रविवार, 25 अप्रैल 2021

जी हां मैं हूँ नन्हें रोज़ेदार

हट्टे-कट्टे बेरोज़ेदारों के लिए आईना है नन्हा अज़हान

वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। भीषण गर्मी से लोगों का बुरा हाल है, मगर धूप, उमस और भीषण गर्मी की परवाह किये बिना भी बहुत से छोटे-छोटे बच्चे रोज़ा रख रहे हैं। ऐसे ही बच्चों की फेहरिस्त में शामिल है। हुकुलगंज के नन्हे रोज़ेदार मोहम्मद अज़हान। आदिल इस्लाम व नौशीन परवीन के लख्ते जिगर अज़हान ने आज अपनी जिन्दगी का पहला रोज़ा रखा। सात साल की छोटी सी उम्र में रोज़ा रखकर इस नन्हें रोज़ेदार ने उन बेरोज़ेदारों को आईना दिखाया है जो हट्टे-कट्टे होकर भी रब की रज़ा के लिए रोज़ा नहीं रखते। आदिल कहते हैं कि हम लोगों को यकीन ही नहीं हुआ कि अज़हान सच में रोज़ा रख लेगा मगर जब 12  बजे तक उसने कुछ नहीं खाया तो हम लोगों ने भी मना नहीं किया। शाम में जब अज़ान हुई तो रोज़ा खोलकर नन्हें अज़हान ने पूरी कायनात के लिए दुआएं की।


मुख्तार अंसारी को भी कोरोना

मुख्तार समेत बांदा जेल के 291 कैदी बीमार

बांदा(दिल इडिया लाइव)। उत्तर प्रदेश के बांदा जेल में भी कोरोना फैल गया है। यहाँ खास बात यह है कि जेल में बंद मऊ के बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी कोरोना संक्रमित हो गये है। शनिवार को स्वास्थ्य विभाग की टीम ने जेल जाकर सैंपल लिया था। रविवार को आई रिपोर्ट में 291 लोग संक्रमित मिले हैं। इसमें मुख्तार अंसारी सहित जेल के कई बंदी पॉजिटिव पाए गए हैं। फिलहाल मुख्तार अंसारी की हालत स्थिर है। बांदा में कुल संक्रमितों की संख्या 6760 पहुंच गई है। सक्रिय संक्रमितों की संख्या 1538 है। जिले में अब तक कुल 76 मौतें हुईं हैं। 


कोरोना से निजात की दुआ संग चढ़ी चादर


गाज़ी मियां की लगन संग शादी की सस्म शुरु

वाराणसी (दिल इंंडिया लाइव) वाराणसी के बड़ी बाजार स्थित हजरत सैयद सलार मसूद गाजी मियां रहमतुल्लाह अलैह की शादी के सवा महीने पूर्व आज लगन रखी गयी। इस दौरान कोरोना महामारी को देखते हुए जहां सोशल डिस्टेंसिंग का खास ख्याल रखा गया था, वहीं कोरोना से निजात की दुआएं भी मांगी गई। इसके बाद कुछ ही देर में दरगाह बंद कर दिया गया। इसी के साथ गाज़ी मियां की लग्न के साथ ही गाज़ी मियां की शादी की रस्म की शुरुआत भी हो गई।



दरगाह गाज़ी मियां के गद्दीनशीन/सेक्रेटरी हाजी एजाजुद्दीन हाशमी की देखरेख में हल्दी की रस्म निभाई गई। आयोजन में इलाकाई जायरीन और दरगाह कमेटी के सदर हाजी सिराजुद्दीन अहमद, नियाजुद्दीन हाशमी, डा. अजीजुर्रहमान, जीशान अहमद, अब्दुल अब्दुल्लाह हाशमी की अगुवाई में फातिहा और चादर पोशी की गयी और जायरीनों को हल्दी लगायी गयी। जिसमें कुछ ही अकीदतमंदों ने हिस्सा लिया। अन्त में सभी इलाकाई साथियों का  दरगाह कमेटी के लोगों ने शुक्रिया अदा किया ।

शनिवार, 24 अप्रैल 2021

पता करो कोई पड़ोस में भूखा तो नहीं है...

