सोमवार, 18 अप्रैल 2022
कांग्रेस ने राष्ट्रपति को भेजा पत्र, इबादतगाहों पर हमला करने वालो के विरुद्ध कारवाही हो
वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। रामनवमी के अवसर पर विभिन्न राज्यों में भाजपा और संघ समर्थित लोगो द्वारा मुस्लिम समुदाय के इबादतगाहों पर हमलों में लिप्त संगठनों और लोगों के विरुद्ध कार्यवाई के लिएउ त्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी अल्पसंख्यक विभाग के आवाहन पर प्रदेश अध्यक्ष शाहनवाज आलम के निर्देश पर आज पूरे प्रदेश के सभी जिलों से कांग्रेस के पदाधिकारियों ने राष्ट्रपति को पत्र भेजा।
10 अप्रैल 2022 को रामनवमी से ले कर अभी तक कई राज्यों में मज़ारों और मस्जिदों पर हमले की घटनाएं हुई हैं। गुजरात, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और झारखंड व दिल्ली मे हुई इन सभी घटनाओं में भाजपा और संघ परिवार से जुड़े लोगों की भूमिका उजागर हुई है। लेकिन सरकारों ने उनके खिलाफ़ विधिक कार्यवाई करने के बजाए उन्हें संरक्षित करने का काम किया है।
बिहार के मुजफ्फरपुर में एक मस्जिद पर अताताइयों द्वारा भगवा झंडा फहरा दिया गया। यहां पारू थाना क्षेत्र के मोहम्मदपुर गांव में डाक बंगला मस्जिद पर कुछ युवकों ने मस्जिद के मीनार पर चढ़कर भगवा झंडा लहराया तथा दर्जन भर लोगों ने तलवार व हाकी स्टिक हाथ मे लेकर झण्डा लगाने वाले युवक का उत्साह वर्धन किया। जिसके साक्ष्य सोशल मीडिया पर वायरल हैं।
मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में रामनवमी के जुलूस के दौरान हुई घटना में न सिर्फ मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाया गया है बल्कि उन्हीं के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। उन्हीं के घरों को जमींदोज कर दिया गया। खरगोन के चार इलाकों में मुसलमानों के 60 घर और 29 दुकानों को अवैध कब्जा बताकर तोड़ दिया गया। 100 से ज्यादा सिर्फ मुस्लिम समुदाय के लोग ही गिरफ्तार किए गए हैं। गुजरात के हिम्मत नगर और खंबात में मस्जिदें जलाई गयीं लेकिन कोई गिरफ्तारी नहीं हुई।
हनुमान जयन्ती पर दिल्ली के जहाँगीरपुरी में जानबूझ कर हिंदू बहुल इलाक़ों के बजाए मुस्लिम बहुल इलाक़ों से जुलूस निकाले गए और मस्जिदों के सामने आपत्तिजनक नारे लगाए गए और भीड़ में से ही पत्थर चला कर इसे मुसलमानोंको आरोपित कर दंगा किया गया। पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले प्रमुख लोगों में कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के प्रदेश उपाध्यक्ष हाजी ओकास अंसारी, प्रदेश महासचिव हसन मेंहदी कब्बन, शाहिद तौसीफ, मेंहदी हसन आब्दी स्वालेह अंसारी ने महामहिम राष्ट्रपति से निवेदन किया किदे श के बिगड़ते आंतरिक स्थितियों पर पूर्ववर्ती राष्ट्रपतियों के हस्तक्षेप की समृद्ध परंपरा रही है। उम्मीद है आप इस परंपरा को आगे बढ़ाते हुए इन आपराधिक घटनाओं के दोषियों के खिलाफ़ कार्यवाई के लिए राज्य सरकारों को निर्देशित करेंगे।
खजूर सेहत भी और सुन्नत भी
वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। रमज़ान महीने का एक और सुन्नतों भरा तोहफा खुदा ने हमें सहरी के रूप में अता किया है। रोज़े में सहरी का बड़ा सवाब है। सहरी उस गिज़ा को कहते हैं जो सुब्ह सादिक से पहले रोज़ेदार खाता है। सैय्यदना अनस बिन मालिक फरमाते हैं कि ‘‘नबी-ए-करीम (स.) सहरी के वक्त मुझसे फरमाते कि मेरा रोज़ा रखने का इरादा है मुझे कुछ खिलाओ। मैं कुछ खजूरें और एक बर्तन में पानी पेश करता।’ इससे पता यह चला कि सहरी करना बज़ाते खुद सुन्नत है और खजूर व पानी से सहरी करना दूसरी सुन्नत है। नबी ने यहां तक फरमाया कि खजूर बेहतरीन सहरी है। नबी-ए-करीम (स.) इस महीने में सहाबियों को सहरी खाने के लिए खुद आवाज़ देते थे। अल्लाह और उसके रसूल से हमें यही दर्स मिलता है कि सहरी हमारे लिए एक अज़ीम नेमत है। इससे बेशुमार जिस्मानी और रुहानी फायदा हासिल होता है। इसलिए ही इसे मुबारक नाश्ता कहा जाता है। किसी को यह गलतफहमी न हो कि सहरी रोज़े के लिए शर्त है। ऐसा नहीं है सहरी के बिना भी रोज़ा हो सकता है मगर जानबूझ कर सहरी न करना मुनासिब नहीं है क्यों कि इससे रोज़ेदार एक अज़ीम सुन्नत से महरूम हो जायेगा। यह भी याद रहे कि सहरी में खूब डटकर खाना भी जरूरी नहीं है। कुछ खजूर और पानी ही अगर बानियते सहरी इस्तेमाल कर लें तो भी काफी है।
रमज़ान वो मुकदद्स महीना है जो लोगों को यह सीख देता है कि जैसे तुमने एक महीना अल्लाह के लिए वक्फ कर दिया सुन्नतों और नफ़्ल पर ग़्ाौर किया, उस पर अमल करते रहे वैसे ही बचे पूरे साल नेकी और पाकीज़गी जारी रखो। नबी-ए-करीम (स.) ने फरमाया ‘‘तीन चीज़ों को अल्लाह रब्बुल इज्ज़त महबूब रखता है। एक इफ्तार में जल्दी, सहरी में ताखीर और नमाज़ के कि़याम में हाथ पर हाथ रखना।’ नबी फरमाते हैं कि इस पाक महीने को जिसने अपना लिया, जो अल्लाह के बताये हुए तरीकों व नबी की सुन्नतों पर चल कर इस महीने में इबादत करेगा उसे जन्नत में खुदावंद करीम आला मुक़ाम अता करेगा। यह महीना नेकी का महीना है। इबादत के साथ ही इस महीने में रोज़ेदार की सेहत दुरुस्त हो जाती है। रोज़ेदार अपनी नफ्स पर कंट्रोल करके बुरे कामों से बचा रहता है। ये महीना नेकी और मोहब्बत का महीना है। इस पाक महीने में जितनी भी इबादत की जाये वो कम है क्यों कि इसका सवाब 70 गुना तक अल्लाहतआला बढ़ा देता है, इसलिए कि रब ने इस महीने को अपना महीना कहा है। ऐ पाक परवरदिगार तू अपने हबीब के सदके में हम सबको रमज़ान की इबादत, नबी की सुन्नतों पर चलने की व रोज़ा रखने की तौफीक अता फरमा..आमीन।
कई जगहों पर तरावीह मुकम्मल
वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। मस्जिद सम्मन खां गौरीगंज में तरावीह की नमाज़ हाफिज़ अमजद ने मुकम्मल करायी। इस दौरान जैसे ही तरावीह पूरी हुई तमाम लोगों ने उन्हें फूल-मालाओं से लाद दिया। आखिर में मौजूद लोगों ने नबी पर सलाम पेश किया। इसके बाद रोज़ेदार तबर्रुक लेकर अपने घरों को लौटें। ऐसे ही उल्फत कम्पाउंड में सैयद तसलीमुद्दीन की सरपरस्ती व जमाल आरिफ के संयोजन में 15 दिनी तरावीह हाफिज़ तैहसीन रज़ा ‘ग़ालिब’ ने मुकम्मल करायी। यहां तरावीह होने पर मौलाना अज़हरुल क़ादरी ने फातेहा व दुआख्वानी का एहतमाम किया। मो.ज़ैद, इब्तेसाम अख्तर, इसार अख्तर, इस्माईल रज़ा आदि ने हाफिज़ ग़ालिब का ज़ोरदार खैरमक़दम किया। इस मौके पर हाफिज ग़ालिब ने कहा कि अल्लाह के रसूल (स.) ने फरमाया कि इस माहे मुबारक में जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाते हैं और जहन्नम के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं। इस महीने में दस दस दिन के तीन अशरे होते हैं। पहला अशरा खत्म हो चुका है और दूसरा अशरा भी खत्म होने में 4 दिन बाकी हैं। यानी रमज़ान का आधा