शनिवार, 27 नवंबर 2021

मंडलीय खेलकूद प्रतियोगिता का समापन

समापन समारोह में उत्कृष्ठ प्रतिभाओ का सम्मान






वाराणसी 27 नवंबर (dil india live) दो दिवसीय मंडलीय खेलकूद प्रतियोगिता व सांस्कृतिक कार्यक्रम का समापन स्थानीय उदय प्रताप डिग्री कॉलेज वाराणसी के विशाल ग्राउंड में उप मुख्यमंत्री दिनेशनचंद्र शर्मा की उपस्थिति में किया गया। उक्त अवसर पर जिले के तमाम प्रशासनिक अधिकारियों ने शिरकत की। इस मौके पर बेसिक शिक्षा विभाग के अध्यापकों व अध्यापिकाओं तथा बच्चो के द्वारा बनाये गए टीएलएम की भूरी भूरी प्रशंसा की तथा उत्कृष्ट प्रतिभाओ को सम्मानित भी किया गया। कार्यक्रम स्थल पर रंगोली सजायी गई थी।

 पूर्व माध्यमिक विद्यालय चुप्पेपुर विकास खंड हरहुआ की अनुदेशिका आकांक्षा सिंह द्वारा माँ अन्नपूर्णा की छवि को राजर्षि की तपोभूमि पर अवतरित कराए जाने के प्रयास की कलाकृति विशेष रूप से प्रशंसा व कौतूहल का विषय बनी। इस अवसर पर धन्यवाद प्रकाश जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी राकेश सिंह ने किया। कार्यक्रम में विभिन्न शिक्षक प्रतिनिधियो के साथ मुख्यरूप से उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ पंजियन (1160) के जिला अध्यक्ष महेंद्र बहादुर सिंह व अन्य पदाधिकारीयो ने शिरकत किया।

कचरा भी आय का बन सकता है ज़रिया: पूनम तिवारी



वाराणसी 26 नवम्बर (dil india live) आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत प्रधानमन्त्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में उनकी परिकल्पना वेस्ट को वेल्थ में बदलने के क्रम में एसबी जनरल इंश्योरेंस कम्पनी के सहयोग एवं साई इंस्टिट्यूट ऑफ़ रूरल डेवलपमेंट, वाराणसी के तत्वाधान में रूरल वीमेन टेक्नोलॉजी पार्क, बसनी में घरेलू महिलाओं को प्रशिक्षण देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से 15 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन किया गया। कार्यक्रम का समापन करते हुए हुनर-ए-बनारस की निदेशिका पूनम तिवारी ने कहा कि मंदिरों पर अर्पित फूलो से महिलाओ को रोजगारपरक प्रशिक्षण देकर के आत्मनिर्भर बनाना ही आजादी का अमृत महोत्सव है | हमारा कचरा भी आय का एक जरिया बन सकता है। यही बात लोगो के मन में बैठाना है कि कोई भी चीज बेकार नहीं है, बशर्ते हम उसका सही इस्तेमाल करना जाने। इस सेंटर पर कबाड़ से जुगाड़ कार्यक्रम एक सराहनीय कार्यक्रम है। जिससे तमाम महिलाये जुडकर के लाभ उठा रही है | कार्यक्रम के आईटी व् उद्यमिता एक्सपर्ट प्रशांत दुबे ने महिलाओ को खुद का उद्यम लगाने, ऑनलाइन मार्केटिंग व् ब्रांडिंग के बारे में बिस्तृत रूप चर्चा की। ताकि महिलाओ को घर बैठे उन्हें एक ग्लोबल मार्किट मिल सके।

कार्यक्रम के संयोजक व् साई इंस्टिट्यूट के निदेशक अजय सिंह ने बताया कि वाराणसी के मंदिरों पर चढ़ाए जाने वाले भारी मात्रा में चढ़ाये गए श्रद्धा  के फूलों से “सीमैप सी.एस.आई.आर. लखनऊ के तकनीकी सहयोग से महिलाओ को प्राकृतिक अगरबत्ती, धुप, हर्बल गुलाल, आदि सामग्री बनाने का न सिर्फ प्रशिक्षण दिया जा रहा है बल्कि उन्हें हुनर-ए-बनारस के पोर्टल से ऑनलाइन मार्केटिंग का हुनर बताया जा रहा है। यहाँ पर महिलाओं के सेल्फ-हेल्प ग्रुप की महिलाओ को भी 15-15 दिवसीय प्रशिक्षण दिया रहा है। जिससे घर बैठे अपनी आर्थिक स्तिथि को बढ़ा सकने में सक्षम हो सके | उक्त अवसर पर दीक्षा सिंह, दिलीप कुमार सिंह, हर्ष सिंह, राजेश कुमार, यास्मिन सहित प्रशिक्षण लेने वाली महिलाये उपस्तिथ रही |