रमज़ान का पैग़ाम: 11(24-04-2021)

रब कहता है मांगों न दूं तो कहो, मगर हमें मांगना ही नहीं आता


वाराणसी (अमन/दिल इंडिया लाइव) पूरी दुनिया कोरोना कि आपदा से खौफज़दा है, मरने वालों और बीमार होने वालो का आंकड़ा रोज़ नया रिकार्ड बना रहा है इस बार कोरोना कि रफतार काफी तेज़ है, इस बार कोई ये भी नही कह रहा है कि कोरोना जमातियो ने या नमाज़ियो ने फैलाया कहीं कोई किसी पर दोष भी नही दे रहा है बल्कि सब यही चाह रहे हैं कि किसी तरह वो इसकी जद में न आये मुसलमानो के लिए तो ईमान मज़बूत करने का ये वक्त है, क्यों कि कोरोना आपदा के साथ ही एक ऐसा महीना भी आ गया है जिस महीने को रब ने अपना महीना कहा है, रब तो यहाँ तक कहता है कि मांगो न दूं तो कहना मगर हम कितने बदनसीब हैं कि हमें मांगना ही नही आता हम रमज़ान का रोज़ा रख रहे हैं मगर हम मांग नहीं पा रहे हैं कि, मौला कोरोना कि आपदा दूर कर दे रोज़ मस्जिदों से ऐलान हो रहा है कि आज फला का इंतेकाल हो गया, आल फला गुज़र गया मगर हमें क्या हो गया है कि हम केवल और केवल अपना सोचते हैं हमारी इफ्तार कि थाली में वो सारे लज़ीज़ पकवान हो जो दुनिया में बेहतर माने जाते हैं भले ही रहमतपुर, पुरानापुल, बजरडीहा, जोल्हा और लोहता कि गरीब बस्ती में कारोबार खराब होने कि वजह से फाके का मंज़र हो, वहाँ के रोज़ेदारो को रोज़ा खोलने के लिए खजूर तो दूर पानी भी अगर मयस्सर न हो तो कैसे खुद को हम मुसलमान कहेंगे

इस्लाम कह रहा है कि पता करो कोई पड़ोस में भूखा तो नहीं हैं, अगर कोई तुम्हारे पड़ोस में भूखा हैं, उसके घर पर इफ्तारी का सामान नही है तो उसकी भूख मिटाना, उसे इफ्तारी का सामान मुहैया कराना तुम्हारी ज़िम्मेदारी है मगर हम पहले अपना पेट भरने के चक्कर में अपनी ज़िम्मेदारी भूलते जा रहे हैं इस्लाम ने अगर पड़ोसी का अधिकार दिया है तो ज़कात का सिस्टम भी बनाया है ताकि हर साहिबे निसाब अपने दौलत और जमा कमाई का शरीयत कि ओर से तय मानक (ढाई फीसद (2.5%) ) के हिसाब से गरीबो को ज़कात दे दें ताकि वो भी रमज़ान और ईद कि खुशियां मना सकें, मगर जब पूरा रमज़ान जाने लगेगा तब ज़कात निकाली जायेगी तो किसी का क्या भला होगा इस्लाम यह भी कह रहा है कि एक हाथ से दो तो दूसरे को पता न चले कि क्या दिया और किसे दिया, कितना दिया आज ज़कात देने में भी दिखावा और चालाकी कि जा रही हैं शायद यही वजह है कि तमाम आपदाएं और परेशानिया हमें घेरे हुए हैं   

