मंगलवार, 29 मार्च 2022

इस कांग्रेसी के जाने से सभी हैं दुखी

365 दिन कांग्रेस का झंडा ढोने वाले गुलाब नहीं रहे


वाराणसी २९ मार्च (दिल इंडिया लाइव)। कांग्रेस के ईमानदार सक्रिय कार्यकर्ता निस्वार्थ वाराणसी की सड़कों पर धोती कुर्ता नंगे पैर कांग्रेस का झंडा लहराने  वाले 70 वर्षीय  मंडुआडीह निवासी गुलाब सोनकर का आज निधन हो गया। उनके निधन पर महानगर कांग्रेस के उपाध्यक्ष फसाहत हुसैन बाबू, कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के प्रदेश महासचिव हसन मेंहदी कब्बन, कांग्रेसी विधि विभाग के प्रदेश उपाध्यक्ष अशोक सिंह, विनय शादेजा, आशीष पाठक सहित कांग्रेस जन ने गहरा दुःख प्रकट किया।

हसन मेहंदी कब्बन ने बताया कि पिछले कुछ दिनों पूर्व गुलाब प्रियंका जी से मिलने कांग्रेस मुख्यालय लखनऊ पहुंचे थे।प्रियंका जी ने जब इस कार्यकर्ता गुलाब सोनकर के आने की खबर सुनी स्वयं तो स्वयं मीटिंग छोड़कर मीटिंग हॉल से बाहर आकर गुलाब सोनकर से मिली थी। इस दौरान काफी देर तक उन्होंने बातचीत भी की और उनके साथ फोटो सेशन भी कराया।

सोमवार, 28 मार्च 2022

तीसरी लहर के मद्देनजर पीकू वार्ड का हुआ मॉकड्रिल



ग़ाज़ीपुर, 28 मार्च (dil India live ). कोविड-19 की संभावित तीसरी लहर जो बच्चों पर ज्यादा अपना प्रभाव डालेगा। इसी के मद्देनजर स्वास्थ्य विभाग की तरफ से जनपद के कई स्वास्थ्य केंद्रों पर पीकू वार्ड का निर्माण कर लिया गया है। यह मौजूदा समय में कितना इफेक्टिव है इसकी निगरानी करने अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ उमेश कुमार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मोहमदाबाद पहुचे। इस दौरान पीकू वार्ड का माक ड्रिल भी किया गया।  यदि संभावित लहर का आगमन हो जाए तो इसके लिए यहां के स्वास्थ्य विभाग और उसम कार्यरत कर्मचारी कितना एक्टिव है।

अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ उमेश कुमार ने बताया कि शासन के निर्देश के क्रम में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मोहम्मदबाद पर बनाए गए पीकू वॉर्ड का मॉक ड्रिल और निरीक्षण किया गया। इस दौरान स्वास्थ्य केंद्र में बनाए गए पीकू वार्ड की स्थिति और उसमें ड्यूटी पर लगाए गए कर्मचारी पूर्ण रूप से ट्रेनिंग लेकर अपने कार्यों के प्रति सचेत दिखाई दिए।

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मोहम्मबाद के अधीक्षक डॉ आशीष राय ने बताया कि पीकू वार्ड का माँक ड्रिल किया गया। जिसमे तैयारियों पर चर्चा , औषधियों की उपलब्धता के साथ-साथ ऑक्सीजन व्यवस्था व कंसंट्रेटर को चालु कर उनकी स्थितियों को पोर्टल पर अपडेट करते हुऐ फूल रिहर्सल किया गया।  मरीजों को दिऐ जाने वाले समस्त सुविधाओं का आकलन करते हुऐ मरीज तथा उनके परिजनों हेतु  दी जाने वाली सुविधा , बायो बेस्ट, रेफरल इंन एवं आउट इत्यादि सुविधाओं को प्रोटोकॉल अनुसार देखा गया। इसके अलावा बाई पेप एवं अन्य जीवन रक्षक उपकरणों का लाईव डिमांस्ट्रेशन किया गया। चेक लिस्ट के अनुसार सभी उपलब्ध सुविधाओं को पोर्टल पर अपडेट किया गया। इस दोराब डा. तौसीफ अहमद, संजीव कुमार ब्लॉक कार्यक्रम प्रबंधक, विक्रम देव दयाल फार्मासिस्ट, कृष्ण कुमार सिंह बीडीए के साथ टिम के अन्य सदस्य भी उपस्थित रहे।