शुक्रवार, 26 नवंबर 2021

संविधान दिवस पर किया सम्मान

समाजसेवियों को कांग्रेस ने दिया प्रमाणपत्र, अंगवस्त्रम


वाराणसी 26 नवंबर (dil india live)। महानगर कांग्रेस कमेटी अल्पसंख्यक विभाग के तत्वाधान में अध्यक्ष मेंहदी हसन के अध्यक्षता में संविधान दिवस पर कांग्रेसजनों ने संगठन के प्रदेश चेयरमैन शाहनवाज़ आलम के निर्देश पर समाजसेवियों को प्रमाणपत्र, अंगवस्त्रम, देकर सम्मानित किया। इस दौरान कच्चीबाग़ मे आयोजित गोष्ठी मे. कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के प्रदेश महासचिव वाराणसी प्रभारी शाहिद तौसीफ ने कहा कि हर वर्ष 26 नवंबर का दिन देश में संविधान दिवस के तौर पर मनाया जाता है 26 नवंबर को राष्ट्रीय कानून दिवस के रूप में भी जाना जाता है 26 नवंबर 1949 को ही देश की संविधान सभा ने वर्तमान संविधान को विधिवत रूप से अपनाया था, हालांकि इसे और 26 नवंबर 1950 को इसे लोकतांत्रिक सरकार प्रणाली के साथ इसे लागू किया गया था।



 कहा कि संविधान का मसौदा तैयार करने वाली समिति हिंदी तथा अंग्रेजी दोनों में ही हस्तलिखित और कालीग्राफ्ट थी, इसमें किसी भी तरह का टाइपिंग एवं प्रिंट का प्रयोग नहीं किया गया था, भारत का संविधान दुनिया के हर देशों के संविधान को परखने के बाद तैयार किया गया था, आज के दिन संविधान सभा के अध्यक्ष डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी को याद किया जाता है। आज देश में सांप्रदायिक शक्तियां भारत के संविधान की धज्जियां उड़ा रहे हैं, हम कांग्रेस जन आज के दिन अपने देश के संविधान की रक्षा व उस पर अमल करने का पूर्व की भांति संकल्प लेते हैं।

संविधान दिवस के मौके पर कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग ने जमीर उल इस्लाम, सरदार निसार अहमद, हाजी मोहम्मद अली, अंजुम इस्लाम अंसारी, हाजी अशफाक अहमद एडवोकेट, डॉक्टर काशी प्रसाद सिंह को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के प्रदेश महासचिव हसन मेंहदी कब्बन, हाजी रईस अहमद, शाहिद तौसीफ़, नसरुद्दीन जमाली वहिदुर रहमान, बदरुद्दीन बाबा, नसरुद्दीन जमाली, मोहम्मद यासीन सहित प्रमुख लोग उपस्थित थे।

‘महिन्द्रा कबीरा फेस्टिवल’ का आगाज़

संगीत प्रवाह से कबीरमय हुई फिज़ा

  • कबीर के शहर में हुआ कबीर उत्सव का स्वागत
  • उत्सव की पहली संध्या में पंडित अनूप मिश्रा और अनिरुद्ध वर्मा एवं समूह की प्रस्तुतिया 
  • 27 और 28 नवंबर को प्रातःकालीन एवं सांध्यकालीन संगीत सत्रों के साथ ही कबीर आधारित वार्ता, सजीव कला प्रदर्शन, विशिष्ट ‘कबीरा नौका-विहार’, स्थानीय बनारसी व्यंजन का स्वाद, गंगाघाट-भ्रमण के साथ ही विश्वप्रसिद्ध अलौकिक गंगा-आरती का आनन्द महोत्सव का आकर्षण रहेगा


