शनिवार, 27 दिसंबर 2025

Khwaja k 814 वें सालाना उर्स में लाखों ने लगाई हाजिरी

छठीं का कुल संग ख्वाजा का उर्स मुकम्मल, जन्नती दरवाजा हुआ बंद




मोहम्मद रिजवान 

dil india live (Ajmer) अजमेर शरीफ में 27 दिसम्बर को छठवीं के कुल शरीफ के साथ ही सूफी संत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती (रजि.) का 814 वां छह दिवसीय सालाना उर्स शनिवार को मुकम्मल हो गया। इस दौरान छह दिन में देशी विदेशी लाखों लोगों ने हाजिरी लगाई। इसी के साथ ही जायरीन का घरों को लौटने का सिलसिला तेज हो गया और जन्नती दरवाजा बंद कर दिया गया।
इससे पहले शनिवार को दरगाह में छठी मनाई गई और कुल की रस्म अदा की गई। शनिवार सुबह आस्ताना शरीफ आम जायरीन के लिए बंद कर दिया गया। सुबह करीब 11 बजे से दोपहर 1 बजे तक महफिल खाना में कुल की रस्म के तहत शाही चौकी के कव्वालों ने दरगाह दीवान के उत्तराधिकारी सैयद नसीरुद्दीन की सदारत में रंग और बधावा पढ़ा। इस दौरान महफिल खाना में कलंदर और मलंग दागोल की रस्म पेश की गई। कलंदरों ने हैरत अंगेज करतब दिखाते हुए महफिल खाने में कुछ देर दीवान की गद्दी का इस्तकबाल किया। दोपहर करीब सवा बजे कुल की रस्म हुई। रस्म के दौरान आस्ताने में खादिम ही अंदर रहे। 





दरगाह दीवान के उत्तराधिकारी सैयद नसीरुद्दीन ने जन्नती दरवाजे से होकर आस्ताना शरीफ में प्रवेश किया इसके बाद जन्नती दरवाजा बंद कर दिया गया। जन्नती दरवाजा 21 दिसम्बर को उर्स शुरू होने के अवसर पर चांद रात को खोला गया था।रवायत के अनुसार कुल की रस्म के दौरान शाहजहांनी गेट स्थित नौबत खाने से शादियाने बजाए गए। इस दौरान बड़े पीर साहब की पहाड़ी से तोप दागी गई। महाना छठी के अवसर पर सभी के लिए दुआएं की गई और जायरीन को लंगर तकसीम किया गया। इस मौके पर फातिहा पढ़ी गई।

आशिकान-ए-ख्वाजा की आखों में आंसू

सूफी संत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह के छह दिवसीय उर्स के तहत पांच रजब यानी जुमा की रात से ही आशिकान-ए- ख्वाजा दरगाह में नजर आए। दरगाह में हजारों की संख्या में जायरीन की उपस्थित से सभी ने छह रजब यानी शनिवार लगने के साथ ही देर रात दरगाह की दरों दीवारों पर गुलाब जल व केवड़ा जल से छीटें देकर उसे रगड़ रगड़ कर साफ करना शुरू कर दिया था। अनेक आशिकान-ए-ख्वाजा की आखों में आंसू थे। जायरीन ने नम आंखों से ख्वाजा गरीब नवाज से अमन चैन व खुशहाली की दुआएं मांगी। ख्वाजा के उर्स में बड़े कुल की रस्म 30 दिसम्बर को होगी। जो जायरीन बड़े कुल की रस्म अदाकर लौटेंगे वो अजमेर में ठहरे हुए हैं। शेष जायरीन का घरों को लौटने का सिलसिला छठी के कुल के साथ ही शुरू हो गया है।





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