शुक्रवार, 26 नवंबर 2021

‘महिन्द्रा कबीरा फेस्टिवल’ का आगाज़

संगीत प्रवाह से कबीरमय हुई फिज़ा

  • कबीर के शहर में हुआ कबीर उत्सव का स्वागत
  • उत्सव की पहली संध्या में पंडित अनूप मिश्रा और अनिरुद्ध वर्मा एवं समूह की प्रस्तुतिया 
  • 27 और 28 नवंबर को प्रातःकालीन एवं सांध्यकालीन संगीत सत्रों के साथ ही कबीर आधारित वार्ता, सजीव कला प्रदर्शन, विशिष्ट ‘कबीरा नौका-विहार’, स्थानीय बनारसी व्यंजन का स्वाद, गंगाघाट-भ्रमण के साथ ही विश्वप्रसिद्ध अलौकिक गंगा-आरती का आनन्द महोत्सव का आकर्षण रहेगा


वाराणसी(dil india live) महिंद्रा कबीरा फेस्टिवल  का पांचवां संस्करण, पूरे एक वर्ष के अन्तराल के बाद, 26 नवंबर 2021 को गुलेरिया घाट पर भव्य संगीत समारोह के साथ शुरू हुआ। उद्घाटन सत्र में सर्वत्र कबीर का दर्शन उपस्थित थे, जिस सकारात्मक प्रभाव सभी अपने भीतर तक महसूस कर रहे थे। कबीर की वाणी को चहुँ ओर प्रसारित करती संगीत, साहित्य और कला की बेजोड़ प्रस्तुतियाँ सारे बाहरी कोलाहल से बहुत दूर, सबके हृदय को गहन आत्मिक शांति और स्थिरता की अनुभूति करा रही थी और इस सत्य को उजागर कर रही थीं कि हर मनुष्य के भीतर का संसार कहीं किसी अदृश्य धागे से बंधा हुआ है। हम सब उसी अनंत का अंश हैं।

पाँच सालों से वाराणसी ही नहीं बल्कि दुनिया भर में कबीर-प्रेमियों के दिलों में अपनी जगह बना चुके इस अद्भुत उत्सव के आयोजकद्वय ‘टीमवर्क आर्ट्स’ और ‘महिंद्रा ग्रुप’ ने खुले दिल और बाहों से आमंत्रित अतिथियों एवं दर्शकों का स्वागत किया। इस अवसर पर घाट और आसपास का आयोजन-स्थल प्रज्ज्वलित दीपों से जगमग कर रहा था। पतितपावनी गंगा की धार पर जगमग तैरती अनगिनत मोमबत्तियों के प्रकाश ने वातावरण को अलौकिक बना दिया था। 'महिंद्रा कबीर उत्सव' की पहली सन्ध्या गुलेरिया घाट पर बनारस की परम्परानुसार दिव्य गंगा आरती के साथ आरम्भ हुई। प्रद्युम्न, पीयूष और साक्षी ने मुख्य मंच से गंगा आरती गायन किया। पाँच बटुकों ने विधिवत पूजन-अर्चन के साथ आरती को सम्पन्न किया।कबीर के इस उत्सव की आध्यात्मिक यात्रा पंडित अनूप मिश्रा के शास्त्रीय/उपशास्त्रीय गायन, तत्पश्चात अनिरुद्ध वर्मा और उनके समूह की प्रस्तुति ‘कहत कबीर’ के साथ आरम्भ हुई। इन लुभावनी प्रस्तुतियों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उल्लेखनीय है कि ‘टीमवर्क आर्ट्स’ और ‘महिंद्रा ग्रुप’ दुनिया भर में होने वाले अनेक लोकप्रिय उत्सवों के भी निर्माता हैं जिनका उद्देश्य है सांस्कृतिक सद्भावना को कला एवं संगीत के माध्यम से और भी प्रगाढ़ करना। 

पंडित अनूप मिश्रा ने ख्याल और कुछ विशिष्ट शास्त्रीय प्रस्तुतियों के पश्चात् इस फेस्टिवल को एक साल के अन्तराल के बाद वाराणसी के घाटों पर फिर से आरम्भ करने के लिए आयोजकों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि देश और विशेष रूप से कलाकार समुदाय के लिए इस कठिन समय में महिंद्रा कबीरा ने विभिन्न कलाकारों के लिए आत्मविश्वास और आशा जगाई है जो अनुकरणीय है। उन्होंने अपने चाचा और बनारस घराने के ख्यातिलब्ध शास्त्रीय गायक पद्मभूषण स्वर्गीय पंडित राजन मिश्रा को भी याद किया, जिन्होंने कबीर-उत्सव के पिछले संस्करण में प्रस्तुति दी थी. इस महान कलाकार को हमने कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर में खो दिया था जो एक अपूरणीय क्षति है।

अनिरुद्ध वर्मा ने कबीर के प्रति श्रद्धा और प्रेम की गहरी भावना प्रस्तुति ‘कहत कबीत' के माध्यम से व्यक्त की। उन्होंने कहा कि कबीर प्रेम का पर्याय हैं. कबीर के दर्शन में व्याप्त प्रेम और अध्यात्मिक एकता का भाव  सभी कलाकारों, संगीतकारों के साथ ही श्रोताओं को एकजुट करता है। अनिरुद्ध वर्मा एवं समूह ने हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में निबद्ध ‘नैहरवा’, ‘घट-घट में पंछी बोलता’, ‘कौन ठगवा’, ‘राम निरंजन आया रे’ और ‘उड जाएगा हंस अकेला’ की अनूठी प्रस्तुति दी।

महिंद्रा ग्रुप के वाइस प्रेसिडेंट हेड - कल्चरल आउटरीच, जय शाह ने उद्घाटन शाम को अपने विचार साझा करते हुए कहा, "महिंद्रा ग्रुप इस वर्ष फिर से  बहुत लोकप्रिय  महिंद्रा कबीरा फेस्टिवल को वापस लाने के लिए उत्साहित है। वाराणसी शुरू से ही इस भावपूर्ण आयोजन का सही स्थान रहा है और हम आशा करते हैं कि यह शुभ शुरुआत हम सभी के लिए बेहतर समय की शुरुआत करेगी । श्रोता  एक स्वच्छ  और सुरक्षित वातावरण में दो दिनों  के इस उत्सव का लुत्फ़ उठाएंगे।  जो लोग इसबार यहां नही आ सके वे भी ऑनलाइन लाइव स्ट्रीमिंग के तहत  फेस्टिवल को देख सकेंगे।”

फेस्टिवल के शानदार उद्घाटन पर, टीमवर्क आर्ट्स के प्रबंध निदेशक, संजय के. रॉय ने कहा, “जैसे  कि दुनिया को अब तक की सबसे बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, यह समय फिर से पवित्र गंगा के तट पर रुकने का है। वाराणसी का यह  अनंत शहर इस शानदार उत्सव में आप सभी का स्वागत करता है!"

ऐसे वक़्त में जब सारे विश्व ने एक महामारी रुपी बड़ी आपदा का सामना एक साथ किया है, कबीर के दर्शन में गुंथी इन संगीत प्रस्तुतियों ने एक बार फिर सबको यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि सचमुच ‘दुनिया दो दिन का है मेला’. सबने फिर से महसूस किया कि कैसे इस बड़ी आपदा के बाद हम सबको ही, पहले से कहीं अधिक प्रेम और करुणा की जरूरत है। इस अनंत ब्रम्हाण्ड में मानवता के अस्तित्व का एक बड़ा लक्ष्य है जिसे पाने के लिए कबीर के दर्शन में छिपे सहानुभूति, दया, सरलता, समानता और समावेश के आदर्शों का अर्थ अब और गहरा हो चुका है। कोविड के बाद की दुनिया में जीवन की नश्वरता और आपसी सद्भाव के प्रसार के लिए कबीर से बड़ा गुरु कोई और नहीं हो सकता।

तीन दिन चलने वाले महिंद्रा कबीरा फेस्टिवल  में प्रस्तुत होने वाले कार्यक्रमों की सूची, इसमें सम्मिलित होने वाले हर व्यक्ति को आत्मिक रूप से समृद्ध करेगी। शास्त्रीय, उपशास्त्रीय और लोक संगीत, कबीर साहित्य वार्ता, कबीर आधारित सजीव कला प्रदर्शन, विशिष्ट नौका विहार के साथ ही सुस्वादु बनारसी व्यंजन से भरे हुए अनुभवों को विश्व प्रसिद्ध मनोहारी गंगा आरती का दर्शन और भी विशिष्ट बनाएगा।

‘महिंद्रा कबीरा फेस्टिवल’ पर्यावरण की सुरक्षा के लिए भी प्रतिबद्ध है। ‘शून्य अपशिष्ट लक्ष्य’ के लिए सिंगल यूज़ प्लास्टिक का प्रयोग उत्सव स्थल और आसपास के लिए वर्जित होगा। कोविड प्रोटोकोल का सौ प्रतिशत पालन किया जायेगा। बिना मास्क समारोह स्थल पर प्रवेश नहीं दिया जायेगा। सैनेटाइज़र और तापमान निरीक्षण की व्यवस्था भी होगी जिसका पालन अनिवार्य होगा। सस्टेनेबिलिटी पार्टनर स्क्रैपशाला के साथ, ‘महिंद्रा कबीरा उत्सव' ने अपने पिछले सभी उत्सवों और उनके विभिन्न संस्करणों में भी व्यापक अपशिष्ट प्रबंधन को लागू किया है ताकि 90% से अधिक कचरे का निस्तारण सही तरीक़े से किया जा सके।

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