वाराणसी(dil india live) महिंद्रा कबीरा फेस्टिवल  का पांचवां संस्करण, पूरे एक वर्ष के अन्तराल के बाद, 26 नवंबर 2021 को गुलेरिया घाट पर भव्य संगीत समारोह के साथ शुरू हुआ। उद्घाटन सत्र में सर्वत्र कबीर का दर्शन उपस्थित थे, जिस सकारात्मक प्रभाव सभी अपने भीतर तक महसूस कर रहे थे। कबीर की वाणी को चहुँ ओर प्रसारित करती संगीत, साहित्य और कला की बेजोड़ प्रस्तुतियाँ सारे बाहरी कोलाहल से बहुत दूर, सबके हृदय को गहन आत्मिक शांति और स्थिरता की अनुभूति करा रही थी और इस सत्य को उजागर कर रही थीं कि हर मनुष्य के भीतर का संसार कहीं किसी अदृश्य धागे से बंधा हुआ है। हम सब उसी अनंत का अंश हैं।

पाँच सालों से वाराणसी ही नहीं बल्कि दुनिया भर में कबीर-प्रेमियों के दिलों में अपनी जगह बना चुके इस अद्भुत उत्सव के आयोजकद्वय ‘टीमवर्क आर्ट्स’ और ‘महिंद्रा ग्रुप’ ने खुले दिल और बाहों से आमंत्रित अतिथियों एवं दर्शकों का स्वागत किया। इस अवसर पर घाट और आसपास का आयोजन-स्थल प्रज्ज्वलित दीपों से जगमग कर रहा था। पतितपावनी गंगा की धार पर जगमग तैरती अनगिनत मोमबत्तियों के प्रकाश ने वातावरण को अलौकिक बना दिया था। 'महिंद्रा कबीर उत्सव' की पहली सन्ध्या गुलेरिया घाट पर बनारस की परम्परानुसार दिव्य गंगा आरती के साथ आरम्भ हुई। प्रद्युम्न, पीयूष और साक्षी ने मुख्य मंच से गंगा आरती गायन किया। पाँच बटुकों ने विधिवत पूजन-अर्चन के साथ आरती को सम्पन्न किया।कबीर के इस उत्सव की आध्यात्मिक यात्रा पंडित अनूप मिश्रा के शास्त्रीय/उपशास्त्रीय गायन, तत्पश्चात अनिरुद्ध वर्मा और उनके समूह की प्रस्तुति ‘कहत कबीर’ के साथ आरम्भ हुई। इन लुभावनी प्रस्तुतियों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उल्लेखनीय है कि ‘टीमवर्क आर्ट्स’ और ‘महिंद्रा ग्रुप’ दुनिया भर में होने वाले अनेक लोकप्रिय उत्सवों के भी निर्माता हैं जिनका उद्देश्य है सांस्कृतिक सद्भावना को कला एवं संगीत के माध्यम से और भी प्रगाढ़ करना। 

पंडित अनूप मिश्रा ने ख्याल और कुछ विशिष्ट शास्त्रीय प्रस्तुतियों के पश्चात् इस फेस्टिवल को एक साल के अन्तराल के बाद वाराणसी के घाटों पर फिर से आरम्भ करने के लिए आयोजकों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि देश और विशेष रूप से कलाकार समुदाय के लिए इस कठिन समय में महिंद्रा कबीरा ने विभिन्न कलाकारों के लिए आत्मविश्वास और आशा जगाई है जो अनुकरणीय है। उन्होंने अपने चाचा और बनारस घराने के ख्यातिलब्ध शास्त्रीय गायक पद्मभूषण स्वर्गीय पंडित राजन मिश्रा को भी याद किया, जिन्होंने कबीर-उत्सव के पिछले संस्करण में प्रस्तुति दी थी. इस महान कलाकार को हमने कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर में खो दिया था जो एक अपूरणीय क्षति है।

अनिरुद्ध वर्मा ने कबीर के प्रति श्रद्धा और प्रेम की गहरी भावना प्रस्तुति ‘कहत कबीत' के माध्यम से व्यक्त की। उन्होंने कहा कि कबीर प्रेम का पर्याय हैं. कबीर के दर्शन में व्याप्त प्रेम और अध्यात्मिक एकता का भाव  सभी कलाकारों, संगीतकारों के साथ ही श्रोताओं को एकजुट करता है। अनिरुद्ध वर्मा एवं समूह ने हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में निबद्ध ‘नैहरवा’, ‘घट-घट में पंछी बोलता’, ‘कौन ठगवा’, ‘राम निरंजन आया रे’ और ‘उड जाएगा हंस अकेला’ की अनूठी प्रस्तुति दी।