सफर मुकम्मल हो गया है। इस अशरे मगफिरत में रब रोज़ेदारों की दुआएं कुबुल करता है और उनके गुनाहों से तौबा करने पर रब उन्हें माफ कर देता हैं। इसी क्रम में दालमंडी की मस्जिद मिर्जा बिस्मिल्लाह में तरावीह मुकम्मल हुई। इस मुकद्दस मौके पर अकीदतमंदों ने मुल्क में अमन चैन की दुआ रब की बारगाह में करते हुए अपनी अपनी जायज तमन्नाओ की तलब रब से किया और तमाम आलमीन की खैर अल्लाह रब्बुल आलमीन से मांगी। तरावीह मुकम्मल होने के बाद नामाजियों ने एक दूसरे से मुसाफा करके उन्हें बधाई दी और हाफिज शोएब नोमानी को फूल मालाओं से लाद दिया। साथ ही सभी नमाजियो में बतौर तबर्रुख मिठाई तकसीम की गई।
गाज़ी मियां की लगी लग्न, मेला 22 मई को
वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। बड़ी बाजार स्थित हजरत सैयद सलार मसूद गाजी मियां रहमतुल्लाह अलैह की शादी के सवा महीने पूर्व आज लगन रखी गयी। इस दौरान कोरोना महामारी से निजात की दुआएं भी मांगी गई। इसी के साथ गाजी मियां की लग्न के साथ ही गाजी मियां की शादी की रस्म की शुरूआत हो गई। दरगाह गाजी मियां के गद्दीनशीन/सेक्रेटरी हाजी एजाजुद्दीन हाशमी की देखरेख में हल्दी की रस्म निभाई गई। आयोजन में दूर दराज़ के साथ ही इलाकाई जायरीन भी मौजूद थे। इस दौरान बताया गया कि गाज़ी मियां की शादी की रस्म के साथ शादी की रस्म, उर्स और मेले की तैयारियां अब तेज़ हो जाएगी। 22 मई को गाज़ी मियां की बारात निकलेगी। इस दौरान तीन दिनों तक मेला लगेगा। 13 मई को पलंग-पीढ़ी और जोड़े का जुलूस दरगाह से निकलेगा जो बहराइच रवाना होगा।
दरगाह कमेटी के सदर हाजी सिराजुद्दीन अहमद, नियाजुद्दीन हाशमी, डा. अजीजुर्रहमान, अब्दुल अब्दुल्लाह, व नोमान अहमद हाशमी की अगुवाई में फातिहा और चादर पोशी की गयी और जायरीन को हल्दी लगायी गयी। जिसमें बड़ी तादाद में अकीदतमंदों ने हिस्सा लिया। अन्त में सभी का दरगाह कमेटी के लोगों ने शुक्रिया अदा किया।
रमज़ान में तरावीह हर मोमिन को अदा करना ज़रुरी
वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। मुकद्दस रमजान में पूरे महीने जिस तरह से मोमिन को रोज़ा रखना ज़रूरी है वैसे ही उसे तरावीह की नमाज़ भी अदा करना ज़रुरी होता है। रोज़ा फर्ज़ है और तरावीह सुन्नत। इसके बावजूद तरावीह अदा करना इस्लाम में बेहद ज़रूरी करार दिया गया है, इसलिए कि तरावीह नबी-ए-करीम को बेहद पसंद थी।
रमज़ान को इबादत का महीना माना जाता है और इस महीने की बहुत अहमियत है। इस मुकददस महीने में मुसलमान महीने भर रोजे (व्रत) रखता है। पांच वक्त की नमाज और नमाजे-तरावीह अदा करता हैं। कुछ मस्जिदों में तरावीह 4 दिन कि तो कहीं 6 दिन तो कहीं 15 दिन में अदा की जाती है। उलेमा कहते हैं कि अगर किसी ने 4 दिन की तरावीह या 15 दिन की तरावीह मुकम्मल कर ली तो वो ये न सोचे कि तरावीह उसकी हो गई। उलेमा कहते है कि तरावीह पूरे महीने अदा करना ज़रूरी है। तरावीह चांद देखकर शुरू होती है और चांद देखकर ही खत्म होती है। तरावीह में पाक कुरान सुना जाता है। अगर किसी ने 4 दिन, 7 दिन या 15 दिन या जितने भी दिन की तरावीह मुकम्मल की हो उसे सुरे तरावीह महीने भर यानी ईद का चांद होने तक अदा करना चाहिए।
रोज़ेदारों की दुआएं होती है कुबुल
रमज़ान में देश दुनिया में अमन के लिए दुआएं व तरक्की के लिए दुआएं मांगी जाती है। दरअसल रमजान का पाक महीना इस्लामी कैलेंडर का नौवां महीना होता है। इस पाक महीने में लोग इबादत करके अपने रब का जहां शुक्रिया अदा करते हैं वहीं इस महीने में दुआएं कुबुल होती है।