गुरुवार, 24 मार्च 2022

मौलाना एजाज का जाना, रुला गया सबको



वाराणसी २४ मार्च (दिल इंडिया लाइव)। ख़तीबे अहले बैत मौलाना एजाज हसनैन गदीरी ( करेली इलाहबाद) ने एक लम्बी बीमारी के बाद जामिया हॉस्पिटल में अन्तिम सास ली। मौलाना की मौत की खबर से पूरी शिया कौम गम के माहौल में डूब गई  आपका जनाजा आज जववादिया कालेज से दरगाह-ए फातमान लल्लापुरा में हज़ारो की संख्या मे लोगों ने  सुपुर्द खाक किया । शिया कौम के बेहतरीन आलिम के चले जाने से पूरी कौम को एक बड़ा नूकसान हुआ। जनाजे में आएतुल्लाह मौलाना सैयद शमिमुल हसन साहब, मौलाना ज़मीर हसन, नदीम असगर, मौलाना वसीम, मौलाना तहजीब, इममे जुमा मौलाना सय्यद  जफ़र हुसैनी, मौलाना सैयद मोहम्मद अक़ील हुसैनी, अमीन हसन, सै फ़िरोज़ हुसैन, सै अब्बास रिज़वी शफ़क, सै एजाज़ हुसैन ( बाक़री), शराफत हुसैन, सैयद फरमान हैदर, डॉ एस एम जाफ़र, लेयाकत अली, मौजूद थे।

बुधवार, 23 मार्च 2022

पापा घर से निकले पर वापस नहीं लौटे....

कुछ पता नहीं चल रहा, कुछ जानकारी मिले तो बताये
वाराणसी २३ मार्च (दिल इंडिया लाइव)। मेरे पिताजी श्री राम शिव मूर्ति यादव (सेवानिवृत्त स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी), उम्र 79 वर्ष, आज 23 मार्च, 2022 को तहबरपुर निज आवास (थाना-तहबरपुर, जिला-आज़मगढ़) से 11:30 बजे टीकापुर पोस्ट ऑफिस जाने के लिए कहकर पैदल निकले लेकिन अभी तक वापस आवास पर नहीं पहुँचे। टीकापुर पोस्ट ऑफिस भी नहीं पहुंचे। कुछ लोगों ने बताया कि उन्होंने उन्हें पैदल ही निजामाबाद की तरफ जाते देखा गया। पर रास्ते में  सोफीपुर बैंक, निज़ामाबाद डाकघर इत्यादि भी नहीं पहुंचे। पिताजी को हाल के दिनों में भूलने की भी बीमारी है। हमारे स्थानीय परिजनों व मित्रों ने तहबरपुर, टीकापुर, सोफीपुर, निजामाबाद, फरिहा इत्यादि जगहों पर उन्हें ढूंढा, पर उनका कुछ भी पता नहीं चला। वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों व स्थानीय पुलिस अधिकारियों को भी इस संबंध में सूचित किया जा चुका है और वे भी पिताजी को ढूंढने का प्रयास कर रहे हैं। पिताजी मोबाइल घर पर ही छोड़ गये हैं। दुबले-पतले, लंबे और कुर्ता-पायजामा पहने हैं।

आप सभी से (विशेषकर आज़मगढ़, जौनपुर के लोगों से) अनुरोध है कृपया आप भी अपने आस-पास पिताजी को ढूंढने के प्रयास करें और यदि कोई भी सूचना मिलती है तो मुझे तत्काल मोबाइल नम्बर 9413666599 पर देने का कष्ट करें।