महिंद्रा ग्रुप के वाइस प्रेसिडेंट हेड - कल्चरल आउटरीच, जय शाह ने उद्घाटन शाम को अपने विचार साझा करते हुए कहा, "महिंद्रा ग्रुप इस वर्ष फिर से  बहुत लोकप्रिय  महिंद्रा कबीरा फेस्टिवल को वापस लाने के लिए उत्साहित है। वाराणसी शुरू से ही इस भावपूर्ण आयोजन का सही स्थान रहा है और हम आशा करते हैं कि यह शुभ शुरुआत हम सभी के लिए बेहतर समय की शुरुआत करेगी । श्रोता  एक स्वच्छ  और सुरक्षित वातावरण में दो दिनों  के इस उत्सव का लुत्फ़ उठाएंगे।  जो लोग इसबार यहां नही आ सके वे भी ऑनलाइन लाइव स्ट्रीमिंग के तहत  फेस्टिवल को देख सकेंगे।”

फेस्टिवल के शानदार उद्घाटन पर, टीमवर्क आर्ट्स के प्रबंध निदेशक, संजय के. रॉय ने कहा, “जैसे  कि दुनिया को अब तक की सबसे बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, यह समय फिर से पवित्र गंगा के तट पर रुकने का है। वाराणसी का यह  अनंत शहर इस शानदार उत्सव में आप सभी का स्वागत करता है!"

ऐसे वक़्त में जब सारे विश्व ने एक महामारी रुपी बड़ी आपदा का सामना एक साथ किया है, कबीर के दर्शन में गुंथी इन संगीत प्रस्तुतियों ने एक बार फिर सबको यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि सचमुच ‘दुनिया दो दिन का है मेला’. सबने फिर से महसूस किया कि कैसे इस बड़ी आपदा के बाद हम सबको ही, पहले से कहीं अधिक प्रेम और करुणा की जरूरत है। इस अनंत ब्रम्हाण्ड में मानवता के अस्तित्व का एक बड़ा लक्ष्य है जिसे पाने के लिए कबीर के दर्शन में छिपे सहानुभूति, दया, सरलता, समानता और समावेश के आदर्शों का अर्थ अब और गहरा हो चुका है। कोविड के बाद की दुनिया में जीवन की नश्वरता और आपसी सद्भाव के प्रसार के लिए कबीर से बड़ा गुरु कोई और नहीं हो सकता।

तीन दिन चलने वाले महिंद्रा कबीरा फेस्टिवल  में प्रस्तुत होने वाले कार्यक्रमों की सूची, इसमें सम्मिलित होने वाले हर व्यक्ति को आत्मिक रूप से समृद्ध करेगी। शास्त्रीय, उपशास्त्रीय और लोक संगीत, कबीर साहित्य वार्ता, कबीर आधारित सजीव कला प्रदर्शन, विशिष्ट नौका विहार के साथ ही सुस्वादु बनारसी व्यंजन से भरे हुए अनुभवों को विश्व प्रसिद्ध मनोहारी गंगा आरती का दर्शन और भी विशिष्ट बनाएगा।

‘महिंद्रा कबीरा फेस्टिवल’ पर्यावरण की सुरक्षा के लिए भी प्रतिबद्ध है। ‘शून्य अपशिष्ट लक्ष्य’ के लिए सिंगल यूज़ प्लास्टिक का प्रयोग उत्सव स्थल और आसपास के लिए वर्जित होगा। कोविड प्रोटोकोल का सौ प्रतिशत पालन किया जायेगा। बिना मास्क समारोह स्थल पर प्रवेश नहीं दिया जायेगा। सैनेटाइज़र और तापमान निरीक्षण की व्यवस्था भी होगी जिसका पालन अनिवार्य होगा। सस्टेनेबिलिटी पार्टनर स्क्रैपशाला के साथ, ‘महिंद्रा कबीरा उत्सव' ने अपने पिछले सभी उत्सवों और उनके विभिन्न संस्करणों में भी व्यापक अपशिष्ट प्रबंधन को लागू किया है ताकि 90% से अधिक कचरे का निस्तारण सही तरीक़े से किया जा सके।