क्या होती है तरावीह
रमजान में मोमिन दिन में रोज़ा रखते हैं और रात में तरावीह की नमाज़ अदा करते है। यह नमाज़ बीस रिकात सामूहिक रुप से अदा की जाती है। इस नमाज को कम से कम 3 दिन ज्यादा से ज्यादा 30 दिन में पढ़ा जाता है जिसमें एक कुरान मुकम्मल की जाती है। खुद पैगंबर हुजूर अकरम सल्लललाहो अलैह वसल्लम ने भी नमाज तरावीह अदा फरमाई और इसे पसंद फरमाया।
हैप्पी ईस्टर... की चर्चेज़ में गूंजी सदाएं
प्रभु यीशु के जी उठने पर खुशियों में डूबे मसीही
वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। प्रभु यीशु मसीह के जी उठने की खुशियों में इतवार को देश-दुनिया के साथ ही अपने शहर बनारस का मसीही समुदाय भी डूबा नज़र आया। चर्चेज़, गिरजाघरों व प्रार्थना स्थलों पर हैप्पी ईस्टर...की सदाएं गूंजती रही। संडे को जहां ईस्टर बन और एग खिला कर लोगों ने एक दूसरे को मुबारकबाद दी वहीं गरीबों और मजलूमों की मदद की गई।
प्रभु ईसा मसीह के जी उठने की खुशी में चर्चेज से लेकर घरों तक आकर्षक सजावट की गयी थी। हर तरफ लोग खुशियां मनाते-बांटते दिखेंगे। सडे को जहां ईस्टर बन खिला कर लोग एक दूसरे को मुबारकबाद दिया। यूं तो ईस्टर का जश्न शनिवार की रात सेंट मेरीज महागिरजा में यीशु के जी उठने कि खुशी में भव्य आयोजन संग शुरू हो गया था। वहां इस्टर नाइट का आयोजन किया गया। बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी में फेस्टिवल का उत्साह दिख रहा था। इस दौरान जी उठा, जी उठा, मौत गयी हार...गीत महागिरजा में गूंजने लगे। कलवारी का हुबहू पहाड़ पर कब्र खुली और उसमें प्रभु यीशु जी उठें। पूरा गिरजाघर बिशप यूज़ीन जोसेफ की अगुवाई में गीत गाता हुआ उठ खड़ा हुआ। प्रभु यीशु के जी उठने का जश्न जो शनिवार की देर रात शुरू हुआ वो समाचार लिखे जाने तक इतवार को अपने शबाब पर था।
ईस्टर संडे को चर्जेज में स्पेशल प्रेयर का आयोजन किया गया। इसमें बड़ी संख्या में मसीही समुदाय के लोग शामिल हुए। वे सुबह सुबह अपने हाथों में कैंडिल लेकर चर्च गए और वहां प्रेयर किया। सेंट मेरीज महागिरजा में फादर विजय शांतिराज, लाल गिरिजाघर में पादरी संजय दान, सेंट पाल चर्च में पादरी सैमजोशुआ सिंह, सेंट थॉमस चर्च में पादरी न्यूटन, बेथेलफुल गोस्पल चर्च में पास्टर एंड्रू थामस, ईसीआई चर्च सुंदरपुर में पास्टर नवीन ज्वाय व पास्टर दशरथ पवार, चर्च आफ बनारस में पादरी बेन जॉन, रामकटोरा चर्च में पादरी आदित्य कुमार सहित अन्य चर्चेज में लोग प्रार्थना करने जुटे हुए थे। घरों और चर्चेज में लोगों ने प्रभु के जी उठने की खुशी में एक से बढ़कर एक कैरोल गीत गाये। मसीही समुदाय के लोग अपने प्रियजनों की कब्रों पर श्रद्धा के फूल अर्पित करने भी पहुंचे हुए थे।
दरअसल हजारों साल पहले इंसानियत के दुश्मनों ने यीशु को क्रूस पर लटका दिया था। हर कोई इस क्रूर हादसे से सहम गया था। शुक्रवार को हुए इस हादसे के बाद अचानक रविवार यानी ईस्टर को प्रभु यीशु फिर से जी उठे थे। मातम की घड़ियां खत्म हुई और हर तरफ खुशियों की लहर दौड़ गयी। प्रभु जी उठे हैं। अब हमारे दुखों का अंत होगा। कहीं भी कोई रोता बिलखता नहीं दिखेगा। हर किसी के मन में ऐसे ही जज्बातों का समंदर उमड़ता दिखा।
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