सधन्यवाद,

कृष्ण कुमार यादव, IPoS (2001 बैच), पोस्ट मास्टर जनरल

वाराणसी परिक्षेत्र, वाराणसी, ने जैसा सोशल मीडिया पर पोस्ट किया।

कारागारों में निरुद्ध बन्दियों की परिजनों से मुलाकात के जानिए नये नियम

कोविड-19 के चलते लगाई गई रोक पुनः बहाल

मुलाक़ात को आने वाले परिजनों को अब लगाना होगा फेस मास्क

  •  बन्दियों से मिलने आने वाले व्यक्ति को दोनों कोरोना टीका लगा होने का दिखाना होगा प्रमाण-पत्र 

  • मुलाकात से 72 घण्टे पहले का आर.टी.पी.सी.आर. कोरोना निगेटिव रिपोर्ट होनी चाहिए अनिवार्य


वाराणसी २३ मार्च (दिल इंडिया लाइव)। कोविड-19 महामारी के दृष्टिगत प्रदेश की कारागारों में निरुद्ध बन्दियों की उनके परिजनों से मुलाकात पर लगाई गयी रोक को शासन द्वारा पुनः बहाल कर दिया गया है।

      इस संबंध में विस्तार से जानकारी देते हुए जिला कारागार अधीक्षक ए.के. सक्सेना ने बताया कि कारागार में निरुद्ध बन्दियों की उनके परिजनों से मुलाकात कराये जाने की स्वीकृति शासन द्वारा शर्तों के अधीन दिया गया हैं। उन्होंने बताया कि प्रत्येक बन्दी की एक सप्ताह में एक ही व्यक्ति से मुलाकात कराई जायेगी। मुलाकात हेतु आने वाले परिजनों को फेस मास्क लगाना अनिवार्य होगा। बन्दियों से मिलने आने वाले व्यक्ति को दोनों कोरोना टीका लगा होने का प्रमाण-पत्र या उनके पास मुलाकात से 72 घण्टे पहले का आर.टी.पी.सी. आर. कोरोना निगेटिव रिपोर्ट अनिवार्य होगा।


सोमवार, 21 मार्च 2022

भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां की मनाई गई 106 वी जयंती

बिस्मिल्लाह खां की जयंती पर दरगाह-ए-फातमान पर चढ़े अकीदत के फूल 

वाराणसी 21 मार्च (दिल इंडिया लाइव)। दरगाह-ए-फातमान में सोमवार को शहनाई सम्राट भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां की 106 वी जयंती मनाई गई। इस मौक़े पर मौजूद उस्ताद के अजीजों, कद्रदानो ने उनकी मजार पर अकीदत के फूल चढ़ाएं और दुआ मांगी। इसके पूर्व उनके मकबरे पर फातिहा पढ़कर लोगों ने रब से मगफिरत की दुआएं मांगी।

कार्यक्रम संयोजक शकील अहमद जादूगर व अब्बास मुर्तजा शम्सी ने कहा कि उस्ताद बिस्मिल्लाह खां गंगा-जमुनी तहजीब के प्रतीक व भारत के सच्चे सपूत थे। इतने महान कलाकार होते हुए भी उन्होंने हमेशा फकीरी की जिंदगी गुजारी। बिस्मिल्ला खां का जन्म पैगम्बर खां और मिट्ठन बाई के यहां बिहार के डुमरांव में हुआ था। वह भारत मां के सच्चे सपूत थे। जंयती समरोह के मौके पर उस्ताद की बड़ी बेटी जरीना फातिमा, नतनी कहकशां, पोते परवेज हसन के अलावा आफाक हैदर, जावेद व गाजी अब्बास समेत अन्य कद्रदान मौजूद रहे।

उस्‍ताद बिस्मिल्‍लाह खां का जन्‍म 21 मार्च को बिहार के डुमरांव में एक पारंपरिक मुस्लिम परिवार में हुआ था। हालांकि, उनके जन्‍म के वर्ष के बारे में मतभेद है। कुछ लोगों का मानना है कि उनका जन्‍म 1913 में हुआ था और कुछ 1916 मानते हैं। उनका नाम कमरुद्दीन खान था। वे ईद मनाने मामू के घर बनारस गए थे और उसी के बाद बनारस उनकी कर्मस्थली बन गई। उनके मामू और गुरु अली बख्श साहब बालाजी मंदिर में शहनाई बजाते थे और वहीं रियाज भी करते थे। यहीं पर उन्‍होंने बिस्मिल्‍लाह खां को शहनाई सिखानी शुरू की थी।