भारतीय संविधान में अधिकारों व कर्त्तव्यों का सुंदर समन्वय - पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव

डाक विभाग में मनाया गया 'संविधान दिवस' 

पीएमजी ने डाककर्मियों को दिलाई शपथ

वाराणसी 26 नवंबर (dil india live)। डाक विभाग द्वारा वाराणसी परिक्षेत्र के सभी डाकघरों और प्रशासनिक कार्यालयों में 72वां संविधान दिवस मनाया गया। क्षेत्रीय कार्यालय में वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने सभी अधिकारियों व कर्मचारियों के साथ, संविधान की उद्देशिका का पाठ और वाचन किया, जिसे सभी ने दोहराते हुए संविधान में निहित मूल्यों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की।

इस अवसर पर पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि, भारतीय संविधान विश्व का सबसे बड़ा संविधान ही नहीं, विश्व के लोकतान्त्रिक इतिहास का अद्वितीय दस्तावेज है। हमारे संविधान का प्रत्येक अनुच्छेद हर नागरिक के अधिकारों की गारंटी है और कर्तव्य का पवित्र स्मरण है। श्री यादव ने कहा कि हमारा संविधान समानता के अधिकार और लोकतांत्रिक दृष्टिकोण के साथ प्रगति व समृद्धि का रास्ता दिखाता है। सहायक निदेशक श्री राम मिलन ने कहा कि देश की आज़ादी की लड़ाई लड़ने वाले महापुरुषों ने आने वाली पीढ़ियों की आज़ादी बनाए रखने के लिए संविधान की रचना की। इसमें निहित भावना को अंगीकार करके ही हम लोगों का कल्याण कर सकते हैं।

इस अवसर पर सहायक निदेशक राम मिलन, कृष्ण चंद्र, लेखाधिकारी महेंद्र प्रताप वर्मा, सहायक अधीक्षक अजय कुमार, डाक निरीक्षक श्रीकान्त पाल, वीएन दिवेधी, सहायक लेखाधिकारी संतोषी कुमारी राय, अनुभाग पर्यवेक्षक अमरेन्द्र कुमार वर्मा, कार्यालय सहायक राजेन्द्र प्रसाद यादव, श्रीप्रकाश गुप्ता, अभिलाषा राजन, श्रवण कुमार सिंह, राहुल कुमार वर्मा, विजय कुमार, शम्भु प्रसाद गुप्ता, शशिकांत वर्मा, रामचंद्र यादव सहित तमाम अधिकारियों - कर्मचारियों ने संविधान दिवस पर शपथ ली।

