाल, इम्तेयाज आदि ने कैम्प लगाया था, जहां पर चोटिल लोगों का इलाज व भूले-भटके लोगों को मिलाया जा रहा था। यहां डा. वकालत अली, डा. अफरोज द्वारा लोगों को मेडिकल सुविधा उपलब्ध करायी गयी है। शकील अहमद जादूगर के संयोजन में शाकिब अंसारी, इरशाद अंसारी, अंसारी, आरिफ अंसारी, फैजुल अंसारी पितरकुण्डा में लोगो की मदद करते दिखाई।
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