ज़कात देना हर साहिबे नेसाब पर वाजिब है। साहबे नेसाब वो है जिसके पास साढ़े सात तोला सोना या साढ़े बावन तोला चांदी में से कोई एक होया फिर बैंकबीमापीएफ या घर में इतने के बराबर साल भर से रकम रखी हो तो उस पर मोमिन को ज़कात देना वाजिब है। ज़कात शरीयत में उसे कहते हैं कि अल्लाह के लिए माल के एक हिस्से को जो शरीयत ने मुकर्रर किया है मुसलमान फक़़ीर को मालिक बना दे। ज़कात की नीयत से किसी फक़़ीर को खाना खिला दिया तो ज़कात अदा न होगीक्योंकि यह मालिक बनाना न हुआ। हां अगर खाना दे दे कि चाहे खाये या ले जाये तो अदा हो गई। यूं ही ज़कात की नियत से कपड़ा दे दिया तो अदा हो गई। ज़कात वाजिब के लिए चंद शर्ते है : मुसलमान होना (इसलिए कि ये इस्लामी टैक्स है)बालिग होनाआकि़ल होनाआज़ाद होनामालिके नेसाब होनापूरे तौर पर मालिक होनानेसाब का दैन से फारिग होनानेसाब का हाजते असलिया से फारिग होनामाल का नामी होना व साल गुज़रना। आदतन दैन महर का मोतालबा नहीं होता लेहाज़ा शौहर के जिम्मे कितना दैन महर हो जब वह मालिके नेसाब है तो ज़कात वाजिब है। ज़कात देने के लिए यह जरूरत नहीं है कि फक़़ीर को कह कर दे बल्कि ज़कात की नीयत ही काफी है।

फलाह पाते हैं जो ज़कात देते है

नबी-ए-करीम ने फरमाया जो माल बर्बाद होता है वह ज़कात न देने से बर्बाद होता है और फरमाया कि ज़कात देकर अपने मालों को मज़बूत किलों में कर लो और अपने बीमारों को इलाज सदक़ा से करो और बला नाज़िल होने पर दुआ करो। रब फरमाता है कि फलाह पाते हैं वो लोग जो ज़कात अदा करते है। जो कुछ रोज़ेदार खर्च करेंगे अल्लाह ताला उसकी जगह और दौलत देगाअल्लाह बेहतर रोज़ी देने वाला है। आज हम और आप रोज़ी तो मांगते है रब से, मगर खाने किइफ्तार कि खूब बर्बादी करके गुनाह भी बटौरते हैइससे हम सबको बाज़ आना चाहिए। 

उन्हे दर्दनाक अज़ाब की खुशखबरी सुना दो

अल्लाह रब्बुल इज्जत फरमाता है जो लोग सोनाचांदी जमा करते हैं और उसे अल्लाह की राह में खर्च नहीं करते उन्हें दर्दनाक अज़ाब की खुशखबरी सुना दो। जिस दिन जहन्नुम की आग में वो तपाये जायेंगे और इनसे उनकी पेशानियांकरवटें और पीठें दागी जायेगी। और उनसे कहा जायेगा यह वो दौलत हैं जो तुमने अपने नफ्स के लिए जमा किया था। ऐ अल्लाह तू अपने हबीब के सदके में हम सबको ज़काते देने की तौफीक दे..आमीन

(लेखक दिल इंडिया लाइव के सम्पादक हैं।)

हिमताज परिवार की सुशीला देवी नहीं रही

हिमताज तेल परिवार की माता थी सुशीला पाण्डेय

वाराणसी(दिल इंडिया लाइव)। बनारस की पहचान रहे हिमताज तेल के अधिष्ठाता परिवार की माता श्रीमती सुशीला पांडेय पत्नी श्री राम नारायण पांडेय का शुक्रवार देर रात निधन हो गया वो 73 वर्ष की थी। उनके पुत्र कृष्ण कुमार पांडेय जगदीश कुमार पांडेय के अनुसार सुशीला देवी लगभग 1 महीने से काफी बीमार चल रही थी और अस्पताल में इलाज के दौरान उनका निधन हो गया। सिगरा स्थित उनके आवास से शव यात्रा शनिवार सुबह 8:00 बजे निकली। मणिकर्णिका घाट पर उनके छोटे पुत्र जगदीश कुमार पांडेय ने उन्हें मुखाग्नि दी । इस दौरान घाट पर उनके ज्येष्ठ पुत्र कृष्ण कुमार पाण्डेय, पौत्र श्री प्रकाश पांडेय, सत्य प्रकाश, शक्ति प्रकाश,एवं प्रपौत्र शुभ प्रकाश पाण्डेय के साथ नाति श्रीपति त्रिपाठी,दिव्य दत्त त्रिपाठी,एस. शुक्ला एवं सत्या तिवारी के अलावा परिजन और नगर के विशिष्ठ जन मौजूद रहे।