श्री कृष्ण राय हृदेयश की जयंती



गाजीपुर 25 नवंबर (dil india live)। स्वतंत्रता सेनानी साहित्यकार पत्रकार सर्वोदय श्री कृष्ण राय हृदेयश की जयंती गौतम आश्रम हृदेयशपथ पर मनाई गई। इस अवसर पर विचार गोष्ठी एवं का गोष्ठी आयोजित की गई विषय परिवर्तन करते हुए डॉक्टर रिचा राय ने कहा हृदेयश जी संस्कृत निष्ठ कवि थे संस्कृत प्रेम और मानवतावाद इनके जीवन और दर्शन में देखा जा सकता था गाजीपुर में नागरी प्रचारिणी सभा स्थापित करके जेल में पुरुषोत्तम दास टंडन को दिए वचन का पालन करते हुए हिंदी के प्रचार-प्रसार में अविस्मरणीय योगदान दिया इनकी पहली रचना 1935 ईस्वी में प्रकाशित हुई और अंतिम 1990 में लगभग दो दर्जन कृतियों आज भी प्रकाशन नाधीन है गाजीपुर का इतिहास भी है हिंदी भाषा के शुद्धिकरण के लिए हृदेयश जी का वैसा ही प्रयास था जैसा काशी के महावीर प्रसाद द्विवेदी का /हृदेयश जी बहुभाषी थे इन हिंदी संस्कृत बांग्ला अंग्रेजी फारसी उर्दू पर समान अधिकार था मुख्य वक्ता राम अवतार ने कहा स्वतंत्रता के संस्कार इन्हें अपने दादा संगम राय से विरासत में मिला था विद्यार्थी जीवन में स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के कारण इन्हें स्कूल से निकालने का ऑर्डर हुआ था । इनकी कुशलता को पर रखते हुए प्रिंसिपल एल राय ने जुर्माना भरकर इन्हें पढ़ने के लिए प्रेरित किया शिक्षक होने के कारण पुलिस की निगाह से बस्ती रहे विदेशी पत्रकारों के लिए निर्भीकता निष्पक्षता और ईमानदारी 3 गुण आवश्यक मानते थे। पत्रकारों के लिए सवाल लंबी होना आवश्यक मानते थे । नेशनल हेराल्ड आज सहित दर्जनों पत्रों के स्थानीय संवाददाता रहे उनकी दृष्टि में कोई मनुष्य बड़ा है ना होता सत्य सत्य महा प्रकाश शंख पुष्प और नवदीप चारों महाकाव्य सहित गाजीपुर का इतिहास भोजपुरी भाषा की पहली सतसई, जैसी बहुमूल्य की कृतियों की सृजना करके हिंदी साहित्य का संवर्धन किया है उनका प्रचार -प्रसार होना चाहिए उन पर स्वतंत्र पुस्तक आनी चाहिए। शोध होना चाहिए इसके बाद काव्य -पाठ आयोजन किया गया। वरिष्ठ कवि कामेश्वर द्विवेदी माई रचना सुनकर भावुक किया , अपनी अगली रचना "मुसलमान है न हिंदू है वक्त इंसान है के द्वारा इंसानियत का पाठ पढ़ाया /शायर अख्तर कलीम ने "नफरत को अब वतन से मिटाने की बात कर पहले का वफा की राह पर तू हो जा फिर आई ना किसी को दिखाने की बात कर, '' हास्य व्यंग शायर हंटर गाजीपुरी ने भाईचारे का संदेश देते हुए कहा लड़ाई झगड़े से क्या मिलेगा जो हो सके तो प्यार बांटो ''कार्यक्रम में समकालीन कवि सुरेश वर्मा पूर्व सभासद संजय वर्मा, श्रीमती गिरिजा राय, हिमांशु राय आदि उपस्थित रहे।

गुरुवार, 25 नवंबर 2021

सामाजिक एकता का खात्मा डेमोक्रेसी को चैलेंज: प्रो. मलिक

राष्ट्रीय एकता कमजोर होने से लोकतंत्र होता है कमजोर 


 



वाराणसी 25 नवंबर (dil india live)।आज वाराणसी के नव साधना प्रेक्षागृह, तरना में राइज एंड एक्ट के तहत एक दिवसीय " वक्ताओं ने राष्ट्रीय एकता,शांति और न्याय की स्थापना को लेशांतिकर अपने-अपने विचार रखे। वक्ताओं का मत था कि राष्ट्रीय एकता के कमजोर होने से लोकतंत्र कमजोर होता है। जरूरत हमें सामाजिक ताने-बाने को मजबूती प्रदान करते हुए देश की एकता अखंडता को अक्षुण रखने का प्रयास करना चाहिए।

कार्यक्रम के मुख्यअतिथि बीएचयू के प्रो. दीपक मलिक ने कहा कि आज सामाजिक एकता का लोप हो रहा है। एकता के पाठ पढ़ाये नहीं जाते। यह डेमोक्रेसी को चैलेंज है। दलितों, महिलाओं की दशा नहीं बदली। वह आज भी बदतर हालात में जी रहे हैं। कोविड के चलते बहुत सारी प्रक्रियाएं धीमी हो गयी। भले ही बहुत सारी कोशिशें की गई। 

उन्होने कहा कि आज  इतिहास, संस्कृति बदलने वाली ताकतें सक्रिय है। हमें इन  पर चिंतन करने और अपनी सोंच में बदलाव व सकारात्मक पहल की जरूरत है।चित्रा सहस्त्रबुद्धे ने सामाजिक सौहार्द पर चर्चा में कहा कि सामान्य जीवन जी रहे स्त्री व पुरुष का जीवन सामाजिक होता है। सामाजिक सौहार्द सामाजिक जीवन की शक्ति व ज्ञान है। गंगा का उद्धरण देते हुए कहा कि जिस तरह गंगा धाराओं को एक कर आगे बढ़ती है वही प्यार, नवीनता और सृजन है। सामाजिक कार्यकर्ता लेनिन रघुवंशी ने सामाजिक बुराइयों पर कुठाराघात करते हुए कहा कि जातिवाद, वंशवाद, धर्म को लेकर होने वाली नफरत की लड़ाई बिकने वाली लड़ाई है ,इसे हमें समझना होगा ।अमीर गरीब की खाई को पाटना होगा। वंचित व दलित तबके को सामाजिक न्याय दिलाना ही बाबा साहब अंबेडकर को सच्ची श्रद्धांजलि होगी। 