उस्ताद से शहनाई, शहनाई से उस्ताद

कहा जाता है शहनाई और उस्ताद एक दूसरे के पूरक थे। करीब 70 साल तक बिस्मिल्लाह साहब अपनी शहनाई के साथ संगीत की दुनिया पर राज करते रहे। आजादी के दिन लाल किले से और पहले गणतंत्र दिवस पर शहनाई बजाने से लेकर उन्होंने हर बड़ी महफिल में तान छेड़ी। उन्होंने एक हिंदी फिल्म ‘गूंज उठी शहनाई’ में भी शहनाई बजाई, लेकिन उन्हें फिल्म का माहौल पसंद नहीं आया। बाद में एक कन्नड़ फिल्म में भी शहनाई बजाई। ज्यादातर बनारसियों की तरह वे इसी शहर में आखिरी सांस लेना चाहते थे। 17 अगस्त 2006 को वे बीमार पड़े। उन्हें वाराणसी के हेरिटेज अस्पताल में भर्ती कराया गया। वे 21 अगस्त को दुनिया से रुखसत हो गए।

नींव की ईट........


मस्जिद अंबर की तामीर में सौहार्द की नज़ीर "हिंदू ईट"

लखनऊ २१ मार्च (दिल इंडिया लाइव)। लखनऊ में अंबर मस्जिद में अब महिलाओं के लिए अलग मस्जिद का निर्माण किया जा रहा है। जिसमें नीव की एक ईट रखने   का मुझे भी सौभाग्य प्राप्त हुआ। निश्चित रूप से बचपन से मेरे मन में ही नहीं आपके मन में भी यह विचार आता होगा कि यदि मस्जिदों में मुस्लिम पुरुष इबादत कर सकते हैं तो महिलाएं क्यों नहीं???? पर इसका जवाब आज तक नहीं मिला। एक दिन अचानक ऑल इंडिया मुस्लिम वुमन पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMWPLB) की अध्यक्ष शाइस्ता अंबर जी द्वारा महिलाओं के नमाज हेतु मस्जिद में स्थान बनाने की चर्चा हुई और इस कार्यक्रम में 2 फ़रवरी 2022 मुझे आमंत्रित किया। निश्चित रूप से किसी मुस्लिम इबादत गाह में यह मेरा पहला कदम था।  नीव की ईट का सहयोग देना भगत सिंह अमर रहे ,विवेकानंद की जय हो ,इत्यादि के नारों के साथ वाकई रोमांचकारी अनुभव सिद्ध हुआ। 

         भारत देश विविधताओं का देश है यदि यहां मंदिर के घंटों से सुबह की शुरुआत होती है तो अजान की गुहार को हम नकार नहीं सकते। आज हिंदू मुस्लिम नफरत के हर संभव प्रयास के बीच हिंदू मुस्लिम एकता का एक छोटा सा उदाहरण बनी नीव की ईट।

           बता दें अंबर मस्जिद की स्थापना 1997 में शाइस्ता अंबर ने की थी. शाइस्ता जी ने बताया की अब तक महिलाओं को छत के नीचे और परिसर में टेंट के पीछे अस्थायी व्यवस्था पर नमाज पढ़नी पड़ती थी जिससे महिला नमाजियों को धूप और बरसात में काफी दिक्कतें आती थी। महिलाओं के लिए प्रस्तावित अलग हॉल एक मंजिला संरचना है, जिसे 3 लाख रुपये से अधिक की लागत से बनाया जाएगा। इस ऐतिहासिक निर्माण में आप भी आर्थिक सहयोगी  बन सकते हैं ।

               निर्माण कार्य जोरों पर है उम्मीद है कि रमजान तक, जो अप्रैल में है,  महिलाओं के लिए एक उचित हॉल होगा जहां वे न केवल नमाज अदा करेंगे बल्कि तरावीह, हदीस, उपदेश, जुमा खुतबा और अन्य धार्मिक कार्यक्रमों में भी हिस्सा लेंगी। महिला सशक्तिकरण की बात करना तो आसान है पर उनके लिए हक और अधिकार दिलाने की जद्दोजहद में कुछ करके दिखा देना शायद इसी को कहते हैं।