परमवीर चक्र विजेता अब्दुल हमीद के बेटे का इंतेकाल

अस्पताल की लापरवाही से गई जान: सलीम

कानपुर (दिल इंडिया लाइव)। पाकिस्तान टैंक तबाह करने वाले परमवीर चक्र विजेता वीर अब्दुल हमीद के बेटे 61 वर्षीय अली हसन का इंतेकाल हो गया। वह पिछले 2 दिनों से बीमार थे और ऑक्सीजन लेवल बेहद कम होने से उन्हेंं हैलट में भर्ती कराया गया था। घर वालों ने आरोप लगाया है कि वीर अब्दुल हमीद के पुत्र होने की जानकारी देने के बाद भी एलएलआर हॉस्पिटल (हैलट) प्रशासन ने ऑक्सीजन सिलिंडर का इंतजाम नहीं किया।

मूलत: गाजीपुर के वीर अब्दुल हमीद के चार बेटों में से दूसरे नंबर के अली हसन कानपुर के सैयद नगर में अपने परिवार संग रहते थे। आर्डिनेंस इक्विपमेंट फैक्ट्री (ओईएफ) से सेवानिवृत्ति के बाद उन्होंने यहीं मकान बना लिया था। अली हसन के बड़े बेटे सलीम ने बताया कि 21 अप्रैल की रात उनके पिता को खांसी आना शुरू हुई, इसके बाद उनका ऑक्सीजन लेवल तेजी से गिरता गया। हालात बिगडऩे पर 21 अप्रैल को ही पिता हैलट लाए। सलीम के मुताबिक अस्पताल पहुंचते ही उन्हेंं ऑक्सीजन सिलिंडर की व्यवस्था करा दी गई। कुछ देर बाद उनकी हालत में सुधर हुआ लेकिन करीब 4 घंटे बाद डॉक्टरों ने यह कहते हुए उन्हेंं ऑक्सीजन सिलिंडर की सुविधा देने से इन्कार कर दिया कि अब उनकी तबीयत बेहतर है और उन्हेंं इसकी जरूरत नहीं है। घर वालों का आरोप है कि इसके बाद उनकी तबीयत लगातार बिगड़ती गई और अंत में उनका इंतेकाल हो गया।

शुक्रवार, 23 अप्रैल 2021

जनाबे ख़दीजा की वफात पर उठाया ताबूत


कोरोना के खात्मे के लिए हुई दुआ खानी 

वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। जनाबे ख़दीजा की वफात १० रमज़ान को शहर भर में फातेहा का आयोजन किया गया। प्यारे नबी हज़रत मुहम्मद(स.) की शरीके हयात (पत्नी) मलिकातुल् अरब जनाबे ख़दीजा की वाफत पर आज शहर भर मे मजलिस व मातम का एहतेमाम किया गया। जनाबे ख़दीजा ने अपना पुरा जीवन इस्लाम के लिए वक़्फ़ किया था। उन्होंने रसुले अकरम के साथ इस्लाम को दूर दूर तक फैलाया और पैगाम दिया के इस्लाम सलामती का मज़हब है। जनाबे ख़दीजा ने बीबी फतेमा की परवरिश इस प्रकार से की के उनकी बेटी का नाम आज सारी दुनिया में चमकते सितारे के तरह है। 

इस अवसर पर दरगाह फातमान, सदर इमाम बाड़े में भी मजलिसो का आयोजन किया गया और शहर भर कि तमाम मस्जिदों में लोगों ने इफ्तार के बाद की। शिया मस्जिद काली महल मे तकरीर करते हुए सैयद फरमान हैदर ने कहा के दौलत का होना बड़ी बात नही है उसका सही से खर्च करना इंसान को आना चाहिए। दौलत इसलिए होती है के गरीबों की मदद की जाए। इस अवसर पर मजलिस मे रियाज़ जफर, शुबबु, इफ्तेकार हुसैन, एहसान हुसैन, साजिद हुसैन, अबरार हुसैन, अली जावेद आदि लोग शामिल हुए।

शेख़ अली हजी को दिखता था बनारस का हर बच्चा राम और लक्ष्मण

बरसी पर याद किए गए ईरानी विद्वान शेख़ अली हजी  Varanasi (dil India live)। ईरानी विद्वान व दरगाहे फातमान के संस्थापक शेख मोहम्मद अली हजी ईरान...