पत्रकार एके लारी ने कहा कि आज के दौर में हमें तय करना होगा कि हम किस मीडिया की बात करते हैं। उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया व प्रिंट मीडिया की चर्चा करते हुए कहा कि मीडिया को लोकतंत्र का प्रहरी कहा जाता है। ऐसे में मीडिया की जिम्मेदारी बढ़ जाती है कि वह खबरों के मामले में न्याय करें। संचालन व आभार व्यक्त करते हुए कार्यक्रम संयोजक डॉ. मोहम्मद आरिफ ने कहा कि डॉ. अंबेडकर ने कहा था कि संविधान कितना भी अच्छा क्यों न हो अगर उसे लागू करने वाले ठीक नहीं होंगे तो संविधान अपना अस्तित्व खो देगा।आज स्थिति वैसी ही आ गयी है।हमें सावधान रहने की जरूरत है।

दूसरे सत्र में गंगा-जमुनी तहजीब के शायर नजीर बनारसी को उनके ज्यंती पर याद किया गया। डॉ.कासिम अंसारी ने नजीर बनारसी को मिर्जा गालिब की परम्परा का शायर बताया।उन्होंने कहा कि उनकी शायरी हो या गजल या फिर नज्म उसमें हर जहां कौमी एकजहती दिखती है.वहीं उन्होंने अपने शहर बनारस और गंगा को लेकर जो लिखा है उसकी कोई तुलना नहीं है।

प्रो.मलिक ने इस बात पर अफसोस जताया कि अपने शहर में नजीर अब बेगाने हो गये है। जिस बनारस की परम्पराओं को लेकर उन्होंने ढ़ेर सारे शेर लिखे उस बनारस का उन्हें भूलना दुखद है.

पत्रकार एके लारी ने कहा नजीर ऐसे शायर थे जिन्होंने कभी किसी तरह के सम्मान को महत्व नहीं दिया। तमाम तरह के सम्मान के प्रस्ताव उनके पास आते थे लेकिन वो हर बार ये कहकर ठुकरा देते थे कि मेरी शायरी से निकले संदेश लोगों के जेहन में रहे यही असल सम्मान है।

 तृतीय सत्र में पूर्वी उत्तर प्रदेश से आये हुए अध्यापक, पत्रकार, विद्यार्थी, वकील,सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अपनी बात कही।सत्र की अध्यक्षता करते हुए सामाजिक कार्यकर्त्री रंजू सिंह ने कहा कि आज एकता और सौहार्द की बात करने वाले हासिये पर है हमें इस जमात को बढ़ाना है।आज बिना संघर्ष किये मंजिल पर नहीं पहुंचा जा सकता है।भारत संघर्ष से ही बना है।

गोष्ठी में मो. खालिद, डा. क़ासिम अंसारी, सी बी तिवारी, अंकिता वर्मा, रामकिशोर चौहान, हृदयानंद शर्मा, लाल प्रकाश राही, बृजेश पाण्डेय, प्रतिमा पाण्डेय, प्रज्ञा सिंह, अरुण मिश्रा, मो. असलम, सुधीर जायसवाल, अब्दुल मजीद, कृष्ण भूषण मौर्य, रंजू सिंह, प्रज्ञा सिंह, अर्शिया खान,हरिश्चंद्र बिंद,आबिद शेख,शमा परवीन,हर्षित कमलेश, अयोध्या प्रसाद, रीता सिंह आदि प्रतिभागी मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन लाल प्रकाश राही और धन्यवाद सुधीर जायसवाल ने किया।

शेख़ अली हजी को दिखता था बनारस का हर बच्चा राम और लक्ष्मण

बरसी पर याद किए गए ईरानी विद्वान शेख़ अली हजी  Varanasi (dil India live)। ईरानी विद्वान व दरगाहे फातमान के संस्थापक शेख मोहम्मद अली हजी ईरान...