                     आमतौर पर शिया और सुन्नी मसलक के लोग अलग-अलग मस्जिदों में नमाज अदा करते हैं, लेकिन पीजीआई के पास स्थित अंबर मस्जिद में ऐसी कोई बंदिश या अलगाव नहीं है और अब महिलाएं भी नमाज पढ़ने की अधिकारी बनेगी।  यहां शिया-सुन्नी एकता के पीछे  महिलाओं का बड़ा योगदान है।

                पीजीआई ट्रॉमा सेंटर के पास स्थित अंबर मस्जिद का निर्माण साल 1997 में हुआ। मुस्लिम महिला पर्सनल लॉ बोर्ड की अध्यक्ष शाइस्ता अंबर बताती हैं कि मस्जिद बनवाने के लिए उन्होंने जेवर बेचकर जमीन खरीदी। इस मस्जिद के मेन गेट पर संगमरमर पर बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा है कि यहां सभी मसलक के लोग नमाज पढ़ें, इस्तकबाल है। आज यहां सवा सौ से ज्यादा शिया-सुन्नी रोजेदार नमाज पढ़कर एक साथ रोजा खोलते हैं।

            शाइस्ता जी ने दोनों मसलक के लोगों के लिए इस शर्त पर मस्जिद की तामीर करवाई कि वे एक साथ यहां अल्लाह की इबादत करेंगे। अंबर मस्जिद का उद्‌घाटन 2 फरवरी, 1997 को मौलाना अली मियां ने किया था। शाइस्ता जी के मुताबिक, सौर ऊर्जा के पैनल से लैस इस मस्जिद में मिलाद शरीफ के साथ शोहदा-ए-कर्बला का भी जिक्र होता है। मस्जिद के कैंपस में 15 अगस्त और 26 जनवरी को झंडारोहण भी होता है। 

           सामाजिक समरसता का उदाहरण प्रस्तुत करती है मस्जिद जहां रामनामी दुपट्टा, रुद्राक्ष की माला, गुरु ग्रंथ साहब , आचार्य शर्मा जी द्वारा रचित शांतिकुंज की महत्वपूर्ण पुस्तकें वा लेख के साथ-साथ बाइबल की उपलब्धता सभी धर्मों के सम्मान क जीता जाता उदाहरण प्रस्तुत करती है।

             निश्चित रूप से मस्जिद के अंदर पहला कदम रखने का यह मेरा पहला अनुभव यादगार रहा इबादत आप किसी भी धर्म की करिए पर सम्मान सभी धर्मों का हो यह भारत की सहिष्णुता सभ्यता और संस्कार को बनाए रखने के लिए बहुत ही जरूरी है।

“ कुछ बात है कि हस्ती, मिटती नहीं हमारी। सदियों रहा है दुश्मन, दौर-ए-ज़माँ हमारा।। यूनान-ओ- मिस्र-ओ- रोमा, सब मिट गए जहाँ से । ..

......... महिलाओं के हक अधिकार के लिए लड़ती एक महिला निश्चित रूप से हम सभी के स्नेह और श्रद्धा का जीवंत उदाहरण प्रस्तुत करती शाइस्ता अंबर चाहे तीन तलाक जैसे कुरीति को खत्म करने की लड़ाई हो या महिलाओं के लिए पूजा स्थानों में जगह दिलाने की बात पूरी मुस्तैदी से अपने कर्तव्य में लगी है निश्चित रूप से यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है इस ऐतिहासिक जद्दोजहद में मुझे मेरे नाम की नीव की ईट रखने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।


(जैसा कि सामाजिक दर्पण की अगुआ, रीना त्रिपाठी, ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया)

मझवा से पहले SP मुखिया अखिलेश यादव का बनारस में जोरदार स्वागत

Varanasi (dil India live). सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव रविवार को बनारस पहुंचे। बनारस के लाल बहादुर शास्त्री अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट ...